तो दोस्तों आप सभी ने लबसना (LBSNAA) का नाम तो सुना ही होगा। जैसा की आप सभी को पता होगा यहाँ पर वे बच्चे पढ़ने के लिए आते है जो की यूपीएससी की परीक्षा को सफलता पूर्वक पास करलेते हैं और इंटरव्यू को भी क्लियर कर लेते है उसके पश्चात उनको यहाँ पर ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है। तो क्या आप इसके बारे में जानते हो अगर नहीं तो निश्चिन्त हो जाइये क्योंकि आज हम इसी के ऊपर चर्चा करने वाले हैं और आप सभी को इसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी देने की कोशिश करेंगे ? तो आज इस लेख में हम आपको लबसना (LBSNAA) से जुडी बहुत सी जानकारी देंगे जैसे की – लबसना (LBSNAA) क्या है? लबसना (LBSNAA) की full form क्या हैं ? यह कहाँ पर स्थित हैं आदि जैसी जानकारी।
यह भी देखें :- सूचना का अधिकार क्या है
तो अगर आप भी LBSNAA से सम्बंधित अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को कृपया ध्यानपूर्वक पढ़िए और इसके बारे में जानकारी प्राप्त कीजिये :-
यहाँ भी देखें -->> क्विज़ गेम खेलें और नकद जीतें
Article Contents
लबसना (LBSNAA) की full form क्या है ?
LBSNAA full form in English – Lal Bahadur Shastri National Administration Academy
लबसना फुल फॉर्म हिंदी में – लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एडमिनिस्ट्रेशन अकादमी
लबसना (LBSNAA) क्या है ?
Lal Bahadur Shastri National Administration Academy एक ऐसा स्थान है जहाँ पर देश की सबसे कठिन परीक्षा यानि के UPSC (Union Public Service Commission) की परीक्षा में जो विद्यार्थी सफलतापूर्वक चयनित हो जाते हैं उन विद्यार्थियों को इस अकडेमी में ट्रेनिंग के लिए बुलाया जाता हैं। यहाँ पर ट्रेनिंग ऑफिसर्स के द्वारा यहाँ पर आये सभी विद्यार्थियों को ट्रेनिंग प्रदान की जाती है। इस अकादमी यानि के Lal Bahadur Shastri National Administration Academy की स्थापना 15 अप्रैल 1958 को केंद्रीय गृह मंत्री श्री पंडित गोविन्द बल्लभ पंत द्वारा हुई थी। लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एडमिनिस्ट्रेशन अकादमी उत्तराखंड की राजधानी से 40 किलोमीटर दूर स्थित (पहाड़ों की रानी) यानि के मसूरी में स्थित है।
Lal Bahadur Shastri National Administration Academy करीब 6580 फ़ीट की उचाई और करीब 189 एकड़ के बड़े क्षेत्रफल में स्थित है। यहाँ पर जिम, टेनिस कोर्ट, हॉर्स राइडिंग जैसी जगह भी हैं। इस अकादमी में रहने के लिए सभी विद्यार्थियों को बहुत से कड़े नियमों का पालन करना होता है। इस अकादमी में मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल वर्जित है, एवं यहाँ पर शराब पीना और धूम्रपान करना सख्त मना है।
यहाँ की एक और खास बात है जो की यह है की यहाँ पर केवल भारत के ही नहीं बल्कि बहुत से स्थानों से यहाँ पर ट्रेनिंग के लिए आते हैं जैसे की – म्यांमार, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव आदि जैसे स्थानों से।
जेनेवा समझौता 2022 क्या है एवं इसकी जानकारी
Dress Code (ड्रेस कोड) :-
Lal Bahadur Shastri National Administration Academy में सभी विद्यार्थियों को वहां के ड्रेस कोड को फॉलो करना पड़ता हैं। यहां के सभी विद्यार्थियों को ट्रेनिंग के दौरान केवल फॉर्मल ड्रेस ही पहन सकते हैं इनका कोई और सी ड्रेस या घर के कपडे पहनने की परमिशन नहीं है। यहां तक की यहां के सभी विद्यार्थी जब मेस में खाना खाने जाते है तब भी उनको ड्रेस कोड का पालन करना अनिवार्य है। यहां के किसी भी विद्यार्थी को अपने कमरे के बाहर चप्पल या जूते पहनने तक की अनुमति नहीं है।
ट्रेनिंग के दौरान यहाँ के पुरुष विद्यार्थियों को गर्मियों के मौसम के दौरान एक शर्ट और पैंट व टाई एवं सर्दियों के मौसम के दौरान फुल स्लीव शर्ट पैंट और टाई व लेदर के जूते पहनना अनिवार्य है। और लड़कियों के लिए सलवार कमीज /साडी/बिज़नेस सूट, कुर्ता और सैंडल पहनना अनिवार्य है। यहां के सभी विद्यार्थियों के लिए यहाँ पर एक दुकान भी है जहाँ से सभी विद्यार्थी अपने उपयोग का सामान जैसे की स्टेशनरी का सामान खरीद सकते हैं और जो भी सामान इस दूकान में होगा उसपर इस स्थान यानि के Lal Bahadur Shastri National Administration Academy का लोगो लगा मिलेगा।
इंडिया (INDIA) का फुल फॉर्म क्या है
लबसना (LBSNAA) में होने वाली गतिविधियां :-
- इस जगह यानि के Lal Bahadur Shastri National Administration Academy में सभी विद्यार्थियों के दिन की शुरुआत सुबह 6 : 00 बजे से होती है। प्रातः उठने के बाद सभी विद्यार्थियों को कसरत करनी पड़ती हैं। कसरत करनेके लिए विद्यार्थियों को 6-10 km बड़े ग्राउंड में जॉगिंग कर सकते हैं और अगर विद्यार्थी जॉगिंग नहीं करना चाहते तो उनके लिए एक और ऑप्शन भी है जो की है राइडिंग।
- उसके बाद सभी विद्यार्थियों को एक घंटा दिया जाता है जिसमे सभी विद्यार्थी को नहा धोकर अपने नाश्ते के लिए तैयार होने का वक्त दिया जाता है।
- सुबह नाश्ता करने के पश्चात प्रातः 9 :00 बजे से सभी विद्यार्थियों की ट्रेनिंग class शुरू हो जाती हैं। एक दिन में सभी विद्यार्थियों की करीब 5-6 क्लास होती हैं और हर एक class करीब 55 मिनट की होती हैं।
- उसके बाद शाम 5:00 बजे से 7:30 बजे तक सभी विद्यार्थियों को खेल कूद की गतिविधियों के लिए दिया जाता है जिसमे सब ही विद्यार्थी राइडिंग जैसी गतिविधियां करते हैं।
- अगर कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं तो उन सभी कार्यक्रमों को रात के खाने के समय से पहल खतम कर दिया जाता है। जो की 8 बजे हैं।
- हफ्ते के आखरी दिनों के और छुट्टियों के दिनों के दौरान सभी विद्यार्थी अलग अलग गतिविधियों में शामिल होते हैं जैसे की – सामुदायिक सेवा, साहसिक खेल जैसे की रॉक क्लाइम्बिंग,पैराग्लाइडिंग, शार्ट ट्रेक,रिवर राफ्टिंग आदि जैसी गतिविधियों में शामिल होते हैं।
- छुट्टियों के अवसर पर कई विद्यार्थियों को हिमालय पर ट्रैकिंग करने का मौका भी दिया जाता है।
इतिहास – Lal Bahadur Shastri National Administration Academy (LBSNAA)
यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा को पास करने के बाद, उम्मीदवारों को 2 साल के लिए Lal Bahadur Shastri National Administration Academy के प्रशिक्षण (Training) प्रक्रिया से गुजरना पड़ता हैं। लबसना की अवधारणा को 15 अप्रैल 1958 को सामने रखा गया था। उस समय तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पंडित गोविन्द बल्लभ पंत ने यह घोषणा की थी की सिविल सर्विसेज अधिकारीयों के लिए एक प्रशिक्षण (Training) केंद्र स्थापित किया जाएगा।
उसके बाद 1 सितम्बर 1972 को मेटकॉफ हाउस को प्रशिक्षण (Training centre) केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था। जहाँ अधिकारीयों के पहले बैच को प्रशिक्षित किया गया था। लेकिन अकादमी का नाम दो बार बदला जा चुका हैं।
- पहले तो अक्टूबर 1972 में इसको लाल बहादुर शास्त्री प्रश्न अकादमी का नाम दिया गया था।
- जुलाई 1973 में इसका नाम दोबारा बदला गया और फिर इसका नाम लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय अकादमी प्रशासन कर दिया गया था।
UPSC Syllabus 2022 PDF – IAS Prelims & Mains Syllabus
परिवीक्षा के नियम :-
- इस अकादमी में होने वाली हर एक भर्ती को दो साल की अवधी के लिए परिवीक्षा पर होगा।
- अगर सरकार उचित समझे तो परिवीक्षा की अवधी को दो साले से बढाकर तीन साल भी कर सकती हैं।
- परिवीक्षाधीन व्यक्ति निदेशक के रूप मे, व्याख्यान में भाग लेगा, परीक्षा परिक्षण और अभ्यास भी करेगा।
- परिवीक्षा अवधी के अंत में परिवीक्षाधीन व्यक्ती को 900 अंकों में चिन्हित किया जाएगा।
- पाठ्यक्रम के बाद परिवीक्षाधीन को एक परीक्षा भी देनी अनिवार्य है।
- अगर कोई विद्यार्थी किसी कारण जैसे की तबियत खराब होने के कारन या फिर कोई अन्य कारण अगर कोई विद्यार्थी अपनी परीक्षा न दे पाया हो तो सरकार उसे करीब तीन महीने से आयोजित एक विशेष परीक्षा में बैठने की अनुमति प्रदान कर सकती हैं।
- अगर कोई विद्यार्थी (परिवीक्षाधीन) किसी परीक्षा में न्यूनतम अंक लाने में असफल रहता है तो उसे एक और परीक्षा देने का मौका दिया जाता है जिस विषय में वह फ़ैल हुआ हो। लेकिन उन अंकों को वरिष्टता नहीं दी जायेगी।
- वरिष्टता के नियम।
LBSNAA (लबसना) का गीत (Song)
LBSNAA अकादमी का गीत विभिन्न भाषाओं से मिलकर बनाया गया है, जैसे- बांग्ला, तमिल, हिंदी और मराठी।
“हओधरमेते धीर, हओ करमेते बीर,। बंगला ।
हओ उन्नेतोशिर – नाहि भॉय ।
भुलिभेदाभेद ज्ञान, हओ सबे आगुआन
साथे आछे भगबान – हबे जॉय।
रहोधर्म में धीर, रहो कर्म में वीर । हिंदी ।
रखो उन्नमत शिर – डरो ना ।
नानाभाषा, नाना मत, नाना परिधान,। बंगला।
बिबिधेरमाझे देखो मिलन महान ।
देखियाभारते महाजातिर उत्था न
जागो जान मानिबे बिश्शउय
जागोमान मानिबे बिश्शशय ।
उल्लमत्तिल उरूदियाय सेयलिल विरमुडन। तमिल ।
तलैनिमिर्न्दुत निर्पाय नी।
रहोधर्म में धीर, रहो कर्म में वीर । हिंदी ।
रखो उन्नमत शिर – डरो ना ।
भूलि भेदा भेद ज्ञान, हओ सबे आगुआन, । बंगला ।
साथेआछे भगबान – हबे जॉय।
व्हाआ धर्मात धीर, व्हा करणीत वीर। । मराठी ।
व्हाआउन्नमत शिर – नाही भय
नानाभाषा, नाना मत, नाना परिधान, । बंगला।
बिबिधेरमाझे देखो मिलन महान ।
देखियाभारते महाजातिर उत्था न
जागो जान मानिबे बिश्शउय
जागोमान मानिबे बिश्श य ।
हओ धरमेते धीर, हओ करमेते बीर
हओ उन्नततोशिर – नाहि भॉय ।
हओ उन्नततोशिर – नाहि भॉय
हओ उन्नततो शिर – नाहि भॉय ।।”
LBSNAA Full Form (LBSNAA) से सम्बंधित कुछ पूछे जाने वाले प्रश्न :-
LBSNAA की फुल फॉर्म है – Lal Bahadur Shastri National Administration Academy
लबसना (LBSNAA) की स्थापना 15 अप्रैल 1958 में मुसरी (पहाड़ों की रानी) में हुई।
जी हाँ प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षु को भुगतान मिलता है। हर किस प्रशिक्षु को 45000 रुपये की राशि प्रदान की जाती है लेकिन इसमें से मेस और अन्य सुविधाओं की राशि काट ली जाती है। उसके पश्चात प्रशिक्षु को अंतिम राशि 38500 रुपये प्राप्त होते हैं।
लबसना (LBSNAA) की स्थापना तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री श्री पंडित गोविन्द वल्लभ पंत द्वारा हुई थी।