दोस्तों आज के समय में लगभग हर किस व्यक्ति के पास आपको उसका निजी वाहन देखने को मिल ही जाएगा। लेकिन आज भी कुछ लोग ऐसे है जिनके पास अपना खुद का वाहन नहीं है। जिसके लिए सरकार के द्वारा पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसी बहुत सी सुविधाओं का प्रबंधन किया हुआ है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट के अंतर्गत बहुत से वाहन आते है। जैसे की – बस, ट्रैन, हवाईजहाज अदि जैसी सुविधा। आप सभी यह तो जानते ही होंगे इनमे से लोगो को अधिकतर ट्रैन का सफर अधिक प्रिय लगता है। लेकिन दोस्तों क्या आप के मन में कभी इस प्रकार का प्रश्न आया है की आखिर Ek Train Ki Kimat Kitni Hoti Hai ? तो दोस्तों क्या आप इस प्रश्न का उत्तर जानते है अगर नहीं तो आपको इसके बारे में हम आज जानकारी प्रदान करने वाले है और आप सभी को यह बताने वाले है की एक ट्रैन की कीमत कितनी होती है।
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लेकिन दोस्तों यह जानने के लिए आप सभी को हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ना होगा। क्योंकि इस लेख में ही हमने इससे सम्बंधित जानकारी प्रदान की हुई है। इसलिए कृपया कर हमारे इस लेख को अंत तक पढ़े व जाने की ट्रैन की कीमत कितनी होती है ?
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Article Contents
Ek Train Ki Kimat Kitni Hoti Hai ? एक ट्रेन की कीमत कितनी होती है ?
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की ट्रैन का निर्माण दो भागों में किया जाता है। पहला है इंजन और दूसरा भाग होता है उसके डब्बे जिनको कोच भी कहा जाता है। इन दोनों को अलग अलग प्रकार से बनाया जाता है क्योंकि इंजन ही पूरी ट्रैन को खींचता है इसलिए उसका निर्माण अलग किया जाता है। ट्रैन के कोच में लोगो के बैठने की सुविधा होती है। इसलिए उसका निर्माण अलग होता है। माना यह जाता है की ट्रैन के इंजन को बनाने के लिए करीब 20 करोड़ रुपये की लागत आती है। अगर बात उसके कोच की करें तो कोच भी कई प्रकार के होते है। जैसे की – ऐसी कोच, स्लीपर कोच, जनरल कोच आदि।
एक ट्रैन के अंदर करीब 24 कोच होते है। इनमे से एक कोच को बनाने के लिए करीब 2 से 3 करोड़ रुपये का खर्चा आता है। तो इसके अनुसार एक पूरी ट्रैन की कीमत की बात करें तो वह करीब 60 से 70 करोड़ के बीच होती है।
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भारत में ट्रैन का निर्माण कहाँ पर होता है ?
दोस्तों क्या आप यह जानते है की भारत में ट्रैन का निर्माण कहाँ पर होता है। अगर आप भी इसक बारे में नहीं जानते है। तो उसके लिए आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यहाँ पर हमने इसके बारे में जानकारी प्रदान की हुई है।
आप सभी को बतादे की भारत में ट्रैन का निर्माण बहुत सी जगहों पर किया जाता है। जो कुछ इस प्रकार है :-
- इंटीग्रल कोच फैक्ट्री पैराम्बूर (चेन्नई) बी.जी.डिब्बा निर्माण
- रेल कोच फैक्ट्री, कपूरथला (पंजाब) बी.जी. …
- चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, चितरंजन
- भारत अर्थमूवर्स लिमिटेड बेंगलुरु (कर्नाटक)
- जेसफ़ एंड कंपनी लिमिटेड, कोलकाता (पं.बंगाल)
- व्हील एंड एक्सेल, बेंगलुरु (कर्नाटक)
इसके साथ साथ आप सभी को यह भी बतादे की इन सभी स्थानों पर ट्रैन के अलग अलग हिस्सों का निर्माण किया जाता है।
भारत में पहली ट्रैन कब चली थी ?
दोस्तों क्या आप यह जानते है की भारत में पहली बार ट्रैन कब चली थी। तो आप सभी को यह बतादे की भारत में ट्रैन की शुरुआत अंग्रेजों के द्वारा की गयी थी। भारत में पहली बार ट्रैन 16 अप्रैल 1853 में 3 बजकर 35 मिनट पर चली थी। यह ट्रैन मुंबई से लेकर ठाणे के लिए चलाई गई थी। उस समय में स्टीम यानि के भाप वाले इंजन का प्रयोग किया जाता था। उस समय इस ट्रैन में केवल 20 डब्बे थे। जिसमे करीब 400 लोग सवार थे। आप सभी को यह बतादे की उस समय इस ट्रैन को तीन स्टीम इंजन के द्वारा खींचा गया था। जिनका नाम साहिब, सिंध और सुल्तान था। उस समय इस ट्रैन ने करीब 30 से 35 किलोमीटर तक का सफ़र तय किया था। उसके बाद भारत में बहुत से स्थानों पर ट्रैन चलने लगी थी। सं 1951 में सभी ट्रेनों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था।
भारतीय रेल से सम्बंधित कुछ प्रश्न और उनके उत्तर
एक ट्रैन में करीब 20 से 24 डब्बे होते है।
आप सभी को यह बतादे की भारत में ट्रैन की शुरुआत अंग्रेजों के द्वारा की गयी थी। भारत में पहली बार ट्रैन 16 अप्रैल 1853 में 3 बजकर 35 मिनट पर चली थी। यह ट्रैन मुंबई से लेकर ठाणे के लिए चलाई गई थी। उस समय में स्टीम यानि के भाप वाले इंजन का प्रयोग किया जाता था। उस समय इस ट्रैन में केवल 20 डब्बे थे।
भारत में ट्रैन का निर्माण बहुत से स्थानों पर किया जाता है जैसे की –
इंटीग्रल कोच फैक्ट्री पैराम्बूर (चेन्नई) बी.जी.डिब्बा निर्माण
रेल कोच फैक्ट्री, कपूरथला (पंजाब) बी.जी. …
चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, चितरंजन
भारत अर्थमूवर्स लिमिटेड बेंगलुरु (कर्नाटक)
जेसफ़ एंड कंपनी लिमिटेड, कोलकाता (पं.बंगाल)
व्हील एंड एक्सेल, बेंगलुरु (कर्नाटक)
एक पूरी ट्रैन की कीमत की बात करें तो वह करीब 60 से 70 करोड़ के बीच होती है।
ट्रैन का निर्माण दो भागों में किया जाता है
इंजन और कोच