Abrahamic Religion: मुस्लिम-बहुल अरब देशों में कुछ समय से अब्राहमी धर्म की बात हो रही है। यह धर्म ईसाई, यहूदी और मुस्लिम धर्मों को एक साथ जोड़ने का प्रयास करता है। इस धर्म की शुरुआत 2020 में हुई थी जब संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और इजरायल ने एक शांति समझौता किया था। इस समझौते के तहत UAE ने इजरायल को मान्यता दी और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित किए।
अब्राहमी धर्म की स्थापना के पीछे कई उद्देश्य थे। एक उद्देश्य यह था कि इससे अरब देशों और इजरायल के बीच चली आ रही दुश्मनी को कम किया जा सके। दूसरा उद्देश्य यह था कि इससे इन तीन धर्मों के बीच सद्भाव और समझ को बढ़ावा दिया जा सके।
महान पैगम्बर के नाम पर धर्म
अब्राहम समझौते का नाम अब्राहम रखा गया क्योंकि यहूदी धर्म और इस्लाम दोनों में अब्राहम को एक महान पैगंबर माना जाता है। यहूदी धर्म में अब्राहम को “पितामह” या “पिता” माना जाता है क्योंकि उन्हें यहूदी धर्म का संस्थापक माना जाता है। इस्लाम में अब्राहम को “इब्राहीम” कहा जाता है और उन्हें “अल्लाह के दोस्त” के रूप में सम्मानित किया जाता है।
अब्राहम समझौते का कोई ग्रंथ नहीं है। यह (Abrahamic Religion) एक द्विपक्षीय समझौता है जो दो या दो से अधिक देशों के बीच किया जाता है। द्विपक्षीय समझौतों का कोई ग्रंथ नहीं होता है बल्कि वे एक समझौता पत्र या समझौता ज्ञापन के रूप में होते हैं।
अब्राहमी धर्म के मूल सिद्धांत
- एक ईश्वर में विश्वास
- सभी लोगों के समान अधिकार
- शांति और सद्भाव
अब्राहम समझौते के मुख्य प्रावधान
- इजरायल और यूएई, बहरीन और सूडान के बीच राजनयिक संबंध स्थापित किए जाएंगे।
- इजरायल और इन देशों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाया जाएगा।
- इजरायल और इन देशों के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाया जाएगा।
राजनीति से प्रेरित बता रहे कुछ लोग
अब्राहमी धर्म की स्थापना के कुछ आलोचक इसे एक राजनैतिक उपकरण के रूप में देखते हैं। उनका कहना है कि यह धर्म वास्तव में अरब देशों और इजरायल के बीच शांति लाने में मदद नहीं करेगा। वे यह भी कहते हैं कि यह धर्म इन तीन धर्मों के मूल सिद्धांतों को धुंधला कर सकता है।
तीनो धर्मो में समन्वय होगा – समर्थक
अब्राहमी धर्म के समर्थकों का कहना है कि यह धर्म एक सकारात्मक विकास है। उनका कहना है कि यह धर्म इन तीन धर्मों के बीच सद्भाव और समझ को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। वे यह भी कहते हैं कि यह धर्म इन तीन धर्मों के मूल सिद्धांतों को मजबूत करने में मदद कर सकता है।
धर्म युद्धों का कारण बन रहे है
धर्म को लेकर दुनिया में कट्टरता बढ़ रही है। इसका एक कारण यह है कि दुनिया में विभिन्न धर्मों के बीच मतभेद बढ़ रहे हैं। इन मतभेदों को अक्सर राजनीतिक और आर्थिक कारणों से बढ़ावा दिया जाता है। यूरोप में दक्षिणपंथी दल धर्म के आधार पर लोगों के बीच भेदभाव को बढ़ावा दे रहे हैं।
वे शरणार्थियों के खिलाफ नफरत फैला रहे हैं और उनका कहना है कि ये शरणार्थी उनके धर्म और संस्कृति के लिए खतरा हैं। फिलहाल चल रहे कई युद्धों के मूल में भी धर्म शामिल है। उदाहरण के लिए, सीरिया और यमन में चल रहे युद्धों में धार्मिक मतभेद एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
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