देश में होने वाले आंदोलनों, धरना-प्रदर्शन, जुलूस, हड़ताल एवं इसी प्रकार के अन्य सार्वजनिक प्रदर्शनों में प्रायः हिंसा के दौरान सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुँचाने की खबरें देखने को मिलती है। हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान प्रायः प्रदर्शनकारियों द्वारा सार्वजनिक सम्पति, सरकारी बस, ट्रैन, बिल्डिंग एवं अन्य प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुँचाया जाता है जिससे देश के नागरिको की बहुमूल्य सम्पति का नुकसान होता है। ऐसे में अकसर आपके मन में भी यह सवाल आता होगा की आखिर सरकारी सम्पति को नुकसान पहुँचाने पर आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए कोई कानून है या नहीं ? क्या सरकार सम्पति को नुकसान पहुँचाने पर आरोपियों पर कोई कार्यवाही की जाती है या नहीं और सरकार सम्पति को नुकसान पहुँचाने पर सम्पति की भरपाई हेतु क्या नियम है ? आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको इस मुद्दे से जुड़े एक महत्वपूर्ण अधिनियम, “प्रिवेंशन ऑफ़ डैमेज पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट” (Prevention of Damage to Public Property Act, 1984) के सम्बन्ध में सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान करने वाले है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताने वाले है की प्रिवेंशन ऑफ़ डैमेज पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट क्या है (PDPP Act in hindi) क्या है ? इस एक्ट के मुख्य प्रावधान क्या है ? साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आप इस अधिनियम से जुड़े अन्य बिन्दुओ के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
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प्रिवेंशन ऑफ़ डैमेज पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट क्या है ?
प्रिवेंशन ऑफ़ डैमेज पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट (Prevention of Damage to Public Property Act, 1984), जिसे की हिंदी में “लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984” भी कहा जाता है, भारत की संसद द्वारा वर्ष 1984 में पारित किया गया अधिनियम है जिसके अंतर्गत सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुँचाने की स्थिति में आवश्यक वैधानिक कार्यवाही हेतु समुचित प्रावधान किए गए है।प्रिवेंशन ऑफ़ डैमेज पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट के तहत सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुँचाने वाले व्यक्ति, समूह, संस्था या संगठन के खिलाफ दंडात्मक एवं निषेधात्मक कार्यवाही हेतु आवश्यक प्रावधान निर्धारित किए गए है।
इस अधिनयम के अंतर्गत लोक सम्पति को नुकसान पहुँचाने की स्थिति में आरोपी के खिलाफ दंड एवं जुर्माने की कार्यवाही करने की प्रक्रिया की जाएगी। साथ ही सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुँचाने पर सम्पति के नुकसान की भरपाई की जिम्मेदारी भी आरोपित के ऊपर डाली जाएगी।
क्या है PDPP Act का इतिहास
देश में होने वाले हिंसक धरना-प्रदर्शनों, हड़ताल, जुलूस के दौरान होने वाली हिंसा के मध्येनजर सार्वजनिक सम्पति को होने वाले नुकसान पर अंकुश लगाने हेतु भारत की संसद द्वारा वर्ष 1984 में लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 पारित किया गया। इस अधिनियम के माध्यम से सार्वजनिक सम्पति के नुकसान पर प्रभावी अंकुश लगाने हेतु संसद द्वारा विभिन प्रावधान तय किए गए जिसके माध्यम से विरोध-प्रदर्शनों के दौरान होने वाली हिंसा, आगजनी एवं बलवा की घटनाओं पर रोक हेतु समुचित नियम एवं विधि तय की गयी है। PDPP Act 1984 के अंतर्गत कुल सात धाराएँ निर्मित की गयी है जिसके अंतर्गत आरोपियों के विरुद्ध सजा एवं जुर्माने की कार्यवाही तय की जाती है।
लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, आवश्यक क्यों?
प्रायः देश भर में होने वाले विरोध-प्रदर्शन, राजनीतिक रैली, हड़ताल, जुलूस एवं आंदोलनों के दौरान हमे हिंसा एवं आगजनी की घटनाएँ देखने को मिलती है। इस प्रकार के हिंसक प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा प्रायः सार्वजानिक सम्पति को नुकसान पहुँचाया जाता है। सरकारी बसों में आग लगाना, रेल एवं संचार साधनों क्षति पहुँचाना, सार्वजनिक सम्पति को आग के हवाले करना एवं अन्य आगजनी की घटनाएँ इस प्रकार के प्रदर्शनों के दौरान आमतौर पर दिखाई देती है। इस प्रकार की घटनाओं से देश के नागरिकों की बहुमूल्य सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुँचता है जो की नागरिकों के टैक्स द्वारा निर्मित की जाती है। साथ ही इस प्रकार के प्रदर्शनों के दौरान प्रायः निजी वाहनों, दुकानों एवं सम्पतियों को भी नुकसान पहुँचाया जाता है जिससे नागरिकों को विभिन प्रकार से नुकसान उठाना पड़ता है।
प्रदर्शन के दौरान होने वाली हिंसक घटनाओं, आगजनी, बलवा एवं सार्वजनिक सम्पति के नुकसान की घटनाओं पर रोक लगाने हेतु लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम आवश्यक है जिसके माध्यम से सार्वजनिक सम्पति की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाता है।
क्या है लोक सम्पति की परिभाषा
लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 (PDPP Act-1984) के अंतर्गत लोक सम्पति को नुकसान पहुँचाने पर आवश्यक वैधानिक कार्यवाही का प्रावधान किया गया है। इस अधिनियम के अंतर्गत लोक सम्पति या सार्वजनिक सम्पति के अंतर्गत निम्न सम्पतियों को शामिल किया गया है :-
- केंद्र सरकार
- राज्य सरकार
- स्थानीय प्राधिकरण
- केंद्रीय, राज्य या प्रांतीय अधिनियम द्वारा या उसके अधीन स्थापित निगम
- कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) के अंतर्गत परिभाषित कम्पनी (धारा 617)
- केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट संस्था, समुत्थान या उपक्रम
आपको बता दे की इस अधिनियम के अंतर्गत सभी प्रकार की सार्वजनिक सम्पतियों को शमिल किया गया है चाहे वह कोई अचल सम्पति हो (जैसे सरकारी बिल्डिंग) या चल सम्पति (जैसे सरकारी बस, रेल या कोई मशीनरी) . PDPP Act-1984 के अंतर्गत सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुँचाने की स्थिति में आरोपी से भरपाई का प्रावधान किया गया है। सरल शब्दो में कहा जाए तो लोक सम्पति जिसे की सार्वजिक सम्पति भी कहा जाता है वह सम्पति होती है जो सरकार के अधीन होती है। इसके अंतर्गत केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं स्थानीय निगमों की सार्वजनिक सम्पति को शामिल किया गया है।
विशेष सम्पतियाँ भी है शामिल
लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 के अंर्गत सार्वजनिक सम्पतियों के अंतर्गत सरकार द्वारा कुछ विशेष सम्पतियों को भी शामिल किया है जिन्हे नुकसान हानि पहुँचाने की स्थिति में सम्बंधित अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही का प्रावधान है :-
- तेल प्रतिष्ठान
- मल संकर्म या सीवरेज
- कोई प्रतिष्ठान, भवन या अन्य संपत्ति है, जिसे जल, शक्ति या ऊर्जा के उत्पादन, प्रकाश, ऊर्जा वितरण एवं प्रदाय हेतु उपयोग किया जाता हो।
- खान या कारखाना
- लोक परिवहन एवं दूर-संचार
लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, मुख्य प्रावधान
सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 के अंतर्गत सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुँचाने के दोष में आरोपित नागरिकों एवं संस्थानों के लिए समुचित सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत दोषी को सजा या जुर्माना या फिर दोनों प्रकार के दंड का प्रावधान किया गया है। इस अधिनियम के मुख्य प्रावधान निम्न प्रकार से है :-
- लोक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने पर- सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 के अंतर्गत सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुँचाने पर न्यूनतम 6 माह से लेकर 5 वर्ष तक की कठोर सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त न्याधिकारी के विवेक पर आरोपित पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। साथ ही आरोपित को सजा एवं जुर्माना दोनों प्रकार की सजा दी जा सकती है।
- अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा लोक संपत्ति को नुकसान– यदि किसी व्यक्ति द्वारा आग या विस्फोटक पदार्थ के द्वारा हानि पहुँचायी जाती है तो इस स्थिति में आरोपित को न्यूनतम एक वर्ष के कठोर कारावास के लेकर 10 वर्ष तक के कारावास की सजा दी जा सकती है। साथ ही आरोपित पर जुर्माने की कार्यवाही भी की जा सकती है। न्यायाधिकारी के विवेक के अनुसार आरोपित को कारावास एवं जुर्माना दोनों प्रकार की सजा दी जा सकती है।
नुकसान की जिम्मेदारी आरोपित पर
प्रिवेंशन ऑफ़ डैमेज पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट के अनुसार प्रूफ ऑफ बर्डन (Burden of Proof) की जिम्मेदारी आरोपी पर होगी। इसका अर्थ यह है की आरोपित को यह सिद्ध करना होगा की वह निर्दोष है अन्यथा कोर्ट द्वारा उसे आरोपित माना जायेगा। साथ ही सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुँचाने का आरोप सिद्ध होने पर सम्बंधित आरोपित से सम्पति की क्षतिपूर्ति की भरपाई भी की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस सम्बन्ध में समय-समय पर अपनी प्रतिक्रिया एवं सुझाव भी रखे गए है।
कितना कारगर है PDPP Act
भारतीय संसद द्वारा वर्ष 1984 में पारित किए गए लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम को 25 वर्ष से अधिक का समय हो गया है ऐसे में यह सवाल उठाना लाजिमी है की क्या यह प्रावधान वास्तव में कारगर है ? क्या लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम को जिस उद्देश्य के लिए निर्मित किया गया था वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल रहा है अथवा नहीं ? तो इसका जवाब है, नहीं ! दरअसल सरकार द्वारा जारी आँकड़े इस बात की पुष्टि करते है। PDPP Act के तहत दर्ज किए गए मामलों में अदालतों के रिकॉर्ड के अनुसार दोषसिद्धि की दर मात्र 29.8 फीसदी ही है ऐसे में यह एक्ट अपने अपेक्षित लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल प्रतीत नहीं होता है। इसके अतिरिक्त अदालतों में लंबित हजारों मामले भी इस बात की पुष्टि करते है की PDPP Act में वर्तमान समय में सुधार की आवश्यकता है।
नागरिकों की है अहम भूमिका
भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ विभिन मुद्दों के लिए अपनी आवाज उठाना एवं प्रदर्शन करना नागरिकों का मौलिक अधिकार है। भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को संवैधानिक दायरों में रहते हुए लोकतान्त्रिक तरीके से शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार दिया गया है ऐसे में सभी नागरिकों को जिम्मेदारी है की वे अपनी माँगो को लोकतान्त्रिक तरीके से सरकार के सम्मुख रखें एवं लोकतांत्रिक तरीके से अपना विरोध प्रदर्शित करे। साथ ही विरोध-प्रदर्शन के दौरान हिंसक एवं सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुँचाने वाली घटनाओ से दूर रहे। यह समझना सभी नागरिको की जिम्मेदारी है की सार्वजनिक सम्पति सभी नागरिकों के टैक्स के पैसों द्वारा निर्मित की जाती है ऐसे में इस सम्पति को नुकसान पहुँचाना स्वयं की सम्पति को नुकसान पहुँचाना है। वास्तव में जागरूक एवं शिक्षित नागरिकों के माध्यम से ही देश में सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुँचाने जैसी घटनाओ की पुनरावृति को रोका जा सकता है।
PDPP Act, वर्तमान चुनौतियां एवं सुधार की आवश्यकता
लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 द्वारा अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में अपेक्षित सफलता प्राप्त ना होने के कारण लम्बे समय से इस अधिनियम में संशोधन की मांग उठी रही है जिससे की इसे और भी प्रभावी एवं कारगर बनाया जा सके। PDPP Act में सबसे बड़ी चुनौती आरोपित/आरोपियों की पहचान करना होता है। प्रायः भीड़ के द्वारा सार्वजनिक सम्पति की क्षति की जाती है ऐसे में यह पता लगाना मुश्किल होता है की आरोपित कौन-कौन है। साथ ही नेताओ या अन्य विशिष्ट व्यक्ति द्वारा किसी जुलूस का नेतृत्व किए जाने एवं भीड़ द्वारा हिंसा किए जाने पर नेताओ या संगठनो की जिम्मेदारी तय करने में भी मुश्किलें आती है। ऐसे में समय की यह माँग है की इस अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन द्वारा इसके प्रावधानों को और भी प्रभावी एवं कारगर बनाया जाए जिससे की सार्वजनिक सम्पति की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।
प्रिवेंशन ऑफ़ डैमेज पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट से सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
“लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984” भारतीय संसद द्वारा वर्ष 1984 में पारित किया गया अधिनियम है जिसके अंतर्गत सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुँचाने पर समुचित कार्यवाही का प्रावधान किया गया है।
प्रिवेंशन ऑफ़ डैमेज पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट का उद्देश्य सार्वजनिक सम्पति को नुकसान से बचाने हेतु आवश्यक उपाय करना है जिसमे सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुँचाने वाले आरोपितो पर कड़ी कार्यवाही का प्रावधान किया गया है जिसमे कारावास एवं जुर्माना शामिल है।
प्रिवेंशन ऑफ़ डैमेज पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट सभी सरकारी सम्पतियों को सार्वजनिक सम्पति के दायरे में रखा गया है। इस अधिनियम के अंतर्गत केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय शासन एवं अन्य सार्वजनिक सम्पत्तियाँ शामिल की गयी है जिसमे चल एवं अचल दोनों प्रकार की सम्पति शामिल है।
लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 के तहत सार्वजनिक सम्पति के अंतर्गत निम्न विशेष सम्पतियाँ शामिल की गयी है:-
तेल प्रतिष्ठान
मल संकर्म या सीवरेज
कोई प्रतिष्ठान, भवन या अन्य संपत्ति है, जिसे जल, शक्ति या ऊर्जा के उत्पादन, प्रकाश, ऊर्जा वितरण एवं प्रदाय हेतु उपयोग किया जाता हो।
खान या कारखाना
लोक परिवहन एवं दूर-संचार
प्रिवेंशन ऑफ़ डैमेज पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट सम्बंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल चेक करें। यहाँ आपको Prevention of Damage to Public Property Act, 1984 संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गयी है।
सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुँचाने पर PDPP Act 1984 के तहत आरोपित को 5 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है। साथ ही आरोपित व्यक्ति के खिलाफ जुर्माने का प्रावधान भी किया जा सकता है।