भारत सदैव से ही महान वीरों की भूमि रहा है। देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए हमारे वीर जवानों ने सदैव ही उच्च-बलिदान देकर इस देश की गरिमा को बनाये रखा है। हमारे देश के द्वारा सदैव से वीरों को उच्चतम सम्मान दिया जाता है।
यही कारण रहा है की अपने देश के वीर शहीदो को याद करने के लिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण किया गया है। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण हमारे सैनिको के बलिदान को याद करने एवं देश के वीरों के शौर्य को सदैव नमन करने के लिए किया गया है।
आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की जानकारी (National War Memorial and Museum Details in Hindi) प्रदान करने वाले है
यहाँ भी देखें -->> क्विज खेलकर इनाम कमाएं
जिसके माध्यम से आप इस महान स्मारक के इतिहास, विशेषताओं एवं इसके महत्व से परिचित हो सकेंगे। साथ ही देश के वीर जवानो की स्मृति की शौर्यगाथा के बारे में भी आप इस आर्टिकल के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते है।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य
यहाँ आपको राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गयी है :-
स्मारक का नाम (Memorial Name) | राष्ट्रीय युद्ध स्मारक |
स्मारक निर्माण का उद्देश्य (Objective of Memorial Construction) | देश की रक्षा एवं अखंडता में शहीद हुए सैनिकों की स्मृति में |
स्मारक उद्घाटन की तारीख (Memorial Inauguration Date) | 25 फरवरी, 2019 |
स्मारक स्थान (Memorial Location) | इंडिया गेट सर्किल, नई दिल्ली, भारत |
कुल शहीदों के नाम (Total Martyrs Name) | 25,942 शहीदों |
स्मारक में अंकित सशस्त्र शहीद | वर्ष 1947, वर्ष 1962, वर्ष 1965, वर्ष 1972, वर्ष 1999 के युद्ध के शहीद |
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के बारे में
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले देश के वीर सैनिकों की स्मृति में किया गया है। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण नई दिल्ली में इंडिया गेट के पास किया गया है जिसके तहत देश के अमर वीरों के स्मृति में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक एवं राष्ट्रीय युद्ध संग्रहालय का निर्माण किया गया है।
इस स्मारक का निर्माण वर्ष 1947 में भारत पाकिस्तान युद्ध, वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध, वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध, वर्ष 1972 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की शहादत देने वाले सैनिकों, 1987 में श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षा सेना में शामिल शहीद सैनिकों तथा 1999 के कारगिल युद्ध में अपने प्राणों का बलिदान देने वाले सैनिको की स्मृति में किया गया है।
इस स्मारक के माध्यम से देश के वीर जवानों की शहादत को सदैव स्मरण करने एवं भावी पीढ़ी को देश के जवानों के उच्च बलिदान के बारे में अवगत कराने के लिए निर्मित किया गया है।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में अनंत लौ (अमर-ज्योति) भी जलाई गयी है जो की 24 घंटे जलती रहेगी। यह हमे चारों पहर अपने सैनिको के बलिदान की वीर गाथा का स्मरण कराती रहेंगी। भारत-पाकिस्तान के वर्ष 1972 के युद्ध के दौरान प्रज्वलित अमर-जवान ज्योति को भी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की अनंत लौ में शामिल कर दिया गया है।
Subscribe to our Newsletter
Sarkari Yojana, Sarkari update at one place
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का इतिहास
देश के शहीदो की स्मृति में श्रद्धांजलि स्वरुप एवं सैनिको के बलिदान एवं साहस को याद करने के लिए ब्रिटिशर्स ने वर्ष 1931 में इंडिया गेट का निर्माण किया था। इंडिया गेट को द्वितीय विश्व युद्ध और तृतीय एंग्लो-अफगान युद्ध के दौरान अपनी शहादत देने वाले 83,000 भारतीय सैनिको की याद में बनाया गया था।
हालांकि इंडिया गेट पर सिर्फ ब्रिटिश शासन के दौरान भाग लेने वाले सैनिको का नाम अंकित था यही कारण रहा की सरकार द्वारा देश की आजादी के बाद के सभी महत्वपूर्ण युद्धों में अपना बलिदान देने वाले सैनिकों की शहादत की स्मृति में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक एवं संग्रहालय का निर्माण किया गया है।
आजादी के बाद देश के शहीदो की स्मृति में एक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक निर्माण का विचार सर्वप्रथम वर्ष 1960 में आया था जिसके पश्चात इस क्षेत्र में समय-समय पर विभिन पहलें की जाती रही परन्तु इसका कुछ भी ठोस नतीजा नहीं निकला।
वर्ष 1972 में भारत-पाक युद्ध के दौरान भारत के सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए बांग्लादेश को आजादी दिलाई और इसी विजय के उपलक्ष में प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी जी द्वारा दिल्ली में इंडिया गेट के समीप अमर जवान ज्योति जलाई गयी। वर्तमान में इस ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की अनंत लौ में समाहित कर दिया गया है।
वर्ष 2015 में प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के निर्माण की अनुमति प्रदान की गयी जो की वर्ष 2019 में पूर्णरूप से बनकर तैयार हो गया। देश के शहीदो के बलिदान को निरंतर याद दिलाने वाले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को 25 फरवरी, 2019 को प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटित किया गया।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की विशेषताएं
- राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण देश के वीर सैनिकों के बलिदान के स्मरण के लिए किया गया है जिसमे वर्ष 1947, वर्ष 1962, वर्ष 1965, वर्ष 1972 एवं वर्ष 1999 के युद्ध के दौरान प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों के बलिदान के स्मरण के लिए किया किया है। इसके अतिरिक्त इस स्मारक में श्रीलंका शांति सेना ऑपरेशन, मानवीय सहायता आपदा राहत (एचएडीआर) संचालन, एलआईसीओ, आतंकवाद विरोधी अभियान एवं संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में बलिदान देने वाले शहीदो को भी याद किया गया है।
- इस स्मारक के बीचों-बीच स्मारक स्तंभ बनाया गया है जहाँ पर शहीदो के बलिदान को निरंतर याद दिलाने वाली अमर ज्योति को प्रज्वलित किया गया है। यह ज्योति 24 घंटे निरंतर प्रज्वलित होती रहेगी एवं देश के वीरों के बलिदान का स्मरण कराती रहेगी। आपको बता दे की वर्ष 2022 में भारत सरकार द्वारा इंडिया गेट पर 1972 में प्रज्वलित अमर-जवान ज्योति को भी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की अमर-ज्योति में समाहित कर दिया गया है।
- स्मारक के बीचों-बीच स्मारक स्तंभ की कुल लम्बाई 15.5 मीटर है जिसको को कुल चार चक्रों के मध्य निर्मित किया गया है। ये सभी चक्र सैनिकों के विभिन मूल्यों की अवस्था को प्रकट करते है।
- राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के चारों ओर सैनिकों के शहादत के विभिन मूल्यों को प्रदर्शित करने के लिए चक्रव्यूह आकार में चार चक्रों की रचना की गयी है।
- इस सभी चक्रों का वर्णन निम्न प्रकार से है :-
- अमर चक्र (Amar Chakra)- स्मारक के सबसे प्रथम चक्र के रूप में अमर चक्र की स्थापना की गयी है। इस चक्र में निरंतर प्रज्वलित होने वाली अमर ज्योति जलाई गयी है जो की युद्ध भूमि में शहीदो की अमरता का प्रतीक है। देश के वीर सैनिकों की शहादत को निरंतर स्मरण करने के लिए यह चक्र निर्मित किया गया है।
- वीरता-चक्र (Veerta Chakra)- द्वितीय चक्र के रूप में निर्मित वीरता-चक्र विभिन युद्धों के दौरान देश के शहीदो द्वारा दिखाई गयी असाधारण वीरता को प्रदर्शित करता है। यहाँ विभिन युद्धों में भारतीय सैनिकों द्वारा प्रदर्शित वीरता का चित्रण करते हुए 6 मुराल बनाये गए है जो की भारतीय सेना के 6 प्रमुख युद्धों की जीवंत गाथा है।
- त्याग चक्र (Tyag Chakra)- स्मारक के तीसरे चक्र के रूप में त्याग चक्र देश के सैनिकों के त्याग को प्रदर्शित करता है। यह चक्र ग्रेनाइट की ईंटो ने निर्मित 16 दीवारों से निर्मित चक्र है जो की चक्रव्यूह की भांति निर्मित किया गया है। इस चक्र की विशेषता यह की यहाँ प्रत्येक ग्रेनाइट की ईंट एक-एक शहीद का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया गया है। यहाँ अभी तक देश के सभी वीर सैनिकों के नाम अंकित किए गए है जो की सँख्या में 25,942 है।
- रक्षा चक्र (Raksha Chakra)- राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के अंतिम चक्र के रूप में रक्षा चक्र का निर्माण किया गया है जो की गोल-घेरे में रोपित 600 वृक्षों की पंक्ति है। यहाँ रोपित पेड़ देश की सरहद पर देश के रक्षा के लिए खड़े सैनिकों का प्रतिनिधित्व करते है जो की अपनी जान की परवाह किये बगैर दिन-रात सीमा पर देश की रक्षा मे तैनात हमारे जवानों को प्रदर्शित करता है।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की कुछ अन्य खास बातें
- राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में देश के वीर सैनिकों का नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित किया गया है। इसके अतिरिक्त यहाँ सैनिकों के मुराल चित्र एवं परमवीर चक्र विजेताओं की मूर्ति भी स्थापित की गयी है।
- राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में राष्ट्रीय युद्ध संग्रहालय का निर्माण भी किया जा रहा है जहाँ भारतीय सेना द्वारा लड़े गए विभिन युद्धों के संबंध में विभिन प्रदर्शनियाँ संगृहीत की जाएगी।
- देश के सभी नागरिको को देश के वीर जवानों के साहस एवं बलिदान से परिचित करवाने के लिए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में प्रवेश को निशुल्क रखा गया है जिससे की देश के अधिक से अधिक नागरिक देश के वीर जवानों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें।
- युद्ध स्मारक को बेहतर दर्शनीय स्थल के रूप में प्रदर्शित करने के लिए यहाँ एलईडी लाइट की व्यवस्था भी की गयी है जिससे की रात में युद्ध स्मारक अपने भव्य रूप में प्रदर्शित होता है।
- यहाँ वीर सैनिको के साहस को सलामी देने के लिए प्रत्येक शाम को रिट्रीट सेरेमनी के माध्यम से वीर सैनिकों को बैंड के साथ सलामी दी जाती है। इसके अतिरिक्त रविवार के दिन विशेष चेंज ऑफ़ गार्ड सेरेमनी के माध्यम से शहीदो को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
- वीर सैनिकों की शहादत को प्रदर्शित करता हुआ राष्ट्रीय युद्ध स्मारक सप्ताह के सातों दिन खुला रहता है। गर्मियों में मार्च से अक्टूबर तक आप सुबह 9 बजे से शाम 7:30 एवं सर्दियों में नवम्बर से मार्च तक सुबह 9 बजे से शाम 6:30 तक आप राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का दीदार करके देश के वीर जवानों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर सकते है।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण क्यों किया गया है ?
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण वर्ष 1947 में भारत पाकिस्तान युद्ध, वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध, वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध, वर्ष 1972 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की शहादत देने वाले सैनिकों, 1987 में श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षा सेना में शामिल सैनिकों तथा 1999 के कारगिल युद्ध में अपने प्राणों का बलिदान देने वाले सैनिको की स्मृति में किया गया है.
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन कब किया गया है ?
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन 25 फरवरी, 2019 प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया है।
क्या अमर-जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में विलय कर दिया गया है ?
हाँ। वर्ष 2022 में सरकार द्वारा अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की अमर ज्योति में विलय कर दिया गया है।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के कुल कितने चक्र है ?
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को कुल 4 चक्रों से निर्मित किया गया है जिनका वर्णन इस प्रकार है :- अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र एवं रक्षा चक्र। ऊपर दिए गए आर्टिकल की सहायता से आप विभिन चक्रों के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते है।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में शामिल अमर जवान ज्योति का शुभारंभ कब किया गया था ?
अमर जवान ज्योति का शुभारंभ वर्ष 1972 में प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी द्वारा भारतीय सैनिकों के द्वारा पाक विजय एवं बांग्लादेश को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के उपलक्ष में किया गया था। वर्तमान में इसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में विलय कर दिया गया है।