भारत के प्रसिद्ध बौद्ध मठ – Famous Buddhist monasteries of India in Hindi

प्राचीन काल से ही भारत में बौद्ध धर्म के प्रचार के साथ मठों का निर्माण किया जाता रहा है जिसके कारण हमारे देश में अनेक प्रसिद्ध बौद्ध मठ मौजूद है। बौद्ध मठ उन संस्थानों को कहा जाता है जहाँ बौद्ध धर्म के गुरुओ द्वारा शिष्यों को आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान की जाती है। मठों में बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा ध्यान, साधना, योग, अध्ययन जैसे कार्य किए जाते है इसके अतिरिक्त भी मानव सेवा, सामाजिक उद्धार एवं सार्वजानिक कल्याण के कार्यो हेतु भी मठों की प्रमुख भूमिका रहती है। भारत में बौद्ध मठों का मुख्य उद्देश्य भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार करना एवं बुद्ध के दर्शन को जन-जन तक पहुंचाकर मानव जीवन को और भी समृद्ध एवं कल्याणकारी बनाना रहा है।

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भारत के प्रसिद्ध बौद्ध मठ
भारत के प्रसिद्ध बौद्ध मठ

भारत में भगवान बुद्ध के जीवनकाल में शुरू हुए बौद्ध मठ अनंत शान्ति एवं आनंद का केंद्र माने जाते है यही कारण है बौद्ध मठ पूरे विश्व के लोगो के लिए आध्यात्म एवं आस्था का केंद्र बने हुए है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको भारत के प्रसिद्ध बौद्ध मठ (Famous Buddhist monasteries of India in Hindi) के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले है जिसके माध्यम से आप भारत के सभी प्रमुख बौद्ध आस्था के केंद्रों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

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भारत के प्रसिद्ध बौद्ध मठ (Famous Buddhist monasteries of India)

भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करके इन्हे जनमानस तक पहुँचाना एवं भगवान बुद्ध के दर्शन को ओर भी जनमुखी बनाने में बौद्ध मठों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भारत में अधिकतर बौद्ध मठ उत्तरी भाग एवं उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। यहाँ आपको भारत के प्रमुख मठों एवं इनके मुख्य आकर्षण के बारे में जानकारी प्रदान की गयी है :-

हेमिस मठ लद्दाख (Hemis Monastery, Ladakh)

Hemis Monastery

सिंधु नदी के किनारे स्थित पहाड़ियों पर बसा हेमिस मठ लेह के दक्षिणी भाग में 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लद्दाख का सबसे बड़ा एवं धनी मठ है। हेमिस मठ का निर्माण 1630 ई. में यहाँ के राजा, राजा सेंगगे नामग्याल के द्वारा किया गया था जो की वर्तमान में बौद्ध धर्म की आस्था का प्रमुख केंद्र है। अपनी आध्यात्मिकता के लिए प्रसिद्ध हेमिस मठ भारत के आश्चर्यो में गिना जाता है जो की देश के सबसे धनी मठों में भी शुमार है। यहाँ आपको स्वर्ण एवं रजत निर्मित स्तूप के अतिरिक्त भगवान बुद्ध की ताँबे से निर्मित अद्वितीय प्रतिमा के भी दर्शन होंगे साथ ही यहाँ का वातावरण भी आध्यात्मिकता से परिपूर्ण है। यहाँ के पुस्तकालय के आपको तिब्बती साहित्य एवं अध्यात्म की अमूल्य पुस्तकों का संग्रह भी प्राप्त होगा। साथ ही यहाँ भगवान बुद्ध के जीवन एवं दर्शन से सम्बंधित विभिन वस्तुओं का दर्शन भी किया जा सकता है।

हेमिस मठ के मुख्य आकर्षण- हेमिस मठ का मुख्य आकर्षण यहाँ प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला हेमिस त्यौहार है जहाँ प्रति 12 वर्ष के उपरान्त पवित्र थांगका प्रदर्शित किया जाता है। थांगका भगवान बुद्ध की जीवन को प्रदर्शित करने वाली पेंटिंग होती है। इसके अतिरिक्त यहाँ आप अध्यात्म के लिए भी कुछ समय बिता सकते है।

हेमिस मठ यात्रा (कैसे पहुँचे)- हेमिस मठ जाने का सबसे बेहतर समय मई से सितंबर के मध्य होता है जब यहाँ का मौसम यात्रा के अनुकूल होता है। आप हवाई मार्ग से हेमिस मठ पहुंचने के लिए लेह हवाई अड्डा या कुशोक बकुला रिम्पोछे हवाई अड्डा तक हवाई यात्रा कर सकते है। वही रेल यात्रा की बात की जाए तो यहाँ का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जम्मू तवी रेलवे स्टेशन है जहाँ आप रेल से यात्रा कर सकते है। साथ ही सड़क मार्ग से यहाँ पहुंचने के लिए आपको जम्मू-कश्मीर से नियमित बस या अन्य वाहनों की सेवा उपलब्ध रहती है।

तवांग मठ अरुणाचल प्रदेश (Tawang Monastery, Arunachal Pradesh) 

भारत के प्रसिद्ध बौद्ध मठ

समुद्र तल से 3,000 मीटर की ऊँचाई पर अरुणाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियों में स्थित तवांग मठ भारत का सबसे बड़ा बौद्ध मठ एवं एशिया का दूसरा सबसे बड़ा एवं पुराना मठ है। मेरेक लामा लोद्रे गेम्स्टो द्वारा तवांग मठ की स्थापना वर्ष 1680-81 में पंचम दलाई लामा के अनुरोध पर की गयी थी। दलाई लामा द्वारा मेरेक लामा लोद्रे गेम्स्टो को इस मठ में देवी पाल्डेन लामाओ की मूर्ति को संरक्षित करने के लिए भी दिया गया था। यहाँ भगवान बुद्ध की 8 मीटर ऊँची मूर्ति स्थापित है जो यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए एक शान्ति का गहरा एहसास देती है। तवांग मठ 300 से अधिक बौद्ध भिक्षुओं के लिए रेजिडेंशियल बिल्डिंग के रूप में भी कार्य करता है जहाँ आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए भिक्षुओं की प्राथमिक शिक्षा, लाइब्रेरी एवं अन्य सुविधाएँ भी प्रदान की गयी है।

तवांग मठ के मुख्य आकर्षण– तवांग मठ का मुख्य आकर्षण लोसार त्योहार है जो प्रतिवर्ष तिब्बती नववर्ष के रूप में 15 दिनों तक चलने वाला उत्सव है। यहाँ ग्रेट प्रेयरिंग व्हील के अतिरिक्त अमूल्य पवित्र थांगका एवं आकर्षक लैंप के अतिरिक्त टोरिंगा महोत्सव जो की जनवरी माह में आयोजित किया जाता है मुख्य आकर्षण है।

तवांग मठ यात्रा (कैसे पहुँचे)- आप गर्मियों में मार्च से सितंबर माह तक कभी भी तवांग मठ को विजिट कर सकते है। हवाई मार्ग से यात्रा के इच्छुक पर्यटक नजदीकी हवाई अड्डे तेजपुर तक यहाँ से लिए हवाई मार्ग का चयन कर सकते है। साथ ही गुवाहाटी से तवांग के लिए भी आपको हवाई सेवा उपलब्ध है। साथ ही गुवाहाटी या तेजपुर (असम) से आप तवांग मठ के लिए सड़क मार्ग का विकल्प भी चुन सकते है।

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माइंड्रोलिंग मठ देहरादून (Mindrolling Monastery, Dehradun)

भारत के प्रसिद्ध बौद्ध मठ

देवभूमि उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में शिवालिक पहाड़ियों की श्रृंखलाओं के मध्य में स्थित माइंड्रोलिंग मठ आध्यात्मिकता के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने का भी खूबसूरत जरिया है। उत्तराखंड की शीतकालीन राजधानी देहरादून में स्थित माइंड्रोलिंग मठ बौद्ध धर्म के बारे में जानकारी प्राप्त करने के इच्छुको की जिज्ञासा को पूरा करने का डेस्टिनेशन पॉइंट है। माइंड्रोलिंग मठ को स्थानीय भाषा में बुद्धा टेम्पल भी कहा जाता है जहाँ हर दिन हजारों पर्यटक आध्यात्मिकत शांति प्राप्त करने के लिए आते है। इस मठ का निर्माण खोचन रिनपोछे के द्वारा वर्ष 1965 में किया गया था जो की वर्तमान में बौद्ध धर्म की शिक्षा का प्रसिद्ध केंद्र है।

माइंड्रोलिंग मठ के मुख्य आकर्षण– माइंड्रोलिंग मठ में आपको ग्रेट स्तूप के दर्शन होते है जिसकी वास्तुकला वास्तव में दर्शनीय है। इसके अतिरिक्त यहाँ आपको भगवान बुद्ध का आकर्षक स्टेचू एवं प्रेयरिंग व्हील का दर्शन का भी मौका मिलता है। साथ ही पास में आप स्थित वन की शान्ति आपको प्रकृति को भी पास से महसूस करने का मौका देती है।

माइंड्रोलिंग मठ यात्रा (कैसे पहुँचे)– देहरादून में स्थित माइंड्रोलिंग मठ हवाई, रेल एवं सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है। यहाँ का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्रांट एयरपोर्ट है जो की देहरादून से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान रेलवे मार्ग से भी अच्छे से जुड़ा हुआ है। साथ ही देहरादून बस अड्डा भी यहाँ से थोड़ी ही दूरी पर स्थिति होने के कारण आपको आसानी से यहाँ आने के लिए वाहन उपलब्ध होते है।

फुकताल मठ ज़ांस्कर, जम्मू और कश्मीर (Phuktal Monastery Zanskar, Jammu and Kashmir)

भारत के प्रसिद्ध बौद्ध मठ

भारत के सबसे पुराने मठों में शुमार फुकताल मठ या जिसे आमतौर पर फुगताल मठ भी कहा जाता है हिमालय की जास्कर श्रेणी में स्थित गुफा मठ है। फुकताल मठ भारत का सबसे पुराना मठ माना जाता है जिसका इतिहास 2500 वर्षों से भी प्राचीन माना जाता है। यह मठ मुख्यत गुफा मठ रहा है जहाँ विभिन बौद्ध भिक्षुओ के द्वारा मोक्ष प्राप्त किया गया है। ज़ास्कर नदी के तट पर स्थित एवं हिमालय की बर्फीली चोटियों से घिरे फुकताल मठ में भगवान बुद्ध के सबसे समर्पित अनुयायियों के द्वारा अपने ध्यान, योग एवं आध्यात्म का अधिकांश समय बिताया गया है। यहाँ बौद्ध धर्म के प्रसिद्ध भिक्षुओ अर्हतस एवं गुरु पदमसंभव के अतिरिक्त विभिन ऋषि, मुनियों एवं आध्यात्मिक गुरुओ ने भी ध्यान एवं समाधि में अपना समय व्यतीत किया है। वर्तमान में यह मठ 1000 से भी अधिक बौद्ध भिक्षुओं का घर है जहाँ वे आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति करते है।

फुकताल मठ के मुख्य आकर्षण– बसंत के मौसम में आपको यहां के वातावरण में आध्यात्मिक सुकून की प्राप्ति होती है एवं यहाँ यह स्थान ध्यान के लिए सबसे उत्तम मठों में से एक माना जाता है। इसके अतिरिक्त यहाँ आपको भगवान बुद्ध के जीवन एवं दर्शन से जुड़े भित्तिचित्रों के अतिरिक्त विभिन त्योहारों का आनंद लेने के लिए भी मौका मिलता है।

फुकताल मठ यात्रा (कैसे पहुँचे)– गर्मियों में अप्रैल-जून एवं सर्दियों में सितंबर-अक्टूबर माह फुकताल मठ यात्रा के लिए बेहतर समय है। जास्कर श्रेणी में सुदूर स्थित होने के कारण फुकताल मठ के लिए आपको हवाई एवं रेल मार्ग की सुविधा उपलब्ध नहीं है परन्तु लेह से यहाँ के लिए सड़क मार्ग द्वारा आवागमन की सुविधा उपलब्ध है ऐसे में आप आप लेह से यहाँ के लिए सड़क मार्ग द्वारा आवागमन की सुविधा प्राप्त कर सकते है। आपको बता दे की फुकताल मठ देश के सबसे सुदूर एवं अंतिम चेकपोस्ट में स्थित है। हालांकि यहाँ की आध्यात्मिक शांति को प्राप्त करने के लिए यह दूरी वहनीय है।

रुमटेक मठ गंगटोक (Rumtek Monastery Gangtok)

भारत के प्रसिद्ध बौद्ध मठ

सिक्किम की राजधानी गंगटोक में स्थित रुमटेक मठ 12वीं शताब्दी में उत्पन बौद्धों के कारगीय संप्रदाय से जुड़ा है जो की हिमालय की चोटियों में स्थित बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है। सिक्किम के सबसे बड़े मठ होने का गौरव प्राप्त करने वाले रुमटेक मठ को धर्मचक्र केंद्र के नाम से भी जाना जाता है जिसके दर्शन के लिए हर वर्ष लाखों पर्यटक आते है। पूरी दुनिया में भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के प्रचार के उद्देश्य से स्थापित रुमटेक मठ में 16वें करमपा से सम्बंधित अवशेष मौजूद है जो की वर्तमान समय में भी बौद्ध अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। स्वर्ण स्तूप से निर्मित रुमटेक मठ का स्तूप वास्तव में दर्शनीय है। यहाँ से आप राजधानी गंगटोक का विहंगम दृश्य देख सकते है जो की आध्यात्म के साथ ही आपकी घुमक्कड़ी प्रवृति को भी नए आयाम प्रदान करता है। 5,500 फिट की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण आप यहाँ हिमालयी समीर की आनंद भी ले सकते है।

रुमटेक मठ के मुख्य आकर्षण– रुमटेक मठ में आपको तिब्बती शैली के म्यूरल एवं चित्रों के अतिरिक्त द्वार पर चार गार्जियन देवतोओं के पेटिंग के दर्शन होते है। इसके अतिरिक्त यहाँ की रेशम पेंटिंग एवं भगवान बुद्ध के हजार से भी अधिक मूर्तियाँ दर्शनीय है। लोसर एवं डुंगद्रूब पूजा यहाँ मनाये जाने वाले प्रमुख त्यौहार है।

रुमटेक मठ यात्रा (कैसे पहुँचे)– वैसे तो आप वर्ष भर यहाँ की यात्रा कर सकते है परन्तु गर्मियों में मई से जून एवं सितम्बर से नवंबर तक यहाँ का मौसम अत्यंत सुहावना रहता है ऐसे में यहाँ की यात्रा का मजा दुगुना हो जाता है। यहाँ पहुंचने के लिए आपको हवाई एवं सड़क मार्ग से विकल्प मिलता है। यहाँ का नजदीकी हवाई अड्डे बागडोगरा है जहाँ आप हवाई मार्ग से आसानी से पहुंच सकते है। साथ ही सड़क मार्ग से भी आप राजधानी गंगटोक से यहाँ पहुंच सकते है।

त्सुगलाक्खांग कॉम्प्लेक्स धर्मशाला (Tsuglagkhang Complex, Dharamshala)

Tsuglagkhang Complex, Dharamshala

हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियों में देवदार के घने वनों के बीच स्थित धर्मशाला में स्थित त्सुगलाक्खांग कॉम्प्लेक्स धर्मशाला जिसे की आमतौर पर दलाई लामा टेम्पल काम्प्लेक्स के नाम से भी जाना जाता है भारत का प्रसिद्ध बौद्ध आध्यात्मिक स्थल है। यह बौद्ध धर्म के प्रमुख गुरु एवं आध्यात्मिक प्रेणता दलाई लामा का निवास भी है। तिब्बत में चीन के आक्रमण के बाद दलाई-लामा अपने अनुयायियों के साथ वर्ष 1959 में भारत में आये थे जहाँ सर्वप्रथम वे मसूरी गए एवं इसके पश्चात सरकार द्वारा इन्हे हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निवास हेतु सहायता प्रदान की गयी है। वर्तमान दलाई-लामा 14वें दलाई लामा है। त्सुगलाक्खांग कॉम्प्लेक्स धर्मशाला दलाई लामा का आधिकारिक निवास होने के साथ-साथ बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में शामिल है। यह तिब्बती बुद्ध अनुयायियों के लिए प्रशिक्षण संस्थान के रूप में भी कार्य करता है जहाँ वे विभिन धार्मिक क्रियायें सीखते है।

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त्सुगलाक्खांग कॉम्प्लेक्स मठ के मुख्य आकर्षण– यहाँ के मठ परिसर में स्थित मंदिर में भगवान बुद्ध की मूर्ति के साथ पदमसंभव एवं अलौकितेश्वर की पेटिंग दर्शनीय है। इसके अतिरिक्त यहाँ आपको तिब्बत संग्रहालय भी मिलेगा जहाँ आप तिब्बती लोगो के भारत प्रवास के कारणों सम्बंधित चित्र एवं तिब्बती एवं चीन की बौद्ध धर्म सम्बंधित म्यूरल एवं प्रतिमाओं को देख सकते है।

त्सुगलाक्खांग कॉम्प्लेक्स मठ यात्रा (कैसे पहुँचे)– त्सुगलाक्खांग कॉम्प्लेक्स मठ जाने का सबसे बेहतर समय नवंबर से मार्च है। यह मठ मैकलोडगंज से मात्र 2 किमी एवं धर्मशाला से मात्र 4 किमी की दूरी पर स्थित है ऐसे में आप यहाँ हवाई, रेल या बस मार्ग से आसानी से पहुंच सकते है।

द डिस्कट मठ लेह (Diskit Monastery, Leh)

Diskit Monastery

श्योक नदी की नीली वादियों के समतल मैदान की पहाड़ी भाग पर स्थित डिस्कट मठ लेह की नुब्रा घाटी का सबसे बड़ा बौद्ध मठ है जो की इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म की शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र भी है। इस मठ का निर्माण चंगज़ेन त्सेराब ज़ांग्पो के द्वारा 14वीं शताब्दी में करवाया गया था। वर्तमान में यहाँ गैर-सरकारी संस्था द्वारा तिब्बती बच्चों के लिए अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्रदान करने के लिए स्कूल संचालित किया जा रहा है। इस मठ की कथा बुरे साधु से जुडी है जिसके द्वारा इस मठ पर कई बार आक्रमण करने के प्रयास किये गये थे। यहाँ का मुख्य आकर्षण भगवान बुद्ध की मैत्रैय स्टेचू है जिसका अनावरण सम्मानित दलाई लामा के द्वारा किया गया है।

द डिस्कट मठ के मुख्य आकर्षण डिस्कट मठ का मुख्य आकर्षण 32 फीट की बुद्ध की मैत्रैय प्रतिमा है जिन्हे भगवान बुद्ध का भविष्य का अवतार माना जाता है। इसके अतिरिक्त यहाँ से आप नुब्रा वैली की खूबसूरती को भी निहार सकते है जहाँ आपको वक्त थमा हुआ सा महसूस होता है।

डिस्कट मठ यात्रा (कैसे पहुँचे)डिस्कट मठ को विजिट करने के सबसे अच्छा समय मार्च से सितम्बर तक है। अगर आप हवाई मार्ग से यहाँ पहुंचना चाहते है तो आप यहाँ के नजदीकी हवाई अड्डे कुशोक बकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट (लेह एयरपोर्ट) तक हवाई सेवा ले सकते है। साथ ही आप लेह से बस या प्राइवेट कैब के द्वारा भी यहाँ की यात्रा कर सकते है।

थिकसे मठ लद्दाख (Thiksey Monastery, Ladakh)

Thiksey Monastery

बर्फीली पहाड़ियों से घिरा थिकी मठ लद्दाख का सबसे बड़ा तिब्बती बौद्ध मठ है जहाँ आपको बौद्ध धर्म के विभिन सेक्ट्स का अनोखा संगम देखने को मिलता है। समुद्र तल से 11,800 फीट की ऊँचाई पर स्थित थिकी मठ अपने अध्यात्म के साथ-साथ आसपास के शांत एवं पवित्र वातावरण के कारण भी प्रसिद्ध है जो यहाँ हर वर्ष हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है। 12 मंजिला यह मठ अपने वास्तुकला के कारण प्रसिद्ध है जहाँ 2 मंजिलो पर भगवान बुद्ध की 49 फीट ऊँची मूर्ति स्थापित है। यहाँ आपको बौद्ध धर्म से जुड़े विभिन संग्रहों के साथ थांगका, स्टेचू, वॉल पेटिंग एवं म्यूरल के भी दर्शन होते है।

थिकी मठ के मुख्य आकर्षण– यहाँ आपको भगवान बुद्ध की 49 फीट प्रतिमा के साथ देवी तारा की मूर्ति एवं लामोखांग मंदिर के अनोखे वास्तुकला के दर्शन का मौका मिलता है।

थिकी मठ यात्रा (कैसे पहुँचे) थिकी मठ को मई से अक्टूबर के मध्य विजिट किया जा सकता है। यहाँ आप हवाई मार्ग एवं सड़क मार्ग के द्वारा आसानी से पहुंच सकते है। लेह यहाँ का सबसे निकटतम हवाई अड्डा है। इसके अतिरिक्त रेल मार्ग से आने पर नजदीकी रेलवे स्टेशन जम्मू का तवी रेल स्टेशन है। यहाँ आपको लेह एवं मनाली से परिवहन की सुविधा उपलब्ध रहती है।

काई मठ लाहौल स्पीति – (Key Monastery, Lahaul-Spiti)

Key Monastery

हिमाचल प्रदेश के लाहुल-स्पीति जिले में स्थित काई मठ 13,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित बौद्ध धर्म का प्रसिद्ध तिब्बती मठ है जो की बौद्ध आस्था का प्रमुख केंद्र है। 1000 वर्ष से अधिक पुराने इस मठ ने इतिहास के विभिन कालखंडो में विभिन आक्रमणों का सामना किया है जिसके बावजूद भी इसकी आध्यात्मिकता बरक़रार है। इस मठ का निर्माण 11 वीं शताब्दी में किया गया है जहाँ आपको बौद्ध धर्म के विभिन प्रतीकों, म्यूरल, पेटिंग एवं अन्य दर्शनीय वस्तुओं का संग्रह प्राप्त होता है।

काई मठ के मुख्य आकर्षण– कालचक्र पूजा एवं बौद्ध भित्ति के शानदार चित्र यहाँ के मुख्य आकर्षण है। इसके अतिरिक्त आपको यहाँ टेंग्युर कक्ष एवं पसादा शैली में निर्मित विभिन वास्तुकला के दर्शन भी होते है।

काई मठ यात्रा (कैसे पहुँचे)– यहाँ पहुंचने के लिए आपको यहाँ के निकटतम शहर काजा तक पहुंचना होगा जो की रोहतांग दर्रे से होकर गुजरता है। अगर आप हवाई मार्ग से यात्रा करने की सोच रहे है तो यहाँ जुब्बड़हट्टी हवाई अड्डा शिमला में स्थित है।

नामद्रोलिंग मठ मैसूर (Namdroling Monastery, Mysore)

Namdroling Monastery

दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध मठ के रूप में शुमार नामद्रोलिंग मठ कर्नाटक राज्य के मैसूर जिले में स्थित है। दक्षिण भारत में बौद्ध धर्म के सबसे बड़े केंद्र के रूप में प्रचलित इस मठ की स्थापना वर्ष 1963 में द्रूबवांग पेमा नोर्बू रिनपोचे के द्वारा की गयी है। इस मठ में बौद्ध शिक्षा के अतिरिक्त मानवीय सेवार्थ अस्पताल एवं अन्य सुविधाओं को भी संचालित किया जाता है यही कारण है की इसे स्थानीय लोगो के मध्य स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दे की इस मंदिर को विभिन नाम अलग-अलग तिब्बती बौद्ध धर्मगुरुओ के द्वारा प्रदान किए गए है।

काई मठ के मुख्य आकर्षण– यहाँ आपको भगवान बुद्ध की स्वर्ण प्रतिमा के साथ विभिन बौद्ध धर्म से जुड़ी वस्तुओं को देखने मौका मिलेगा। साथ ही यहाँ प्रार्थना हाल भी दर्शनीय है।

काई मठ यात्रा (कैसे पहुँचे)नामद्रोलिंग मठ को वर्ष भर विजिट कर सकते है। साथ ही यह स्थान मैसूर जिले में स्थित होने के कारण सड़क, रेल एवं हवाई मार्ग से भी आप आसानी से इस स्थान तक पहुंच सकते है।

घूम मठ दार्जलिंग (Ghoom Monastery, Darjeeling)

Ghoom Monastery

बंगाल के खूबसूरत हिल स्टेशन दार्जलिंग में स्थित घूम मठ अपनी आध्यात्मिकता के साथ-साथ यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती के लिए भी प्रसिद्ध है। इसका निर्माण वर्ष 1850 में लामा शेरपा ग्यात्सो जो की एक प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु एवं ज्योतिषशास्त्री थे द्वारा किया गया। घूम मठ को ईगा चोइलिंग तिब्बती मठ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है जहाँ भविष्य के बुद्ध यानी की मैत्रैय की 15 फीट ऊँची प्रतिमा स्थापित है। साथ ही बौद्ध धर्म से जुड़ी वस्तुओं एवं पारम्परिक घंटियों के साथ बौद्ध भित्तिचित्र यहाँ के मुख्य आकर्षण है।

घूम मठ के मुख्य आकर्षण– यहाँ बौद्ध धर्म की प्राचीन पांडुलिपियों के साथ-साथ कालिदास की मेघदूत जैसे प्राचीन ग्रंथो के अनुवाद की पाण्डुलिपि मौजूद है। साथ ही मैत्रेय बुद्ध की प्रतिमा के साथ पारंपरिक ड्रम एवं घंटिया यहाँ के आकर्षण में शुमार है।

घूम मठ यात्रा (कैसे पहुँचे)– घूम मठ को आप वर्ष भर विजिट कर सकते है। साथ ही सिलीगुड़ी एवं दार्जलिंग के मार्ग पर स्थित होने के कारण यहाँ आपको सड़क एवं रेल मार्ग की सुविधा उपलब्ध है जिससे की आसानी से इस मठ में पहुंच सकते है।

ताबो मठ स्पीति घाटी (Tabo Monastery Spiti Valley)

Tabo Monastery Spiti Valley

हजार वर्षो से प्राचीन हिमालय की चोटियों में 10,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित ताबो मठ को प्रायः ‘हिमालय के अजंता’ के नाम से भी जाना जाता है। वास्तव में हिमालय क्षेत्र में स्थित यह मठ भारत का सबसे प्राचीन बौद्ध मठ है जो की समय के साथ विभिन परिस्थितियों से गुजरने के पश्चात अनछुआ एवं पवित्र रहा है। प्राचीन भित्ति चित्र, बौद्ध धर्म से जुड़े विभिन रहस्यों एवं तिब्बती कला के अनोखे केंद्र के रूप में प्रचलित ताबो मठ की लोकप्रियता के मद्देनजर इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपने अधिकार में लेकर इस प्राचीन मठ की कला को सुरक्षित रखने हेतु इसके संरक्षण की जिम्मेदारी संभाली है।

ताबो मठ के मुख्य आकर्षण– यहाँ आपको बौद्ध धर्म के प्राचीन दर्शनीय वस्तुओं के साथ स्थापत्य कला का अद्भुत समन्वय, द चैंबर ऑफ पिक्चर ट्रेजर्स, ध्यान गुफाएं एवं स्वर्ण मंदिर जैसे आकर्षण देखने का मौका मिलता है।

ताबो मठ यात्रा (कैसे पहुँचे)– मार्च से अक्टूबर के मध्य आप इस मठ को विजिट कर सकते है अगर आप रेल मार्ग से यहाँ की यात्रा करना चाहते है तो यहाँ का नजदीकी रेलवे स्टेशन कालका से परिवहन की सुविधा प्राप्त कर सकते है। साथ ही हवाई मार्ग के रूप में शिमला एवं जुब्बड़हट्टी हवाई अड्डा में हवाई सुविधा उपलब्ध है। सड़क मार्ग द्वारा परिवहन के माध्यम से भी आप यहाँ पहुंच सकते है।

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एनचेई मठ गंगटोक (Enchey Monastery, Gangtok)

Enchey Monastery

कंचनजंगा पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य स्थित एनचेई मठ सिक्किम के सबसे प्राचीन एवं पवित्र मठों में से एक माना जाता है।  लोकी शरिया के साथ बौद्ध धर्म के महान भिक्षुओं में से एक गुरु पद्मसंभव के प्रति आस्था के केंद्र के रूप में प्रचलित एनचेई मठ का वर्तमान स्वरुप वर्ष 1840 में अस्तित्व में आया है। हालांकि मठ के रूप में यह स्थल प्राचीन समय से ही पूजनीय रहा है। इस मठ का निर्माण द्रुबथोब कारपो के द्वारा किया गया था। कहा जाता है की द्रुबथोब कारपो बौद्ध धर्म एवं अध्यात्म की शिक्षा प्राप्त करने के लिए दक्षिण सिक्किम में स्थित रालंग मठ में गए थे जहाँ उन्होंने कड़ी मेहनत के पश्चात बौद्ध धर्म की विभिन शिक्षाओं एवं परम्पराओं की जानकारी प्राप्त कर ली थी। हालांकि एक दिन किसी दानदाता से विवाद के कारण उन्हें मठ से बाहर निकाल दिया गया जिससे पश्चात उन्होंने मैलाना पहाड़ियों में ध्यान किया एवं बाद के वर्षो में उनके रहने के स्थान को एनचेई मठ के रूप में विकसित किया गया। वर्तमान में भी आप यहाँ द्रुबथोब कारपो की आध्यात्मिकता को महसूस कर सकते है।

एनचेई मठ के मुख्य आकर्षण– एनचेई मठ में धातु निर्मित प्रार्थना कक्षा में बौद्ध धर्म से जुड़े विभिन देवी-देवताओ एवं गुरुओं के भित्ति चित्र देखे जा सकते है। इसके अतिरिक्त यहाँ आपको व्हील ऑफ़ लॉ एवं अन्य बौद्ध धर्म सम्बंधित आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखने का भी मौका मिलेगा। हालांकि यहाँ से सबसे मुख्य आकर्षण बौद्ध भिक्षुओं द्वारा मुखौटा पहनकर किया जाने वाला चाम डांस है जिसमे की विशेष प्रकार की पूजा एवं मंत्रो का उच्चारण किया जाता है।

एनचेई मठ यात्रा (कैसे पहुँचे)– एनचेई मठ जाने का सबसे अच्छा समय सितम्बर-अक्टूबर माह में मनाया जाने वाले चाम उत्सव के दौरान होता है जब आप यहाँ के लोकल कल्चर को नजदीक से महसूस कर सकते है। नाथुला-गंगटोक मार्ग पर स्थित होने के कारण यहाँ आपको परिवहन में आसानी होती है। साथ ही गंगटोक शहर में स्थित होने के कारण यह स्थान आसानी से एक्सेसिबल भी है।

इस प्रकार से इस आर्टिकल के माध्यम से आपको भारत के सभी प्रमुख बौद्ध मठों के बारे में जानकारी प्रदान की गयी है। साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आप भारत के प्रसिद्ध बौद्ध मठों की सभी विशेषताओं से भी भली-भाँति परिचित हुए है।

भारत के प्रसिद्ध बौद्ध मठ सम्बंधित प्रश्न-उत्तर (FAQ)

मठ क्या होता है ?

मठ धार्मिक शिक्षा के केन्द्र को कहा जाता है जहाँ बौद्ध धर्म से सम्बंधित शिक्षाओं एवं परम्पराओं की शिक्षा प्रदान की जाती है।

बौद्ध मठों के क्या कार्य है ?

बौद्ध मठ बौद्ध धर्म की शिक्षा एवं आध्यात्मिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार के केंद्र के रूप में प्रचलित होते है जहाँ बौद्ध गुरुओ एवं लामाओं के द्वारा बौद्ध धर्म के अनुयायी एवं शिष्यों को शिक्षा, परम्पराएँ उपदेश एवं बौद्ध दर्शन की शिक्षाएँ प्रदान की जाती है। साथ ही बौद्ध मठ भगवान बुद्ध की शिक्षा एवं जीवनदर्शन को आम जनमानस तक पहुँचाकर उनके जीवन को बेहतर बनाने एवं सामाजिक सेवा के मानवीय कार्यो में भी सक्रिय भूमिका निभाते है।

भारत के प्रसिद्ध बौद्ध मठों के बारे में जानकारी प्रदान करें ?

Famous Buddhist monasteries of India in Hindi के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल पढ़े। यहाँ आपको भारत के प्रसिद्ध बौद्ध मठों के बारे में जानकारी प्रदान की गयी है।

प्राचीन भारत का सबसे प्रसिद्ध बौद्ध मठ कौन सा था ?

प्राचीन भारत का सबसे प्रसिद्ध बौद्ध मठ नालंदा (बिहार) था जो की बौद्ध धर्म की शिक्षा का प्रमुख केंद्र भी था। यहाँ अध्ययन करने के लिए दुनिया के कोने-कोने से विद्यार्थी आते थे जिनमे चीनी यात्री ह्वेनसांग प्रसिद्ध है।

भारत का सबसे प्राचीन बौद्ध मठ कौन सा है ?

भारत का सबसे प्राचीन बौद्ध मठ टाबो मठ है जो की हिमाचल प्रदेश के स्पीति जिले में स्थित है। इसे प्रायः ‘हिमालय के अजंता’ के नाम से भी जाना जाता है।

भारत का सबसे बड़ा बौद्ध मठ कौन सा है ?

भारत का सबसे बड़ा बौद्ध मठ तवांग मठ (Tawang Monastery) है जो की भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित अरुणाचल प्रदेश में स्थित है। यह एशिया का दूसरा सबसे बड़ा मठ है।

दक्षिण भारत में स्थित बौद्ध धर्म का सबसे प्रमुख मठ कौन सा है ?

दक्षिण भारत में स्थित बौद्ध धर्म का सबसे प्रमुख मठ नामद्रोलिंग मठ (Namdroling Monastery) है जो कर्नाटक राज्य के मैसूर जिले में स्थित है। इसे स्थानीय लोगो के मध्य स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है।

उत्तराखंड में स्थित बौद्ध धर्म का सबसे प्रमुख केंद्र कौन सा है ?

उत्तराखंड में स्थित बौद्ध धर्म का सबसे प्रमुख केंद्र माइंड्रोलिंग मठ (Mindrolling Monastery) है जिसे की स्थानीय लोगो के मध्य बुद्धा टेम्पल (Buddha temple) के रूप में जाना जाता है।

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