वाहे गुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह’ की अमर वाणी देने वाले गुरु गोविंद सिंह जी को सिख धर्म के महान आध्यात्मिक गुरु, कवि एवं साहसी शासक के रूप में याद किया जाता है। खालसा पंथ की नीव रखने वाले गुरु गोविन्द सिंह द्वारा गुरु नानक के पवित्र संदेशों को सम्पूर्ण देश में पहुंचाया गया था। सिख धर्म के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह की जयंती को सिख समुदाय के द्वारा बड़े ही धूमधाम एवं उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन के मौके पर गुरूद्वारे में अरदास एवं लंगरों का आयोजन किया जाता है साथ ही गुरु के संदेशो से जनमानस को अवगत कराया जाता है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम गुरु गोविंद सिंह जयंती (Guru Govind Singh Jayanti 2023) के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले है। साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आपको खालसा पंथ की नीव रखने वाले गुरु गोविंद सिंह के जीवन से सम्बंधित रोचक तथ्यों के बारे में भी जानकारी प्रदान की जाएगी।
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गुरु गोविंद सिंह जयंती
सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह का सिख धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। खालसा पंथ की स्थापना करने से लेकर गुरु ग्रन्थ साहिब को सिखों के गुरु के रूप में प्रतिष्ठित करने के गुरु गोविंद सिंह जी की महती भूमिका है। अत्याचारी मुग़ल शासन के सामने झुकने के बजाय अपनी प्राण देने वाले वीर बालक बाबा जोरवार सिंह एवं बाबा फतेह सिंह गुरु गोविंद सिंह जी की संतान थे जिनके शहादत के अवसर पर वीर बाल दिवस मनाया जाता है। सिखों को खालसा के रूप में संगठित करना एवं एवं सिख राज्य को उत्तर-पश्चिमी भाग की प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करने में गुरु गोविंद सिंह जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
गुरु गोविन्द सिंह द्वारा गुरु ग्रन्थ साहिब को गुरु घोषित करते हुए कहा गया था की अब से गुरुवाणी ही गुरु का कार्य करेगी। इस प्रकार से गुरु गोविन्द सिंह के पश्चात सिख धर्म में गुरु ग्रन्थ साहिब को ही गुरु के रूप में स्वीकार किया गया है।
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Guru Govind Singh Jayanti 2023
गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती प्रतिवर्ष पौष महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को (नानकशाही कैलेंडर के अनुसार) मनाई जाती है जो की प्रतिवर्ष दिसंबर या जनवरी माह में पड़ती है। वर्ष 2023 में गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती (Guru Govind Singh Jayanti 2023), 5 जनवरी 2023 (परिवर्तन संभव) को मनाई जायेगी। गुरु गोविन्द सिंह की जयंती को प्रकाश पर्व (prakash parv) के रूप में मनाया जाता है।
जानें गुरु गोविंद सिंह के बारे में
गुरु गोविंद सिंह सिखों के 10वें गुरु थे जो को महान आध्यात्मिक गुरु, कवि, विद्वान एवं साहसी शासक के रूप में जाने जाते है। गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसम्बर 1666 को बिहार राज्य की राजधानी पटना में सिखों के नवें गुरु, गुरु तेगबहादुर एवं गुजरी देवी के घर में हुआ था। गुरु गोविंद सिंह को बचपन में गोविंदराय के नाम से जाना जाता था। बचपन के प्रारंभिक 4 वर्षो तक पटना में रहने के पश्चात ये वर्ष 1670 में पंजाब में आनंदपुर साहब में आकर रहने लगे एवं अपना जीवन यही बिताने लगे। आनंदपुर साहब में ही गुरु गोविन्द सिंह की प्रारंभिक शिक्षा एवं कौशल का विकास शुरू हुआ। उस समय दिल्ली की गद्दी पर मुग़ल बादशाह औरंगजेब का शासन था जो की अपने कट्टर एवं क्रूर शासन के लिए जाना जाता था।
औरंगजेब द्वारा गुरु तेगबहादुर को इस्लाम धर्म स्वीकार ना करने के कारण दिल्ली में शीशगंज गुरूद्वारे के समीप मरवा दिया गया था। गुरु तेगबहादुर की शहादत के बाद समय गुरु गोविंद सिंह की उम्र मात्र 9 वर्ष थी। इनके पिता के निधन के कारण मात्र 9 वर्ष की उम्र में गुरु गोविंद सिंह को सिखों के 10वें गुरु के रूप में शपथ दिलाई गयी। इसके पश्चात इन्होने सिख धर्म एवं गरीबो के उत्थान के लिए अनेक कार्य किए।
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खालसा पंथ की स्थापना
वर्ष 1699 में गुरु गोविन्द सिंह द्वारा खालसा पंथ की स्थापना की गयी थी। खालसा पंथ की स्थापना के अवसर पर ही गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा वाहे गुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह जैसी पवित्र अमरवाणी का सन्देश दिया था। 30 मार्च 1699 को पंजाब के आनंदपुर साहिब में हजारों अनुयायियों के जमवाड़े के अवसर पर गुरु गोविन्द सिंह द्वारा खालसा पंथ की स्थापना की गयी थी। खालसा पंथ की स्थापना का उद्देश्य सिखों को भक्ति और शक्ति दोनों के समन्वय से परिपूर्ण मनुष्य के रूप में विकसित करना था।
खालसा पंथ के अवसर पर ही गुरु द्वारा सभी सिखों को अपने नाम के अंत में “सिंह” शब्द लगाने का सुझाव दिया गया था जिसका अर्थ शेर होता है। साथ ही इस अवसर पर गुरु गोबिंद सिंह द्वारा सिखों के लिए पंच ककार- केश, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा को अनिवार्य रूप से धारण करने का आदेश दिया गया था।
गुरु गोबिंद सिंह सम्बंधित रोचक तथ्य
- गुरु गोबिंद सिंह सिखों के 10वें एवं अंतिम गुरु थे। इन्होने गुरुवाणी को सिख गुरु के रूप में प्रतिष्ठापित किया था।
- गुरु गोबिंद सिंह विभिन भाषाओं को ज्ञाता थे जो पंजाबी के अतिरिक्त हिंदी, संस्कृत, उर्दू एवं अरबी भाषा में दक्ष थे।
- खालसा पंथ की स्थापना गुरु गोबिंद सिंह द्वारा की गयी थी।
- गुरु गोबिंद सिंह द्वारा ही सिखों को अपने नाम के आगे सिंह लगाने का सुझाव दिया गया था।
- गुरु गोबिंद सिंह द्वारा विभिन ग्रंथो की रचना की गयी थी जिनमे उनकी आत्मकथा विचित्र नाटक प्रसिद्ध है।
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गुरु गोबिंद सिंह सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसम्बर 1666 को बिहार राज्य की राजधानी पटना में हुआ था।
वर्ष 2023 में गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती (Guru Govind Singh Jayanti 2023), 5 जनवरी 2023 (परिवर्तन संभव) को मनाई जायेगी।
खालसा पंथ की स्थापना 30 मार्च 1699 को गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा पंजाब के आनंदपुर साहिब में की गयी थी।
वीर बाल दिवस को गुरु गोबिंद सिंह के वीर पुत्रों वीर बालक बाबा जोरवार सिंह एवं बाबा फतेह सिंह की स्मृति में प्रतिवर्ष 26 दिसंबर को मनाया जाता है।
सिखों के10 वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी थे।
गुरु गोबिंद सिंह को 7 अक्टूबर 1708 को सरहिंद के नवाब वजीर खां के द्वारा साजिश के तहत मारा गया।
सिखों के लिए पंच ककार- केश, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा है।