एक मानव के रूप में धरती के सभी मनुष्यों को नैसर्गिक रूप से कुछ अधिकार प्राप्त होते है जिन्हें मानवाधिकार की श्रेणी में रखा जाता है। वैश्विक स्तर पर सभी नागरिको को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष विश्व मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। इसके माध्यम से सम्पूर्ण विश्व में मानवाधिकारों की रक्षा एवं संरक्षण का संकल्प लिया जाता है। गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए किसी भी मनुष्य के जीवन में मानवाधिकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है ऐसे में प्रतिवर्ष विश्व मानवाधिकार दिवस के माध्यम से दुनिया के सभी नागरिकों के मानवाधिकारों से सम्बंधित सन्देश को सम्पूर्ण दुनिया में प्रसारित किया जाता है।
आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताने वाले है की विश्व मानवाधिकार दिवस कब, कैसे, क्यों मनाया जाता है? (Manav Adhikar Divas 2023). साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आपको वैश्विक मानवाधिकारों (World Human Rights Day) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने के अतिरिक्त भारतीय संविधान द्वारा मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने के सम्बन्ध में प्रदत महत्वपूर्ण आर्टिकल के बारे में भी जानकारी प्रदान की जाएगी।
मानवाधिकार क्या होते है ?
प्रत्येक मनुष्य जब इस धरती पर जन्म लेता है तो उसे कुछ प्रकृति प्रदत मानव अधिकार मिलते है। स्वतंत्रता, समानता एवं गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार प्रकृति प्रदत मानवीय अधिकारों में शामिल है। साथ ही सभी देशों द्वारा भी अपने नागरिको को सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक अधिकार प्रदान किए जाते है जिससे की सभी नागरिकों को गरिमापूर्ण एवं समानता का जीवन जीने का अधिकार मिले। प्रकृति प्रदत एवं राष्ट्र द्वारा किसी भी मानव को प्रदान किए गए इन अधिकारों को ही मानवाधिकार कहा जाता है। सरल शब्दो में कहा जाए तो किसी भी मनुष्य को गरिमापूर्ण जीवन जीने हेतु प्रकृति द्वारा प्रदत नैसर्गिक एवं राष्ट्र द्वारा प्रदत अधिकारों को ही मानवाधिकार कहा जाता है।
मानवाधिकार सभी मनुष्यों को समानता का अधिकार प्रदान करता है। किसी भी व्यक्ति को नस्ल, जाति, धर्म, जन्म-स्थान, लिंग, समुदाय, क्षेत्र और भाषा के आधार पर मानवाधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता।
मानवाधिकार, क्या है आवश्यकता
मानवीय इतिहास को उठाकर देखने पर हमे ज्ञात होता है सम्पूर्ण मानवीय इतिहास में विभिन शक्तिशाली एवं प्रभुत्वशाली वर्गों द्वारा मानवाधिकारों का जमकर उल्लंघन किया गया है। राजतन्त्र से लेकर सामंती व्यवस्था एवं तानाशाहों से लेकर प्रभुत्वशाली शासकों द्वारा इतिहास में मानवाधिकारों के उल्लंघन के उदाहरण भरे पड़े है। वर्तमान समय में राजतंत्र, नाजीवाद, फासीवाद, जातिवाद एवं औपनिवेशिक शक्तियों के द्वारा मानवाधिकारों को ताक पर रखकर अनेक बार मानवीय गरिमा को कुचला गया है। ऐसे में द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात हुयी तबाही एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन के कारण दुनिया के सभी देशों द्वारा मानवीय गरिमा की रक्षा हेतु मानवों के नैसर्गिक एवं राष्ट्र प्रदत अधिकारों को मानवीय अधिकारों के रूप में स्वीकृत किया गया है।
सभी मनुष्यों के गरिमापूर्ण जीवन जीने एवं समानतापूर्वक जीने का अधिकार प्राप्त करने के लिए मानवाधिकार आवश्यक होते है तभी सभी मनुष्यो को जीवन जीने हेतु न्यायपूर्ण अधिकार प्राप्त होते है एवं मानवीय गरिमा के विकास के अवसर प्राप्त होते है।
विश्व मानवाधिकार दिवस कब मनाया जाता है ?
दुनिया के सभी मनुष्यो के समान अधिकारों को स्वीकृत करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को विश्व मानवाधिकार दिवस जाता है। वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पारित संकल्प के आधार पर वर्ष 1950 से प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को विश्व मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। इसके तहत विभिन कार्यक्रमों के माध्यम से मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है।
मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा
विश्व मानवाधिकार दिवस में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पारित मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा को मील के पत्थर के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए मानवाधिकारों के उल्लंघन एवं विभिन शासको द्वारा अपने देश के नागरिकों के मूलभूत मानवाधिकारों अधिकारों के हनन के फलस्वरूप सम्पूर्ण विश्व के सभी देशों के नागरिको हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (Universal Declaration of Human Rights) को पारित किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्वीकृत मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा को 10 दिसंबर 1948 को फ्रांस की राजधानी पेरिस में हस्ताक्षरित किया गया था जिसे दुनिया के 58 देशों की उपस्थिति में स्वीकृत किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इसे संकल्प 217 (Resolution 217A) के रूप में स्वीकृत किया गया। मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा में मानव अधिकारों से सम्बंधित 30 अनुच्छेद शामिल किए गए है।
में मानवाधिकारों सम्बंधित घोषणा
भारत सरकार द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ के संकल्प के अनुरूप मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना एक स्वायत्त विधिक संस्था के रूप में की गयी थी। इस संस्था के द्वारा देश में मानवाधिकारों से सम्बन्ध शिकायतों का स्वतः या पीड़ित की शिकायत पर संज्ञान लिया जाता है एवं आवश्यकता कार्यवाही एवं जाँच करने के पश्चात इस सम्बन्ध में सरकार को भी सुझाव दिए जाते है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में एक अध्यक्ष, चार स्थायी सदस्य एवं सात डीम्ड सदस्य शामिल होते है। भारतीय संविधान द्वारा भी देश के नागरिको के मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए आर्टिकल 12 से आर्टिकल 35 तक विस्तृत प्रावधान निर्धारित किए है।
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विश्व मानवाधिकार दिवस सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
मानवाधिकार मनुष्यों को प्रकृति प्रदत नैसर्गिक अधिकार होते है जो की सभी मनुष्यों के लिए गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए आवश्यक होते है।
सभी मनुष्यों को मानव अधिकारों के बारे में जागरूक करने एवं मानव अधिकारों के संरक्षण एवं सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिवर्ष मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।
विश्व मानवाधिकार दिवस प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (Universal Declaration of Human Rights) को पारित किया गया था।
Universal Declaration of Human Rights को 10 दिसंबर 1948 को फ्रांस की राजधानी पेरिस में पारित किया गया था। इस घोषणा में मानवाधिकारों से सम्बंधित कुल 30 अनुच्छेद शामिल किए गए है।
भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना 12 अक्टूबर 1993 को एक स्वायत्त विधिक संस्था के रूप में की गयी थी।
भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के वर्तमान अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा है।