Galwan Valley: डाकू या चरवाहा? गुलाम रसूल जिसके नाम पर पड़ा गलवान घाटी का नाम, क्यूँ पीछे पड़ा है चाइना

गलवान घाटी: – भारत एवं चीन के मध्य अकसर सीमा-रेखा को लेकर विवाद की स्थिति बनी रहती है। चीन द्वारा भारत की उत्तरी सीमा पर विभिन स्थानों पर अपना हक़ जताया जाता रहा है इसी कारण हमें अकसर भारत एवं चीन के मध्य सीमा विवाद की खबरें सुनने को मिलती है। वर्ष 2020 में जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी की स्थिति से जूझ रही थी ऐसे समय पर चीन द्वारा भारत के लद्दाख क्षेत्र की गलवान वैली में घुसपैठ की गयी थी जिसके कारण हुयी सैनिक झड़प में दोनों पक्षों से कई सैनिक मारे गए थे। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपको गलवान घाटी (Galwan Valley) के सम्बन्ध में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की जाएगी जैसे की गलवान घाटी का विवाद, कारण एवं भूगोल क्या है ?

साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको Galwan Valley के इतिहास को लेकर भी सभी महत्वपूर्ण तथ्यों से अवगत कराने वाले है जहाँ आप गुलाम रसूल के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे जिनके नाम पर इस घाटी का नामकरण किया गया है। इसके अतिरिक्त आपको इस आर्टिकल के माध्यम से गुलाम रसूल के जीवनवृत के बारे में भी जानकारी प्रदान की जाएगी की गुलाम रसूल क्या थे, डाकू या चरवाहा? तो चलिए शुरू करते है।

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Galwan Valley: डाकू या चरवाहा? गुलाम रसूल जिसके नाम पर पड़ा गलवान घाटी का नाम, क्यूँ पीछे पड़ा है चाइना
Galwan Valley: डाकू या चरवाहा? गुलाम रसूल जिसके नाम पर पड़ा गलवान घाटी का नाम, क्यूँ पीछे पड़ा है चाइना

क्या है Galwan Valley विवाद

भारत एवं चीन के मध्य हमें अकसर सीमा विवादों की खबरे सुनने को मिलती है। वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के दौरान जब Galwan Valley में भारत एवं चीन के सैनिको की झड़प हुयी थी तो इसमें हमारे देश में 20 सैनिकों के शहीद होने की खबर से पूरा देश स्तब्ध रह गया था। इसके पश्चात भारत सरकार द्वारा इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी गयी थी और प्रधानमन्त्री द्वारा भी गलवान घाटी में जाकर सैनिको का हौसला बढ़ाया गया था। भारत एवं चीन के मध्य इस क्षेत्र में वर्ष 1962 के युद्ध के पश्चात किसी भी प्रकार की झड़प नहीं हुयी है ऐसे में चीन द्वारा लम्बे समय के पश्चात ही लद्दाख क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की गयी है।

galwan valley location

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Galwan Valley भारत के लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश एवं चीन अधिकृत अक्साई चीन के मध्य स्थिति घाटी है। गलवान घाटी के मध्य से गलवान नदी बहती है जो की ट्रांस हिमालय के काराकोरम क्षेत्र से होकर बहती है। भारत एवं चीन के बॉर्डर पर स्थिति वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control (LAC) पर स्थित होने के कारण यह बिंदु दोनों ही देशो के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है यही कारण है की भारत एवं चीन सदैव से ही इस क्षेत्र में अपनी सेनाएँ तैनात रखते है।

गलवान घाटी, क्या है विवाद

भारत एवं चीन के सीमा बिंदु पर स्थित गलवान घाटी का अत्यधिक ऐतिहासिक महत्व है। भारत एवं चीन के मध्य वर्ष 1962 में लड़े गए भारत-चीन युद्ध में गलवान घाटी भी युद्ध का] महत्वपूर्ण केंद्र था। लद्दाख के मध्य पड़ने वाले इस क्षेत्र में 1962 के युद्ध के पश्चात चीन द्वारा भारत का अधिकांश क्षेत्र अवैध रूप से कब्ज़ा लिया गया था जिसे वर्तमान में अक्साई-चीन के नाम से जाना जाता है। इसके पश्चात वर्षो तक इस क्षेत्र में शान्ति रही है हालांकि चीन सदैव से ही इस क्षेत्र में भारत की उपस्थिति का विरोध करता रहा है। वर्ष 2020 में भारत द्वारा इस क्षेत्र में डारबुक-श्योक-ओल्ड बेग रोड (Darbuk-Shyok-Daulat Beg Oldie (DSDBO) का निर्माण किया गया था।

जिसके पश्चात चीन द्वारा इस क्षेत्र में सैन्य गतिविधियाँ शुरू कर दी गयी थी।इस विवाद के फलस्वरूप 5 मई 2020 को गलवान क्षेत्र में भारत एवं चीन के सैनिको के मध्य भीषण हिंसक झड़प हुयी थी जिससे की दोनों पक्षों के कई सैनिक शहीद हुए थे।

क्या है नामकरण के पीछे की कहानी

भारत एवं चीन के मध्य सीमा विवाद के केंद्र में रहे गलवान घाटी के नाम को लेकर भी दिलचस्प कहानी है। गलवान घाटी का नाम गुलाम रसूल गलवान के नाम पर पड़ा है जो की एक लद्दाखी खोजकर्ता एवं अन्वेषक थे। गुलाम रसूल गलवान का जन्म वर्ष 1878 में एक गरीब लद्दाखी परिवार में हुआ था। बचपन से ही घुमक्कड़ी का शौक रखने वाले गुलाम रसूल गलवान लद्दाख के भूगोल से अच्छी तरह वाकिफ थे। अपने बचपन के दिनों में ही उन्होंने लद्दाख एवं आसपास के क्षेत्र के विषय में अच्छा ख़ासा अनुभव प्राप्त कर लिया था।

गुलाम रसूल गलवान द्वारा ब्रिटेन एवं रूस के बीच मध्य-एशिया पर प्रभुत्व को लेकर जारी जंग में ब्रिटिश खोजकर्ताओं की सहायता की गयी थी एवं उन्हें हिमालय को पार करने एवं अन्य खोजी यात्राओं में ब्रिटिशर्स का मार्गदर्शन किया गया था। यही कारण है ब्रिटिशर्स द्वारा गुलाम रसूल के कार्य से खुश होकर इस घाटी एवं इस क्षेत्र में बहने वाले नदी का नाम गलवान रखा गया था।

गुलाम रसूल, डाकू या चरवाहा?

गुलाम रसूल गलवान जिनके नाम पर ब्रिटिशर्स द्वारा इस क्षेत्र का नाम गलवान रखा गया है को लेकर लोगो में भिन्न-भिन्न मत प्रचलित है। गुलाम रसूल गलवान को कश्मीर में घोड़ो की देखभाल करने वाली गलवान जाति से सम्बंधित माना जाता है जिनका मुख्य कार्य घोड़ों की देखभाल करना था। ब्रिटिश लेखक वालटर रोपर लौरेंस द्वारा कहा गया है की प्रारंभ में घोड़े पालने वाली यह जाति बाद में डाकूओ की भाँति जीवन-यापन करने लगी। यही कारण है की कई लोग गलवान लोगो को डाकू तो कई लोग इन्हे चरवाहे मानते है।

servant of sahibs

हालांकि गुलाम रसूल गलवान के बारे में निश्चित रूप से कहा जा सकता है की वह एक खोजकर्ता एवं अन्वेषक थे जिन्होंने ब्रिटिश की हिमालय के अन्वेषण में मदद की थी। गुलाम रसूल गलवान ने विभिन ब्रिटिशर्स के संपर्क में रहकर अंग्रेजी का ज्ञान भी प्राप्त कर लिया था एवं वे अंग्रेजी पढ़ना, लिखना एवं बोलना भी जानते थे। अपने जीवन के संस्मरण, यात्राओं एवं अनुभवों को उन्होंने एक पुस्तक के रूप में भी लिपिबद्ध किया है जिसका नाम सर्वेन्ट ऑफ़ साहिब्स (Servant of Sahibs) है। इसके पुस्तक के माध्यम से गुलाम रसूल के जीवन महत्वपूर्ण अनुभवो में बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

Galwan Valley, क्यूँ पीछे पड़ा है चाइना

Galwan Valley एवं लद्दाख क्षेत्र में स्थित पेंगोंग-त्सो झील तथा अन्य महत्वपूर्ण सामरिक बिन्दुओ पर भारत का चीन के मध्य तनाव लम्बे समय से जारी है। चीन द्वारा इस क्षेत्र को अक्साई-चीन एवं तिब्बत का हिस्सा माना जाता रहा है एवं सदैव से ही यहाँ अपना दावा किया जाता रहा है। चीन द्वारा भारत एवं तिब्बत के मध्य वर्ष 1913-14 में हुए निर्धारित सीमा रेखा मैकमोहन लाइन को भारत एवं चीन की सीमा रेखा मानने से सदैव से ही इंकार किया जाता रहा है यही कारण है की चीन यदा-कदा इन क्षेत्रों में अवैध घुसपैठ शुरू कर देता है। साथ ही भारत-चीन के मध्य लाइन-ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर स्थिति होने के कारण भी यह क्षेत्र सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है। यही कारण है की चीन सदैव से ही इस क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश करता रहता है। वर्तमान में दोनों देशो के मध्य वार्ता के कारण Galwan Valley में यथास्थिति कायम है।

Galwan Valley सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Galwan Valley कहाँ स्थित है ?

Galwan Valley भारत के लद्दाख क्षेत्र एवं चीन द्वारा अवैध अधिकृत अक्साई चीन क्षेत्र के मध्य स्थित है।

गलवान घाटी विवाद का क्या कारण है ?

गलवान घाटी विवाद का कारण इस क्षेत्र में भारत द्वारा सरंचनात्मक एवं सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण आधारभूत संरचनाओं का निर्माण करना है जिसके कारण चीन द्वारा आपत्ति जताई गयी है। हालांकि भारत द्वारा इसका कड़ा जवाब भी दिया गया है।

गलवान घाटी का विवाद क्या है ?

गलवान घाटी विवाद सम्बंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए ऊपर दिया गया लेख पढ़े। इसके माध्यम से आप गलवान घाटी विवाद सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते है।

गलवान घाटी का नाम किसके नाम पर पड़ा ?

गलवान घाटी का नाम गुलाम रसूल गलवान के नाम पर पड़ा जो की एक लद्दाखी खोजकर्ता एवं अन्वेषणकर्ता थे।

गुलाम रसूल, डाकू या चरवाहा क्या थे ?

गुलाम रसूल एक खोजकर्ता थे जिनके द्वारा अपने यात्रा संस्मनरण सर्वेन्ट ऑफ़ साहिब्स (Servant of Sahibs) नामक पुस्तक लिखी गयी है।

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