भारत-म्यांमार सीमा पर कटीली बाड़ लगाने की तैयारी, अब दोनों देशो के लोगो पर क्या प्रभाव दिखेगा

Indo Myanmar Border: भारत सरकार ने 1643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा पर कटीली बाड़ लगाने का फैसला किया है। यह फैसला सुरक्षा कारणों से लिया गया है लेकिन इससे मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के लोगों में चिंताएं पैदा हो गई हैं।

Indo Myanmar Border

बाढ़ पर चिंताएं और उनके संभावित समाधान

सीमांत गांवों के लोगों की चिंता

कई सीमांत गांवों में घर और खेत दो देशों में बंटे हुए हैं। बाड़ लगाने से लोगों को अपने घरों और खेतों तक पहुंचने में परेशानी हो सकती है।

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समाधान

  • सरकार बाड़ में ऐसे गेट बना सकती है जो लोगों को अपने घरों और खेतों तक पहुंचने की अनुमति दें।
  • सरकार सीमांत गांवों के लोगों को वैकल्पिक आजीविका के साधन प्रदान कर सकती है।

बाड़ का पर्यावरण पर प्रभाव

बाड़ लगाने से वन्यजीवों के आवागमन में बाधा आ सकती है।

समाधान

  • सरकार बाड़ में ऐसे स्थान बना सकती है जहां वन्यजीव आवागमन कर सकें।
  • सरकार पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए उपाय कर सकती है।

बाड़ से सीमा पर तस्करी और घुसपैठ रोकने में मदद होगी

तस्करी और घुसपैठ करने वाले लोग बाड़ लगाने के बाद भी अन्य तरीकों से सीमा पार कर सकते हैं।

समाधान

  • सरकार बाड़ लगाने के साथ-साथ सीमा पर सुरक्षा बलों की तैनाती भी बढ़ा सकती है।
  • सरकार सीमा पर तकनीकी निगरानी प्रणाली भी स्थापित कर सकती है।

बाड़ लगाने का खर्च

बाड़ लगाने का खर्च भारत सरकार उठाएगी।

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बाड़ लगाने में लगने वाला समय

सरकार ने अगले चार साल में बाड़ लगाने का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा है।

भारत-म्यांमार सीमा बाड़ पर प्रतिक्रियाएँ

यह स्पष्ट है कि भारत-म्यांमार सीमा पर कटीली बाड़ लगाने का फैसला कई चुनौतियों से जुड़ा हुआ है। सरकार को इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। भारत सरकार द्वारा 1643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा पर कटीली बाड़ लगाने का फैसला लिया गया है। यह फैसला सुरक्षा कारणों से लिया गया है लेकिन इसके पक्ष और विपक्ष में कई राय सामने आ रही हैं।

एक्सपर्ट्स का मत
  • पिछले साल मणिपुर में हुई हिंसा में विदेशी ताकतों का हाथ था।
  • म्यांमार से आने वाले उग्रवादियों और सशस्त्र गुटों की गतिविधियां बढ़ रही हैं।
  • अवैध प्रवासियों के कारण नार्को टेररिज्म का खतरा बढ़ रहा है।
  • बाड़ लगाने से सीमा पर सुरक्षा बढ़ेगी और तस्करी, घुसपैठ और उग्रवाद को रोकने में मदद मिलेगी।

फेंसिंग का प्रभाव

  • फेंसिंग के कारण FMR व्यवस्था बंद हो जाएगी, जिससे लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगेगा।
  • इससे विभाजित परिवारों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा, जिनके सदस्य दोनों देशों में रहते हैं।
  • व्यापार और रोजगार के अवसरों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

फेसिंग लगाने को लेकर समस्या

दोनों देशो की जमीनी सीमा भारत के 4 प्रदेशो अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर से लगती है। सर्वाधिक 520 किलोमीटर का क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश, 510 किलोमीटर मिजोरम, 398 किलोमीटर मणिपुर और 215 किलोमीटर का इलाका नगालैंड से लगता है। ये क्षेत्र बहुत स्थानों पर पहाड़ और घना जंगली है।

ऐसे में कटीले तार लगाना काफी मुश्किल काम हो सकता है। जानकारो की राय में यदि दुर्गम क्षेत्रो में फेंसिंग लगती है तो इनकी लगातार गस्ती करना भी कठिन होगा। यदि 24 घंटे के सात दिन तक गश्ती न की गई तो फेंसिंग के बड़े फायदे नहीं होंगे।

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