Gi Tag क्या है – तो दोस्तों जैसा की आप सभी जानते ही है की हम सभी इस भारत देश के निवासी है और हमारा यह भारत देश बहुत ही विशाल देश है। हमारे इस भारत देश की जनसँख्या भी बहुत ही अधिक है। आप सभी यह भी जानते होंगे की हमारे देश की जनसँख्या विश्व में दूर स्तर पर है सबसे अधिक जनसँख्या वाला देश चीन है। उसके बाद भारत की जनसँख्या सबसे अधिक है। तो दोस्तों आप सभी यह भी जानते ही होंगे की जितनी अधिक किसी भी देश की जनसँख्या होती है उसी के मुताबिक उस देश की जरूरते भी अधिक होती है। इसलिए लोगो की अधिक जरूरतों को पूर्ण करने के लिए हमारे देश में बहुत सी चीजों का निर्माण किया जाता है ताकि उन सभी चीजों से लोगो की जरूरते पूरी हो सके। क्योंकि हमारे देश की जरूरते अधिक होने की वजह से लोग लोग सामान अधिक संख्या में बनाने के प्रयास करते है।
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उसके बाद भी देश की कई जरूरते पूर्ण नहीं हो पाती है उसी के चलते कई लोग नकली सामान भी बनाते है। इन नकली सामान की वजह से लोगो को बहुत से नुकसान होते है। इन नकली सामान का उपयोग अधिकतर गरीबों के द्वारा किया जाता है जिसके कारण उनको बहुत सी तकलीफों का सामना करना पढता है। क्योंकि गरीब लोग सामान सस्ता सामान होने के कारण नकली सामान ले लेते है जिससे उनके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। तो दोस्तों इन सभी नकली सामानो से बचने के लिए सरकार के द्वारा बहुत तरीके का उपयोग करती है उसी प्रकार सरकार का ही एक तरीका है जिसका नाम है Gi Tag . तो दोस्तों क्या आप ने कभी Gi Tag के बारे में सुना है। अगर हाँ
तो क्या आप में से कोई व्यक्ति Gi Tag की Full Form जानता है और यह जानते है की Gi Tag क्या है और यह Gi Tag कौन देता है। अगर आप इसके बारे में इस प्रकार की जानकारी नहीं जानते है तो आपको चिंता करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है। क्योंकि आज हम आप सभी को इस लेख के जरिये जीआई टैग के बारे में बहुत सी जानकारी प्रदान करने वाले है जैसे की – Gi Tag (जीआई टैग) क्या है, कौन देता है (Gi Tag Full Form, List in Hindi) आदि जैसी जानकारी। तो दोस्तों क्या आप भी इसके बारे में इस प्रकार की जानकारी प्राप्त करना चाहते है अगर हाँ तो उसके लिए आप सभी को हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ना होगा। क्योंकि इस लेख में ही हमने इससे सम्बंधित जानकारी प्रदान की हुई जिसको पढ़ने से ही आप इससे सम्बंधित जानकारी प्राप्त कर सकोगे। तो दोस्तों इसलिए कृपया करके हमारे इस लेख को अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़े।
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Gi Tag की फुल फॉर्म क्या होती है | What is the full form of Gi Tag?
तो दोस्तों अब हम आप सभी को यहाँ पर Gi Tag की फुल फॉर्म के बारे में बताने वाले है। तो दोस्तों अगर आप भी इसकी फुल फॉर्म जानना चाहते है तो यहाँ पर दी गयी जानकारी को ध्यान से पढ़े।
Gi Tag की फुल फॉर्म कुछ इस प्रकार है :-
- The full form of Gi Tag in english – Geological Indication
- Gi Tag की फुल फॉर्म हिंदी में कुछ इस प्रकार है – भौगोलिक संकेत
जीआई टैग क्या होता है | What is GI Tag?
तो दोस्तों जैसा की हमने आप सभी को इस लेख में जीआई टैग की फुल फॉर्म के बारे में बताया है की इसकी फुल फॉर्म Geological Indication होती है। जिसको हिंदी भाषा में भौगोलिक संकेत के नाम से भी जाना जाता है। आप सभी को यह बता दे की यह एक प्रकार का टैग होता है जो की किसी भी वस्तु को प्रदान किया जाता है। आप सभी को यह भी बता दे की यह टैग किसी भी वास्तु को तब प्रदान किया जाता है जब कोई भी वस्तु किसी भी स्थान की विशेषता को दर्शाते है जैसे की – दार्जीलिंग की चाय को भी यह जीआई टैग प्रदान किया गया है। उसी प्रकार है दाल बाटी चूरमा जो की राजस्थान की प्रसिद्ध चीज है वहाँ के लोग इसको खाना बहुत अधिक पसंद करते है।
जीआई टैग के द्वारा इस प्रकार की चीजों को एक अलग ही पहचान दी जाती है। इसमें किसी भी चीज को एक अलग प्रकार की पहचान दी जाती है जिससे की किसी भी विशेष स्थान का पता चलता है जिससे यह पता चलता है की यह वस्तु क्यों मशहूर है और किस स्थान की मशहूर है। यानि के जीआई टैग के द्वारा किसी भी वस्तु को एक भौगोलिक पहचान प्रदान की जाती है। जीआई टैग केवल खाने की वस्तुओं को ही नहीं बल्कि और भी कई अन्य चीजों को प्रदान किया जाता है। यह उस स्थान के बारे में बताता है जिस स्थान की वह वस्तु मशहूर होती है। उदहारण के लिए आप सभी को बता दे – जैसे की चावल , वैसे तो चावल की फसल भारत में अनेकों स्थानों पर उगाई जाती है परन्तु पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य इसकी फसल के लिए अधिक मशहूर है।
उसी प्रकार से है चाय की पत्ती का उदहारण वैसे तो चाय की पत्ती की फसल भारत में कई स्थानों पर उगाई जाती है परन्तु चाय की पत्ती के लिए दार्जीलिंग को जीआई टैग दिया गया है क्योंकि दार्जीलिंग की चाय की पत्ती की फसल सबसे बेहतर गुणवत्ता वाली मानी जाती है। ऐसे कई अन्य को भी जीआई टैग प्रदान किया गया है। इसके बहुत से लाभ भी होते है जिसके बारे में भी हम आप सभी को इस लेख में बताने वाले है। वह जानने के लिए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़े।
जीआई टैग की शुरुआत कब हुई | When was the G.I tag introduced?
जीआई टैग की शुरुआत भारत में 2003 में हुई थी। इस जीआई टैग की शुरुआत भारत की धरोहर को बचाये रखने के लिए की गयी थी। इस टैग की शुरुआत इसलिए की गयी थी ताकि कोई और उन सभी चीजों को भारतीय बाजार में अधिक रेट पर न बेच सके। अगर ऐसा होता तो भारत की आर्थिक स्थिति को भी काफी परेशानी होती। इसलिए ही भारत की बहुत सी चीजों को जीआई टैग प्रदान किया गया है। तो दोस्तो क्योंकि भारत की बहुत सी चीजों को यह जीआई टैग प्रदान किया गया है जिसके बारे में हम अगर आप सभी को संक्षेप से बताने लगे तो उसकी सूची काफी अधिक बड़ी हो जायेगी।
इसलिए अब हम आप सभी को यहाँ पर कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताया हुआ है जिनको खासतौर पर होने के कारन जीआई टैग प्रदान किया गया है जो कुछ इस प्रकार है – मार्लेश्वर का स्ट्रॉबेरी, बनारस की बनारसी साड़ी, नागपुर का संतरा, तिरुपति के लड्डू, जम्मू और कश्मीर का केसर , मणिपुर का काला चावल, दार्जीलिंग की चाय पत्ती, पंजाब,हिमचाल प्रदेश और हरयाणा के चावल आदि जैसी कई चीजें है । यह सभी कुछ ऐसी चीजें है जो की वैसे तो भारत में बहुत सी जगहों पर मिल जाएंगे परन्तु इन स्थानों की यह सभी चीजों को ही जीआई टैग प्रदान किया गया है। जीआई टैग एक प्रकार से ट्रेडमार्क की तरह ही होता है। जो की किसी भी वस्तु को प्रदान किया जाता है।
जीआई टैग कैसे प्राप्त होता है | How to get G.I Tag ?
तो दोस्तों अब आप सभी यह सोच रहे होंगे की इन सभी चीजों को जीआई टैग कैसे प्राप्त हुआ और अगर कोई जीआई टैग प्राप्त करना चाहे तो कैसे करे तो उसके लिए आपको चिंता करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है क्योंकि अब हम आप सभी को यहाँ पर यह बताने वाले है की How to get GI Tag (जीआई टैग कैसे प्राप्त होता है) यह जानकारी प्राप्त करने के लिए लेख को अंत तक पढ़े।
तो दोस्तों इसलिए आप सभी को यह बता दे की जीआई टैग प्राप्त करने के लिए सबसे पहले तो कुछ विशेष्कारो के द्वारा उस वस्तु की गुणवत्ता quality को चेक किया जाता है। इसके साथ साथ उस वस्तु की मौलिकता के बारे में भी पता किया जाता है की वह वस्तु कैसा है और उसका उत्पादन कहा पर और किस क्षेत्र में किया जा रहा है। इसके साथ साथ वस्तु के प्रभावित मौसम का भी पता किया जाता है क्योंकि कई बार वस्तु के ऊपर मौसम का भी बहुत प्रभाव पढता है। इसी प्रकार से और भी कई अन्य चीजों को परखने के बाद ही किसी वस्तु को जीआई टैग प्रदान किया जाता है।
तो दोस्तों अब आप सभी के दिमाग में यह भी ख्याल आ रहा होगा की आखिर यह जीआई टैग कौन प्रदान करता है तो अगर आप भी यह जानना चाहते है तो उसके लिए हमने इस लेख में जानकारी प्रदान की हुई है इसलिए आपको यह जानने के लिए इस लेख को ध्यान से पढ़े।
जीआई टैग कौन प्रदान करता है | Who Provides GI Tag ?
तो दोस्तों अगर आप भी यह सोच रहे है की यह जीआई टैग किसके द्वारा प्रदान किया जाता है तो आप सभी को यह बता दे की यह जीआई टैग किसी भी वस्तु को वाणिज्य मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड के द्वारा ही दिया जाता है। आप सभी को यह भी बता दे की यह टैग न केवल किसी वस्तु को दिया जाता है बल्कि यह कई संस्थाओ और राज्यों को भी प्रदान किया गया है। आप सभी को यह भी बता दे की यह जीआई टैग सबसे पहले दार्जीलिंग की चाय को दिया गया था। दार्जीलिंग को यह जीआई टैग सन 2003 में प्रदान किया गया था। उसके बाद भारत की ऐसी कई चीजों को यह जीआई टैग प्रदान किया गया है जैसे की – मार्लेश्वर का स्ट्रॉबेरी, बनारस की बनारसी साड़ी, नागपुर का संतरा, तिरुपति के लड्डू, जम्मू और कश्मीर का केसर , मणिपुर का काला चावल
जीआई टैग से सम्बंधित कुछ प्रश्न व उनके उत्तर
Gi Tag की फुल फॉर्म कुछ इस प्रकार है :-
The full form of Gi Tag in english – Geological Indication
Gi Tag की फुल फॉर्म हिंदी में कुछ इस प्रकार है – भौगोलिक संकेत
आप सभी को यह बता दे की यह एक प्रकार का टैग होता है जो की किसी भी वस्तु को प्रदान किया जाता है। आप सभी को यह भी बता दे की यह टैग किसी भी वास्तु को तब प्रदान किया जाता है जब कोई भी वस्तु किसी भी स्थान की विशेषता को दर्शाते है जैसे की – दार्जीलिंग की चाय को भी यह जीआई टैग प्रदान किया गया है।
जीआई टैग की शुरुआत भारत में 2003 में हुई थी। इस जीआई टैग की शुरुआत भारत की धरोहर को बचाये रखने के लिए की गयी थी।
आप सभी को यह बता दे की यह जीआई टैग किसी भी वस्तु को वाणिज्य मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड के द्वारा ही दिया जाता है।