प्रोप्राइटरशिप क्या हैं | Proprietor meaning in hindi

अपना बिजनेस शुरू करने की चाहत हर किसी में होती है। हालाँकि किसी भी बिजनेस को शुरू करने के लिए प्रायः विभिन प्रकार की कागजी कार्यवाही एवं अन्य प्रकार की औपचारिकताओं को पूरा करना आवश्यक होता है जिससे की अधिकतर लोग अपना बिजनेस शुरू नहीं कर पाते। इसके अतिरिक्त विभिन सरकारी नियम-कानून एवं अन्य प्रकार की भागदौड़ बिजनेस खोलने की प्रक्रिया को और भी जटिल बना देती है। ऐसे में हमारे सामने इस समस्या के समाधान के रूप में प्रोप्राइटरशिप का नाम आता है। यह प्रोप्राइटरशिप क्या हैं ? चलिए आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको प्रोप्राइटरशिप (proprietorship) के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले है। अगर आप भी अपना बिजनेस शुरू करने की सोच रहे है तो आपको प्रोप्राइटरशिप (proprietorship) के सभी पहलुओं के बारे में जानकारी प्राप्त होना आवश्यक है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताने वाले है की प्रोप्राइटरशिप क्या हैं (Proprietor meaning in hindi), इसके मुख्य प्रावधान क्या है एवं इसके लाभ एवं हानियाँ क्या-क्या है। Proprietorship meaning and registration in hindi सम्बंधित जानकारी प्राप्त करने के अतिरिक्त यहाँ आपको इस विषय से सम्बंधित अन्य बिन्दुओ के बारे में भी जानकारी प्रदान की जाएगी।

 प्रोप्राइटरशिप क्या हैं
Proprietor meaning in hindi

प्रोप्राइटरशिप क्या हैं ? (What is a sole proprietorship?)

प्रोप्राइटरशिप व्यापार का वह रूप है जिसके अंतर्गत व्यापार को एक ही व्यक्ति द्वारा स्वामित्व, प्रबंधित एवं संचालित किया जाता है। प्रोप्राइटरशिप एक प्रकार का अनिगमित व्यवसाय (Unincorporated Business) है जिसका स्वामित्व एवं प्रबंधन एक व्यक्ति द्वारा ही किया जाता है। यही कारण है की प्रोप्राइटरशिप को व्यैक्तिक उद्यम (Individual entrepreneurship), व्यक्तिगत व्यापारी (sole trader) या सिर्फ प्रोप्राइटरशिप (proprietorship) भी कहा जाता है। प्रोप्राइटरशिप करने वाले व्यक्ति को प्रोप्राइटर (proprietor) कहा जाता है। प्रोप्राइटरशिप व्यापार का सबसे अधिक सरल एवं आसान रूप है जिसमे व्यक्ति को अपना व्यापार शुरू करने के लिए किसी भी प्रकार की अधिक कागजी कार्यवाही की जरूरत नहीं होती है।

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बिजनेस करने में विभिन प्रकार की कागजी कार्यवाही से मुक्ति, विभिन प्रकार के आवेदन भरने के झंझट से मुक्ति एवं अन्य औपचारिकताओं एवं बाधाओं के अभाव में प्रोप्राइटरशिप बिजनेस शुरू करने का सबसे लोकप्रिय तरीका है जो की छोटे उद्यमियों, फ्रीलांसर, अपना व्यापार शुरू करने वाले एवं कम पूंजी वाले बिजनेस हेतु अत्यंत लाभदायक है। यही कारण है की देश में अधिकतर व्यापारी प्रोप्राइटरशिप के माध्यम से अपना व्यापार करना शुरू करते है।

ये है प्रोप्राइटरशिप के मुख्य बिंदु (Features of a Sole Proprietorship)

  • प्रोप्राइटरशिप एक प्रकार का अनिगमित व्यवसाय (Unincorporated Business) है जिसके अंतर्गत व्यापार का स्वामित्व एवं इसे संचालित करने का अधिकार एक ही व्यक्ति के पास होता है।
  • प्रोप्राइटरशिप के अंतर्गत अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए विभिन प्रकार की औपचारिकताओं से गुजरने की आवश्यकता नहीं है जिससे की व्यापार करने में आसानी होती है।
  • देश में छोटे व्यापारियों एवं असंगठित क्षेत्र के द्वारा अपना व्यापार शुरू करने के लिए प्रायः प्रोप्राइटरशिप के माध्यम से ही व्यापार किया जाता है।
  • प्रोप्राइटरशिप में व्यक्ति एवं कंपनी को एक ही आइडेंटिटी माना जाता है यही कारण है की इसके अंतर्गत व्यक्ति को अलग बिजनेस नाम लेने की आवश्यक नहीं होती।
  • प्रोप्राइटरशिप के अंतर्गत व्यक्ति को व्यापार लाभ पर सिर्फ व्यक्तिगत आयकर का भुगतान करना पड़ता है।

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प्रोप्राइटरशिप पंजीयन प्रक्रिया (Proprietorship Registration process)

भारत में असंगठित क्षेत्र से जुड़े अधिकांश व्यवसायी प्रोप्राइटरशिप के माध्यम से ही अपने व्यापार को पंजीकृत करना पसंद करते है चूँकि यह प्रक्रिया सरल एवं अधिकांश सरकारी औपचारिकताओं से मुक्त होती है। भारत सरकार द्वारा प्रोप्राइटरशिप पंजीयन के लिए किसी प्रकार की औपचारिक प्रक्रिया निर्धारित नहीं की गयी है। VAT/CST, सेवा कर, दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क के अंतर्गत व्यापारी अपने व्यवसाय को पंजीकृत कर सकते है। इसके लिए आमतौर पर 500 रूपए का शुल्क चुकाना पड़ता है एवं 2,500 रुपए व्यापारिक शुल्क हेतु निर्धारित है। प्रोप्राइटरशिप पंजीयन हेतु निम्न दस्तावेज आवश्यक है :-

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  • पैन कार्ड एवं इसकी फोटोकॉपी
  • पासपोर्ट साइज़ फोटोग्राफ्स
  • मालिक के नाम आवासीय प्रमाण पत्र – वोटर आईडी, पासपोर्ट या किसी तरह का बिल.
  • बैंक अकाउंट स्टेटमेंट (कम से कम छः माह का)
  • तात्कालिक अकाउंट डिटेल -VAT, CST 
  • दुकान एवं प्रतिष्ठान का पंजीकरण प्रमाण पत्र
  • व्यापार पते का प्रमाण- इलेक्ट्रिसिटी या टेलीफोन बिल

बैंक के माध्यम से प्रोप्राइटरशिप पंजीयन प्रक्रिया

प्रोप्राइटरशिप में पंजीयन के लिए व्यापारियों को बैंक अकाउंट के माध्यम से भी पंजीकरण की सुविधा प्रदान की गयी है। इसके लिए व्यापारियों को सिर्फ अपने व्यापार या कंपनी के नाम पर बैंक अकाउंट को खोलना होता है जिसके पश्चात वे अपना व्यवसाय शुरू कर सकते है। इस प्रकार के बैंक अकाउंट को खोलने के लिए व्यापारी को रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) के KYC संबन्धीय नियमो का पालन करना आवश्यक होता है। यहाँ आपको इस प्रकार के अकाउंट खोलने हेतु आवश्यक दस्तावेजों की सूची प्रदान की जा रही है। हालांकि यह याद रखना अनिवार्य है की इन दस्तावेजों को कम से कम बैंक खातों के माध्यम से जमा करना आवश्यक है :-

  • सेल्स और इनकम टैक्स रिटर्न
  • दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत कंपनी का पंजीकरण पत्र. (स्थानीय निकाय द्वारा)
  • भारत में स्थित किसी चार्टर अकाउंटेंट (CA) इंस्टिट्यूट से प्रैक्टिस प्रमाणपत्र
  • CST/VAT प्रमाण पत्र
  • राज्य अथवा केंद्रीय सरकार द्वारा कंपनी के नाम जारी लाइसेंस अथवा पंजीकरण पत्र 
  • बैंक अकाउंट खुलवाने में उपयोग किया जा सकने वाला कंपनी के नाम कोई बिल

प्रोप्राइटरशिप के लाभ (Proprietorship advantages)

  • प्रोप्राइटरशिप व्यापार का सबसे सरल रूप है एवं इसमें किसी भी प्रकार की अधिक सरकारी औपचारिकताओं के बिना अपना व्यापार शुरू किया जा सकता है।
  • इस प्रकार के व्यापार का सबसे बड़ा लाभ टैक्स रिटर्न में मिलने वाली छूट है जिसके माध्यम से व्यापारी अपने व्यक्तिगत आयकर से ही कंपनी के लाभ को समायोजित करके दाखिल कर सकता है।
  • प्रोप्राइटरशिप के अंतर्गत व्यापार पर पूर्ण रूप से व्यक्ति का नियंत्रण रहता है ऐसे में वह अपनी मर्जी एवं इच्छा के अनुसार व्यापार को संचालित कर सकता है।

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प्रोप्राइटरशिप की हानियाँ (Proprietorship disadvantages)

  • प्रोप्राइटरशिप की सबसे बड़ी हानि यह है की इसे किसी भी प्रकार से सरकार से संरक्षण प्राप्त नहीं होता। सरकार द्वारा संरक्षण प्राप्त ना होने के कारण घाटा होने की स्थिति में बिजनेस के स्वामित्व को सभी प्रकार की हानि को वहन करना पड़ता है एवं यदि कंपनी पर किसी प्रकार का कोई कर्ज होता है तो इसे वहन करने की जिम्मेदारी भी मालिक की होती है।
  • प्रोप्राइटरशिप के तहत स्टॉक एवं अन्य प्रकार के व्यापार पूंजी में निवेश को प्रतिबंधित किया गया है ऐसे में कंपनी के उत्थान हेतु निवेश की आवश्यकता होने पर मालिक को धन जुटाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
  • प्रोप्राइटरशिप के अंतर्गत व्यवसाय के मालिक की मृत्यु होने की स्थिति में व्यापार ‘लिक्वीडेट’ माना जाता है एवं इस बिजनेस का लाभार्थियों में बँटवारा होने पर उन्हें विरासत कर का वहन करना आवश्यक होता है।

प्रोप्राइटरशिप (proprietorship) से सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्च (FAQ)

प्रोप्राइटरशिप क्या हैं ? (What is a sole proprietorship?)

प्रोप्राइटरशिप एक प्रकार का अनिगमित व्यवसाय (Unincorporated Business) है जिसके अंतर्गत व्यापार का स्वामित्व एवं इसे संचालित करने का अधिकार एक ही व्यक्ति के पास होता है। इसे प्रायः व्यैक्तिक उद्यम (Individual entrepreneurship), व्यक्तिगत व्यापारी (sole trader) या सिर्फ प्रोप्राइटरशिप (proprietorship) भी कहा जाता है।

प्रोप्राइटरशिप किस प्रकार के व्यवसायियों हेतु उपयोगी है ?

प्रोप्राइटरशिप कम पूंजी से व्यवसाय शुरू करने वाले व्यापारियों हेतु उपयोगी है। पंजीकरण प्रक्रिया में आसानी होने के काऱण प्रोप्राइटरशिप व्यापार का सबसे सरल एवं आसान रूप है।

प्रोप्राइटरशिप पंजीयन प्रक्रिया (Proprietorship Registration process) क्या है ?

प्रोप्राइटरशिप पंजीयन प्रक्रिया सम्बंधित जानकारी हेतु ऊपर दिया गया आर्टिकल चेक करें। यहाँ आपको Proprietorship Registration process सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गयी है।

प्रोप्राइटरशिप के क्या लाभ है ?

प्रोप्राइटरशिप के माध्यम से व्यापार करने में आसानी, टैक्स रिटर्न में छूट एवं व्यवसाय को अपने ढंग से चलाने जैसी सुविधाएँ मिलती है।

प्रोप्राइटरशिप की क्या हानियाँ है ?

प्रोप्राइटरशिप में घाटा एवं हानि की स्थिति होने पर व्यवसायी को इसका वहन स्वयं करना होता है साथ ही कई प्रकार के टैक्स भी इसके अंतर्गत शामिल नहीं किए गए है।

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