कुपोषण क्या है निबंध, कारण, प्रकार, इलाज | Malnutrition definition, type, cause and treatment in hindi

कुपोषण क्या है:- वर्तमान समय में कुपोषण एक विश्वव्यापी समस्या बन चुकी है जिसके कारण अल्पविकसित देशो की अधिकांश जनसँख्या कुपोषण से ग्रस्त है।

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा भी समय-समय पर विभिन्न देशों में कुपोषण की स्थिति पर रिपोर्ट्स प्रकाशित की जाती है जिसके माध्यम से हमे दुनिया के विभिन भागों में कुपोषण की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है ?

यह कुपोषण क्या होता है ? चलिए आज के आर्टिकल के माध्यम से आपको कुपोषण क्या है निबंध, कारण, प्रकार, इलाज (Malnutrition definition, type, cause and treatment in hindi) सम्बंधित जानकारी प्रदान की जाएगी।

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अगर हमें कुपोषण का शिकार नहीं होना है। तो उसके लिए आवश्यक है की हम हरी भरी सब्जियों का सेवन करें। परन्तु आज के समय में लोग अधिकतर फ़ास्ट फ़ूड का सेवन करते है। परन्तु क्या आप सभी यह जानते है की फ़ास्ट फ़ूड कितना अधिक हानिकारक होता है।

कुपोषण क्या है निबंध, कारण, प्रकार, इलाज |
Malnutrition definition, type, cause and treatment in hindi

इस आर्टिकल के माध्यम से कुपोषण के सभी बिंदुओं पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है जिससे की आप कुपोषण के सभी बिन्दुओ को भली-भांति समझ सकेंगे।

इस आर्टिकल के माध्यम से कुपोषण के सभी बिंदुओं के बारे में प्रस्तावना एवं उपसंहार सहित सभी महत्वपूर्ण बिन्दुओ को कवर किया गया है। इसके अतिरिक्त स्कूल एवं कॉलेज स्तर पर होने वाली निबंध प्रतियोगिताओं में भी आप इस आर्टिकल के माध्यम से बेहतर निबंध तैयार कर सकते है।

कुपोषण पर निबंध (Essay on Malnutrition)

प्रस्तावना- स्वस्थ व्यक्ति से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। किसी भी व्यक्ति के स्वस्थ होने में पोषण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ऐसे में आवश्यक है की व्यक्ति की पोषण सम्बंधित आवश्यकताएँ पूर्ण हों जिससे की व्यक्ति एक संतुलित जीवन जी सके।

समाज में विभिन कारणों से कुपोषण की स्थिति पैदा होती है जिससे विभिन प्रकार की समस्याएँ उत्पन होती है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा भी सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कुपोषण को खत्म करना प्रमुख लक्ष्य तय किया किया गया है ऐसे में पोषण सम्बंधित आवश्यकताओं के लिए विभिन देशो द्वारा अलग-अलग प्रोग्राम संचालित किये जा रहे है।

कुपोषण का प्रभाव जीवन के सभी महत्वपूर्ण भागों पर पड़ता है ऐसे में इसके मूल के बारे में जानकारी प्राप्त करके वास्तव में कुपोषण उन्मूलन की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है।

विषय प्रतिपादन- किसी भी व्यक्ति हेतु संतुलित जीवन जीने के लिए स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। मानव शरीर को विभिन कार्यो को सम्पादित करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिससे की विभिन कार्यो को कुशलतापूर्वक सम्पन किया जा सके।

जब मनुष्य को पूर्ण एवं संतुलित भोजन पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता तो इस स्थिति में मनुष्य के शरीर में आवश्यक तत्वों की कमी होने से वह विभिन रोगों से ग्रस्त हो जाता है एवं विभिन कार्यों को दक्षतापूर्वक करने में सक्षम नहीं रहता। इसी स्थिति को ही पोषण विज्ञान में कुपोषण की स्थिति कहा जाता है।

हालांकि इसके विपरीत पोषक तत्वों की अधिकता से भी शरीर में विभिन तत्वों की अधिकता हो जाती है जिससे की मनुष्य के शरीर में विभिन रोग उत्पन हो जाते है। इस स्थिति को भी कुपोषण की संज्ञा दी जाती है। पोषण विज्ञान के अनुसार मनुष्य शरीर में संतुलित भोजन की कमी या अधिकता से होने वाली रोगग्रस्त अवस्था को कुपोषण कहा जाता है।

वास्तव में देखा जाए तो कुपोषण असंतुलित पोषण की अवस्था है जहाँ मनुष्य को आवश्यकता से अधिक या आवश्यकता से कम पोषण तत्त्व प्राप्त होते है। इस प्रकार से कुपोषण को मुख्यत 2 भागों में बाँटा जाता है :-

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  • अल्प पोषण- अल्प पोषण कुपोषण की वह स्थिति है जब मनुष्य को शरीर के लिए आवश्यक संतुलित भोजन नहीं मिल पाता जिससे की मानव शरीर में विभिन पोषक तत्वों को कमी हो जाती है। इसके अतिरिक्त अल्प पोषण की स्थिति तब भी उत्पन होती है जब मनुष्य द्वारा ग्रहण किए गए पदार्थों में आवश्यक पोषक तत्त्व नहीं होते जिससे की शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
  • अति पोषण- अति पोषण कुपोषण की वह स्थिति है जब मनुष्य द्वारा निर्धारित संतुलित भोजन की आवश्यकता से अधिक मात्रा का उपभोग किया जाता है। इस स्थिति में अतिरिक्त भोजन वसा के रूप में संगृहीत कर ली जाती है जिससे की मनुष्य को मोटापा जैसी समस्याएँ घेर लेती है। इससे मनुष्य विभिन रोगो का शिकार हो जाता है।

इसके अतिरिक्त कुपोषण को तीव्र कुपोषण एवं क्रोनिक कुपोषण के रूप में भी विभाजित किया जाता है। यह विभाजन कुपोषण की समयावधि के आधार पर किया जाता है जहाँ तीव्र कुपोषण तीव्र गति से होता है एवं इससे मानव शरीर के वजन में तेजी से कमी दर्ज की जाती है।

तीव्र कुपोषण से मुख्यत मेरेसमस, क्वासरकोर एवं मेरेसमस क्वासरकोर जैसे रोग उत्पन होते है। वही क्रोनिक कुपोषण लम्बे समय में विकसित होने वाला कुपोषण है जिसका प्रभाव भी लम्बे समय तक रहता है। इससे मनुष्य को लम्बे समय से स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओ से जूझना पड़ता है।

कुपोषण मुख्यत पोषक तत्वों पर निर्भर करता है परन्तु वास्तव में देखा जाए तो समाज में कुपोषण को प्रभावित करने वाले कारक निम्न है :-

  • पर्याप्त पोषण की कमी- पर्याप्त पोषण की कमी के कारण होने वाला कुपोषण समाज में कुपोषण का सबसे आम प्रकार है। विभिन कारणों से मनुष्य को पर्याप्त भोजन प्राप्त नहीं होता जिससे की लम्बे समय में पोषक तत्वों की कमी के कारण मनुष्य का शरीर कुपोषण का शिकार हो जाता है।
  • आवश्यकता के अनुसार पोषण में कमी- विभिन आयु वर्ग के लोगो की पोषण सम्बंधित आवश्यकताएँ भिन्न-भिन्न होती है। जहाँ नवजात शिशुओं एवं व्यस्क मनुष्यो को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है वही अधिक शारीरिक श्रम करने वाले कामगारों को भी पोषण की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है। हालांकि पोषण के असमान वितरण के कारण सभी वर्गों को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता।
  • आवश्यक पोषक तत्वों की कमी- कुपोषण के सबसे प्रमुख कारणों में संतुलित भोजन का अभाव होना शामिल है। विभिन समुदायों द्वारा ग्रहण किए जाने वाले भोजन में कुछ पोषक तत्वों की अधिकता एवं कुछ पोषक तत्वों की कमी होती है। इसके कारण पर्याप्त संतुलित भोजन ना मिलने के कारण कुपोषण को बढ़ावा मिलता है।
  • आर्थिक कारण- वास्तव में आर्थिक कारण ही पोषण का सबसे प्रमुख एवं महत्वपूर्ण कारण होता है। अपनी आर्थिक स्थिति के कारण लोग संतुलित एवं आवश्यक पोषक पदार्थों एवं संतुलित खाद्य का चुनाव नहीं कर पाते जिसके कारण की समाज में कुपोषण को बढ़ता है।
  • पर्यावरण का प्रभाव- मनुष्य के पोषण में वातावरण की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। मनुष्य किस प्रकार के पर्यावरण में रहता है किस प्रकार के वातावरण में निवास करता है यह चीजे मनुष्य के पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। दूषित वातावरण में रहने, दूषित भोजन एवं जल का ग्रहण करने एवं पर्याप्त वायु एवं सूर्यप्रकाश के अभाव में मानव जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • राजनीतिक कारण- राजनीतिक कारणों के अंतर्गत सरकार द्वारा बनायीं गयी नीतियों के असफल क्रियान्वयन के कारण भी बड़े पैमाने पर कुपोषण फैलता है जिसके कारण समाज के विभिन वर्गों विशेषकर नवजात बच्चो एवं गर्भवती महिलाओं को कुपोषण का शिकार होना पड़ता है।
  • सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारण- विभिन समाजों द्वारा मानव जीवन में भोजन सम्बंधित विविध प्रकार के प्रतिबन्ध आरोपित किए गए है जिससे की मनुष्य को आवश्यक पोषक तत्त्व नहीं मिल पाते एवं कुपोषण पैदा होता है।
  • अज्ञानता- अधिकतर नागरिक सोचते है की सिर्फ महंगे खाद्य पदार्थों के सेवन से ही आवश्यक पोषण प्राप्त किया जा सकता है। हालांकि यह तथ्य पूर्ण रूप से सत्य नहीं है। हमारे आसपास मिलने वाली मौसमी फलों एवं सब्जियों में पर्याप्त पोषण होता है ऐसे में इनका सेवन कुपोषण के खिलाफ लड़ने के लिए कारगर हथियार है।
  • जीवनशैली- हमारी प्रतिदिन की जीवनशैली भी कुपोषण को उत्पन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अनियमित खानपान, फ़ास्ट-फ़ूड का सेवन, अनियमित नींद, असमय भोजन के कारण भी कुपोषण मनुष्य जीवन में घर करता है।

उपरोक्त कारणों के अतिरिक्त अन्य कारण भी है जो की कुपोषण को बढ़ावा देते है। तनाव भरी जीवनशैली एवं अन्य बुरी आदते जैसे नशे का सेवन भी कुपोषण को वहन करते है।

कुपोषण को मापने के लिए प्रयुक्त होने वाला सर्वाधिक प्रचलित मानक बॉडी-मॉस इंडेक्स (BMI) है जिसके माध्यम से कुपोषण का स्तर मापा जाता है। यदि मनुष्य पूर्ण रूप से स्वस्थ है तो इस स्थिति में उसका BMI 18.5 से 24.9 के मध्य होता है जो की अच्छे स्वास्थ्य की निशानी होता है। इसके अतिरिक्त भी विभिन मानकों के आधार पर कुपोषण का मापन किया जाता है।

कुपोषण का मुख्य कारण शरीर में पोषक तत्वों का अभाव होता है जिससे की शरीर में अनेक रोग उत्पन हो जाते है। पोषक तत्वों में कमी के कारण उत्पन कुपोषण से मानव शरीर में विटामिन-A (Vitamin-A) की कमी के कारण रतौंधी, विटामिन-B (Vitamin-B) की कमी के कारण बेरी-बेरी, विटामिन-C (Vitamin-C) की कमी के कारण स्कर्वी, विटामिन-D (Vitamin-D) की कमी के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी जैसे रोग उत्पन होते है।

इसके अतिरिक्त लौह तत्त्व की कमी के कारण एनीमिया तथा कैल्शियम एवं फास्फोरस की कमी के कारण हड्डियों की कमजोरी जैसे रोग उत्पन होते है। अधिक पोषण के कारण उत्पन होने वाले मोटापे के कारण मनुष्य में उच्च-रक्तचाप, मधुमेह एवं हृदय सम्बंधित बीमारियां जन्म लेती है।

अगर दुनिया में कुपोषण सम्बंधित आंकड़ों को देखें तो वास्तव में हमारे सामने चिंताजनक तस्वीरें आती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के आंकड़ों के अनुसार पूरी दुनिया में लगभग 1.9 बिलियन लोग मोटापे से ग्रस्त है। वही लगभग 46 करोड़ लोग (462 मिलियन) लोग अल्प कुपोषण से ग्रस्त है।

आंकड़ों के विश्लेषण से साफ होता है दुनिया का हर सातवाँ व्यक्ति कुपोषण से ग्रस्त है। इस प्रकार से कुपोषण विश्वव्यापी समस्या बन चुकी है।

वही भारत में भी विभिन वर्गों में कुपोषण के स्तर के आधार पर आंकड़ों के अनुसार बच्चो में कुपोषण के अंतर्गत विकास अवरुद्ध होना, कुपोषण एवं वजन न्यूनता का प्रतिशत क्रमशः 35.5 फीसदी, 19.3 फीसदी, 32.1 फीसदी है जिसमे पूर्व की अपेक्षा सुधार दर्ज किया गया है।

भारत सरकार द्वारा समन्वित बाल विकास कार्यक्रम एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओ के माध्यम से कुपोषण से लड़ने के प्रयास किए जा रहे है। साथ ही मिड-डे-मिल योजना के द्वारा भी बाल कुपोषण को न्यून करने के प्रयास किए जा रहे है।

अगर कुपोषण के रोकथाम की बात की जाए तो इसके लिए विभिन कारकों का ध्यान रखना आवश्यक है। सभी नागरिको को पर्याप्त पोषण प्रदान करके एवं लोक कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से समाज के सभी वर्गों तक पोषण की सुनिश्चितता की जा सकती है। साथ ही कुपोषण के अन्य कारको को भी ध्यान में रखकर इसके उन्मूलन के लिए समुचित प्रयास किए जाने आवश्यक है।

उपसंहार- कुपोषण से लड़ने के लिए समाज के सभी वर्गों को समुचित प्रयास करने की आवश्यकता है। सरकार द्वारा विभिन पोषण कार्यक्रमों के माध्यम से सभी नागरिको के पोषण को सुनिश्चित किया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त व्यक्तिगत स्तर पर भी संतुलित भोजन ग्रहण करके, अपनी जीवनशैली में सुधार करके एवं अन्य व्यक्तिगत प्रयासो के माध्यम से हम एक कुपोषण मुक्त समाज की संकल्पना का सपना साकार कर सकते है एवं एक बेहतर स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते है।

कुपोषण सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

कुपोषण क्या है ?

मानव शरीर में विभिन पोषक तत्वों की कमी या अधिकता के कारण विभिन रोगों के उत्पन होने की स्थिति को ही कुपोषण कहा जाता है।

कुपोषण का मुख्य कारण क्या है ?

कुपोषण का मुख्य कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी या अधिकता होना है जिसका कारण संतुलित आहार का सेवन ना करना या अधिक सेवन शामिल है। कुपोषण मुख्यत आर्थिक कारणों से उत्पन होता है। हालांकि राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, जीवनशैली, पर्यावरण जैसे कारक भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।

कुपोषण पर बेहतर निबंध कैसे लिखे ?

कुपोषण पर बेहतर निबंध लिखने के लिए ऊपर दिए गए आर्टिकल की मदद ले। इसकी सहायता से आप कुपोषण पर बेहतर निबंध रचना कर सकते है।

कुपोषण कितने प्रकार का होता है ?

कुपोषण मुख्यत 2 प्रकार का होता है :- अल्पपोषण एवं अतिपोषण

कुपोषण के कारण कौन-कौन से रोग होते है ?

कुपोषण के कारण विभिन प्रकार के रोगों का जन्म होता है। इससे सम्बंधित विस्तृत जानकारी के लिए आप ऊपर दिया गया आर्टिकल पढ़ सकते है।

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