भारत के स्वतंत्रता संग्राम को पूरी दुनिया में स्वतंत्रता संग्राम के लिए हुए आंदोलनों में सर्वप्रथम स्थान पर रखा जाता है। हमारे इस स्वतन्त्रता संग्राम में देश के अनेक महापुरुषों और स्त्री-पुरुषों ने अपना योगदान दिया है।
भारत जैसे विविधता से भरे देश में पूरी जनता को अगर स्वतंत्रता संग्राम के लिए एकीकृत रूप से संगठित करने का श्रेय किसी महापुरुष को जाता है तो वह महात्मा गांधी जी है।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी द्वारा जीवन भर अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया गया था और देश को परतंत्रता की बेड़ियों मुक्ति दिलाई गयी थी।
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आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपको महात्मा गांधी की जीवनी, जीवन परिचय, निबंध (जन्म, मृत्यु, हत्या) (Mahatma Gandhi story biography history in Hindi) सम्बंधित जानकारी प्रदान की गयी है ताकि आप गांधीजी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सके।
आप सभी जानते होंगे की आजादी के बाद हमारे देश के संविधान का निर्माण किया गया था। जिसका निर्माण डॉ भीमराव अंबेडकर जी के द्वारा किया गया था। जिसको बनने में 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था।
साथ ही लेख के महात्मा गाँधी द्वारा चलाये गए सभी आंदोलनों, गांधीजी के प्रमुख कार्यो एवं गांधीजी के जीवन-आदर्शो सम्बंधित जानकारी भी लेख के माध्यम से प्रदान की गयी है।
महात्मा गांधी की जीवनी, एक नजर
इस टेबल के माध्यम से आपको महात्मा गाँधी के जीवन सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियों को संक्षिप्त रूप में प्रदान किया गया है।
नाम | मोहनदास करमचंद गाँधी |
जन्मतिथि | 2 अक्टूबर, 1869 |
माता का नाम | पुतलीबाई |
पिता का नाम | करमचंद गांधी |
जन्मस्थान | पोरबंदर, गुजरात |
प्रारंभिक शिक्षा का स्थान | गुजरात |
व्यावसायिक शिक्षा | बैरिस्टर |
पत्नी का नाम | कस्तूरबा गांधी (कस्तूरबाई माखंजी कपाड़िया) |
संतान (बेटा/बेटी का नाम) | 4 पुत्र -: हरिलाल, रामदास, मणिलाल, देवदास |
मृत्यु दिवस | 30 जनवरी 1948 |
समाधि | राजघाट, नयी दिल्ली |
धर्म | हिंदू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उपाधि | राष्ट्रपिता |
महात्मा गांधी की जीवनी | Mahatma Gandhi Biogrphy in Hindi
हमारे देश की आजादी में पूरे देश को एकीकृत करने वाले महात्मा गाँधी को पूरी दुनिया में आदर और सम्मान की निगाहो से देखा जाता है। महात्मा गाँधी का जीवन एक साधारण मनुष्य से शुरू होकर अपने त्याग और परिश्रम के बल पर महात्मा बनने का सफर है।
भारत की आजादी की लड़ाई के दौरान गांधीजी द्वारा सत्य और अहिंसा के बल पर अंग्रेजो से लोहा लिया गया था और कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने कभी अहिंसा का साथ नहीं छोड़ा। अपनी आत्मकथा सत्य के मेरे प्रयोग (my experiments with truth) में भी महात्मा गाँधी द्वारा अपनी जीवन यात्रा का वर्णन किया गया है।
अपने जीवन की मुश्किलों और कठिनाईयों के बावजूद भी अपने जीवनमूल्यों के दम पर गांधीजी ने मुश्किलों का सामना किया और देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इस आर्टिकल के माध्यम से आपको महात्मा गांधी जी का जीवन परिचय हिंदी में (mahatma gandhi ka jivan parichay in hindi) के माध्यम से गांधीजी की जीवनचरित्र के बारे में जानकारी दी गयी है।
महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा
मोहनदास करमचंद गाँधी (महात्मा गांधी) का 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक कस्बे में हुआ था। इनके पिता करमचंद गाँधी ब्रिटिश रियासत में पोरबंदर के दीवान थे जबकि इनकी माताजी पुतलीबाई धार्मिक स्वभाव की गृहस्थ महिला थी।
घर में धार्मिक और आध्यात्मिक माहौल होने के कारण गांधीजी का बचपन से ही अध्यात्म के प्रति लगाव था साथ ही माता की धार्मिक प्रवृति का भी गांधीजी के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। गाँधीजी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में हुयी थी।
इसके पश्चात उनका परिवार राजकोट में आकर बस गया था। बॉम्बे यूनिवर्सिटी से मेट्रिक परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने ‘सामलदास कॉलेज’ में दाखिला लिया परन्तु वहां गाँधीजी को खास रूचि नहीं आयी। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए वे इंग्लैंड चले गए। इसके बाद इंग्लैंड से उन्होंने बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की।
गांधीजी का विवाह 13 वर्ष की अल्पायु में ही कस्तूरबा गांधी से हो गया था जिसके पश्चात 15 वर्ष ही आयु में ही गांधीजी के पहले पुत्र का जन्म हुआ परन्तु यह बालक अल्पायु था और जन्म के कुछ समय पश्चात ही इसकी मृत्यु हो गयी।
गांधीजी के 4 पुत्र थे जिनका नाम हरिलाल, रामदास, मणिलाल, देवदास था। कस्तूरबा गाँधी ने गांधीजी का जीवन भर सभी आंदोलनों में साथ दिया और एक सच्ची सहभागिनी की तरह जीवन भर गांधीजी के साथ रही।
महात्मा गांधी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा (gandhiji South Africa Visit)
इंग्लैंड से अपनी बैरिस्टरी पूरी करने के पश्चात गांधीजी राजकोट में आकर वकालत करने लगे। इसी बीच दक्षिण अफ्रीका में भारतीय व्यापारी सेठ अब्दुल्ला के बुलावे पर वे उनका मुकदमा लड़ने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए।
वहां डरबन से ट्रैन के माध्यम से उन्हें प्रिटोरिया जाना था जिसके लिए उन्होंने रेल की फर्स्ट क्लास का टिकट लिया। उन दिनों अफ्रीका में अश्वेत और एशियन लोगो को फर्स्ट क्लास डिब्बे में बैठने की अनुमति नहीं थी इसलिए अंग्रेज टिकट चेकर ने गांधीजी को पीटरमारिट्जबर्ग स्टेशन पर धक्के मारकर बाहर निकाल दिया।
इस घटना ने गांधीजी को अंदर से झकझोर दिया और उन्होंने इस नस्लभेद के खिलाफ आवाज उठाने का बीड़ा उठा लिया। कई इतिहासकार इस घटना को मोहनदास करमचंद गाँधी की महात्मा गांधी बनने की यात्रा में महत्वपूर्ण कदम मानते है। इसके पश्चात उन्होंने अफ्रीका में नस्लभेद के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए 1894 में नेटल कांग्रेस की स्थापना की।
महात्मा गांधी का भारत आगमन और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
दक्षिण अफ्रीकी में नस्लभेद के खिलाफ संघर्ष करने के पश्चात गांधीजी 9 जनवरी 1915 को स्वदेश लौटे और देश की स्वतंत्रता में अपना योगदान देना शुरू किया। गांधीजी की अफ्रीका यात्रा से लौटने के उपलक्ष में 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।
गांधीजी ने गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु माना था जिनकी सलाह पर उन्होंने एक वर्ष तक भारत भ्रमण करके देश को समझा। गांधीजी द्वारा भारत के स्वतंत्रता संग्राम में 3 मुख्य राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाये गए थे जो इस प्रकार है :-
- असहयोग आंदोलन [Non Co-operation Movement]- सन 1920 में
- अवज्ञा आंदोलन [Civil Disobedience Movement]- सन 1930 में
- भारत छोड़ो आंदोलन [Quit India Movement]- सन 1942 में
इन आंदोलनों के माध्यम से गांधीजी ने पूरे देश की जनता को एकता के सूत्र में बाँधने का का काम किया जिससे की देश आजादी की ओर अग्रसर हुआ और परिणामस्वरूप देश को विदेशी शासन से आजादी मिली।
महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन (Movement led by Mahatma Gandhi)
महात्मा गाँधी द्वारा देश में कई प्रमुख आंदोलन किये गए जिन्हे देश की जनता भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ। गांधीजी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर 3 मुख्य आंदोलन किया गए थे और कई अन्य आंदोलनों को भी समर्थन दिया गया था। गाँधीजी द्वारा प्रमुख आंदोलनों का विवरण इस प्रकार है।
चम्पारण सत्याग्रह (Champaran Satyagraha)
स्वदेश लौटने के पश्चात गांधीजी का सत्याग्रह का पहला प्रयोग बिहार के चम्पारण में किया गया था। राजकुमार शुक्ल नामक किसान के आग्रह पर गांधीजी उतर भारत के नील उत्पादक किसानों की दशा देखने आये। ब्रिटिशर्स द्वारा किसानो को जबरदस्ती नील की खेती के लिए मजबूर किया जा रहा था और इसके बदले में किसानो को मिलने वाली आमदनी भी कम थी। गांधीजी के सत्याग्रह के परिणामस्वरूप ब्रिटिशर्स को अपनी नीति में बदलाव करना पड़ा था।
अहमदाबाद मिल-मजदूर आंदोलन(Ahmedabad mill-labour movement)
चम्पारण के पश्चात गांधीजी ने अहमदाबाद में कॉटन मिल-मजदूरों के समर्थन में आंदोलन किया। अहमदाबाद में कॉटन मिल में श्रमिकों और फैक्ट्री मालिकों के बीच सैलरी को लेकर विवाद हो गया था जिसके पश्चात गाँधीजी की मध्यस्थता से दोनों पक्षों के बीच आपसी मुद्दों पर समझौता संभव हो सका।
खेड़ा सत्याग्रह (Kheda Satyagraha)
वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा जिले में अकाल के कारण किसानो की फसल ख़राब हो गयी जिस पर किसानो द्वारा ब्रिटिश सरकार से लगान माफ़ करने की गुहार की गयी परन्तु ब्रिटिश सरकार द्वारा किसानो की मांग को दरकिनार करते हुए पूरा लगान चुकाने की बात कही गयी। इस पर गांधीजी के द्वारा किसानो को समर्थन दिया गया जिसके पश्चात ब्रिटिशर्स द्वारा किसानो को करों में रियायत दी गयी।
रौलेट एक्ट का विरोध (opposition of Rowllet act)
8 मार्च 1919 को ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय राष्ट्रवादियों की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए रौलेट एक्ट पास किया गया। इस कानून के अनुसार अंग्रेज सरकार बिना किसी गुनाह के किसी भी नागरिक को सिर्फ शक के आधार पर गिरफ्तार कर सकती थी। इसके विरोध में गांधीजी ने देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था। इस एक्ट का विरोध करने के परिणामस्वरूप जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था।
खिलाफत आन्दोलन 1919 (khilafat movement 1919)
टर्की के खलीफा को गद्दी से हटाये जाने के विरोध में मुस्लिमो द्वारा शुरू किये गए खिलाफत आन्दोलन को गांधीजी द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन को जोड़ दिया गया था जिसके पश्चात पूरे देश में सभी समुदाय के लोगो ने बढ़-चढ़कर देश के स्वतन्त्रता संग्राम में हिस्सा लिया था।
दलित आंदोलन (dalit movement)
देश में फैली छुआछूत और जातपात की कुप्रथा को दूर करने के लिए 8 मई 1933 से गांधीजी द्वारा दलित आंदोलन शुरू किया गया था। इस आंदोलन के माध्यम से गांधीजी द्वारा दलित वर्ग के लोगो के प्रति होने वाले भेदभाव को दूर करने के लिए विभिन कार्यक्रम चलाये गए थे।
महात्मा गांधी द्वारा किए गए प्रमुख राष्ट्रीय आंदोलन (National Movement led by Mahatma Gandhi)
गांधीजी द्वारा अपने जीवनकाल में विभिन आंदोलनों का नेतृत्व किया गया था। हालांकि इन आंदोलनों में गांधीजी द्वारा आयोजित 3 प्रमुख आंदोलनों का नाम प्रमुखता से आता है जो की निम्न प्रकार से है – असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन एवं भारत छोड़ो आंदोलन।
गांधीजी द्वारा आयोजित ये तीनों आंदोलन राष्ट्रीय स्तर के आंदोलन थे जिनका सम्पूर्ण भारतवर्ष पर विस्तृत प्रभाव रहा। इन तीनों आंदोलनों में देश की जनता ने गांधीजी का बढ़-चढ़कर समर्थन किया था। इन आंदोलनों का विवरण इस प्रकार से है।
असहयोग आंदोलन (Non Co-operation Movement)
गांधीजी द्वारा अंग्रेजों के प्रति यह पहला प्रमुख राष्ट्रव्यापी आंदोलन था जिसके माध्यम से गांधीजी ने पूरे देश को एकजुट किया। रौलेट एक्ट के विरोध में सभा करने पर अंग्रेज सरकार द्वारा जनरल डायर के नेतृत्व में निहत्थी भीड़ पर गोली चलायी गयी थी जिसके परिणामस्वरूप हजारो निर्दोष लोगो को अपना जान गवाँनी पड़ी थी। अंग्रेजो के इस अत्याचार के विरुद्ध गांधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन की शुरुआत की गयी थी।
असहयोग आंदोलन का विस्तृत वर्णन (Non Co-operation Movement Description in Detail)
गांधीजी द्वारा सितम्बर 1920 में असहयोग आंदोलन की शुरुआत की गयी थी और यह आंदोलन 11 फरवरी 1922 तक चला था। इस आंदोलन को शुरू करने के पीछे गांधीजी का अंग्रेजो का हर क्षेत्र में असहयोग करना था।
गांधीजी जानते थे की हमारे देश में अंग्रेजो की सत्ता सिर्फ भारतीयों के सहयोग के माध्यम से ही चल रही है। अगर भारतीय अंग्रेजो की सहयोग देना बंद कर देंगे तो अंग्रेज हमारे देश में अधिक समय तक राज नहीं कर पाएंगे इसलिए गांधीजी ने देश के लोगो से हर क्षेत्र में अंग्रेजो का असहयोग करने की अपील की।
गांधीजी की अपील पर लोगो ने आंदोलन को भरपूर समर्थन दिया परिणाम स्वरूप हजारो लोगो ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी, वकीलों ने वकालत, छात्रों ने स्कूल-कॉलेज, मजदूरों ने फैक्ट्री एवं देशवासियों ने विदेशी सामान का उपयोग छोड़ दिया था।
इसके परिणामस्वरूप देश में ब्रिटिश शासन के पाँव उखड़ने लगे परन्तु अपने चरम पर इस आंदोलन को गांधीजी द्वारा चौरा – चौरी कांड के बाद वापस ले लिया।
सविनय अवज्ञा आंदोलन/दांडी यात्रा/नमक सत्याग्रह आंदोलन / [Civil Disobedience Movement / Dandi March/Salt Satyagrah Movement )
वर्ष 1930 में गांधीजी द्वारा द्वारा दूसरा राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया गया जिसका नाम सविनय अवज्ञा आंदोलन था। इस आंदोलन का उद्देश्य अंग्रेज सरकार द्वारा जनता के हितो के प्रतिकूल बनाये गए कानूनों की पूर्ण अवज्ञा अर्थ अवहेलना करना था।
इसी आंदोलन के परिणामस्वरुप गांधीजी द्वारा दांडी यात्रा का आयोजन किया गया जिसके पश्चात गांधीजी द्वारा अंग्रेजो के नमक कानून की अवहेलना करते हुए नमक बनाया गया था।
सविनय अवज्ञा आंदोलन का विस्तृत वर्णन (Civil Disobedience Movement Description in Detail)
ब्रिटिशर्स द्वारा वर्ष 1930 में भारतीयों के नमक बनाने पर पाबन्दी लगा दी गयी थी जिसके पश्चात आम-आदमी की प्रतिदिन के खाद्य का अहम् हिस्सा नमक का उत्पादन प्रतिबंधित हो गया था। इसके परिणामस्वरूप गांधीजी द्वारा 12 मार्च सन 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से दांडी यात्रा की शुरुआत की गयी जो की कुल 24 दिनों तक चली। इस यात्रा में गांधीजी के साथ 78 सत्यग्राही भी थे।
यह यात्रा 24 दिनों की अवधि के पश्चात दांडी के तट पर पहुंची जहाँ से नमक बनाकर गांधीजी ने अंग्रेजो के नमक कानून को तोड़ा। इसके साथ ही सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत भी हो गयी जिसके तहत गांधीजी ने लोगो को अंग्रेजो के जनता के हित के प्रतिकूल बनाये कानूनों को तोड़ा। इस आंदोलन में पूरे देश के नागरिको ने गांधीजी का साथ दिया था जिससे यह आंदोलन अपने उद्देश्य में सफल रहा।
भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement)
ब्रिटिश सरकार की जड़ो पर प्रहार करने के लिए गांधीजी द्वारा वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन चलाया गया था। इस आंदोलन के दौरान देश में स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था और गांधीजी द्वारा इसी आंदोलन के दौरान करो या मरो का नारा दिया गया था। इस आंदोलन में गांधीजी द्वारा लोगो को आजादी प्राप्त करने के लिए पूरा जोर लगाने के लिए उत्साहित किया गया था।
भारत छोड़ो आंदोलन का विस्तृत वर्णन (Quit India Movement Description in Detail)
वर्ष 1942 आते-आते ब्रिटिशर्स यह बात समझ चुके थे की अब देश में अंग्रेजी हुकूमत गिने-चुने दिनों की मेहमान है। इस दौरान द्वितीय विश्व युद्ध के कारण ब्रिटिशर्स द्वारा भारतीयों से सहायता मांगी गयी परन्तु देश में आजादी का आंदोलन अपने चरम पर था। गांधीजी द्वारा देश की जनता को आजादी के लिए आह्वान करते हुए स्वतंत्रता संग्राम में अंतिम जोर लगाने के लिए उत्साहित किया गया परन्तु सही से समन्वय ना होने के कारण आंदोलन अपने अपेक्षिक लक्ष्यों को पूरा करने के असफल रहा था।
महात्मा गाँधी का जीवन दर्शन
महात्मा गाँधी किसी भी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सत्य और अहिंसा को सबसे मजबूत हथियार मानते थे। गांधीजी का मानना था की ना सिर्फ उद्देश्य पवित्र होना चाहिए अपितु उद्देश्य प्राप्त करने का साधन भी पवित्र होना आवश्यक है।
लिओ टॉलस्टॉय और हेनरी डेविड थोरो जैसे पश्चिमी विचारको का गांधीजी के जीवन पर गहरा प्रभाव था जिनसे की गांधीजी ने अहिंसा का सिद्धांत ग्रहण किया था। गांधीजी द्वारा इन जीवन सिद्धांतो के आधार पर चरित्र निर्माण किया गया था:-
- सत्य (Truth)- गांधीजी सत्य को जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य मानते थे और इसी के आधार पर गांधीजी का सम्पूर्ण जीवनदर्शन टिका हुआ है। सत्य के माध्यम से ही वास्तविक विजय पायी जा सकती है इस कथन के आधार पर उन्होंने अपनी जीवनकथा का नाम भी सत्य के मेरे प्रयोग (my experiments with truth) रखा था।
- अहिंसा (Non-Violence)- गांधीजी किसी भी उद्देश्य को पाने के लिए अहिंसा को प्रमुख हथियार मानते थे। गांधीजी के आंदोलनों में हम अहिंसा के सिद्धांत का प्रयोग प्रमुख रूप से देख सकते है। गांधीजी का मानना था की अहिंसा के लिए आंतरिक रूप से मजबूत होना आवश्यक है।
- सादगी (Simplicity)- सादगी में गांधीजी का दृढ विश्वास था। गांधीजी का मानना था की जब तक हम अपने जीवन में सादगी नहीं अपना लेते तब तक समाज में अमीर और गरीब की खाई को नहीं पाटा जा सकता है। सादगी का पालन करने के लिए गांधीजी द्वारा पूरी उम्र एक ही खादी धोती का उपयोग किया गया।
- विश्वास (Trust)- गांधीजी द्वारा विभिन धर्म के लोगो के मध्य एकता बनाये रखने के लिए विश्वास को प्रमुख तत्त्व माना गया था। गांधीजी का मानना था की विभिन धर्म के लोगों के बीच सांप्रदायिक सौहार्द बनाये रखने के लिए आवश्यक है की लोग एक दूसरे के धर्मों के आवश्यक तत्वों को ग्रहण करें एवं आपसी समझ में वृद्धि को बढ़ावा दे।
- ब्रह्मचर्य (Celibacy)- गांधीजी आध्यात्मिकता शुद्धि के लिए देशवासियों को सदैव ब्रह्मचर्य पालन का उपदेश देते थे।
गांधीजी द्वारा संचालित समाचारपत्र
देश में स्वतंत्रता आंदोलनों हेतु जनता को जागरूक करने के लिए गांधीजी द्वारा विभिन समाचारपत्रों का संचालन किया जाता था जिसके माध्यम से गांधीजी के विचारो और देश के लिए उनके संघर्ष की झलक मिलती है। गांधीजी द्वारा शुरू किये गए प्रमुख समाचारपत्र निम्न है।
- इंडियन ओपिनियन (Indian Opinion)- दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी द्वारा शुरू किया गया प्रथम समाचारपत्र जिसके माध्यम से गांधीजी ने नस्लभेद के खिलाफ आवाज उठायी
- नवजीवन पत्र (Navjivan patra)- गांधीजी द्वारा हिंदी और गुजराती में शुरू किया गया न्यूज़पेपर
- यंग इंडिया (Young India)- गांधीजी द्वारा अंग्रेजी में प्रकाशित साप्ताहिक पत्रिका
- हरिजन (Harijan)- समाज में दलित वर्ग के उत्थान के लिए गांधीजी द्वारा संचालित समाचार पत्र
समाचार पत्रों के अतिरिक्त गांधीजी द्वारा कई पुस्तकों की रचना भी की गयी है जिनमे ग्राम स्वराज, दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह, हिन्द स्वराज और मेरे सपनों का भारत उल्लेखनीय है। इसके अतिरिक्त गांधीजी द्वारा अपनी आत्मकथा को सत्य के मेरे प्रयोग (my experiments with truth) नाम से लिखा गया है।
महात्मा गांधी की मृत्यु, आयु हत्यारे का नाम
देश के इस महान सपूत की आजादी के सिर्फ 1 वर्ष बाद ही 30 जनवरी सन 1948 को संध्या की पूजा के लिए जाते वक्त नाथूराम गोडसे नामक हत्यारे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गयी। गांधीजी की मृत्यु पर दुनिया भर के महापुरुषों ने शोक जताया था। दिल्ली में राजघाट पर महात्मा गाँधी जी समाधि बनी है जो आज भी करोड़ो लोगो की प्रेरणा का स्रोत है।
गांधीजी से सम्बंधित कुछ अन्य रोचक बातें
- गांधीजी को राष्ट्रपिता की उपाधि नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा दी गयी थी।
- गांधीजी को सर्वप्रथम महात्मा गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के द्वारा कहा गया था।
- गांधीजी के जन्मदिवस के अवसर पर पूरी दुनिया में अहिंसा दिवस मनाया जाता है।
- दुनिया के सभी देशो में गांधीजी को आदर और सम्मान के साथ देखा जाता है और दुनिया के अनेक देशो में उनकी प्रतिमा भी स्थापित की गयी है।
- अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेद के खिलाफ लड़ने वाले मार्टिन लूथर किंग जूनियर और नेल्सन मंडेला महात्मा गाँधी को अपना आदर्श मानते थे।
- हेनरी डेविड थोरो का गांधीजी के जीवन पर गहरा प्रभाव था।
महात्मा गांधी की जीवनी सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था।
महात्मा गाँधी की माता का नाम पुतलीबाई एवं पिता का नाम करमचंद गाँधी था।
गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था।
गांधीजी की पत्नी का नाम कस्तूरबा गाँधी था।
महात्मा गाँधी उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गये थे जहाँ उन्होंने बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की थी।
गांधीजी अफ्रीका वर्ष 1893 में गए थे। यहाँ भारतीय व्यापारी सेठ अब्दुल्ला द्वारा मुकदमा लड़ने के लिए गांधीजी को बुलाया गया था।
गांधीजी का दक्षिण अफ्रीका से भारत आगमन 9 जनवरी 1915 को हुआ था। इसके उपलक्ष में देश में प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।
गांधीजी द्वारा सबसे पहले सत्याग्रह का प्रयोग चम्पारण में किया गया था जहाँ नील किसानो के हितो के लिए गांधीजी द्वारा सत्याग्रह किया गया था।
गांधीजी द्वारा वर्ष 1920 में असहयोग आंदोलन, वर्ष 1930 में सविनज्ञ अवज्ञा आंदोलन एवं 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन चलाया गया था।
गांधीजी के राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले थे।
गांधीजी की 30 जनवरी 1948 द्वारा नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी।
गांधीजी की समाधि का नाम राजघाट है जो दिल्ली में स्थित है।