मक्का और मदीना मुस्लिम समुदाय के सबसे पाक और पवित्र तीर्थस्थलों में पहले स्थान पर आते है। इन पवित्र स्थानों की यात्रा को ही हज यात्रा के नाम से जाना जाता है जो की पाक कुरान शरीफ के अनुसार मुस्लिमो के 5 अनिवार्य कर्मो शहादा, सलत, जकात और स्वान और हज में शामिल है। कुरान शरीफ के अनुसार हर मुसलमान को जो आर्थिक और शारीरिक रूप से सक्षम है जीवन में एक बार हज यात्रा करना अनिवार्य होता है ऐसे में हर मुस्लिम की यह दिली इच्छा होती है की वह एक बार अपने परवरदिगार के दीदार को हजयात्रा आवश्यक करे। मक्का को इस्लाम के संस्थापक पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्मस्थान माना जाता है ऐसे में इस पाक स्थल का दीदार सभी मुस्लिमो के लिए स्वर्ग के दीदार के समान माना जाता है। मक्का और मदीना दोनों ही पवित्र स्थल सऊदी अरब में स्थित है। इस आर्टिकल के माध्यम से आपको हज मक्का मदीना यात्रा की जानकारी (Hajj Makka Madina Yatra Information In Hindi) प्रदान की गयी है ताकि आप आसानी से हज यात्रा के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें।
दुनिया के सात अजूबे 2022 | 7 Wonders of the World in Hindi
हज मक्का मदीना यात्रा की पूरी जानकारी
- मक्का (Mecca) :- मक्का को इस्लाम धर्म का स्रोत या झरना भी कहा जाता है क्यूंकि इसी पाक स्थान से इस्लाम की शुरुआत मानी जाती है। इस्लाम मत के संस्थापक पैगम्बर मोहम्मद के जन्मस्थान से लेकर कुरान शरीफ के प्रथम उपदेश का साक्षी रहा यह स्थान प्राचीनकाल से मुस्लिमो के लिए स्वर्ग का द्वार रहा है। यह माना जाता है की दुनिया में अल्लाह की इबादत के लिए सबसे पहली इबादतगाह यहीं पर बनायीं गयी थी। सऊदी अरब के मक्का प्रोविंस में स्थित महान मस्जिद जिसे की मस्जिद अल-हरम या मस्जिद अल-हराम में स्थित काबा को अल्लाह का घर माना जाता है। हज यात्रा के दौरान सभी मुसलमान पवित्र काबा के चारो और परिक्रमा करते है।
- मक्का का इतिहास (Mecca History):- इस्लाम के प्रवर्तक पैगम्बर मोहम्मद का जन्म 570 ई. में पवित्र मक्का में ही हुआ था। पैगंबर इस्माइल और अल्लाह के पुत्र पैगंबर इब्राहीम ने अपने जीवन के अधिकांश वर्ष इसी पवित्र स्थान पर व्यतीत किये थे। हजरत मोहम्मद साहब ने अपने जीवन के प्रारंभिक वर्ष यही बिताये थे जिसके पश्चात मक्कावासियों से मतभेद हो जाने के कारण पैगम्बर मोहम्मद मदीना चले गए थे। आयताकार काबा 40 फुट लंबा तथा 33 फुट चौड़ा है जो की मक्का में सबसे पाक स्थल है। पवित्र मक्का में स्थित काबा जिसे की मस्जिद अल हरम भी कहा जाता है में स्थित काबा को अल्लाह का घर माना जाता है। इस मस्जिद को सबसे पहले काले पत्थरों से अदम के द्वारा निर्मित किया गया था जिसके पश्चात इसका निर्माण अब्राहम और उसके पुत्र इशमेल के द्वारा किया गया था। आधुनिक मक्का का निर्माण इब्न सौद द्वारा 1925 में किया गया था।
- मदीना (Madina):- मदीना इस्लाम धर्म के अनुयायियों के लिए दूसरा सबसे पवित्र स्थल है। पैगम्बर का शहर नाम से विख्यात मदीना पश्चिमी सऊदी अरब में स्थित है जो की मुख्य शहर से लगभग 100 मील की दूरी पर स्थित है। हज यात्रा के दौरान अधिकतर यात्री इस पाक जगह का दीदार करने के लिए भी आते है। यही से हिजरी संवत की शुरुआत भी हुयी थी।
- मदीना का इतिहास (Madina History):- हालांकि इस पवित्र शहर का इतिहास स्पष्ट नहीं है परन्तु प्रारम्भ में इस स्थान पर ईसाई, मुस्लिम और यहूदियों के पवित्र स्थल जेरुशलम जिसे की वर्तमान में इसराइल भी कहा जाता है से निष्कासित यहूदी बसे हुए थे परन्तु बाद में उनका यहाँ से पलायन हो गया। मक्कावासियों के साथ हजरत मोहम्मद के झगड़े के पश्चात मोहम्मद साहब अपने साथी सहाबी अबू बक्र के साथ मक्का से मदीना चले गए जिसे इतिहास में हिज्राह या हिजरत कहा जाता है। चूँकि हजरत मोहम्मद द्वारा 622 ई. को मक्का से मदीना यात्रा (हिजरत) पूरी हुयी थी इसी उपलक्ष में इस्लाम में पवित्र कैलेंडर हिजरी कैलेंडर या जिसे प्राय हिजरा भी कहा जाता है की शुरुआत हुयी।
- मदीना में हजरत मोहम्मद द्वारा अपने 30000 अनुयायियों को अराफात के मैदान में हिजरी सम्वत 632 में उपदेश देते हुए इस जहान में अपने मिशन को पूरा होने सम्बंधित जानकारी दी गयी थी। मदीना की पवित्र धरती पर ही पैगम्बर साहब का निधन हो गया था। जहां मोहम्मद साहब की कब्र का यह स्थल सभी मुस्लिमों के लिए पाक स्थल है जहाँ सभी मुस्लिम हज यात्रा के दौरान जाते है। इस्लाम साम्राज्य की यह प्रशासनिक राजधानी सभी हज यात्रियों के लिए अल्लाह की इबादतगाह सरीखी है।
मक्का मदीना हज यात्रा 2022
इस वर्ष 2022 को हज यात्रा 7 जुलाई 2022 से शुरू होगी जो की नियमानुसार कुल 5 दिनों तक चलेगी। मक्का मदीना हज यात्रा 2022 (Makka Madina Hajj Yatra 2022) 12 जुलाई 2022 को धुअल–हिज्जाह के दिन पूरी होगी। इस प्रकार मक्का मदीना हज यात्रा 2022, 7 जुलाई 2022 से शुरू होकर 12 जुलाई 2022 तक चलेगी।
हज यात्रा का कार्यक्रम
हज यात्रा का कुल कार्यक्रम 5 दिनों का होता है जो की इस्लामिक कैलेंडर हिजरा के आधार पर तय किया जाता है। हज यात्रा की शुरुआत धू-अल-हिजाह जो की मुस्लिम कैलेंडर का आखिर महीना है से शुरू होती है और कुल 5 दिनों तक चलती है। नौवां धुल हिज्जाह या अरफ़ाह का दिन को ही पाक इस्लाम में हज का दिन माना जाता है। मुस्लिम कैलेंडर की शुरुआत में अल-हिजरा को नववर्ष माना जाता है जो की चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होता है।
चूँकि पूरी दुनिया में इस समय ग्रेगोरियन साल प्रचलित है जो की मुस्लिम कैलेंडर से 11 दिन अधिक होता है ऐसे में हज की यात्रा ग्रेगोरियन साल के हिसाब से हर वर्ष अलग-अलग तारीख पर पड़ती है। हज यात्रा ग्रेगोरियन साल के हिसाब से हर वर्ष 11 दिन पहले पड़ती रहती है जबकि हर 33 वर्ष में हज यात्रा एक ही साल में 2 बार पड़ती है।
हज यात्रा की पूरी विधि
प्रत्येक वर्ष करोड़ो मुस्लिम पाक हज-यात्रा को पूरा करने के लिए मक्का और मदीना जाते है। हज यात्रा के दौरान सभी तीर्थयात्रियों को हजरत मोहम्मद के उसूलो का पालन करते हुए आध्यात्मिक पवित्रता और भाईचारे को बनाकर मानवता के प्रकाश को पूरी दुनिया में पहुंचाने का सन्देश दिया जाता है। हज यात्रा के दौरान सभी पुरुषो को सफ़ेद रंग के वस्त्र पहनने चाहिए क्यूंकि अल्लाह को नजरो में सभी इंसानो को बराबर माना गया है। हज यात्रा के मुख्य नियम इस प्रकार से है :-
- इहराम– हज के दौरान पवित्र मक्का में तीर्थयात्रियों के प्रवेश को इहराम के नाम जाना जाता है जहाँ सभी यात्रियों को एक समान वस्त्र धारण करने होते है। पुरुषो को साधारणतय सफ़ेद वस्त्र धारण करने होते है जबकि महिलाये भी निर्धारित रंग के साधारण वस्त्र धारण करती है।
- तवाफ़ – मक्का में स्थित पवित्र मस्जिद, मस्जिद अल हरम या मस्जिद अल-हराम में स्थित काबा के चारो और 7 चक्कर लगाने की प्रक्रिया को ही तवाफ़ के नाम से जाना जाता है। यह किसी भी मुस्लिम के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पल होता है क्यूंकि इस दौरान ही वह पवित्र काबा में अपने अल्लाह का दीदार करता है। सभी चक्कारो की शुरुआत में मुस्लिम हजार-अल-अस्वाद के पवित्र पत्थर को छूकर अपनी यात्रा को शुरू करते है और तवाफ़ पूरी होने के बाद यात्री मस्जिद के पास स्थित जम-जम कुएँ से पानी पीते है।
- साय– तवाफ़ के बाद मारवाह और सफा की पहाड़ियों के बीच 7 चक्कारो को पूरा करने की प्रक्रिया ही साय कहलाती है। पहले पूरी तरह से खुले इस क्षेत्र को वर्तमान में सुरंगो के माध्यम से घेरा गया है जिसके माध्यम से हजयात्री साय की प्रक्रिया को पूरा कर सकते है वही दिव्यांग हज यात्रियों के लिए अलग से पथ की व्यवस्था की गयी है। साय की प्रक्रिया पूरी करने के बाद पुरुष हजयात्री अपने सर के बाल मुंडवा लेते है और महिला हज तीर्थयात्री अपने बालों को क्लिप के माध्यम से व्यवस्थित कर लेती है।
हज यात्रा के लिए जरुरी दस्तावेज
मक्का-मदीना हज यात्रा 2022 के लिए सभी यात्रियों के पास निम्न दस्तावेज होने आवश्यक है।
- पासपोर्ट
- वीसा
- पहचान पत्र
- मोबाइल नंबर
- बैंक पासबुक
साथ ही सभी हजयात्रियों को भारत सरकार के अधिकृत हज कमेटी द्वारा अनुमोदन का प्रमाणपत्र प्राप्त करना भी आवश्यक है तभी वे हजयात्रा के लिए एलिजिबल है।
भारत से हज यात्रा का पूरा रुट
हमारे देश के आमतौर पर हज यात्रा हवाई मार्ग द्वारा तय की जाती है। हर वर्ष सऊदी अरब द्वारा प्रत्येक देश के लिए हजयात्रियों का कोटा निर्धारित किया जाता है जो को देश की जनसँख्या के हिसाब से तय जाता है। इसके पश्चात अल्पंसख्यक मंत्रालय, भारत सरकार अधिकृत हज कमेटी ऑफ इंडिया के माध्यम से पूरे देश से हजयात्रियों का चयन किया जाता है जिसके लिए इच्छुक हजयात्रियों को ऑनलाइन माध्यम से hajcommittee.gov.in पर रजिस्ट्रेशन करना होता है।
भारत से हज यात्रा के लिए नागरिको को सबसे पहले सऊदी अरब के जेद्दाह एयरपोर्ट तक जाना होगा जो की हज यात्रा का प्रवेश द्वार भी माना जाता है। भारत के सभी प्रमुख शहरो से सऊदी अरब के लिए अलग-अलग एयरलाइन्स की सुविधा उपलब्ध है। यात्री अपनी सुविधानुसार एयरलाइन्स का चुनाव कर सकते है। राजधानी दिल्ली से सऊदी अरब की हवाई दूरी लगभग 3836.68 किलोमीटर है।
हज यात्रा के 5 दिनों की पूरी जानकारी
हज यात्रा इस्लाम के 5 प्रमुख स्तंभो में से एक है जो की हर मुसताती यानी सक्षम मुस्लिम के लिए आवश्यक है। हज यात्रा धुल हिज्जाह जो की इस्लाम कैलेंडर में आखिरी महीना माना जाता है के 8 वी तारीख से शुरू होकर 12वीं तारीख तक चलती है। हज यात्रा के सभी दिनों का विवरण इस प्रकार है :-
- हज का पहला दिन– हज के पहले दिन तीर्थयात्री मीना क्षेत्र में पहुंचते है जहां उन्हें पहले दिन पूरे दिन इबादत करनी पड़ती है। इस जगह पर यात्रियों के ठहरने की पूरी व्यवस्था होती है जहाँ पहले दिन इबादत करने के पश्चात हज यात्री दूसरे दिन अराफात के लिए निकल जाते है।
- हज का दूसरा दिन– हज यात्रा में दूसरा दिन यानी की धुअल–हिज्जाह का 9वां दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है इस दिन को हज का दिन भी कहा जाता है। इस दिन यात्री पाक मक्का के 20 किलोमीटर दूर अरफाह पर्वत पर पहुंचकर पूरा दिन बिताते है जहाँ वे दिन भर इबादत करते है और अल्लाह से अपने गुनाहो के लिए माफ़ी मांगते है। इसके पश्चात अरफाह और मीना के बीच स्थित मुज्दालिफा के लिए निकल जाते है जहाँ वे रात भर मग़रिब एवं ईशा की इबादत में अपनी पूरी रात गुजार देते है। साथ ही शैतान पर पथराव के लिए इस दिन पत्थरों को भी इकठा किया जाता है।
- हज का तीसरा दिन– हज के तीसरे दिन रामी अल–जमारत की प्रक्रिया की जाती है जहाँ जमरात अल-अक़बह के तीन खम्बों में से एक खम्बे पर हजयात्री पत्थर मारते है। इस प्रक्रिया को शैतान को पत्थर मारना कहा जाता है जहाँ इस खम्बे को शैतान का प्रतीक माना जाता है। रामी अल–जमारत की प्रक्रिया के बाद पशु बलि की प्रक्रिया होती है जहाँ पशु बलि दी जाती है। वर्तमान में बलिदान वाउचर के माध्यम से भी हजयात्री पशुबलि दे सकते है। इस दिन पूरी दुनिया में मुस्लिमो द्वारा बकरीद के त्यौहार को मनाया जाता है। इसके बाद बाल मुंडवाने और तवाफ अल–इफादाह यानी की अल्लाह के प्रति अपने प्रेम को दिखाने की प्रक्रिया को पूरा किया जाता है।
- हज का चौथा दिन:- हज के चौथे दिन भी हजयात्रियों द्वारा शैतान का प्रतीक माने जाने वाले 3 खम्बों पर प्रतीकस्वरूप पत्थर मारे जाते है और यह दिन हज के अन्य दिनों को तुलना में आरामदेह माना जाता है।
- हज का पाँचवा दिन– हज यात्रा के पांचवे दिन भी रामी अल-जमारत नाम के तीन खम्बो को जिन्हे की शैतान का प्रतीक माना जाता है पर पत्त्थर बरसाए जाते है जिसके बाद सभी हजयात्री सूर्यास्त होने से पूर्व इबादत के लिए पवित्र मक्का की ओर प्रस्थान करते है।
इस प्रकार से सभी हजयात्री पाक मक्का-मदीना की यात्रा को पूरा करते है और पूरी दुनिया की अमन चैन की इबादत करते हुए अल्लाह से खुशहाली और भाईचारे की दुआ मांगते है।
हज मक्का मदीना यात्रा सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
हज मक्का मदीना यात्रा इस्लाम समुदाय के नागरिको के लिए सबसे पवित्र और पाक यात्रा है जिसके माध्यम से वे अपने परवरदिगार का दीदार करते है। यह यात्रा मस्जिद अल हरम में स्थित काबा मस्जिद के दीदार और मक्का-मदीना में पैगम्बर मोहम्मद के जन्मस्थल और अल्लाह के इबादतखाने जैसी पाक जगहों के दीदार से पूर्ण होती है।
हज मक्का मदीना यात्रा 5 दिनों की होती है जो की मुस्लिम कैलेंडर के अंतिम माह धुअल–हिज्जाह के 8वीं तारीख से शुरू होकर धुअल–हिज्जाह 12वीं तारीख तक चलती है।
मक्का और मदीना सऊदी अरब में स्थित है।
पैगम्बर मोहम्मद का जन्म पवित्र मक्का शहर में हुआ था जिसके पश्चात हजरत मोहम्मद हिजरी सम्वत 622 में मदीना चले गए थे और जीवनपर्यन्त मदीना में ही निवास किया।
मक्का में स्थित पाक मस्जिद का नाम मस्जिद अल-हरम है जिसे की अल्लाह का इबादतगाह माना जाता है। इसमें स्थित काबा का दीदार अल्लाह का दीदार माना जाता है साथ ही यहाँ पाक जम-जम कुआँ भी है।
हज मक्का मदीना यात्रा करने के लिए ऊपर दिया गया लेख पढ़े। इसमें आपको हज यात्रा करने सम्बंधित पूरी जानकारी दी गयी है। सबसे पहले हज कमेटी ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट hajcommittee.gov.in पर जाकर इच्छुक नागरिको को हजयात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा जिसमें चयन के पश्चात वे अन्य फॉर्मलिटीज पूरी करके हजयात्रा कर सकते है।