Juvenile Justice Act 2000 in Hindi | किशोर न्याय अधिनियम के बारे में जानिए

किशोरों सम्बंधित न्यायिक मामलों के लिए भारत सरकार द्वारा किशोर न्याय अधिनियम का प्रावधान किया गया है। किशोर न्याय अधिनियम, 18 वर्ष से कम आयु के नागरिकों के लिए न्यायिक प्रक्रिया के सम्बन्ध में विशिष्ठ दिशा-निर्देशों का प्रावधान करता है। किशोरों को न्याय हेतु समुचित मानवीय स्थितियों एवं आपराधिक प्रवृतियों के उन्मूलन हेतु इस अधिनियम के तहत विशेष प्रावधान किए गए है। बाल-अपराधियों को संरक्षण, पुनर्वास एवं उपचार के लिए किशोर न्याय अधिनियम के तहत राज्य सरकार एवं अन्य सम्बंधित संस्थाओ को विशेषाधिकार प्रदान किए गए है। देश के किशोरों के न्याय से जुड़ा यह अधिनियम किशोरों को विविध अधिकार प्रदान करता है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको किशोर न्याय अधिनियम, (2000 Juvenile Justice Act 2000) से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण बिन्दुओ के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले है।

किशोर न्याय अधिनियम के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने के अतिरिक्त इस आर्टिकल के माध्यम से आपको किशोर न्याय अधिनियम से जुड़े महत्वपूर्ण बिन्दुओ एवं अधिनियम में किए गए संशोधनों से सम्बंधित जानकारी भी प्रदान की जाएगी।

किशोर न्याय अधिनियम 2000, Juvenile Justice Act 2000 in Hindi

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किशोर न्याय अधिनियम, संक्षिप्त परिचय

यहाँ आपको किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act 2000) से जुड़े महत्वपूर्ण बिन्दुओ के बारे में जानकारी प्रदान की गयी है

अधिनियम किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act 2000)
लागू वर्ष 2000
अधिनियम सम्बंधित है किशोरों के न्याय सम्बंधित प्रक्रिया
अधिनियम लागू होगा 18 वर्ष से कम आयु तक के किशोरों पर
उद्देश्य किशोरों को न्याय हेतु मानवीय परिस्थितियाँ प्रदान करना
सम्बंधित संस्थाएँकेंद्र, राज्य सरकारें एवं किशोर न्याय बोर्ड, किशोर कल्याण समिति
सम्बंधित मंत्रालय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार
संशोधन वर्ष 2015 एवं 2021 में (आवश्यक्तानुसार संशोधित)

किशोर न्याय अधिनियम, 2000 क्या है ?

समाज में किसी भी नागरिक द्वारा कोई अपराध किए जाने पर न्यायालय द्वारा दंड प्रणाली के अंतर्गत दंड की व्यवस्था की गयी है। भारत में अपराध करने वाले नागरिकों को दंड देने के लिए भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code (IPC) एवं दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) के अंतर्गत विभिन प्रकार की सजाओं का प्रावधान किया गया है। भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत निर्धारित नियम एवं कानून सभी प्रकार के नागरिको पर समान रूप से लागू होते है। परन्तु यदि अपराध करने वाला नागरिक कोई किशोर (Minor) हो तो क्या इस स्थिति में उस पर भी दंड संहिता के सभी नियम एवं कानून लागू होते है ! तो इसका जवाब है नहीं। न्याय व्यवस्था के अंतर्गत सभी किशोर नागरिकों को अपराध करने की स्थित में एक विशेष प्रकार की न्यायिक व्यवस्था जिसे की “किशोर न्याय अधिनियम” कहा जाता है के अंतर्गत संचालित किया जाता है।

किशोर न्याय अधिनियम से तात्पर्य उस न्यायिक व्यवस्था से है जिसके अंतर्गत बाल अपराधियों की सुनवाही की जाती है। सरल शब्दो में 18 वर्ष से कम उम्र के बाल अपराधियों को अपराध करने की स्थिति में जिस अधिनियम के अंतर्गत सजा सुनाई जाती है उसे ही किशोर न्याय अधिनियम कहा जाता है। संसद द्वारा किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act 2000) वर्ष 2000 में पारित किया गया था।

किशोर न्याय अधिनियम का इतिहास

किशोर न्याय अधिनियम का इतिहास भारत में वर्षों पुराना है। आजादी के बाद भारत में किशोर अधिनियम से सम्बंधित प्रथम अधिनियम वर्ष 1960 में बनाया गया जिसे की वर्ष 1986 में संशोधित किया गया। हालांकि यह अधिनियम भी किशोरों को न्याय हेतु मानवावोचित परिस्थितियाँ उपलब्ध करवाने में निष्प्रभावी था। वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बाल अधिकार समझौते (United Nations Convention on the Rights of the Child (UNCRC) के तहत किशोरों के विभिन अधिकारों को तय किया गया। भारत द्वारा वर्ष 1992 में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए एवं बाल अधिकारों के संरक्षण हेतु प्रतिबद्धता दोहराई गयी। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित बाल अधिकारों को प्रभावी बनाने हेतु भारत सरकार द्वारा वर्ष 2000 में किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act 2000) अधिनियमित किया गया।

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क्या है किशोर न्याय अधिनियम का उद्देश्य

किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act) का मुख्य उद्देश्य बाल अपराधियों को दंड व्यवस्था के बजाय प्रेम, करुणा एवं सहानुभूति द्वारा अपराधों से विमुख करके समाज की मुख्य धारा में शामिल करना है। पूर्व समय में दंड व्यवस्था के अंतर्गत किशोरों को भी वयस्कों की भांति दंड देने का प्रावधान था परन्तु समय के साथ इस धारणा में बदलाव आया है। वर्तमान न्याय व्यवस्था के अंतर्गत किशोरों को अबोध, चंचल एवं जिज्ञासु प्रवृति का माना गया है जो की आसानी से अपराधों की ओर उन्मुख होते है। ऐसे में आवश्यक है की प्रेम एवं सहानुभूति द्वारा किशोरों की आपराधिक प्रवृति का उन्मूलन करके उन्हें सभ्य एवं सम्मानित नागरिक बनाया जाए।

किशोर न्याय अधिनियम के अंतर्गत किशोरों को न्यायिक वातावरण उपलब्ध करवाने एवं मानवोचित दशाएँ उपलब्ध करवाने का प्रावधान किया गया है। साथ ही इस अधिनियम में बाल अपराधियों के संरक्षण, उपचार एवं पुनर्वास के लिए भी विस्तृत प्रावधान किए गए है।

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किशोर न्याय अधिनियम, 2000 के मुख्य प्रावधान

किशोर न्याय अधिनियम, 2000 के तहत बाल अपराधियों हेतु न्यायिक व्यवस्था के अंतर्गत संचालित प्रक्रिया का विस्तृत प्रावधान है। बाल अपराधियों को न्याय व्यवस्था के अंतर्गत ऐसे अपराधियों के रूप में परिभाषित किया गया है जो की अबोध होते है एवं न्यायिक प्रक्रिया के दौरान सहानुभूति एवं करुणापूर्व वातावरण के माध्यम से उन्हें समाज की सम्मानित जीवन जीने हेतु तैयार किया जा सकता है। किशोर न्याय अधिनियम, 2000 के अंतर्गत किशोर अपराधियों की न्यायिक व्यवस्था हेतु निम्न मुख्य प्रावधान है :-

  • किशोर न्याय अधिनियम के तहत बाल अपराधियों को ‘विधि विरोधी किशोर’ (child in conflict with the law’) के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • किशोर की श्रेणी में कौन से नागरिक आएंगे यह अधिनियम इस सम्बन्ध में विस्तृत प्रावधान करता है।
  • किशोर न्याय अधिनियम के तहत त्याकजत, अनाथ एवं बेसहारा किशोरों को भी परिभाषित किया गया है।
  • किशोर अपराधियों के द्वारा किए जाने वाले अपराधों के सम्बन्ध में भी इस अधिनियम के तहत विस्तृत प्रावधान है। साथ ही यह विभिन प्रकार के अपराधों का वर्गीकरण भी करता है।
  • किशोरों को न्यायिक व्यवस्था में मानवीय एवं किशोरों के अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए इस अधिनियम में दिशा-निर्देश दिए गए है।

क्या है किशोर की परिभाषा

किशोर न्याय अधिनियम, 2000 के अंतर्गत किशोर से तात्पर्य उन नागरिको से है जो की 18 वर्ष से कम आयु के है। इस प्रकार किशोर न्याय अधिनियम, 2000 के तहत 18 वर्ष के कम नागरिको को किशोर नागरिक की श्रेणी में शामिल किया गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा भी 18 वर्ष से कम आयु के नागरिको को किशोर नागरिकों के रूप में परिभाषित किया गया है।

किशोर न्याय बोर्ड (juvenile justice board)

किशोर न्याय अधिनियम, 2000 के तहत किशोरों की न्यायिक प्रक्रिया हेतु सभी जिलों में किशोर न्याय बोर्ड (juvenile justice board) के गठन का प्रावधान किया गया है जहाँ अपराधों के दोषी किशोरों की न्यायिक सुनवाही पूर्ण की जाएगी। एक मजिस्ट्रेट एवं दो सामाजिक कार्यकर्ताओ को सम्मिलित करते हुए किशोर न्याय बोर्ड का कार्य किशोरों को मैत्रीपूर्ण न्यायिक वातावरण प्रदान करना है।

किशोर कल्याण समिति (Child Welfare Committee)

किशोर न्याय अधिनियम, 2000 का अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान किशोर कल्याण समिति (Child Welfare Committee) का गठन है जिसको गठित करने की जिम्मेदारी सम्बंधित राज्य सरकार को सौंपी गयी है। किशोर कल्याण समिति का कार्य बाल अपराधियों को संरक्षण, सुरक्षा, उपचार एवं पुनर्वास हेतु अनुकूल परिस्थितियाँ उपलब्ध करवाना है। साथ ही यह समिति किशोरों के हितो का भी ध्यान रखने हेतु अधिकृत है।

Juvenile Justice Act 2000 में संशोधन

किशोर न्याय अधिनियम, 2000 में वर्ष 2015 में महत्वपूर्ण संशोधन किया गया है। वर्ष 2012 में देश की राजधानी दिल्ली में घटित जघन्य एवं वीभत्स निर्भया रेप कांड (Nirbhaya Rape Case) एवं इस घटना में शामिल नाबालिक अपराधियों को लेकर उपजे जनाक्रोश के मद्देनजर संसद द्वारा Juvenile Justice Act 2000 में अमेंडमेंट किया गया। संशोधित किशोर न्याय अधिनियम के तहत किशोर की परिभाषा में परिवर्तन किया गया। पहले जहाँ 18 वर्ष की आयु के नागरिको को किशोर माना जाता था अब इसे घटाकर 16 वर्ष कर दिया गया। साथ ही इस संशोधन में एक महत्वपूर्ण प्रावधान यह भी रहा की जघन्य अपराधों में शामिल किशोरों को वयस्क अपराधियों की भाँति ही व्यवहार किया जायेगा।

किशोर न्याय अधिनियम सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

किशोर न्याय अधिनियम क्या है ?

किशोर न्याय अधिनियम से तात्पर्य ऐसी न्यायिक व्यवस्था से है जिसके अंतर्गत बाल अपराधियों को न्यायिक व्यवस्था में संचालित किया जाता है।

किशोर न्याय अधिनियम, 2000 के अंतर्गत किस नागरिक को किशोर की श्रेणी में रखा गया है ?

किशोर न्याय अधिनियम, 2000 के अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु के नागरिको को किशोर की श्रेणी में शामिल किया जाता है।

किशोर न्याय अधिनियम का मुख्य उद्देश्य क्या है ?

किशोर न्याय अधिनियम का मुख्य उद्देश्य किशोर अपराधियों के प्रति प्रेम एवं सहानुभूति द्वारा आपराधिक प्रवृति का उन्मूलन करके उन्हें सभ्य एवं सम्मानित नागरिक के रूप में निर्मित कर समाज की मुख्यधारा में शामिल करना है।

किशोर न्याय अधिनियम, 2000 के मुख्य प्रावधान क्या है ?

किशोर न्याय अधिनियम, 2000 के मुख्य प्रावधानों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल चेक करें। यहाँ आपको इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी है।

Juvenile Justice Act 2000 में किस वर्ष संशोधन किया गया है ?

Juvenile Justice Act 2000 में वर्ष 2015 में संशोधन के माध्यम से किशोर आयु को 18 वर्ष से घटाकर 16 वर्ष कर दिया गया है।

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