भारतीय इतिहास में 17वीं सदी में महान मराठा साम्राज्य का उदय हुआ। मराठा साम्राज्य के प्रणेता छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता एवं साहस के कारण 17वीं सदी तक मराठा साम्राज्य की पताका सम्पूर्ण भारत में लहराने लगी थी। इसके पश्चात मराठा साम्राज्य के उत्तराधिकारियों के द्वारा मराठा साम्राज्य को सम्पूर्ण भारत की सबसे महान शक्तियों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया गया। मराठा साम्राज्य को भारतीय इतिहास में प्रमुख पहचान दिलाने में पेशवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
वास्तव में पेशवाओं द्वारा कुशल रणनीति एवं आदर्श कूटनीति के सहायता से ही मराठा साम्राज्य को एक छोटे से राज्य से लेकर सम्पूर्ण भारत में सबसे प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको पेशवा साम्राज्य, पेशवाओं का इतिहास (History of Peshwas) सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले है। साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आप मराठा साम्राज्य के निर्माण में पेशवाओं के योगदान सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों से भी परिचित हो सकेंगे।
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पेशवाओं का इतिहास
छत्रपति शिवाजी महाराज के द्वारा वर्ष 1674 में मराठा साम्राज्य की स्थापना की गयी थी। वास्तव में बीजापुर सल्तनत के छोटे से जागीर के मालिक से लेकर मराठा साम्राज्य जैसा विशाल साम्राज्य स्थापित करने का कार्य छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे वीर एवं अदम्य साहस के धनी योद्धा के लिए ही संभव था। छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा वर्ष 1674 में रायगढ़ में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी। छत्रपति शिवाजी महाराज के साम्राज्य के कुशल प्रशासन में पेशवा की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी।
पेशवा शब्द का फारसी भाषा में अर्थ अग्रणी होता है। मराठा साम्राज्य में पेशवा का पद प्रधानमन्त्री के समकक्ष माना जाता था जिसका मुख्य कार्य मराठा साम्राज्य के प्रशासनिक व्यवस्था की देखरेख करना एवं राज्य की अर्थव्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए आवश्यक प्रबंध करना था। वास्तव में पेशवा मराठा साम्राज्य की मंत्रिपरिषद का सबसे महत्वपूर्ण अमात्य (मंत्री) होता था जिसका प्रमुख कार्य राज्य के प्रशासनिक एवं आर्थिक गतिविधियों का नियमन करना था। मराठा साम्राज्य में पेशवा छत्रपति के बाद द्वितीय स्थान पर आते थे जो की छत्रपति की अनुपस्थिति में राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को संभालते थे।
पेशवाओं का शासनकाल (1714 से 1818)
यहाँ आपको मराठा साम्राज्य के सभी पेशवाओं की लिस्ट सम्बंधित जानकारी प्रदान की गयी है :-
क्र. सं. | नाम | शासन काल |
1. | बालाजी विश्वनाथ पेशवा | 1714-1720 |
2. | प्रथम बाजीराव पेशवा | 1720-1740 |
3. | बालाजी बाजीराव पेशवा ऊर्फ नानासाहेब पेशवा | 1740 -1761 |
4. | माधवराव बल्लाल पेशवा ऊर्फ थोरले माधवराव पेशवा | 1761-1772 |
5. | नारायणराव पेशवा | 1772-1774 |
6. | रघुनाथराव पेशवा | अल्प समय हेतु |
7. | सवाई माधवराव पेशवा | 1774-1796 |
8. | दूसरे बाजीराव पेशवा (बाजीराव द्वितीय) | 1796 -1818 |
9. | दूसरे नानासाहेब पेशवा | — |
पेशवाओं का इतिहास (History of Peshwas)
यहाँ आपको मराठा साम्राज्य के सभी पेशवा एवं उनके कार्यकाल सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गयी है :-
बालाजी विश्वनाथ पेशवा (1714-1720)
- छत्रपति साहूजी महाराज जो की छत्रपति शिवाजी महाराज के उत्तराधिकारी संभाजी के पुत्र थे, द्वारा सर्वप्रथम 1713 में पेशवा पद की शुरुआत की गयी।
- बालाजी विश्वनाथ पहले पेशवा थे जिन्हे 1713 में छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा पेशवा नियुक्त किया गया। इसके साथ ही पेशवा का पद भी वंशानुगत हो गया।
- बालाजी विश्वनाथ का कार्यकाल वर्ष 1714-1720 तक था। इन्हे पेशवा बालाजी विश्वनाथ के नाम से भी जाना जाता था।
- ब्राह्मण वर्ग से आने वाले पेशवा मराठा साम्राज्य के नवप्रवर्तक थे। छत्रपति द्वारा पेशवाओं की सहायता से भारत में मुग़ल साम्राज्य की जड़ो पर प्रहार किया गया।
- बालाजी विश्वनाथ की पत्नी का नाम राधावती एवं पुत्र बाजीराव प्रथम , भिऊबाई जोशी, चिमाजी अप्पा एवं अनुबाई घोरपड़े थे।
- मराठा साम्राज्य के द्वितीय संस्थापक के रूप में प्रसिद्ध बालाजी विश्वनाथ द्वारा मुग़ल आक्रमण के बाद मराठाओं की खोयी हुयी प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त किया गया था।
- वर्ष 1719 में बालाजी विश्वनाथ एवं मुग़लो की ओर से सैय्यद हुसैन अली के मध्य दिल्ली की संधि हुयी थी। इसी संधि के अनुसार मराठाओं को चौथ एवं सरदेशमुखी कर वसूलने का अधिकार प्राप्त हुआ था।
- वर्ष 1719 में सम्पन दिल्ली की संधि को अंग्रेज अधिकारी रिचर्ड टेम्पल द्वारा मराठों का मैग्नाकार्टा संज्ञा दी गई गयी थी।
प्रथम बाजीराव पेशवा (1720-1740)
- बाजीराव प्रथम मराठा पेशवाओ से सबसे अधिक योग्य एवं कुशल प्रशासक था।
- बाजीराव प्रथम ही दिल्ली पर आक्रमण करने वाला प्रथम पेशवा था। इनके आक्रमण के कारण मुग़ल बादशाह दिल्ली की गद्दी से हटने के लिए तैयार हो गया था।
- मस्तानी नामक महिला से सम्बन्ध के कारण बाजीराव प्रथम काफी चर्चित रहा था।
- हिन्दू पद पादशाही के प्रचार एवं इसे प्रसिद्धि दिलाने में बाजीराव प्रथम का प्रमुख योगदान था।
पेशवा बाजीराव प्रथम के समयकाल में ही मुन्गी शिवागाँव की संधि (1728 ई.) हुयी थी। मार्च 1728 में बाजीराव प्रथम एवं निजामउल मुल्क के मध्य पालखेड़ा का युद्ध लड़ा गया था जिसमे निजाम की हार हुयी थी। इसके पश्चात निजाम एवं पेशवा बाजीराव प्रथम के मध्य मुन्गी शिवागाँव की संधि के तहत निजाम द्वारा मराठो को चौथ एवं सरदेशमुखी देने पर सहमति हुयी थी।
बालाजी बाजीराव पेशवा (नानासाहेब) (1740 -1761)
- बालाजी बाजीराव पेशवा को नानासाहेब के नाम से भी जाना जाता है।
- चितपावन ब्राह्मण कुल के पेशवाओ में नानासाहेब तृतीय नंबर के पेशवा थे।
- शाहू जी द्वारा वर्ष 1740 में बालाजी बाजीराव पेशवा को पेशवा के पद पर नियुक्त किया गया था। ये वर्ष 1761 तक पेशवा के पद पर रहे।
- वर्ष 1741 में बंगाल अभियान के लिए इनके द्वारा राजा रघुजी भोसले को तैयार किया गया। इनके शासन काल में मराठा साम्राज्य अपने चरम पर था।
बालाजी बाजीराव पेशवा के शासन काल में जब मराठा साम्राज्य अपने चरम पर था एवं दिल्ली की गद्दी से सम्पूर्ण भारतवर्ष पर अपना शासन करने के लिए तैयार था इसी समय वर्ष 1761 में अफगान शासक अहमद शाह अब्दाली के द्वारा मराठा साम्राज्य पर आक्रमण किया गया। 14 जनवरी 1761 ई. को मराठों एवं अफगान शासक अहमद शाह अब्दाली के मध्य पानीपत का तृतीय युद्ध सम्पन हुआ जिसमे मराठों की बुरी तरह पराजय हुयी एवं इस आघात के कारण बालाजी बाजीराव पेशवा की मृत्यु जो गयी।
माधवराव बल्लाल पेशवा (थोरले माधवराव पेशवा)- 1761-1772
- बालाजी बाजीराव पेशवा के पुत्र माधवराव बल्लाल पेशवा द्वारा वर्ष 1761 में पेशवा पद को संभाला गया।
- बालाजी बाजीराव पेशवा को प्रायः थोरले माधवराव पेशवा के नाम से भी प्रसिद्धि प्राप्त है जिन्हे मराठा साम्राज्य का अंतिम महान पेशवा के रूप में भी जाना जाता है।
- ये मराठा साम्राज्य के अंतिम महान पेशवा के रूप में विख्यात है। हालांकि इतिहासकार इन्हे ही सर्वाधिक महान पेशवा की उपाधि देते है।
- मैसूर के शासक हैदर अली एवं हैदराबाद निजाम को चौथ देने के लिय मजबूर करने वाले माधवराव बल्लाल पेशवा की वर्ष 1772 में क्षयरोग (TB) से मृत्यु हो गयी।
माधव नारायणराव पेशवा (1772-1774)
- माधव नारायणराव, ने 1772 ई. में नारायनराव के अल्पवयस्क पुत्र के रूप में गद्दी संभाली।
- माधव नारायणराव की अल्पवयस्क आयु के कारण नाना फडनवीस के नेतृत्व में 12 लोगो की सभा द्वारा राज्य का साम्राज्य संचालित किया गया जिसे की बाराभाई सभा के नाम से जाना जाता था।
- नाना फडनवीस ही वास्तव में माधव नारायणराव के समय वास्तविक शासन का कार्य कर रहे थे यही कारण रहा की ग्रांट डफ के द्वारा इन्हे मराठाओं का मैकियावेली की संज्ञा दी गयी।
- वर्ष 1774 तक महादजी सिंधिया और नाना फडणवीस आपसी समन्वय से राज्य का शासन चलाते रहे। इसके पश्चात 1794 में महादजी सिंधिया के निधन के पश्चात सत्ता नाना फडणवीस के हाथो में आ गयी।
दूसरे बाजीराव पेशवा (बाजीराव द्वितीय) (1796 -1818)
- माधव नारायणराव पेशवा द्वारा 1796 में आत्मदाह करने के पश्चात राघोबा के पुत्र बाजीराव द्वितीय ने पेशवा की गद्दी संभाली।
- बाजीराव द्वितीय को मराठा साम्राज्य में सबसे अयोग्य पेशवा के रूप मे गिना जाता है।
- द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध के समय बाजीराव द्वितीय पेशवा के पद पर तैनात थे।
मराठा साम्राज्य का पतन
छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा 1674 में जिस मराठा साम्राज्य को नींव रखी गयी थी वह 18वीं सदी तक अपने चरमोत्कर्ष पर था। 18वीं सदी के मध्य तक मराठा साम्राज्य की पताका अटक से कटक तक फहरा रही थी एवं ऐसा प्रतीत होता था की जल्द ही मराठा साम्राज्य द्वारा दिल्ली पर गद्दी पर कब्ज़ा करके सम्पूर्ण भारत पर राज किया जायेगा। परन्तु वर्ष 1761 के पानीपत के तृतीय युद्ध के पश्चात हार ने मराठाओं का दिल्ली की गद्दी पर बैठने का सपना चूर-चूर कर दिया। इसके पश्चात मराठा साम्राज्य के पतन की रही सही कसर आंग्ल-मराठा युद्ध ने पूरी कर दी। अंग्रेजों एवं मराठो के मध्य हुए प्रमुख युद्धों का वर्णन इस प्रकार से है :-
- प्रथम-आंग्ल-मराठा युद्ध (1775–1782)
प्रथम-आंग्ल-मराठा युद्ध की समाप्ति 1782 ई. में सम्पन सालबाई की संधि के तहत हुयी।
- द्वितीय-आंग्ल-मराठा युद्ध (1803 – 1805)
द्वितीय-आंग्ल-मराठा युद्ध की समाप्ति दिसंबर 1803 ई अंग्रेजो एवं भोसले के मध्य सम्पन देवगाँव की संधि से हुयी।
- तृतीय-आंग्ल-मराठा युद्ध (1817 – 1819)
तृतीय-आंग्ल-मराठा युद्ध की समाप्ति पूना की संधि एवं भीमा कोरेगांव का युद्ध की समाप्ति के पश्चात हुयी। इसमें मराठो को मेल्कम के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना के द्वारा हराया गया। इसके पश्चात मराठों में पेशवा के पद को समाप्त कर दिया गया।
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पेशवाओं का इतिहास सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
मराठा साम्राज्य का जनक छत्रपति शिवाजी महाराज को माना जाता है जिन्होंने वर्ष 1674 में मराठा साम्राज्य की नींव डाली थी।
मराठा साम्राज्य में पेशवा का पद प्रधानमन्त्री के समकक्ष माना जाता था जिसका मुख्य कार्य मराठा साम्राज्य के प्रशासनिक व्यवस्था की देखरेख करना एवं राज्य की अर्थव्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए आवश्यक प्रबंध करना था। मराठा साम्राज्य में पेशवा का स्थान छत्रपति के बाद होता था।
पेशवाओं का इतिहास सम्बंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल पढ़े। यहाँ आपको पेशवाओं का इतिहास सम्बंधित विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी है।
अंग्रेजो एवं मराठों के मध्य हुए प्रमुख युद्धों के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए ऊपर दिए गए आर्टिकल की सहायता ले। यहाँ आपको इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी है।
मराठा साम्राज्य का सबसे प्रमुख पेशवा माधवराव बल्लाल पेशवा (थोरले माधवराव पेशवा) को माना जाता है।