वाहे गुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह’ की अमर वाणी देने वाले गुरु गोविंद सिंह जी को सिख धर्म के महान आध्यात्मिक गुरु, कवि एवं साहसी शासक के रूप में याद किया जाता है।

सिख धर्म के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह की जयंती को सिख समुदाय के द्वारा बड़े ही धूमधाम एवं उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन के मौके पर गुरूद्वारे में अरदास एवं लंगरों का आयोजन किया जाता है

गुरु गोविंद सिंह का सिख धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। खालसा पंथ की स्थापना करने से लेकर गुरु ग्रन्थ साहिब को सिखों के गुरु के रूप में प्रतिष्ठित करने के गुरु गोविंद सिंह जी की महती भूमिका है।

अत्याचारी मुग़ल शासन के सामने झुकने के बजाय अपनी प्राण देने वाले वीर बालक बाबा जोरवार सिंह एवं बाबा फतेह सिंह गुरु गोविंद सिंह जी की संतान थे

सिखों को खालसा के रूप में संगठित करना एवं एवं सिख राज्य को उत्तर-पश्चिमी भाग की प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करने में गुरु गोविंद सिंह जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती प्रतिवर्ष पौष महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को (नानकशाही कैलेंडर के अनुसार) मनाई जाती है जो की प्रतिवर्ष दिसंबर या जनवरी माह में पड़ती है

वर्ष 2023 में गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती (Guru Govind Singh Jayanti 2023), 5 जनवरी 2023 (परिवर्तन संभव) को मनाई जायेगी।

गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसम्बर 1666 को बिहार राज्य की राजधानी पटना में सिखों के नवें गुरु, गुरु तेगबहादुर एवं गुजरी देवी के घर में हुआ था।

30 मार्च 1699 को पंजाब के आनंदपुर साहिब में हजारों अनुयायियों के जमवाड़े के अवसर पर गुरु गोविन्द सिंह द्वारा खालसा पंथ की स्थापना की गयी थी।