RCEP क्या है? आरसीईपी के सदस्य देशों के नाम | RCEP Full form in hindi

दुनिया के कई देश व्यापार करने के लिए विभिन्न तरह के आर्थिक समझौते करते है जिनमे एक या एक से ज्यादा देश सम्मिलित होते है। प्रत्येक देश समझौते में अपने लाभ का विशेष ध्यान रखता है। प्रत्येक देश यही सोचता है कि उसको समझौते से अधिक से अधिक लाभ मिले। RCEP भी एक प्रकार का ट्रेड एग्रीमेंट(Trade Agreement) है जो अपने सदस्य देशो को एक दूसरे के साथ व्यापार करने की सहूलियत देता है। अगर आप भी RCEP के बारे में जानना चाहते हो तो आपके लिए हमारा ये आर्टिकल काफी लाभकारी हो सकता है आज हम आपको बतायेगे RCEP क्या है? आरसीईपी के सदस्य देशों के नाम | RCEP Full form in hindi और साथ ही जाने आरसीईपी के सम्बंधित और भी कई लाभकारी जानकारिया। RCEP सम्बंधित सभी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पूरा पढ़े।

RCEP क्या है?
RCEP क्या है | RCEP Full form in hindi

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RCEP Full form in hindi

  • RCEP की फुल फॉर्म क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership) है। इसकी स्थापना नवंबर 2011 को बाली, इंडोनेशिया में आयोजित 19वे आसियान सम्मेलन के दौरान हुई थी।

RCEP क्या है?

RCEP क्या है :- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) एक व्यापक क्षेत्रीय भागीदारी है, जो अपने सदस्य देशो को एक दूसरे के साथ मुक्त व्यापार करने की सहूलियत देती है। इसमें 15 देश शामिल है, पहले इसमें 16 देश शामिल थे जिनमे भारत देश भी शामिल था लेकिन वर्तमान समय में भारत इसमें शामिल नहीं है । RCEP की शुरुआत 2011 में हुई थी। यह एक व्यापरिक समझौता है जिसमे सभी सदस्य देश एक दूसरे को व्यापार से सम्बंधित विभिन्न प्रकार की सहूलियत देते है। इस एग्रीमेंट में सम्मिलित सभी देश एक दूसरे को व्यापार में काफी सहूलियत देते है जिस कारण व्यापार करने में भी आसानी होती है और देश भी उन्नति की ओर अग्रसर होता है। RCEP का मुख्य उद्देश्य उच्च गुणवत्ता, आधुनिक व्यापार और पारस्परिक आर्थिक रूप से साझेदारी स्थापित करना है।

यह एशिया प्रशांत के देशो के बीच औपचारिक रूप से एक मुक्त व्यापार समझौता है। RCEP का सबसे पहला प्रस्ताव 2011 में किया गया था। इस समझौते में आसियान(ASEAN) के 10 देश (फिलीपींस, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेसिया, ब्रुनेई, लाओस, म्यांमार, वियतनाम, कम्बोडिया) के आलावा और 5 FTA देश (दक्षिण कोरिया, चीन. ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूज़लैण्ड) शामिल है। RCEP 10 आसियान (ASEAN) सदस्य देशो और इसके पांच व्यापारिक साझेदारों के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता है। यह क्षेत्रीय व्यापार समझोते के लिए एक केन्द्रिक प्रस्ताव है।

RCEP के महत्त्व

  • RCEP भारत एक्ट ईस्ट नीति को अधिक बढ़ावा देगा और पड़ोस एवं विस्तारित पड़ोस में भारत के आर्थिक लाभ को बढ़ाएंगे।
  • यह भारत में MSME को वैश्विक मूल्य श्रंखलाओ को प्रभावी रूप से प्रोत्साहन भी प्रदान करेगा।
  • यह आसियान देशो के साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौते का पूरक होगा।
  • RCEP के सभी सदस्य देशो के लिए व्यापार का एक ही नियम होगा जिससे सभी को फायदा मिलेगा

आरसीईपी के सदस्य देशों के नाम

वर्तमान समय में क्षेत्रीय व्यापार आर्थिक भागीदारी(RCEP) में 15 देश शामिल है

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  1. फिलीपींस
  2. थाईलैंड
  3. सिंगापुर
  4. मलेशिया
  5. इंडोनेसिया
  6. ब्रुनेई
  7. लाओस
  8. म्यांमार
  9. वियतनाम
  10. कम्बोडिया
  11. दक्षिण कोरिया
  12. चीन
  13. ऑस्ट्रेलिया
  14. जापान
  15. न्यूज़लैण्ड
  16. यह भी

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RCEP के ASEAN (Association of South East Asian Nations) सदस्य

दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ(ASEAN) एक क्षेत्रीय संघ है जिसक स्थापना बढ़ते संघर्षो के बीच एशिया को उत्तर औपनिवेशिक राज्यों के बीच राजनितिक संतुलन और सामाजिक स्थिरता को बनाये रखने के लिए की गयी थी। आसियान दिवस 8 अगस्त को मनाया जाता है। इंडोनेशिया के जकार्ता में आसियान का सचिवालय है।

  • फिलीपींस (संस्थापक सदस्य)
  • थाईलैंड (संस्थापक सदस्य)
  • सिंगापुर (संस्थापक सदस्य)
  • मलेशिया (संस्थापक सदस्य)
  • इंडोनेसिया (संस्थापक सदस्य)
  • ब्रुनेई (1984 में शामिल हुआ)
  • लाओस (1997 में शामिल हुआ)
  • म्यांमार (1997 में शामिल हुआ)
  • वियतनाम (1995 में शामिल हुआ)
  • कम्बोडिया(1999 में शामिल हुआ)

RCEP के FTA (Free Trade Agreement) सदस्य

मुक्त व्यापार समझौते जे 5 सदस्य देश है।

  • दक्षिण कोरिया
  • चीन
  • ऑस्ट्रेलिया
  • जापान
  • न्यूज़लैण्ड

RCEP का भारत देश पर असर

इस समझौते के तहत भारत में जो चीन से सामान आता है उस सामान पर या तो शुल्क लगाया जा सकता है या हटाया जा सकता है। भारत में लगभग चीन से 80% सामान आता है यदि इस सामान से शुल्क हटाया गया या घटाया गया तो भारत को काफी नुक्सान होगा। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से भी 85% आयात उत्पाद आता है, और जापान और दक्षिण कोरिया से 90% उत्पादों में सीमा शुल्क कटौती की जा सकती है। यदि शुल्क में कटौती नहीं की जाएगी तो विदेश की वस्तुए भारत में अधिक मात्रा में आएगी जिससे भारत के घरेलु उत्पाद को नुक्सान हो सकता है।

भारत RCEP समझौते से क्यों अलग हुआ ?

अगर भारत में विदेशी सामान की मात्रा अधिक हो जाती तो इस स्थिति में भारत के सूरत शहर को इससे काफी हानि पहुँचती। इसी कारण कुछ विशषज्ञों का कहना है कि इस समझौते से भारत में निवेश और सप्लाई पर भी नकारात्मक असर पड़ता। ऐसे में भारत अगर RCEP समझौते में रहता तो फिर भारत का आत्मनिर्भर बनने का सपने कैसे पूरा होता इसलिए भारत ने इस समझौते से खुद को अलग कर लिया

भारत ने नवंबर 2019 में खुद को इस समझौते से अलग कर लिया था क्योंकि इस समझौते की वजह से भारत को काफी घाटा उठाना पड़ा था। भारत अगर इस समझौते में शामिल रहता तो बाजार में चीनी माल की भरमार हो जाती जिसके कारण भारत की आंतरिक अर्थव्यस्था पर विपरीत असर पड़ता। इसलिए भारत ने इस समझौते से बहार रहना ही बेहतर समझा। RCEP का कहना है कि भारत इस समझौते में दोबारा शामिल कभी भी हो सकता है भारत के लिए RCEP में शामिल होने के द्वार हमेशा ही खुले है।

भारत का RCEP से अलग होने का कारण

  • मुक्त व्यापार समझौते के बाद asean, जापान और कोरिया और भारत के व्यापार में घटा हुआ।
  • भारत में आयत निर्यात की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ा।
  • RCEP के अधिकांश सदस्य देशो के साथ भारत द्विपक्षीय व्यापार घाटे में रहा है।
  • नवंबर 2019 में भारत इस RCEP समझौते से अलग हो गया था।
  • चीन के साथ भारत का घाटा RCEP के शेष घटको में सबसे अधिक है।
  • इस समझौते से होना वाला व्यापार घाटा भारत की प्राथमिक चिंता का कारण था।
  • RCEP समझौते में भारत द्वारा ऑटो ट्रिगर तंत्र की मांग की जा रही थी, अन्य सदस्य देश इस मांग के खिलाफ थे।
  • ऑटो ट्रिगर एक ऐसा तंत्र है जब आयत एक निश्चित सीमा को पार कर जाता है तो ऑटो ट्रिगर तंत्र भारत को टेरिफ बढ़ाने की अनुमति देता है।
  • भारत ने डेरी,स्टील जैसे कई उत्पादों पर शुल्क कम करने और समाप्त करने की बात रखी थी।
  • भारत चाहता था कि सभी देशो को डेटा सुरक्षा करने का अधिकार मिले।
  • भारत चाहता था कि जिन देशो पर शुल्क कम है या लगा ही नहीं है उन सदस्य देशो के माध्यम से चीन की वस्तुए देश में आने से रोकने के लिए सख्त नियम हो।
  • भारत मूल देश के नियमो के संभावित उल्लंघन के विषय में चिंतित था।

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RCEP से सम्बंधित प्रश्न व उनके उत्तर

RCEP क्या है?

RCEP देश की आर्थिक व्यवस्था को बढ़ने का एक तरीका है, जो इसके सदस्य देशो को एक दूसरे के साथ व्यापार करने की सहूलियत देता है।

RCEP की फुल फॉर्म क्या है ?

RCEP की फुल फॉर्म क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership) है।

RCEP समझौते से भारत कब अलग हुआ था ?

RCEP समझौते से भारत नवंबर 2019 में अलग हुआ था।

ASEAN का मुख्यालय कहा स्थित है ?

ASEAN का मुख्यालय जकार्ता, इंडोनेशिया में है।

FTA में कितने सदस्य है ?

FTA में 5 सदस्य देश (दक्षिण कोरिया, चीन. ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूज़लैण्ड) शामिल है।

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