भारत के शास्त्रीय नृत्य सूची | Indian Classical Dance information in Hindi

तो दोस्तों आप सभी यह तो जानते ही हैं की लोग डांस यानि के नृत्य को कितना पसंद करते हैं। नृत्य भारत की ही एक प्राचीन और प्रसिद्ध सांस्कृतिक परंपरा हैं। जैसा की आप जानते हैं की भारत में बहुत से त्यौहार मनाये जाते हैं और उन सभी त्योहारों में सभी लोग अपनी संस्कृति से सम्बंधित नृत्य करते हैं और भारत में शादियों में पार्टियों में अलग अलग प्रकार के नृत्य किये जाते हैं तो दोस्तों क्या आप जानते हैं की नृत्य की जड़े कहा से आती हैं तो आपको यह भी बता दे की भारत में नृत्य की जड़े शास्त्रीय नृत्य से आती हैं। भारत में बहुत से शास्त्रीय नृत्य किये जाते हैं। तो दोस्तों क्या आप जानते हैं की भारत में कौन कौन से शास्त्रीय नृत्य किये जाते हैं अगर नहीं तो आप बिलकुल निश्चिंत हो जाइये क्योंकि आज हम आपको इस लेख के माध्यम से भारत के शास्त्रीय नृत्य सूची के बारे में बताने वाले हैं।

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भारत के शास्त्रीय नृत्य की सूची
List of Classical Dances of India

इससे सम्बंधित और भी जानकारी के बारे में भी हम आपो इस लेख में बातएंगे तो दोस्तों अगर आप भी भारत के शास्त्रीय नृत्यों की सूची और इससे सम्बंधित अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको हमारे इस लेख को अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़ना होगा तब ही आप इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकोगे।

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भारत के शास्त्रीय नृत्य

भारत में नृत्य कलां प्राचीन कालों से चली आ रही हैं। इसको सीखने की और सीखाने की प्रक्रिया भी प्राचीन काल से ही चलती आ रहीं हैं। इसी प्रचलन को गुरु व शिष्य भी कहा जाता है। भारत में नृत्य केवल एक कलां ही नहीं बल्कि यह एक परम्परा भी हैं। अगर देखा जाए तो कई बार जब भी खुदाई हुई हैं और उसमे ऐतिहासिक चीजें पाई गयी हैं तब उनमे से ऐसी बहुत सी चीजें मिली जो की प्रमाणित करती हैं की नृत्य बहुत ही पुराणी परम्परा हैं। वह सभी चीजें यह भी साबित करती हैं की नृत्य ने धर्म व समाज में एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण किया हैं।

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भारत की बहुत सांस्कृतिक किताबों में व पौराणकि कथाओं से भी यह साबित होता हैं की नृत्य हमारी संस्कृति हैं। भारत में 12वी सदी और 19वी सदी में नृत्य इ बहुत से प्रकार हैं जिनको संगीतात्‍मक खेल या संगीत-नाटक भी कहा जाता हैं। माना यह भी जाता हैं की संगीतात्‍मक खेलों से भारतीय शास्त्रीय नृत्य का उद्गम हुआ हैं।

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भारत के शास्त्रीय नृत्यों की सूची

भारत में बहुत से शास्त्रीय नृत्यों हैं जो की यहाँ की संस्कृति को दर्शातें हैं। तो दोस्तों आज हम आपको यहाँ पर बताने वाले है की भारतीय शास्त्रीय नृत्य के कितने प्रकार होते हैं और उनके बारे में बहुत सी जानकारी भी इस लेख में बताने वाले हैं तो दोस्तों अगर आप भी इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो कृपया इस लेख को पूरा पढ़े और जानकारी प्राप्त करें।

भारत के कुछ शास्त्रीय नृत्यों के नाम कुछ इस प्रकार हैं

  1. भरतनाट्यम
  2. कत्थक
  3. कुचिपुड़ी
  4. ओडिसी
  5. कत्थककलि
  6. सत्त्रिया,
  7. मणिपुरी
  8. मोहिनीअट्टम
  • भरतनाट्यम – भरतनाट्यम भारतीय शस्त्रीय नृत्य का एक बहुत ही व्यापक रूप हैं। भरतनाट्यम नृत्य तमिल नाडु का शास्त्रीय नृत्य हैं। भरतनाट्यम शास्त्रीय नृत्य का ही एक प्रकार हैं। भरतनाट्यम नृत्य को भरत मुनि के नाट्य शास्त्र पर आधारित माना जाता हैं। भरतनाट्यम को सबसे पुराना शास्त्रीय नृत्य माना जाता है इसको करीब 2000 वर्ष पुराना बताया। इस शास्त्रीय नृत्य को नाट्यशास्त्र पर आधारित माना जाता हैं। वर्तमान समय में भरतनाट्यम नृत्यों को प्रस्तुत करने का श्रेय तंजोर के चार भाइयों को जाता हैं जिनका नाम हैं – पौन्‍नइया, चिन्‍नइय्या, शिवानंदम और वेदिवलु। भरतनाट्यम नृत्य ईश्वरीय प्रेम को दर्शाता हैं। माना यह जाता है की भरतनाट्यम होते हैं जिसका पहला भाग नृत्य होता है और दूसरा भाग अभिनय होता है। इस नृत्य को संगीत और गायक के साथ पेश किया जाता हैं।
  • कत्थक – कत्थक भी भारत के शास्त्रीय नृत्यों में से एक हैं। यह नृत्य भी काफी प्रचलित हैं। कत्थक नृत्य को उत्तरप्रदेश का शास्त्रीय नृत्य बताया जाता हैं परन्तु यह केवल उत्तरप्रदेश में ही नहीं बल्कि भारत में कई जगह जगह प्रचलित है जैसे की उत्तरप्रदेश में राजस्थान में मध्य प्रदेश के कुछ भाग में। कत्थक शब्द का उद्गम संस्कृत शब्द कथा से हुआ हैं और संस्कृत भाषा में कत्थक का मतलब होता हैं कथा कहने वाला। माना यह भी जाता हैं की इस नृत्य को भगवान श्री कृष्ण ने भी किया था। इस नृत्य के दो अंग होते हैं जो की हैं – तांडव,लास्य। कत्थक नृत्य मुख्य रूप से कुछ ही शहरों में किया जाता हैं जैसे की बनारस, जयपुर और लखनऊ। इस नृत्य की विशेषता पैर होते हैं।
  • कुचिपुड़ी – कुचिपुड़ी भी शास्त्रीय नृत्य ही हैं और इस शास्त्रीय नृत्य का उद्गम भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के कृष्णा जिलें से हुआ हैं। इस शास्त्रीय नृत्य में केवल पुरुष ही नृत्य करते थे और वह सभी पुरुष ब्राह्मण होते थे और जब भी यह सभी पुरुष इस नृत्य को पेश करते थे तब वह महिला का रूप धारण कर लेते थे। इस शास्त्रीय नृत्य के बारे में 16वी शताब्दी के शिलालेख और साहित्यिक स्रोतों में हुआ हैं। यह नृत्य तमिल नाडु में होने वाले भगवत मेला जैसा होता है और यह उसी के सामन्य हैं। इस नृत्य का नाम कुचिपुड़ी कृष्णा जिलें के गांव जिसका नाम कुचिपुड़ी गाँव है उस से हुआ हैं।
  • ओडिसी – इस शास्त्रीय नृत्य के नाम से ही प्रतीत होता हैं की इस नृत्य का उद्गम ओडिशा से हुआ है। इस नृत्य को स्त्रियों के द्वारा प्रदर्शित किया जाता हैं। ओडिसी नृत्य को ओडिसा के राज्य की स्त्रियों के द्वारा मंदिरो की सेवाओं में किया जाता था। शास्त्रीय नृत्य के इस प्रकार को भी धार्मिक भरोसे पर ही किया जाता था। इस शास्त्रीय नृत्य का उल्लेख सूर्य मंदिर कोणार्क मंदिर के उल्लेखों से मिलता जुलता हैं। इस शास्त्रीय नृत्य यानि के ओडिसी नृत्य को भगवान जगन्नाथ जी की कथाओं में भी अपनाया गया हैं। इस नृत्य का प्रमाण हिंदू मंदिरों, बौद्ध धर्म और जैन धर्म के पुरातात्विक स्थलों से मिलता हैं। जो भी इस नृत्य को पेश करता है वह इसको विशेष मुद्राओं द्वारा पेश करता हैं।
  • कत्थककलि – कत्थकली भी क्लासिकल नृत्य ही हैं और इस शास्त्रीय नृत्य का उद्गम स्थान केरल को माना जाता हैं। कथकली नृत्य को पेश करने के लिए सभी कलाकारों को पूर्णरूपेण प्रशिक्षित होना आवश्यक होता है। कत्थककलि भी कत्थक की तरह ही है और इसको भी कहानी की तरह ही दर्शाया जाता हैं। इस प्रकार के नृत्य को पेश करने के लिए गायको और ढोल बजाने वालों की भी आवश्यकता होती हैं इसमें गायक मंच पर गीत जाता है और ढोल वाले ढोल बजाते हिन् और फिर इस नृत्य को प्रस्तुत किया जाता हैं।
  • सत्त्रिया – सत्त्रिया नृत्य का जन्म 15वी सदी में असम के सत्‍तराओं (मठों) में वैष्णवों में हुआ। माना यह जाता है की यह नृत्य कलां भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं की कथाओं पर आधारित होता है और कभी भगवान श्री राम और सीता जी की कथाओं के ऊपर आधारित होता है। सत्त्रिया नृत्य कलां को हाथों के इशारों की कलां कदमों के प्रयोग (पाद कर्म), गति और अभिव्‍यक्ति (नृत्‍य एवं अभिनय) पर आधारित कलां होती हैं। आज के समय में यह नृत्य केवल पौराणिक विषयों तक ही सिमित नहीं हैं बल्कि इस नृत्य को पुरुष व स्त्री मिलकर प्रदर्शन करते हैं।
  • मणिपुरी – मणिपुरी नृत्य का उद्गम व विकास भारत और म्यांमार के बीच एक शहर में हुआ है जिसका नाम हैं बर्मा। इस नृत्य में अधिकतर विष्‍णु पुराण, भागवत पुराण तथा गीतगोविन्द की रचनाओं की थीम का प्रयोग किया जाता हैं। क्योंकि इस नृत्य का उद्गम मणिपुर में हुआ है इसलिए इस नृत्य का नाम मणिपुरी पढ़ा है। इस नृत्यों को भारत के बाकी शास्त्रीय नृत्य से अलग माना जाता हैं और इस नृत्य में शरीर बहुत ही धीमे धीमे चलता हैं। इस नृत्य को करने के लिए पूरे एक दल की आवश्यकता होती है और इस नृत्य को पेश करने के लिए पहले सभी को एक पोषक पहनी पढ़ती है जिसको कुमिल कहते हैं
  • मोहिनीअट्टम – यह नृत्य यानि के मोहिनीअट्टम भगवान श्री विष्णु जी के रूप मोहिनी पर आधारित हैं इस नृत्य का विकास व उद्गम भारत के केरल राज्य में हुआ हैं। इस नृत्य में भरतनाट्यम और कथकली दोनों के ही कुछ तत्व शामिल होते हैं। इस नृत्य को करने के लिए जिस गीत की आवश्यकता होती हैं वह गीत मणिपर्व नाम की एक भाषा होती है वह उसी भाषा में होते हैं। इस नृत्य में भगवान विष्णु जी के सागर-मंथन की कथा का व्याख्या होता है। जिसमे सागर मंथन के वक्त उन्होंने मोहिनी रूप धारण किया था।

शास्त्रीय नृत्य से सम्बंधित कुछ प्रश्न व उनके उत्तर

तमिल नाडु में किस शास्त्रीय नृत्य का उद्गम हुआ हैं ?

तमिल नाडु में भरतनाट्यम का उद्गम हुआ है।

भारत में कितने शास्त्रीय नृत्य हैं ?

भारत के कुछ शास्त्रीय नृत्यों के नाम कुछ इस प्रकार हैं
भरतनाट्यम
कत्थक
कुचिपुड़ी
ओडिसी
कत्थककलि
सत्त्रिया,
मणिपुरी
मोहिनीअट्टम

उत्तरप्रदेश राज्य में किस शास्त्रीय नृत्य को किया जाता है ?

उत्तरप्रदेश में कत्थक किया जाता हैं और इसको वहीँ का नृत्य भी माना जाता हैं।

मोहिनीअट्टम शास्त्रीय नृत्य का नाम किस आधार पर रखा गया हैं ?

मोहिनीअट्टम नाम भगवान श्री विष्णु जी के मोहिनी रूप के आधार पर रखा गया हैं।

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