तो दोस्तों आप सभी लोगो ने कभी न कभी संधि विछेद के बारे में तो सुना ही होगा। केवल सुना ही नहीं बल्कि लगभग सभी लोगो ने इसके बारे में बहुत अच्छे तरीके से पढ़ा भी होगा क्योंकि Sandhi Viched in Hindi के बारे में हम सभी को बचपन में विद्यालय में पढ़ाया गया है और अभी तक पढ़या जाता है। संधि विछेद व्याकरण का भाग है जो की सभी बच्चों के लिए मददगार साबित होता है। तो दोस्तों अगर आपको इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं है और आप इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आज हम आपको इस लेख के माध्यम से Sandhi Viched से सम्बंधित बहुत सी जानकारी इस लेख में प्रदान करेंगे जैसे की – संधि विछेद क्या होता है ?, Sandhi Viched के कितने प्रकार होते हैं और सभी के उदाहरण देकर भी समझायेंगे, आदि जैसी जानकारी इस लेख में बताई गयी हैं।
तो अगर आप भी इसके बारे में जानकाररी प्राप्त करना चाहते हैं तो कृपया इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़िए और इसे सम्बंधित सभी जानकारी को प्राप्त करें।
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संधि विच्छेद क्या है | Sandhi Viched in Hindi ?
जब दो या दो से अधिक वर्णों मिलकर एक शब्द बनते हैं उसको संधि कहते हैं। और तो और जब एक शब्द को दो या दो से सधिक शब्दों में बाँट दिया जाता है उसी को संधि विच्छेद कहते हैं। जैसे की – परिणाम – परि + नाम , देवेश – देव + ईश ,गणेश – गण+ईश आदि।
या फिर
दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने शब्द को दोबारा दो या दो से अधिक शब्द में तोड़ने को ही संधि विच्छेद कहते हैं। उदहारण – हिमालय – हिम + आलय ,देवानन्द – देव +आनन्द।
Sandhi Viched in Hindi के कुछ उदाहरण
वाक्य किसे कहते हैं – परिभाषा, भेद एवं उदहारण
संधि के कितने प्रकार होते हैं | Types of Sandhi Viched in Hindi
संधि के तीन प्रकार होते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं।
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विसर्ग संधि
स्वर संधि
जब दो या दो से अधिक स्वर मिलकर एक और नए शब्द का निर्माण करते है उसी को स्वर संधि कहते हैं। वैसे तो हिंदी में स्वर 11 होते हैं। और जो इन 11 से अलग होते हैं वह व्यंजन कहलाते हैं। जैसे की – रवि +इंद्र = रविंद्र , विद्या +आलय = विद्यालय।
स्वर संधि के पांच प्रकार होते हैं।
- दीर्घ स्वर संधि
- गुण स्वर संधि
- वृद्धि संधि
- यण संधि
- अयादि संधि
1. दीर्घ स्वर संधि
दीर्घ स्वर संधि – इसमें दो स्वर्ण सजातीय स्वरों के बीच संधि होजाता है तो इनके दीर्घ रूप हो जाते है। और दो स्वर्ण स्वर मिलकर एक दीर्घ हो जाते हैं।
- जब अ,आ, के साथ अ,आ,हो तो आ बन जाता है।
- जब इ,ई के साथ इ,ई हो तो ई बंद जाता है।
- जब उ,ऊ के साथ उ,ऊ, हो तो ऊ बन जाता है।
उदहारण – पुस्तक+आलय = पुस्तकालय। , गिरी +ईश = गिरीश, रवि+इंद्र=रविंद्र आदि।
2. गुण स्वर संधि
गुण संधि में जब अ या फिर आ के जगह पर इ या फिर ई हो तो वह ए हो जाता है। और अ या फिर आ के साथ उ,या फिर ऊ हो तो वह ओ बन जाता है।
उदहारण –
- देव+इंद्र = देवेंद्र
- नर +ईश = नरेश
- भारत + इंदु = भारतेन्दु
- गज +इंद्र = गजेंद्र आदि
3. वृद्धि संधि
वृद्धि संधि में यदि अ या फिर आ के बाद ए/ऐ आइये तो फिर वह ऐ हो जाता है। और ओ/औ आये तो फिर वह औ बन जाता है।
- अ/आ + ए/ऐ = ऐ जैसे की – एक +एक = एकैक
- अ/आ +ओ/औ = औ जैसे की – जल +ओघ = जलौघ
उदहारण – महा+ओज = महौज, मत +एकता = मतैकता, एक+एक = एकैक , सदा +एव = सदैव आदि
4.यण संधि
यण संधि में जब इ,ई के साथ कोई अन्य स्वर हो तो वह य बन जाता है। और जब उ,ऊ के साथ अगर कोई अन्य स्वर हो तो व् बन जाता है। और जब ऋ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो र बन जाता है। यण संधि के के तीन प्रकार के संधि युक्त पद होते हैं।
जो की है य से पहले आधा व्यंजन होना चाहिए। , व् से पहले आधा व्यंजन होना चाहिए , शब्द में त्र होना चाहिए।
यण स्वर संधि में एक चीज होना अनिवार्य है की य और त्र में स्वर होना चाहिए और उसी से बने हुए सार्थक शब्द के बाद + के बाद लिखे उसी को यण संधि कहते हैं।
उदहारण – मात्रानन्द – मातृ+आनन्द , सु +आगत = स्वागत , इति+आदि = इत्यादि।
5.अयादि संधि
अयादि संधि में जब ए,ऐ,ओ,औ के साथ अगर कोई अन्य स्वर हो तो ए-अय में ,ऐ – आय ‘ में , ‘ ओ – अव ‘ में, ‘ औ – आव ‘ ण जाता है। य , व् से पहले व्यंजन पर अ , आ की मात्रा हो तो अयादि संधि हो सकती है लेकिन अगर और कोई विच्छेद न निकलता हो तो + के बाद वाले भाग को वैसा का वैसा लिखना होगा। उसे अयादि संधि कहते हैं।
उदाहरण – पो+इत्र =पवित्र ,भो+अन = भवन, पो+अन = पवन , नै+ इका=नायिका
व्यंजन संधि
व्यंजन संधि – व्यंजन वर्ण के साथ स्वर वर्ण या व्यंजन वर्ण और स्वर्ण वर्ण के साथ व्यंजन वर्ण के मेल से जो विकार उत्पन्न हो उसी को व्यंजन संधि कहा जाता है।
उदहारण – अभी +सेक = अभिषेक
1. जब किसी वर्ग के पहले वर्ण क,च,ट,तो,पर का मिलन किसी वर्ग के तीसरे या चौथे से य ,र, ल ,व ,ह से हो या किसी स्वर के साथ हो जाए तो क को ग, च को ज, ट को ड , त को द , प को ब में बदल दिया जाता है।
उदहारण –
- दिक + अंबर- दिगंबर
- वाक+ ईश- वागीश
2. यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण का मिलन न या म वर्ण के साथ हो तो वह नीचे गए उदाहरण में बदल जाता है।
3. जब त का मिलन ग,घ, द ,ध, प, म, य ,र , या किसी स्वर से हो तो द बन जाता है।और अगर म के साथ क से म तक कि किसी भी वर्ण के मिलन पर म की जगह पर मिलन वाले वर्ण बन जाता है।
4. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए
- त् से परे च् या छ् होने पर च,
- ज् या झ् होने पर ज्,
- ट् या ठ् होने पर ट्,
- ड् या ढ् होने पर ड्
- ल होने पर ल्
- म् के साथ य, र, ल, व, श, ष, स, ह में से किसी भी वर्ण का मिलन होने पर ‘म्’ की जगह पर अनुस्वार ही लगता है।
5. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए
- जब त् का मिलन अगर श् से हो तो त् को च् और श् को छ् में बदल जाता है।
- जब त् या द् के साथ च या छ का मिलन होता है तो त् या द् की जगह पर च् बन जाता है।
6. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए
- जब त् का मिलन ह् से हो तो त् को द् और ह् को ध् में बदल जाता है।
- त् या द् के साथ ज या झ का मिलन होता है तब त् या द् की जगह पर ज् बन जाता है।
7. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए
- स्वर के बाद अगर छ् वर्ण आ जाए तो छ् से पहले च् वर्ण बदल जाता है।
- त् या द् के साथ ट या ठ का मिलन होने पर त् या द् की पर ट् बन जाता है।
- जब त् या द् के साथ ‘ड’ या ढ की मिलन होने पर त् या द् की पर‘ड्’बन जाता है।
8. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए
- अगर म् के बाद क् से लेकर म् तक कोई व्यंजन हो तो म् अनुस्वार में बदल जाता है।
- त् या द् के साथ जब ल का मिलन होता है तब त् या द् की जगह पर ‘ल्’ बन जाता है।
9. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए
- म् के बाद म का द्वित्व हो जाता है।
- त् या द् के साथ ‘ह’ के मिलन पर त् या द् की जगह पर द्
- ह की जगह पर ध बन जाता है।
10. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए
- म् के बाद य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह् में से कोई व्यंजन आने पर म् का अनुस्वार हो जाता है।
- ‘त् या द्’ के साथ ‘श’ के मिलन पर त् या द् की जगह पर ‘च्’ तथा ‘श’ की जगह पर ‘छ’ बन जाता है।
11. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए
- ऋ, र्, ष् से परे न् का ण् हो जाता है।
- चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, श और स का व्यवधान हो जाने पर न् का ण् नहीं होता।
- किसी भी स्वर के साथ ‘छ’ के मिलन पर स्वर तथा ‘छ’ के बीच ‘च्’ आ जाता है।
12. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए
- स् से पहले अ, आ से भिन्न कोई स्वर आ जाए तो स् को ष बना दिया जाता है।
13. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए
- यदि किसी शब्द में कही भी ऋ, र या ष हो एवं उसके साथ मिलने वाले शब्द में कहीं भी ‘न’ हो तथा उन दोनों के बीच कोई भी स्वर,क, ख ग, घ, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व में से कोई भी वर्ण हो तो सन्धि होने पर ‘न’ के स्थान पर ‘ण’ हो जाता है।
- जब द् के साथ क, ख, त, थ, प, फ, श, ष, स, ह का मिलन होता है तब द की जगह पर त् बन जाता है।
विसर्ग संधि
विसर्ग संधि- विसर्ग के साथ और स्वर या फिर व्यंजन वारं के मिल से जो विकार उतपन्न हो उसी को विसर्ग संधि कहा जाता है।
उदहारण – मन+अनुकूल = मनोनुकूल, निः+अक्षर =निरक्षर
विसर्ग संधि में प्रयोग किये जाने वाले नियम जो कुछ इस प्रकार हैं।
- विसर्ग (:) + च / छ जैसे – निः + चल = निश्चल (: = श् )
- विसर्ग + ट / ठ जैसे – धनुः + टंकार = धनुष्टकार
- विसर्ग + त / थ जैसे – निः + तेजः = निस्तेज
- विसर्ग + वर्गों 3रा, 4था, 5वाँ वर्ण / अन्तःस्थ / ह (जैसे – सरः + ज = सरोज मनः + रथ = मनोरथ
- विसर्ग + क / ख / प जैसे – प्रातः + काल = प्रातःकाल (दुः + ख = दुःख)
- विसर्ग + श / स (दुः + शासन = दुः शासन / दुश्शासन)
- विसर्ग ज्यों का त्यों या विसर्ग का रूपांतरण अले ‘स’ में (यानी दोनों स्थितियाँ होती है)
- (इ / उ) विसर्ग + क / प जैसे – निः + कपट = निष्कपट ( चतुः + पथ = चतुष्पथ)
- (अ / आ) विसर्ग + क / प जैसे – नमः + कार = नमस्कार (पुरः + कार = पुरस्कार)
Sandhi Viched in Hindi से सम्बंधित प्रश्न
जब दो या दो से अधिक वर्णों मिलकर एक शब्द बनते हैं उसको संधि कहते हैं। और तो और जब एक शब्द को दो या दो से सधिक शब्दों में बाँट दिया जाता है उसी को Sandhi Viched कहते हैं। जैसे की – परिणाम – परि + नाम , देवेश – देव + ईश ,गणेश – गण+ईश आदि।
स्वर संधि के पांच प्रकार होते हैं।
दीर्घ स्वर संधि
गुण स्वर संधि
वृद्धि संधि
यण संधि
अयादि संधि
संधि के तीन प्रकार होते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं।
स्वर संधि
व्यंजन संधि
विसर्ग संधि
अयादि संधि में जब ए,ऐ,ओ,औ के साथ अगर कोई अन्य स्वर हो तो ए-अय में ,ऐ – आय ‘ में , ‘ ओ – अव ‘ में, ‘ औ – आव ‘ ण जाता है। य , व् से पहले व्यंजन पर अ , आ की मात्रा हो तो अयादि संधि हो सकती है लेकिन अगर और कोई विच्छेद न निकलता हो तो + के बाद वाले भाग को वैसा का वैसा लिखना होगा। उसे अयादि संधि कहते हैं।
उदाहरण – पो+इत्र =पवित्र ,भो+अन = भवन, पो+अन = पवन , नै+ इका=नायिका
व्यंजन
जब दो या दो से अधिक स्वर मिलकर एक और नए शब्द का निर्माण करते है उसी को स्वर संधि कहते हैं। वैसे तो हिंदी में स्वर 11 होते हैं। और जो इन 11 से अलग होते हैं वह व्यंजन कहलाते हैं। जैसे की – रवि +इंद्र = रविंद्र , विद्या +आलय = विद्यालय।