भारत के 10 प्रसिद्ध मंदिर – 10 Famous Temples of India in Hindi

भारत के 10 प्रसिद्ध मंदिर:- प्राचीन काल से ही भारत अपने धार्मिक एवं आध्यात्मिकता जीवन के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध रहा है। आध्यात्मिकता भारतीय समाज का अभिन्न अंग मानी जाती है जिसका प्रभाव भारतवर्ष के आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

भारतीय समाज में 33 कोटि अर्थात 33 प्रकार के देवी-देवताओ की कल्पना की गयी है यही कारण है देश के कोने-कोने में विभिन देवी-देवताओ के मंदिर स्थापित किए गए है। भारत के विभिन भागों में निर्मित मंदिर ना सिर्फ अपनी आध्यात्मिकता के लिए विश्व प्रसिद्ध है अपितु इनकी प्राचीनता, भव्यता, ऐतिहासिकता, कलात्मकता, स्थापत्य कला एवं निर्माण शैली भी लाखों श्रद्धालुओं को प्रतिवर्ष आकर्षित करती है।

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भारत के 10 प्रसिद्ध मंदिर
10 Famous Temples of India in Hindi

भारत के विभिन प्रसिद्ध मंदिर देश के चारों भागो में स्थापित है एवं अपने अनोखे एवं भव्यात्मक वास्तुकला के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको भारत के 10 प्रसिद्ध मंदिर (10 Famous Temples of India in Hindi) के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले है जिसके माध्यम से भारत के 10 प्रसिद्ध मंदिरो के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

भारत के 10 प्रसिद्ध मंदिर (10 Famous Temples of India)

भारतवर्ष की चारों दिशाओं में विभिन प्रसिद्ध मंदिर मौजूद है जिनका निर्माण इतिहास के विभिन कालखंडो में किया गया है। अपनी वास्तुकला, स्थापत्य कला एवं निर्माण शैली के कारण ये मंदिर अध्यात्म एवं कला का अद्धभुत सामंजस्य प्रस्तुत करते है यही कारण है की भारतीय समाज में मंदिर धर्म के प्रमुख केंद्र रहे है।

यहाँ आपको अपनी कला, अध्यात्म, ऐतिहासिकता एवं धार्मिक महत्व के कारण दुनिया के कोने-कोने में प्रसिद्ध भारत के 10 प्रसिद्ध मंदिरो की सूची (10 Famous Temples In India To Visit) प्रदान की गयी है :-

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वैष्णो देवी मंदिर जम्मू कश्मीर (Vaishno Devi Temple Jammu Kashmir in Hindi)

भारत के 10 प्रसिद्ध मंदिर

माँ दुर्गा का अवतार मानी जाने वाली माता वैष्णो देवी का मंदिर जम्मू-कश्मीर राज्य में त्रिकुटा पहाड़ियों में स्थित है जिसकी समुद्रतल से ऊँचाई 5200 फिट है। वैष्णो देवी मंदिर में माँ दुर्गा की माता रानी के रूप में भी पूजा की जाती है जहाँ वैष्णो देवी 3 पिंडी के रूप में विराजमान है।

देवी काली, देवी सरस्वती एवं देवी लक्ष्मी के रूप में विराजित तीनों पिण्डियों को ही संयुक्त रूप से माता वैष्णों देवी का रूप कहा जाता है जहाँ प्रतिवर्ष लाखों भक्त दर्शन के लिए आते है। वैष्णो देवी गुफा मंदिर है जहाँ पहुंचने के लिए भक्तो को कटरा से 13 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार करनी पड़ती है। वैष्णो देवी मंदिर के पास में ही श्रद्धालु भैरव नाथ मंदिर के दर्शन करके भी पुण्य लाभ प्राप्त करते है।

वैष्णो देवी मंदिर विशेष तथ्य- वैष्णो देवी मंदिर तक पहुँचने के लिए भक्तों की 13 किमी की खड़ी चढ़ाई को पार करना पड़ता है। कहा जाता है कोई भक्त तभी माता वैष्णो देवी की यात्रा करता है जब उसे माँ का बुलावा आता है। साथ ही माता वैष्णो देवी के मंदिर के पास स्थित भैरव के मंदिर दर्शन भी वैष्णों देवी मंदिर यात्रा में अनिवार्य माना जाता है तभी माँ वैष्णो देवी की यात्रा सम्पूर्ण मानी जाती है।

वैष्णो देवी मंदिर यात्रा (कैसे पहुँचे)- वैष्णो देवी मंदिर वर्ष भर खुला रहता है ऐसे में आप कभी भी यहाँ के दर्शन कर सकते है। हालांकि नवरात्र के समय गर्मियों के मौसम में यहाँ की यात्रा सबसे लाभदायक एवं राहतभरी है। आपको बस, ट्रैन या फ्लाइट के माध्यम से वैष्णो देवी मंदिर के रुट बेस कटरा पहुँचना होगा जहाँ से मंदिर की पैदल चढ़ाई कर सकते है।

केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड (Kedarnath Temple, Uttarakhand)

भारत के 10 प्रसिद्ध मंदिर

देवभूमि उत्तराखंड में स्थित हिमालय की तलहटी में बसा केदारनाथ मंदिर विश्व भर के शिव भक्तो के लिए आध्यात्मिक श्रद्धा के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शुमार केदारनाथ मंदिर 3583 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है जो की सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित है।

केदारनाथ मंदिर की कथा पांडवो से जुड़ी है यही कारण है की इस मंदिर को पांडवों के द्वारा निर्मित माना जाता है। केदारनाथ मंदि के निर्माण के सन्दर्भ में कहा जाता है की जब महाभारत युद्ध के पश्चात पांडव पाप-मुक्ति के लिए भगवान शिव के पास जाना चाहते थे तो भगवान शिव पांडवों को महाभारत युद्ध में हत्या के पापों के कारण दर्शन नहीं देना चाहते थे।

इसके पश्चात भगवान शिव पांडवो से बचते हुए बैल के रूप में विभिन स्थानों पर प्रकट हुए जहाँ केदारनाथ में भगवान शिव का बैल रूप में कूबड़ भाग शेष रह गया था। आधुनिक केदारनाथ मंदिर का निर्माण आदिगुरु शंकराचार्य के द्वारा करवाया गया है जो की कुल 3 भागों में विभाजित है।

केदारनाथ मंदिर विशेष तथ्य- हिमालय की तलहटी में स्थित केदारनाथ मंदिर अपनी आध्यात्मिकता के लिए शिव भक्तो के मध्य सबसे पवित्र तीर्थ के रूप में गिना जाता है। इस मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली में किया गया है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शुमार केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड की छोटी चारधाम यात्रा (Mini Chardham Yatra) के प्रमुख तीर्थ में भी शुमार है।

केदारनाथ मंदिर यात्रा (कैसे पहुँचे)- केदारनाथ मंदिर के कपाट वर्ष में कुछ ही समय मुख्यत ग्रीष्मकालीन एवं वर्ष ऋतु में खुले रहते है। यहाँ के कपाट अक्षय तृतीया की खुलते एवं भैया-दूज के दिन बंद होते है।

यहाँ पहुँचने के लिए आप बस, निजी वाहन या कैब सेवा ले सकते है जहाँ आप केदारनाथ के अंतिम बस स्टेशन गौरीकुंड तक पहुँच सकते है। इसके पश्चात आपको यहाँ से केदारनाथ मंदिर तक की चढ़ाई पैदल ही पूरी करनी होगी। यहाँ का अंतिम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। वही आप हेलीकॉप्टर सेवा के माध्यम से भी केदारनाथ मंदिर पहुँच सकते है।

काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी (Kashi Vishwanath Temple, Varanasi)

kashi vishwanath mandir

भगवान शिव की नगरी के रूप में विख्यात वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर विश्व के सबसे पुराने मंदिरो में से एक माना जाता है। भगवान शिव की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध वाराणसी को स्वयं भगवान शिव द्वारा बसाया गया माना जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर का स्थल होने के कारण भगवान शिव को काशी के रक्षक नाम से भी सम्बोधित किया जाता है।

भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल काशी विश्वनाथ मंदिर को धार्मिक आस्था के कारण भगवान शिव का सबसे प्रमुख निवास माना जाता है जहाँ भगवान शिव विश्वनाथ अर्थात ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में विराजमान रहते है।

काशी विश्वनाथ मंदिर विशेष तथ्य- काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के प्रमुख धाम के रूप में अवस्थित है जहाँ भगवान शिव विश्वनाथ के रूप में विराजमान रहते है। अनेक मुस्लिम आक्रमणकारियों के द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर को बार-बार ध्वंस करने के प्रयास किया गया है जिसके कारण वर्तमान में यहाँ विभिन ध्वंस मंदिरो के अवशेष बचे है।

हालांकि काशी विश्वनाथ का मुख्य मंदिर यहाँ भव्य रूप में विराजमान है। काशी विश्वनाथ मंदिर की पवित्रता एवं धार्मिक महत्व के कारण काशी को मोक्ष की नगरी भी माना जाता है।

काशी विश्वनाथ मंदिर यात्रा (कैसे पहुँचे)- उत्तर-प्रदेश में स्थित वाराणसी शहर के केंद्रीय भाग में स्थित होने के कारण काशी विश्वनाथ मंदिर पहुँचना बहुत आसान है। सड़क, रेल एवं हवाई मार्ग से भली-भाँति जुड़े होने के कारण आप वर्ष भर काशी विश्वनाथ के दर्शन कर सकते है।

मीनाक्षी मंदिर तमिलनाडु (Meenakshi Temple Tamil Nadu)

Meenakshi Temple

तमिलनाडु राज्य के सर्वाधिक प्रसिद्ध मंदिर एवं द्रविड़ शैली की अन्यतम कृति के रूप में मशहूर मीनाक्षी मंदिर तमिलनाडु के मदुरै जिले में स्थित है। माँ मीनाक्षी को समर्पित मीनाक्षी मंदिर भगवान शिव की पत्नी माँ पार्वती को समर्पित है। मदुरै में वैगई नदी के किनारे स्थित मीनाक्षी मंदिर अपने अद्धभुत वास्तुकला एवं विशाल गोपुरम के कारण प्रसिद्ध है।

मीनाक्षी मंदिर का निर्माण 17वीं सदी में पाँड्या राजाओं ने अपनी राजधानी मदुरै में करवाया था जो की मिनाक्षी मंदिर, अम्मन मंदिर या मिनाक्षी सुन्दरेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। 14 प्रवेश द्वारों या गोपुरम से सुसज्जित मीनाक्षी मंदिर में 985 स्तंभ है।

जहाँ विभिन देवी-देवताओ एवं अन्य प्रतीकों की खूबसूरत आकृति को उकेरा गया है। अपनी शानदार भव्यता एवं स्थापत्य कला के कारण मीनाक्षी मंदिर को दुनिया के आश्चर्यो में शामिल किया जाता है। मान्यता है की इस मंदिर में भगवान शिव सुन्दरेश्वरर रूप धरकर माँ पार्वती से विवाह रचाने आये थे। वास्तव में दक्षिण भारत के मंदिरो में द्रविड़ शैली के स्थापत्य कला के लिए मीनाक्षी मंदिर एक मानक की भाँति कार्य करता है।

मीनाक्षी मंदिर विशेष तथ्य- मछली की आँख के समान आकृति या मीनाक्षी आकृति के कारण इस मंदिर को यह नाम मिला है। मीनाक्षी मंदिर में 8 खम्बे माँ लक्ष्मी को समर्पित है साथ ही यहाँ विभिन खम्बों पर विभिन देवी-देवताओं की आकृतियाँ अंकित की गयी है। अपनी वास्तुकला एवं द्रविड़ शैली के अद्धभुत स्थापत्य कला के लिए इस मंदिर को दक्षिण भारत के सबसे खूबसूरत एवं भव्य मंदिरो में शुमार किया गया है।

मीनाक्षी मंदिर यात्रा (कैसे पहुँचे)- तमिलनाडु के मदुरै शहर में स्थित होने के कारण आप वर्ष भर इस अद्धभुत मंदिर के दर्शन कर सकते है। मदुरै शहर सड़क, रेल एवं हवाई मार्ग से अच्छी तरह से कनेक्टेड है ऐसे में आप आसानी से बस, ट्रेन या फ्लाइट के माध्यम से यात्रा करके मीनाक्षी मंदिर के दर्शन कर सकते है।

कामाख्या देवी मंदिर, गुवाहाटी (Kamakhya Devi Temple, Guwahati)

Kamakhya-Devi-Temple

असम राज्य में स्थित गुवाहाटी में स्थित कामाख्या देवी मंदिर नीलांचल पहाड़ी पर स्थित है जिसे की आदिशक्ति के 51 सिद्धपीठों में से एक माना जाता है। जब प्रजापति दक्ष ने अपने राज में होने वाले यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया तो माता सती ने भगवान शिव के अपमानस्वरूप स्वयं को अग्नि कुंड में समर्पित कर दिया था।

इसके पश्चात भगवान शिव माता सती का शरीर लेकर तीनों लोकों में भ्रमण करने लगे। इस स्थिति में माता सती से भगवान शिव का मोह भंग करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता के शरीर के 51 भाग किए थे।

इनमे वर्तमान कामाख्या देवी मंदिर में माता सती के योनि का भाग गिरा था यही कारण है की यहाँ वर्तमान में चट्टान पर निर्मित माता के योनि रूप की पूजा की जाती है। अघोरियों साधुओं, रहस्यवादियों एवं तांत्रिकों के गढ़ के रूप में विख्यात यह शक्तिपीठ तांत्रिक शक्तिवाद पंथ का प्रमुख गढ़ है।

कामाख्या देवी मंदिर विशेष तथ्य- भारत में संभवता यह एकमात्र सिद्धपीठ है जहाँ माता के योनि भाग की पूजा की जाती है। यहाँ चट्टान में निर्मित योनि भाग के रूप में माता की पूजा की जाती है जहाँ माता रजस्वला भी होती है। इसके लिए यह वार्षिक रूप से अंबुबासी पूजा या वार्षिक प्रजनन उत्सव का आयोजन किया जाता है जिस दौरान यह माना जाता है की माता रजस्वला में है एवं भक्तो को इस दौरान दर्शन करने की मनाही होती है।

कामाख्या देवी मंदिर यात्रा (कैसे पहुँचे)- कामाख्या देवी मंदिर में आप सड़क, रेल एवं हवाई मार्ग द्वारा आसानी से यात्रा कर सकते है। यहाँ पहुंचने के लिए गुवाहाटी स्टेशन और कामाख्या स्टेशन से आप गुवाहाटी आसानी से पहुंच सकते है।

साथ ही हवाई मार्ग द्वारा यात्रा करने पर गुवाहाटी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे या जिसे स्थानीय तौर पर गोपीनाथ बोरदोलोई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा कहा जाता है तक फ्लाइट ले सकते है। साथ ही यह स्थान सड़क मार्ग से भी भली-भांति जुड़ा है।

जगन्नाथ मंदिर, पुरी (Jagannath Temple Puri)

jagadnath temple

वैष्णव तीर्थ के रूप में स्थापित जगन्नाथ मंदिर ओडिशा राज्य के पुरी में स्थित है जो की भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर है। भारतवर्ष में आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित किए गए 4 तीर्थो (धाम) में जगन्नाथ मंदिर पूर्वी भाग में स्थित तीर्थ है। यहाँ भगवान विष्णु के जगन्नाथ रूप की पूजा की जाती है जिसका अर्थ होता है “जगत के स्वामी“।

जगन्नाथ मंदिर में भगवान विष्णु के काष्ठ की मूर्ति के साथ भ्राता बलराम एवं बहन सुभद्रा की मूर्तियां भी विराजमान है। धरती पर बैकुंठ के रूप में प्रचलित जगन्नाथ मंदिर हिन्दू धर्म के अनुयायियों में आस्था का केंद्र है।

जगन्नाथ मंदिर विशेष तथ्य- जगन्नाथ मंदिर का मुख्य आकर्षण यहाँ वार्षिक रूप से आयोजित किया जाने वाला रथ उत्सव है जिसमे देश-विदेश से भगवान श्रीकृष्ण के लाखों भक्त शामिल होते है। कहा जाता है इस यात्रा के लिए निर्मित रथ में एक भी लोहे की कील का प्रयोग नहीं किया जाता है। साथ ही मंदिर के शीर्ष पर लहराने वाली ध्वजा भी सदैव विपरीत दिशा में गमन करती है।

जगन्नाथ मंदिर यात्रा (कैसे पहुँचे)- ओडिशा के तटीय शहर पुरी में स्थित होने के कारण जगन्नाथ मंदिर की यात्रा अत्यधिक सुगम है। सड़क मार्ग से आप यहाँ आसपास के सभी प्रमुख शहरो से यात्रा कर सकते है। वही अगर आप रेल मार्ग से यहाँ आने की सोच रहे है तो यह स्थल रेल मार्ग से भी भली-भांति जुड़ा हुआ है। हवाई मार्ग से यात्रा करने के लिए आपको राजधानी भुवनेश्वर तक फ्लाइट लेनी होगी जिसके पश्चात आप यहाँ तक सरकारी बस एवं निजी वाहन द्वारा यात्रा कर सकते है।

भारत में कई प्रसिद्ध बुद्ध मैथ भी है। अगर आप भी उनके बारे में जानना चाहते है। तो यहाँ पर क्लिक करिये और जानिए। भारत के प्रसिद्ध मठों के बारे में।

द्वारकाधीश मंदिर, द्वारका (Dwarkadhish Temple)

dwarikadhish temple

भगवान श्रीकृष्ण की नगरी के रूप में विख्यात द्वारका में स्थित द्वारकाधीश मंदिर भारत के चार धामों में पश्चिम भारत में स्थित धाम है।यहाँ भगवान श्रीकृष्ण की पूजा द्वारकाधीश के रूप में होती है।

जिसका अर्थ है द्वारिका के स्वामी या राजा। 2500 वर्ष से भी प्राचीन द्वारकाधीश मंदिर गुजरात राज्य के द्वारका में स्थित है जो की इस शहर का केंद्रबिंदु है। 40 फीट ऊँचे इस मंदिर पर कुल 72 खम्बे लगे है जिस पर इस मंदिर का पाँच मंजिला भवन निर्मित किया गया है।

भगवान श्रीहरि के पौराणिक महल “हरि गृह” पर निर्मित द्वारकाधीश मंदिर को उनके प्रपौत्र वज्रनाभ ने निर्मित किया था जिसका वर्तमान स्वरूप 16वीं सदी का माना जाता है। द्वारकापुरी के नाम से प्रसिद्ध द्वारका को भारत के सप्तपुरियों एवं चार धामों में शामिल किया जाता है जो देश में सम्भवता ऐसा एकमात्र तीर्थ स्थल है।

द्वारकाधीश मंदिर विशेष तथ्य- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की भगवान श्रीकृष्ण द्वारा मथुरा को छोड़ने के पश्चात स्वयं अपने हाथों से द्वारकापुरी का निर्माण किया गया था यही कारण है की भगवान द्वारिकाधीश की समर्पित इस शहर का नाम भगवान कृष्ण के नाम पर द्वारकापुरी या द्वारका रखा गया है।

द्वारकाधीश मंदिर यात्रा (कैसे पहुँचे)- सड़क, रेल एवं हवाई परिवहन से भलीभांति जुड़ा हुआ द्वारका शहर यात्रियों के लिए आसान गंतव्य है। यहाँ आप गुजरात के विभिन शहरो से सरकारी बस या निजी कैब, टैक्सी के माध्यम से पहुंच सकते है।

साथ ही यहाँ से ट्रैन यात्रा भी सुगम है। हवाई मार्ग की बात करें तो यहाँ का नजदीकी हवाई अड्डा जामनगर है जहाँ से आप आसानी से द्वारकाधीश मंदिर तक वाहन ले सकते है।

महाबोधि मंदिर बोधगया (Mahabodhi Temple Bodh Gaya)

Mahabodhi Temple Bodh Gaya

बौद्ध धर्म के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरो में शामिल महाबोधि मंदिर बिहार राज्य के बोधगया में स्थित है। वास्तव में यही वह स्थल है जिसने गौतम बुद्ध को भगवान बुद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।

यही वह स्थल है जहाँ भगवान बुद्ध को बोधिवृक्ष के नीचे बैठकर 6 वर्षो की कड़ी तपस्या के पश्चात ज्ञान की प्राप्ति हुयी थी जिस कारण से वे महात्मा बुद्ध कहलाये। जिस बोधि वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध ने तपस्या की थी आज वहाँ उसी बोधि वृक्ष का वंशज बोधिवृक्ष खड़ा है।

बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह स्थल सबसे पवित्र तीर्थ के रूप में प्रचलित है। महाबोधि मंदिर का निर्माण प्रथम बार सम्राट अशोक द्वारा करवाया गया था जो की बोधिवृक्ष के पूर्व में निर्मित है। यह मंदिर वर्ष 2002 से यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में शामिल है।

महाबोधि मंदिर विशेष तथ्य- महाबोधि मंदिर में स्थित बोधिवृक्ष के नीचे ही बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुयी थी यही कारण है की यह मंदिर बौद्ध धर्म में सबसे प्रमुख स्थान रखता है। साथ ही यहाँ कटघरा पत्‍थर में स्थापत्य कला एवं शिल्‍पकारी प्रथा वास्तव में अतुलनीय है।

महाबोधि मंदिर यात्रा (कैसे पहुँचे)- गया जिले के बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर तक आप आसानी से यात्रा कर सकते है। गया में रेलवे-स्टेशन और एयरपोर्ट दोनों की ही सुविधा उपलब्ध है जिससे की आप आसानी से यहाँ पहुँच सकते है। साथ ही यहाँ पास के सभी शहरो से बस सेवा भी उपलब्ध है।

तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Mandir)

Tirupati Balaji Mandir

भगवान विष्णु को समर्पित तिरुपति बालाजी मंदिर को श्री वेंकेटेश्वर स्वामी के नाम से भी जाना जाता है। आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित यह मंदिर तिरुपति में तिरूमाला पहाड़ी पर स्थित है जिसे की 7 पहड़ियों वाला मंदिर भी कहा जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु यहाँ श्री वेंकेटेश्वर स्वामी के रूप में अपनी पत्नी पद्मावती के साथ निवास करते है। हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थ के रूप में प्रख्यापित तिरुपति बालाजी मंदिर द्रविड़ स्थापत्य कला का अद्धभुत उदाहरण है जहाँ मंदिर के निर्माण में विभिन प्रकार की कारीगरी एवं नक्काशी के माध्यम से भगवान के रूप को उकेरा गया है।

यहाँ गर्भगृह में स्थित श्री वेंकेटेश्वर स्वामी की मूर्ति बहुत ही अद्धभुत है जो की आध्यात्मिकता को पास से महसूस करने के मौका देती है। इस मंदिर को भारत के सबसे अमीर मंदिरो में शुमार किया जाता है।

तिरुपति बालाजी मंदिर विशेष तथ्य- तिरुपति बालाजी के मंदिर में हर वर्ष लाखों भक्त दर्शन के लिए आते है। साथ ही यहाँ आने वाले अधिकतर भक्त अपने बालों की भगवान वेंकेटेश्वर स्वामी को भी समर्पित करते है जो की मानव के गर्व को त्यागने के प्रतीक माना जाता है।

तिरुपति बालाजी मंदिर यात्रा (कैसे पहुँचे)- दक्षिण भारत के सभी प्रमुख शहरो से जुड़ा तिरुपति शहर जाने के लिए आपको हमेशा बस सेवा उपलब्ध रहती है। इसके अतिरिक्त हवाई मार्ग से यहाँ जाने के लिए आपको नजदीकी हवाई अड्डे  तिरुपति एयरपोर्ट, रेनिगुंटा तक की फ्लाइट लेनी पड़ेगी। साथ ही यह शहर रेल मार्ग से भी भलीभांति जुड़ा हुआ है ऐसे में आप यहाँ रेल मार्ग से भी पहुँच सकते है।

सोमनाथ मंदिर गुजरात (Somnath Temple Gujarat)

Somnath Temple

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रख्यात सोमनाथ मंदिर हिन्दुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र रहा है। गुजरात राज्य में स्थित सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल शहर में स्थित सोमनाथ मंदिर समुद्र के किनारे स्थित है जो की हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र तीर्थ में शुमार है। भगवान शिव को समर्पित सोमनाथ मंदिर के बारे में मान्यता है की भगवान शिव यहाँ स्वयं प्रकट हुए थे यही कारण है की भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ मंदिर को प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर स्वयं चंद्रदेव द्वारा निर्मित माना जाता है। गर्भगृह, सभामंडप और नृत्यमंडप में विभाजित यह मंदिर अपनी अनोखी वास्तुकला एवं अध्यात्म के लिए श्रद्धालुओ के मध्य सदैव से ही आस्था का केंद्र रहा है।

सोमनाथ मंदिर विशेष तथ्य- भारत के इतिहास में सम्भवता ही कोई ऐसा मंदिर होगा जिस पर विदेशी आक्रांताओ के द्वारा इतनी बार आक्रमण किया गया हो जितनी बार सोमनाथ मंदिर पर किया गया था।

इतिहासकारों की माने तो महमूद गजनवी द्वारा सोमनाथ मंदिर की सम्पति को लूटने के लिए 17 बार आक्रमण किए गए थे। साथ ही विभिन विदेशी आक्रांताओ के द्वारा भी इस मंदिर को अनेक बार ध्वंस किया गया परन्तु हर बार श्रद्धालुओं की आस्था के कारण यह मंदिर भव्य रूप में पुनर्निर्मित हुआ है।

सोमनाथ मंदिर यात्रा (कैसे पहुँचे)- गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित स्थित सोमनाथ मंदिर सड़क एवं रेल मार्ग द्वारा आसपास के शहरो से भलीभांति जुड़ा है जिससे की आप यहाँ आसानी से पहुंच सकते है। हालांकि हवाई यात्रा के लिए आपको यहाँ के नजदीकी एयरपोर्ट दिउ एयरपोर्ट तक फ्लाइट लेनी पड़ेगी जो की यहाँ से 63 किमी दूर है। इसके पश्चात आप यहाँ तक टैक्सी या कैब सुविधा ले सकते है।

इस प्रकार से इस आर्टिकल के माध्यम से आपको भारत के 10 प्रसिद्ध मंदिरों एवं इनकी विशेषताओं के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की गयी है।

भारत के 10 प्रसिद्ध मंदिर से सम्बंधित प्रश्न एवं उत्तर (FAQ)

भारत के मंदिर क्यों प्रसिद्ध है ?

भारत प्राचीन काल से ही विश्व में धर्म एवं अध्यात्म का केंद्र रहा है। भारतीय समाज में मंदिरो का अत्यधिक महत्व है यही कारण है की भारत में कोने-कोने में ऐतिहासिक काल से विभिन प्रसिद्ध मंदिरो का अस्तित्व रहा है। भारतीय मंदिर अपनी आध्यात्मिकता के अतिरिक्त अपनी वास्तुकला, स्थापत्य कला एवं निर्माण शैली के लिए सदैव से ही विश्व भर में प्रसिद्ध रहे है।

भारतीय इतिहास में मंदिरो का महत्व है ?

भारतीय इतिहास में मंदिरो का अत्यधिक महत्व रहा है। भारत में प्राचीन समय से ही मंदिरो को समाज का प्रमुख केंद्र माना जाता रहा है यही कारण है की भारत में कई प्रमुख शहर मंदिर शहर है। इसका अर्थ है की इन शहरो का विकास मंदिर के आसपास बसने के कारण हुआ है। साथ ही विभिन साम्राज्यों में भी मंदिर राज्य का केंद्र बिंदु रहे है।

भारत में मंदिर निर्माण की कितनी शैलियाँ प्रचलित है ?

भारत में मंदिर निर्माण की मुख्यत तीन शैलियाँ प्रचलित है जिनका विवरण इस प्रकार है :-
उत्तर भारत के मंदिर निर्माण की शैली- नागर शैली
दक्षिण भारत के मंदिर निर्माण की शैली- द्रविड़ शैली
मध्य भारत (उत्तर-दक्षिण मिश्रित) के मंदिर निर्माण की शैली- बेसर शैली

भारत के 10 प्रसिद्ध मंदिर के बारे में जानकारी प्रदान करें ?

भारत के 10 प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल पढ़े। इसके माध्यम से आपको भारत के 10 प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की गयी है।

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम ज्योतिर्लिंग कौन सा है ?

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ को माना जाता है जो की गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है।

भारत का कौन सा प्रसिद्ध मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल है ?

बिहार राज्य में स्थित महाबोधि मंदिर को वर्ष 2002 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है।

कामाख्या देवी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है ?

असम राज्य में स्थित कामाख्या देवी मंदिर माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। कामाख्या देवी मंदिर में माता सती की पूजा योनि भाग के रूप में की जाती है।

उत्तर भारत में स्थित भगवान शिव का प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग कौन सा है ?

देवभूमि उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है जो की हिमालय की तलहटी में स्थित है।

द्रविड़ शैली में निर्मित भगवान विष्णु को समर्पित दक्षिण भारत का प्रसिद्ध मंदिर कौन सा है ?

दक्षिण भारत में आँध्रप्रदेश राज्य में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर द्रविड़ शैली में निर्मित भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर है जिसे की श्री वेंकेटेश्वर स्वामी मंदिर के रूप में भी जाना जाता है।

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