Himalayas New Study: वैज्ञानिकों का मानना है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट दो टुकड़ों में बंट रही है। यह विभाजन तिब्बत के नीचे हो रहा है। एक हिस्सा चीन के नीचे जा रहा है और दूसरा हिस्सा पाताल में। इस विभाजन को “डीलैमिनेशन” कहा जाता है।
हिमालय में भूकंप की आशंका
वैज्ञानिकों का मानना है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के विभाजन से हिमालय में और हिमालय से बड़े भूकंप आने की पूरी आशंका है। अगर ऐसा होता है तो भारी तबाही होगी। भारत, पाकिस्तान, चीन, नेपाल, तिब्बत और भूटान जैसे देशों में बड़ी आपदा आएगी।
भूकंप की संभावनाएं
- हिमालय के नीचे मौजूद दो टेक्टोनिक प्लेटों के बीच तनाव बढ़ सकता है। इससे हिमालय में भूकंप आने की संभावना बढ़ सकती है।
- भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के ऊपरी हिस्से का चीन के नीचे जाना जारी रहेगा। इससे चीन में भूकंप आने की संभावना बढ़ सकती है।
- भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के निचले हिस्से का पाताल में जाना जारी रहेगा। इससे भूमध्यसागरीय क्षेत्र में भूकंप आने की संभावना बढ़ सकती है।
वैज्ञानिको का पक्ष जाने
ग्राफिक्स बताता है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव है। इस टकराव के कारण हिमालय का निर्माण हुआ है। ग्राफिक्स में ऊर्जा के बहाव को दर्शाते हैं कि इन दो प्लेटों के बीच के तनाव से उत्पन्न हो रहा है। यह ऊर्जा हिमालय की ऊंचाई को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है।
जब यह ऊर्जा अचानक से निकलती है तो भूकंप आते हैं। 2015 में नेपाल में आए भूकंप इसी ऊर्जा के अचानक से निकलने के कारण आया था। भारतीय टेक्टोनिक प्लेट और यूरेशियन प्लेट का टकराव आज भी जारी है। इस टकराव के कारण हिमालय की ऊंचाई हर साल लगभग 5 सेंटीमीटर बढ़ रही है।
हिमालय के पास बढे भूकम्प आएंगे
Utrecht University के जियोडायनेमिसिस्ट डुवे वान हिंसबर्गेन का कहना है कि हमें अभी तक पूरी तरह से नहीं पता है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट और यूरेशियन प्लेट आपस में किस तरह से व्यवहार करती हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि इन दो प्लेटों के बीच का टकराव जारी है और इससे हिमालय में और हिमालय से बड़े भूकंप आने की संभावना बढ़ गई है।
भारत की प्लेटो का पातल में जाना जारी
मोनाश यूनिवर्सिटी के जियोडायनेमिसिस्ट फैबियो कैपितानो का कहना सही है कि यह सिर्फ एक ट्रेलर है। अभी भी बहुत कुछ पता नहीं है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के साथ क्या हो रहा है।
कैपितानो ने कहा कि भारतीय प्लेट एक बेहद मोटी महाद्वीपीय प्लेट है, जो चीन के नीचे जा रही है। यह प्लेट लगभग 100 किलोमीटर मोटी है। यह प्लेट धीरे-धीरे जा रही है, लेकिन यह एक बड़ी मात्रा में चट्टान है।
भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के लिए खुलासे
- भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के विभाजन का क्षेत्र तिब्बत के दक्षिण में 90 डिग्री नीचे लिथोस्फेयर-एस्थेनोस्फेयर बाउंड्री तक फैला हुआ है।
- यारलंग-जांग्बो दरार से 100 किलोमीटर दूर उत्तर की तरफ दरारें बन रही हैं। ये दरारें तिब्बत के नीचे हैं।
- भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के पूर्वी हिस्से में, मेंटल के पास ग्रैविटी के असर से ऊपरी हिस्सा अलग हो रहा है।
- यादोंग-गुलू और कोना-सांगरी रिफ्ट में हीलियम आइसोटोप की तीव्रता बढ़ी है। इसका मतलब है कि धरती के केंद्र से हीलियम आ रहा है।
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