प्रकृति में आर्द्रभूमि के महत्व को देखते हुए “प्रकृति संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ (United Nation for Conservation of Nature) द्वारा विश्व के विभिन क्षेत्रों को रामसर स्थल में शामिल किया जाता रहता है।
पारिस्थितिक तंत्र में आर्द्रभूमि की भूमिका को ध्यान में रखते हुए प्रकृति संरक्षण हेतु अंतरराष्ट्रीय संघ द्वारा प्रतिवर्ष विभिन आर्द्रभूमियों को रामसर स्थल की सूची में स्थान दिया जाता है।
वर्तमान समय तक IUCN (International Union for Conservation of Nature) द्वारा भारत की 75 आर्द्रभूमियों को रामसर स्थल की सूची में शामिल किया जा चुका है।
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आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपको भारत के सभी 75 रामसर स्थल (75 Ramsar sites in India in Hindi 2023) के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी।
वनो का इतिहास काफी गहरा है और भारत में बहुत प्रकार के वन पाए जाते है। हर एक वन के प्रकार की अपनी एक अलग विशेषता होती है।
भारत के सभी 75 Ramsar sites in India की सूची के बारे में जानने के अतिरिक्त इस आर्टिकल के माध्यम से आपको आर्द्रभूमि एवं रामसर स्थल क्या है सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में भी जानकारी प्रदान की जाएगी।
Article Contents
आर्द्र भूमि क्या है ?
रामसर स्थल के बारे में जानकारी प्राप्त करने से पूर्व हमे आर्द्र भूमि क्षेत्र या वेटलैंड्स के बारे में जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है तभी हम Ramsar sites in India को अच्छे से समझ सकेंगे।
आर्द्रभूमि क्षेत्र या वेटलैंड्स धरती के उन स्थलों को कहा जाता है जो की जल से ढ़के या अंशत घिरे होते है। सरल शब्दो में कहा जाए तो जल से घिरे दलदली स्थलों को आर्द्र भूमि कहा जाता है जिसमे तालाब, जलाशय, झीलें, नदी -डेल्टा, डेल्टा क्षेत्र, पंकभूमि, बाढ़ के मैदान, दलदली भूमि, चावल के खेत, बैराज भूमि और समुद्र के दलदली किनारे शामिल है।
मुख्यत जल एवं स्थल के मध्य भाग के संक्रमण क्षेत्र या जल से घिरी दलदली भूमि (पंकभूमि) को ही आर्द्र भूमि का दर्जा दिया जाता है।
आईयूसीएन (IUCN) की परिभाषा के अनुसार इसमें प्राकृतिक एवं कृत्रिम, स्थैतिक एवं बहते जल तथा स्थायी या अस्थायी आर्द्रभूमि को शामिल किया गया है।
वास्तव में ये धरती पर सबसे महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र है जो की पर्यावरण संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन, ऑक्सीजन उत्पादन, कार्बन अवशोषक, मत्स्य पालन, सिंचाई, प्रवासी पक्षियों हेतु निवास, गैर-इमारती लकड़ी उत्पाद, आश्रित जीवो हेतु खाद्य, जल-आपूर्ति, बाढ़ रोकथाम एवं जैव विविधता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
यही कारण है की इन्हे संरक्षित करने हेतु रामसर संधि को लागू किया गया है। आर्द्र भूमि पारिस्थितिक तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
रामसर स्थल क्या है | Ramsar sites in India
आर्द्रभूमियों को संरक्षित करने के लिए 2 फरवरी 1971 को ईरान के रामसर शहर में दुनिया के विभिन देशों के मध्य अंतर्राष्ट्रीय संधि की गयी थी जिसके तहत पर्यावरण संरक्षण हेतु दुनिया के विभिन आर्द्र भूमि स्थलों को संरक्षित करने का संकल्प लिया गया था।
इस समझौते को ही रामसर समझौता (Ramsar Convention) के नाम से जाना जाता है। रामसर समझौते के तहत संरक्षित करने हेतु सम्मिलित की गयी आर्द्रभूमियों को ही रामसर स्थल का दर्जा दिया जाता है।
रामसर समझौता को सम्बंधित देशो के द्वारा 21 दिसंबर 1975 को पूर्णरूप से लागू किया गया था। भारत के द्वारा इस संधि पर 1 फरवरी 1982 को हस्ताक्षर किए गए थे।
किसी भी भूमि के रामसर स्थल में शामिल होने पर सम्बंधित भूमि के संरक्षण की जिम्मेदारी आईयूसीएन (IUCN) द्वारा की जाती है साथ ही रामसर स्थल को पहचान एवं वित्तीय सहायता के अतिरिक्त अन्य प्रकार से भी सहायता प्रदान की जाती है।
हमारे भारत देश में गंगा नदी की पूजा की जाती है लेकिन क्या आप जानते है दुनिया की सबसे लम्बी नदी कौनसी है।
भारत के सभी 75 रामसर स्थल | 75 Ramsar Sites in India
यहाँ आपको भारत के सभी 75 रामसर स्थलों ( List of 75 Ramsar Sites in India in Hindi 2023) की सूची प्रदान की गयी है:-
इस प्रकार से इस आर्टिकल के माध्यम से आपको भारत के सभी 75 Ramsar sites in India के बारे में जानकारी एवं इनकी विशेषताओं से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य के बारे में अवगत कराया गया है।
क्र. सं. | चित्र | रामसर स्थल का नाम | शामिल वर्ष | सम्बंधित राज्य/केंद्रशासित प्रदेश | विशेष तथ्य/महत्व |
1. | चिल्का झील | 1981 | ओडिशा | भारत की सबसे बड़ी लैगून झील, प्रवासी पक्षियों का निवास स्थल, विभिन विदेशी पक्षी एवं फ्लेमिंगो की पसंदीदा आरामगाह | |
2. | केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान | 1981 | राजस्थान | प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध पक्षी बर्ड-सेंचुरी | |
3. | लोकटक झील | 1990 | मणिपुर | उत्तर-पूर्वी राज्यों में स्थित सबसे बड़ी ताजे जल की झील, विश्व का एकमात्र तैरता उद्यान कैबुल लामजाओ स्थित | |
4. | वुलर झील | 1990 | जम्मू-कश्मीर | भारत की ताजे जल की सबसे बड़ी झील | |
5. | हरिके झील | 1990 | पंजाब | व्यास एवं सतलुज के संगम के पास स्थित, इंदिरा गाँधी नहर हेतु महत्वपूर्ण | |
6. | सांभर झील | 1990 | राजस्थान | भारत की सबसे बड़ी अंतर्देशीय जल की झील, प्रवासी पक्षियों हेतु महत्वपूर्ण | |
7. | कंजली झील | 2002 | पंजाब | जलीय जीवों एवं कछुओं की विभिन प्रजातियों हेतु प्रसिद्ध वेटलैंड | |
8. | रोपड़ वेटलैंड | 2002 | पंजाब | सतलुज झील द्वारा निर्मित बैराज, सांभर एवं हॉग डियर के निवास हेतु प्रसिद्ध | |
9. | कोलेरु झील | 2002 | आंध्र प्रदेश | कृष्णा एवं गोदावरी नदियों के संगम पर स्थित मीठे जल की झील | |
10. | दीपोर बील | 2002 | असम | ब्रह्मपुत्र नदी की धारा से निर्मित झील, बर्मा मानसून क्षेत्र के अंतर्गत संरक्षित | |
11. | पोंग बांध झील | 2002 | हिमाचल प्रदेश | महाराणा प्रताप सागर झील के नाम से प्रसिद्ध, महाशीर मछली का निवास | |
12. | त्सो मोरीरी झील | 2002 | लद्दाख | भारतीय सीमा में स्थित सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित झील | |
13. | अष्टमुडी झील | 2002 | केरल | केरल में बैकवाटर झीलों के प्रवेश द्वार के रूप में प्रसिद्ध | |
14. | सस्थमकोट्टा झील | 2002 | केरल | सस्थमकोट्टा मंदिर के पास स्थित केरल की सबसे बड़ी ताजे जल की झील, प्रवासी पक्षियों हेतु प्रसिद्ध | |
15. | वेम्बनाड-कोल आर्द्रभूमि | 2002 | केरल | भारत की सबसे लम्बी झील, नौका दौड़ प्रतियोगिता हेतु प्रसिद्ध | |
16. | भोज वेटलैंड | 2002 | मध्य प्रदेश | भोजताल के नाम से प्रसिद्ध भोपाल के निकट स्थित वेटलैंड, क्रैन सारस हेतु प्रसिद्ध | |
17. | भितरकनिका मैंग्रोव | 2002 | ओडिशा | भारत का द्वितीय सबसे बड़ा मैंग्रोव वन तंत्र | |
18. | प्वाइंट कैलिमेरे वन्यजीव और पक्षी अभयारण्य | 2002 | तमिलनाडु | फ्लेमिंगो पक्षी के संगम एवं ब्लैकबक हिरणों के लिए दर्शनीय | |
19. | पूर्व कोलकाता आर्द्रभूमि | 2002 | पश्चिम बंगाल | कोलकता के सीवर स्वछता हेतु निर्मित पूर्व कोलकाता आर्द्रभूमि प्राकृतिक एवं कृत्रिम झील का समन्वय है। | |
20. | चंद्रताल वेटलैंड | 2005 | हिमाचल प्रदेश | चंद्र नदी का उद्गम, हिमालयी पक्षियों के निवास हेतु उपयुक्त | |
21. | रेणुका वेटलैंड | 2005 | हिमाचल प्रदेश | भगवान परशुराम की माता जी रेणुका के नाम पर रेणुका वेटलैंड प्रसिद्ध झील है। | |
22. | होकेरा वेटलैंड / होकेर्सर वेटलैंड | 2005 | जम्मू और कश्मीर | देश में रेडबीडस पक्षी का एकमात्र निवास स्थल, पीर-पंजाल रेंज में स्थित | |
23. | सुरिंसर और मानसर झील | 2005 | जम्मू और कश्मीर | जम्मू में स्थित झेलम नदी क्षेत्र में स्थित, अर्ध शुष्क वेटलैंड स्थल | |
24. | रुद्रसागर झील | 2005 | त्रिपुरा | 3 स्थायी झरनो के संगम पर स्थित, स्थानीय पर्यावरणीय तंत्र के लिए आवश्यक वेटलैंड | |
25. | ऊपरी गंगा नदी (ब्रजघाट से नरौरा खिंचाव) | 2005 | उत्तर प्रदेश | देश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण वेटलैंड में शामिल, कछुओं, घड़ियाल, मगरमच्छ, गंगा डॉलफिन एवं अन्य जलीय जीवो हेतु महत्वपूर्ण | |
26. | नलसरोवर पक्षी अभयारण्य | 2012 | गुजरात | थार मरुस्थल का सबसे बड़ा वेटलैंड, जंगली गधों के लिए महत्वपूर्ण निवास स्थल | |
27. | सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र | 2019 | पश्चिम बंगाल | विश्व का सबसे बड़ा मैन्ग्रोव वनों का इकोलॉजिकल सिस्टम, बंगाल टाइगर एवं सुंदरी वनों हेतु प्रसिद्ध | |
28. | नंदुर मध्यमेश्वर | 2019 | महाराष्ट्र | दक्कन पठार में स्थित, भरतपुर बर्ड सेंचुरी के नाम से भी प्रसिद्ध | |
29. | नवाबगंज पक्षी अभयारण्य | 2019 | उत्तर प्रदेश | शहीद चंद्रशेखर आजाद के नाम प्रसिद्ध, विभिन जीवों एवं पशु-पक्षियों की प्रजाति हेतु प्रसिद्ध | |
30. | केशोपुर मिआनी कम्युनिटी रिजर्व | 2019 | पंजाब | दलदली एवं कृषि भूमि पर स्थित वेटलैंड, सामुदायिक रूप से संरक्षित प्राकृतिक स्थल | |
31. | व्यास संरक्षण रिजर्व | 2019 | पंजाब | ब्यास नदी के 185 किलोमीटर क्षेत्र में स्थित वेटलैंड, सिंधु रिवर डॉलफिन का मुख्य निवास | |
32. | नांगल वन्यजीव अभयारण्य | 2019 | पंजाब | विभिन भारतीय एवं विदेशी प्रजातियों के पक्षियों का निवास स्थल, भारतीय पैंगोलिन के लिए प्रसिद्ध | |
33. | साण्डी पक्षी अभयारण्य | 2019 | उत्तर प्रदेश | उत्तर के गंगा के मैदान में स्थित महत्वपूर्ण पक्षी अभयारण्य, दलदली भूमि से घिरा एवं मानसून पर निर्भर वेटलैंड | |
34. | समसपुर पक्षी अभयारण्य | 2019 | उत्तर प्रदेश | भारतीय पक्षियों के साथ विदेशी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध पक्षी अभयारण्य, मुख्यत दलदली भूमि | |
35. | समान पक्षी अभयारण्य | 2019 | उत्तर प्रदेश | गूज, बाज एवं अन्य दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण निवास स्थल, मानसून पर निर्भर स्थल | |
36. | पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य | 2019 | उत्तर प्रदेश | विभिन प्रकार की पक्षी प्रजातियों के लिए निवास स्थल, गिद्धों के संरक्षण हेतु महत्वपूर्ण | |
37. | सरसई नावर झील | 2019 | उत्तर प्रदेश | दुर्लभ क्रेन सारस के लिए प्रसिद्ध गंगा के मैदानी क्षेत्र में स्थित वेटलैंड, स्थायी दलदली क्षेत्र | |
38. | आसन कंजर्वेशन रिजर्व | 2020 | उत्तराखंड | प्रवासी पक्षियों के स्वर्गगाह के रूप में प्रसिद्ध संरक्षित क्षेत्र | |
39 | कंवर ताल | 2020 | बिहार | नदी क्षेत्र में आने वाली बाढ़ हेतु अवरुद्ध, विभिन प्रजाति के जीवों हेतु महत्वपूर्ण | |
40. | लोनार झील | 2020 | महाराष्ट्र | उल्कापिंड के प्रभाव के कारण निर्मित झील, ज्वालामुखी के क्रेटर की भांति आकार वाली झील | |
41. | सुर सरोवर झील / कीथम झील | 2020 | उत्तर प्रदेश | मध्य-एशिया से आने वाली प्रवासी पक्षियों हेतु महत्वपूर्ण झील, ग्रेलेग गूज का महत्वपूर्ण निवास | |
42. | त्सो कर आर्द्रभूमि क्षेत्र | 2020 | लद्दाख | हिमतेंदुए का प्रमुख निवास, एशिया वाइल्ड डॉग एवं हिमालयी स्पीशीज के लिए प्रसिद्ध, लवणीय झील | |
43. | सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान | 2021 | हरियाणा | पक्षी प्रेमियों का सबसे पसंदीदा स्थल, विभिन प्रकार के पक्षियों का निवास स्थल | |
44. | भिड़ावास वन्यजीव अभ्यारण्य | 2021 | हरियाणा | हरियाणा में स्थित सबसे बड़ा वेटलैंड एरिया, ताजे जल की झील | |
45. | थोल झील वन्यजीव अभ्यारण्य | 2021 | गुजरात | मध्य एशिया से आने वाले प्रवासी पक्षियों का आरामगाह, दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों का घर | |
46. | वाधवाना आर्द्रभूमि क्षेत्र | 2021 | गुजरात | कृषि क्षेत्र से घिरी आर्द्रभूमि, लाल गर्दन वाली बतख के लिए प्रसिद्ध | |
47. | हैदरपुर वेटलैंड | 2021 | उत्तर प्रदेश | लाल सुर्खाब, रिवर गुल एवं कारमोरेंट जैसे दुर्लभ स्पीशीज, विभिन जलपक्षियों, जलीय जीवों तथा वनस्पति का घर | |
48. | खिजड़िया पक्षी अभयारण्य | 2022 | गुजरात | विभिन स्पीशीज के लिए प्रसिद्ध लवणीय एवं अलवणीय जल का प्रमुख क्षेत्र, पक्षियों का आरामगाह स्थल | |
49. | बखीरा वन्यजीव अभयारण्य | 2022 | उत्तर प्रदेश | विभिन विदेशी पक्षियों के लिए आरामगाह, जलीय जीवो हेतु प्रसिद्ध | |
50. | करिकीली पक्षी अभयारण्य | 2022 | तमिलनाडु | सैकड़ो पक्षियों का घर, जलीय जीवों एवं वनस्पति की विविधता हेतु प्रसिद्ध | |
51. | पल्लीकरनई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट | 2022 | तमिलनाडु | राजधानी चेन्नई के निकट स्थित प्राकृतिक वेटलैंड | |
52. | पिचवरम मैंग्रोव | 2022 | तमिलनाडु | देश के सबसे बड़े मैंग्रोव वनों में शुमार, सुनामी से सुरक्षा हेतु महत्वपूर्ण | |
53. | पाला आर्द्रभूमि | 2022 | मिजोरम | पूर्वोत्तर में स्थित प्राकृतिक वेटलैंड, स्थानीय प्रजाति के जीवों के संरक्षण हेतु महत्वपूर्ण | |
54. | साख्य सागर | 2022 | मध्य प्रदेश | मध्यप्रदेश में स्थित माधव अभ्यारण में स्थित वेटलैंड, जैव-विविधता का खजाना | |
55. | कूथनकुलम पक्षी अभयारण्य | 2022 | तमिलनाडु | कूथनकुलम गाँव में स्थित सामुदायिक सहभागिता से संरक्षित पक्षी अभयारण्य | |
56. | मन्नार की खाड़ी समुद्री बायोस्फीयर रिजर्व | 2022 | तमिलनाडु | समुद्री जीवो हेतु प्रमुख निवास स्थल, विभिन जलीय जीवों के संरक्षण हेतु महत्वपूर्ण | |
57. | वेम्बन्नूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स | 2022 | तमिलनाडु | प्रायद्वीपीय भारत में स्थित कृत्रिम वेटलैंड, सिंचाई एवं प्राकृतिक संरक्षण हेतु महत्वपूर्ण | |
58. | वेलोड पक्षी अभयारण्य | 2022 | तमिलनाडु | कृषि कार्यो के लिए निर्मित कृत्रिम वेटलैंड, पक्षियों के लिए आदर्श निवास स्थल | |
59. | वेदान्थंगल पक्षी अभयारण्य | 2022 | तमिलनाडु | पक्षियों के खाद्य एवं निवास हेतु आदर्श स्थल, विभिन प्रकार के पक्षियों का निवास स्थल | |
60. | उदयमार्थंदपुरम पक्षी अभयारण्य | 2022 | तमिलनाडु | पक्षियों के आरामस्थल के रूप में प्रचलित, विभिन जीवो के लिए प्राकृतिक वातावरण के रूप में प्रसिद्ध | |
61. | सिरपुर वेटलैंड | 2022 | मध्य प्रदेश | ग्रे हेरोन के लिए प्रसिद्ध वेटलैंड, इंदौर के महाराजा द्वारा निर्मित सैकड़ो वर्ष पुराना जलस्रोत | |
62. | सतकोसिया गॉर्ज | 2022 | ओडिशा | सतकोसिया टाइगर रिज़र्व के साथ लगा हुआ वेटलैंड स्थल, प्राकृतिक वातावरण हेतु प्रसिद्ध | |
63. | नंदा झील | 2022 | गोवा | गोवा का एकमात्र रामसर स्थल, पक्षियों की विभिन प्रजातियों का निवास स्थल | |
64. | रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य | 2022 | कर्नाटक | किंगफ़िशर, फेलिकन्स एवं हेरोंस पक्षी प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध पक्षी अभ्यारण | |
65. | यशवंत सागर | 2022 | मध्य प्रदेश | मानव निर्मित कृत्रिम जलाशय, मानसून काल में विभिन पक्षियों का निवास स्थान | |
66. | ठाणे क्रीक | 2022 | महाराष्ट्र | प्रवासी पक्षियों में फ्लेमिंगो का प्रमुख निवास स्थान, विभिन विदेशी पक्षियों हेतु प्रसिद्ध स्थल | |
67. | हाइगम वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व | 2022 | जम्मू और कश्मीर | मध्यएशिया, यूरोप, चीन एवं लद्दाख से आने वाले प्रवासी पक्षियों का प्रमुख आरामगाह स्थल | |
68. | शालबुग वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व | 2022 | जम्मू और कश्मीर | साइबेरिया एवं अन्य सुदूर प्रदेशों से आने वाले गीज, कॉमन टील एवं पोचर्ड पक्षियों का पसंदीदा निवास | |
69. | टंपारा झील | 2022 | ओडिशा | जलीय जीवों के निवास हेतु प्रसिद्ध, विभिन वनस्पतियों से आच्छादित वेटलैंड स्थल | |
70. | हीराकुंड रिजर्व | 2022 | ओडिशा | हीराकुंड डैम पर स्थित रिजर्व, विभिन जीवों एवं पक्षियों हेतु प्रसिद्ध निवास | |
71. | अनसुपा झील | 2022 | ओडिशा | विभिन जीवों एवं वनस्पतियों का घर, आम एवं बाँस की अधिकता के लिए प्रसिद्ध | |
72. | चित्रांगुडी पक्षी अभ्यारण्य | 2022 | तमिलनाडु | विभिन प्रकार के प्रवासी पक्षियों हेतु प्रसिद्ध, हेरॉन, स्टोर्क, फेलिकन का पसंदीदा निवास | |
73. | सुचिंद्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स | 2022 | तमिलनाडु | ढ़ाई सौ से अधिक स्थानीय एवं प्रवासी पक्षियों का निवास स्थल | |
74. | वडुवुर पक्षी अभ्यारण्य | 2022 | तमिलनाडु | पक्षियों के स्वर्ग के रूप में प्रसिद्ध, विभिन प्रजाति के पक्षियों हेतु खाद्य एवं निवास का प्रमुख स्थल | |
75. | कांजीरंकुलम पक्षी अभ्यारण्य | 2022 | तमिलनाडु | मध्यएशिया एवं अन्य भागों से हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके आये पक्षियों का निवास स्थान, विभिन वनस्पतियों एवं जीवों हेतु अनुकूल स्थल |
जैसे आद्र भूमि वाले क्षेत्रों संरक्षित करने के लिए रामसर स्थल का निर्माण किया गया है वैसे ही जानवरों की प्रजातियां को विलुप्त होने से बचाने के लिए राष्ट्रिय उद्यानों का निर्माण किया जाता है।
भारत के सभी 75 रामसर स्थल सम्बंधित प्रश्न (FAQ)
रामसर स्थल उन प्राकृतिक एवं कृत्रिम आर्द्रभूमियों को कहा जाता है जिन्हे पारिस्थितिक तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए आईयूसीएन (IUCN) द्वारा संरक्षित किया जाता है।
आर्द्रभूमि क्षेत्र या वेटलैंड्स धरती के उन स्थलों को कहा जाता है जो की जल से ढ़के या अंशत घिरे होते है। आसान शब्दो में जल से घिरे दलदली स्थलों को आर्द्र भूमि कहा जाता है जिसमे तालाब, जलाशय, झीलें, नदी -डेल्टा, डेल्टा क्षेत्र, पंकभूमि, बाढ़ के मैदान, दलदली भूमि, चावल के खेत, बैराज भूमि और समुद्र के दलदली किनारे शामिल है। मुख्यत जल एवं स्थल के मध्य भाग के संक्रमण क्षेत्र या जल से घिरी दलदली भूमि (पंकभूमि) को ही आर्द्र भूमि का दर्जा दिया जाता है।
आर्द्र भूमि पारिस्थितिक तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है जो की पर्यावरण संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन, ऑक्सीजन उत्पादन, कार्बन अवशोषक, मत्स्य पालन, सिंचाई, प्रवासी पक्षियों हेतु निवास, गैर-इमारती लकड़ी उत्पाद, आश्रित जीवो हेतु खाद्य, जल-आपूर्ति, बाढ़ रोकथाम एवं जैव विविधता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
रामसर समझौता (Ramsar Convention) 2 फरवरी 1971 को ईरान के रामसर शहर में दुनिया के विभिन देशों के मध्य किया गया अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जिसके तहत दुनिया के विभिन आर्द्रभूमियों को संरक्षित करने पर सहमति व्यक्त की गयी थी। यह समझौता 21 दिसंबर 1975 को प्रभाव में आया था।
किसी स्थल को रामसर स्थल घोषित होने पर सम्बंधित स्थल के संरक्षण की जिम्मेदारी आईयूसीएन (IUCN) द्वारा पूर्ण की जाती है। साथ ही सम्बंधित स्थल के विकास एवं पर्यावरण संरक्षण के अतिरिक्त तकनीकी सहायता एवं वित्तीय सहायता भी आईयूसीएन (IUCN) द्वारा प्रदान की जाती है।
किसी स्थल को रामसर स्थल “प्रकृति संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ (United Nation for Conservation of Nature) या आईयूसीएन (IUCN) द्वारा घोषित किया जाता है।
भारत के प्रथम रामसर स्थल के रूप में ओडिशा की चिल्का झील एवं केवलादेव राष्ट्रीय पार्क को वर्ष 1981 में शामिल किया गया।
भारत द्वारा रामसर समझौते (Ramsar Convention) पर 1 फरवरी 1982 को हस्ताक्षर किए गए थे।
भारत में वर्तमान समय में सर्वाधिक रामसर स्थल तमिलनाडु राज्य में स्थित है जहाँ कुल 14 रामसर स्थल है।
भारत में वर्तमान में कुल 75 आर्द्रभूमि स्थलों को रामसर स्थल में शामिल किया गया है।