Lohri Date: कब है लोहड़ी का पर्व? जानें इसका महत्व और पौराणिक कथा

भारत के पंजाब राज्य में मनाया जाने लोहड़ी का पर्व किसानों का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। इस पर्व को नयी फसल के आगमन की ख़ुशी के रूप में मनाया जाता है। हिन्दुओं के पवित्र त्यौहार मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व मनाये जाने वाले लोहड़ी पर्व को किसानों द्वारा रबी की फसल की अच्छी पैदावार के लिए कामना के रूप में मनाया जाता है। केरल में पोंगल, असम में बिहू एवं उत्तर भारत के मकर संक्रांति को फसलों के त्यौहार के रूप में मनाया जाता रहा है जिसके समान उत्सव को पंजाब एवं हरियाणा राज्य में किसानों के द्वारा लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानने वाले है की लोहड़ी पर्व क्या है ? (lohri festival), लोहड़ी पर्व का महत्व एवं इससे जुड़ी हुयी पौराणिक कथा क्या है। साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आपको लोहड़ी 2025 में कब है (Lohri 2025 Me Kab Hai) सम्बंधित जानकारी भी प्रदान की जाएगी।

साल का सबसे लम्बा और छोटा दिन

व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp
लोहड़ी का पर्व
लोहड़ी त्यौहार

लोहड़ी पर्व क्या है ?

लोहड़ी पर्व उत्तर भारत के पंजाब एवं हरियाणा राज्य में कृषकों द्वारा मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है जिसे की फसल के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। लोहड़ी शब्द 3 शब्दो “ल+ओह+ड़ी” से मिलकर बनी है जहाँ ल शब्द लकड़ी, ओह शब्द गोह यानी की जानवरों के गोबर से बने सूखे उपले एवं ड़ी शब्द रेवड़ी को प्रदर्शित करता है। चूंकि लोहड़ी पर्व पर लकड़ी का ढेर लगाकर इसे जलाया जाता है एवं इसमें सूखे उपले एवं रेवड़ी, तिल एवं गुड़ आदि को समर्पित किया जाता है। लोहड़ी पर्व नयी फसल के आगमन का सूचक है।

कब है लोहड़ी का पर्व?

लोहड़ी का पर्व प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व मनाया जाता है। इस वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी को पड़ रही है ऐसे में वर्ष में लोहड़ी पर्व (Lohri) को 14 जनवरी को मनाया जायेगा। इस वर्ष लोहड़ी का त्यौहार शुक्रवार, 14 जनवरी को मनाया जायेगा।

लोहड़ी पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लोहड़ी भगवान सूर्यदेव एवं अग्नि को समर्पित त्यौहार है। किसानों के लिए फसल का आगमन किसी उत्सव से कम नहीं होता है ऐसे में भगवान के प्रति अपना समर्पण प्रकट करने के लिए लोहड़ी के माध्यम से धन्यवाद अर्पित किया जाता है। लोहड़ी पर्व के समय किसान अपने घर में नयी फसल लाते है ऐसे में अग्नि देवता को नयी फसल के समर्पण के माध्यम से आभार प्रकट किया जाता है। लोहड़ी के अवसर पर लकड़ियों को जलाकर इसके चारो ओर नृत्य किया जाता है साथ ही अग्नि देवता को नवीन फसल भी अर्पित की जाती है। लोहड़ी के अवसर पर अग्नि में गुड़, रेवड़ियाँ, तिल एवं अन्य वस्तुओं को समर्पित करने की परंपरा भी है।

व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp

लोहड़ी के अवसर पर सूर्य देवता को भी समर्पण दिया जाता है। चूंकि इस अवसर पर नवीन फसलों की अच्छी पैदावार के लिए प्रार्थना की जाती है। लोहड़ी के अवसर पर सूर्यदेव उत्तरायण होने लगते है ऐसे में खरीफ की फसलों की पैदावार के लिए गर्मी आवश्यक होती है। सूर्य देवता को समर्पण के माध्यम से लोहड़ी पर्व पर अच्छी फसल की प्रार्थना की जाती है। साथ ही घर में नयी बहू या बच्चे के आगमन पर भी लोहड़ी पर्व को मनाया जाता है।

Jesus Christ कौन थे? ईसा मसीह का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

लोहड़ी पर्व से जुड़ी अन्य कथाएँ

लोहड़ी पर्व से विभिन्न कथाएँ जुड़ी हुयी है। कहा जाता है की हिरणकश्यप असुर की बहन होलिका जो की होलिका में जलकर भस्म हो गयी थी की बहन का नाम लोहड़ी था जिसे की पूर्व में तिलोड़ी के नाम से जाना जाता था। लोहड़ी या तिलोड़ी के कारण ही लोहड़ी पर्व की शुरुआत हुयी एवं वर्तमान में लोहड़ी कृषकों के फसल आगमन का त्यौहार है। कुछ लोग इस त्यौहार को संत कबीर की पत्नी जिनका नाम लोई था से तो कुछ लोग लोहा से जोड़कर देखते है। वही कुछ क्षेत्रों में लोहड़ी पर्व को वसंत के आगमन के रूप में भी मनाया जाता है।

हालांकि लोहड़ी पर्व से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध कहानी पंजाब के रोबिनहुड के नाम से मशहूर डाकू दुला भट्टी से जोड़ी जाती है। कहा जाता है की डाकू दुला भट्टी ने सुंदरी एवं मुंदरी नाम की दो अनाथ लड़कियों को मुगलों के हरम दल का हिस्सा बनने से बचाने के लिए उन्हें मुगलों के चंगुल से छुड़ाया था एवं जंगल में आग जलाकर उनकी शादियाँ सम्पन करवाई थी। वर्तमान में लोहड़ी को मुख्यतः कृषक त्यौहार के रूप में मान्यता प्राप्त है।

क्रिसमस डे (Christmas Day) क्यों मनाते है | क्रिसमस शब्द का अर्थ क्या है

कैसे मनाया जाता है लोहड़ी

पंजाब में लोहड़ी पर्व की शुरुआत 10 दिनों पहले से ही शुरू हो जाती है। इस अवसर पर छोटे-छोटे बच्चे लोहड़ी के गीत गाते हुए गाँव भर में घूमते है एवं घर तथा किसी सार्वजनिक स्थान पर लकड़ियाँ इकठ्ठा करते है। लोहड़ी के दिन सभी लोग एवं परिवारजन लकड़ी के अलाव के पास इकट्ठे होते है एवं नाचते-गाते और भांगड़ा करते है। साथ ही इस आग में तिल, रेवड़ी, मूँगफली, खील, एवं अन्य वस्तुओं को अर्पित करते है। इस अवसर पर पंजाबी ढोल की थाप पर सभी लोग गिद्धा एवं भांगड़ा करते एवं एक दूसरे के साथ मिलकर ख़ुशी मनाते है।

घर में नयी बहू के पहली बार आगमन पर लोहड़ी पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है साथ ही किसी नवजात के आगमन पर भी लोहड़ी को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह अवसर कृषकों को उत्सव मनाने का मौका देता है।

लोहड़ी पर्व का महत्व

लोहड़ी पर्व पंजाब में सिख कृषकों का प्रमुख त्यौहार है जो की नवीन फसल के आगमन में एवं बोई हुयी फसल की अच्छी उपज के लिए प्रार्थना के रूप में मनाया जाता है। घर में नए बच्चे एवं बहू के आगमन के खुशी के अवसर पर लोहड़ी को बड़े उत्साह से मनाया जाता है। कृषकों की नयी फसल के आगमन के उत्साह को प्रकट करने वाला लोहड़ी पर्व कृषकों को खुशियों से भर देता है।

लोहड़ी पर्व से सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

लोहड़ी पर्व क्या है ?

लोहड़ी पर्व उत्तर भारत में कृषकों द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार है जिसे की नवीन फसल के आगमन की ख़ुशी में मनाया जाता है। यह त्यौहार मुख्यतः पंजाब राज्य के सिख कृषकों के द्वारा मनाया जाता है एवं इस अवसर पर अच्छी फसल की कामना के लिए भी प्रार्थना की जाती है।

वर्ष 2025 में लोहड़ी पर्व कब मनाया जायेगा ?

वर्ष 2025 में लोहड़ी का त्यौहार 14 जनवरी को मनाया जायेगा। लोहड़ी पर्व को मकर संक्राति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है।

लोहड़ी पर्व से जुड़ी मान्यताएँ क्या है ?

लोहड़ी पर्व को मुख्यतः सूर्य भगवान एवं अग्नि देव को समर्पित त्यौहार माना जाता है। लोहड़ी के अवसर पर अग्नि को विभिन्न वस्तुएँ समर्पित करने की प्रथा भी प्रचलित है। इससे सम्बंधित विस्तृत जानकारी के लिए आप ऊपर दिया गया लेख पढ़ सकते है।

लोहड़ी पर्व को किस प्रकार से मनाया जाता है ?

लोहड़ी पर्व के अवसर पर लकड़ी का अलाव जलाया जाता है एवं सभी लोग इस अलाव के चारों ओर ख़ुशी से नाचते एवं गाते है। साथ ही इस अवसर पर अग्नि को तिल, रेवड़ी, मूँगफली, खील, एवं अन्य वस्तुओं को भी समर्पित किया जाता है।

लोहड़ी पर्व किस राज्य का प्रमुख त्यौहार है ?

लोहड़ी पर्व पंजाब राज्य का मुख्य पर्व है।

Leave a Comment