Check Bounce Rules: चेक बाउंस के मुकदमे में लेनदार को देनदार से चेक की राशि के साथ-साथ नुकसान और ब्याज भी मिल सकता है। चेक बाउंस एक गंभीर समस्या हो सकती है। चेक बाउंस होने से लेनदार के साथ आपके संबंध खराब हो सकते हैं। इसके अलावा आपको कानूनी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है।
चेक बाउंस होने के कारण
- खाते में पर्याप्त राशि न होना: चेक बाउंस होने का सबसे आम कारण यह है कि चेक जारी करने वाले व्यक्ति के खाते में पर्याप्त राशि नहीं होती है। जब चेक जमा किया जाता है तो बैंक चेक की राशि चेक जारी करने वाले व्यक्ति के खाते से काटता है। यदि खाते में पर्याप्त राशि नहीं होती है तो चेक बाउंस हो जाता है।
- चेक पर साइन में अंतर होना: चेक पर साइन करने के लिए एक निश्चित प्रारूप होना चाहिए। यदि चेक पर साइन करने में अंतर होता है तो बैंक चेक को अस्वीकार कर सकता है।
- चेक की समय सीमा समाप्त हो जाना: चेक की एक समय सीमा होती है, जिससे पहले उसे जमा करना होता है। यदि चेक की समय सीमा समाप्त हो जाती है तो बैंक चेक को अस्वीकार कर सकता है।
- चेक पर गलत जानकारी: चेक पर गलत जानकारी होने पर भी बैंक चेक को अस्वीकार कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि चेक की राशि गलत लिखी गई है तो बैंक चेक को अस्वीकार कर सकता है।
चेक जारी करने पर जरुरी बाते
- चेक जारी करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपके खाते में पर्याप्त राशि हो।
- चेक पर अपना हस्ताक्षर सावधानी से करें।
- चेक की समय सीमा समाप्त होने से पहले उसे जमा करें।
- चेक पर गलत जानकारी न लिखें।
यदि आपके चेक बाउंस हो जाता है तो आपको जल्द से जल्द लेनदार से संपर्क करना चाहिए और चेक की राशि का भुगतान करना चाहिए। चेक बाउंस होने पर चेक जारी करने वाले व्यक्ति के खाते से पेनल्टी के तौर पर राशि कटती है। पेनल्टी की राशि चेक की राशि का 2% होती है लेकिन यह ₹200 से कम नहीं हो सकती है।
15 दिनों बाद केस दायर हो सकेगा
चेक बाउंस होने पर लेनदार को देनदार को चेक बाउंस होने की सूचना देनी चाहिए। देनदार को चेक की राशि एक महीने के अंदर लेनदार को भुगतान करनी होगी। यदि देनदार एक महीने के अंदर भुगतान नहीं करता है तो लेनदार देनदार को लीगल नोटिस भेज सकता है।
लीगल नोटिस भेजने के 15 दिनों के अंदर भी यदि देनदार कोई जवाब नहीं देता है तो लेनदार देनदार के खिलाफ चेक बाउंस का मुकदमा दायर कर सकता है। चेक बाउंस के मुकदमे में, लेनदार को चेक की राशि के साथ-साथ नुकसान और ब्याज भी मिल सकता है।
मामले में जेल भी जाना होगा
भारतीय दंड संहिता की धारा 138 के तहत चेक जारी करने वाला व्यक्ति यदि चेक की राशि का भुगतान नहीं करता है तो उसे दो साल की सजा या चेक की राशि का दोगुना जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
मुकदमा लेनदार की जगह पर दर्ज किया जाता है। यदि लेनदार और देनदार एक ही शहर में रहते हैं तो मुकदमा उसी शहर के कोर्ट में दर्ज किया जाएगा। यदि लेनदार और देनदार अलग-अलग शहरों में रहते हैं तो मुकदमा लेनदार के शहर के कोर्ट में दर्ज होगा।
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