अपने प्रतिदिन के जीवन में हम हजारों वस्तुओं का उपयोग करते है। हालांकि क्या आपने कभी सोचा है की इतनी सारी वस्तुएँ कहाँ निर्मित होती है ! निश्चित रूप से ही दुनिया का कोई भी देश अपने यहाँ उपयोग की जाने वाली सभी वस्तुओं को निर्मित या उत्पादित करने में सक्षम नहीं है। दुनिया के सभी देश खाद्यान, इलेक्ट्रॉनिक, टेक्सटाईल, मैन्युफैक्चरिंग एवं तकनीकी वस्तुओं सहित सैकड़ो उत्पादों के लिए विभिन देशों पर निर्भर होते है साथ ही देश में निर्मित होने वाली विभिन वस्तुओं के लिए कच्चे माल का आयात भी विदेश से किया जाता है। ऐसे में हमारे सामने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का कांसेप्ट आता है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सन्दर्भ में कस्टम ड्यूटी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आज के आर्टिकल के माध्यम से हम आपको कस्टम ड्यूटी क्या होती है? कस्टम ड्यूटी क्यों लगायी जाती है? एवं कस्टम ड्यूटी के प्रकार (Custom Duty In Hindi) सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले है। इस आर्टिकल के माध्यम से आप कस्टम ड्यूटी (Custom Duty) से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण बिन्दुओ से परिचित हो सकेंगें।
कस्टम ड्यूटी क्या होती है?
कस्टम ड्यूटी के बारे में जानकारी प्राप्त करने से पूर्व हमे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के बारे में जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है। वर्तमान समय में सम्पूर्ण दुनिया एक दूसरे से वैश्वीकरण (Globalization) के माध्यम से जुड़ी हुयी है। इसका अर्थ है की सम्पूर्ण दुनिया परिवहन, संचार, तकनीक, प्रौद्योगिकी एवं व्यापार में एक दूसरे से जुड़ चुकी है एवं एक दूसरे पर निर्भर है। वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अत्यधिक वृहद् स्तर पर पहुँच चुका है एवं सभी देश एक-दूसरे के साथ बड़े पैमाने पर व्यापार कर रहे है। ऐसे में दुनिया के प्रतिदिन अऱबो मूल्य के उत्पाद एवं खाद्यान एक देश से दूसरे देश में आयात एवं निर्यात किए जाते है।
कस्टम ड्यूटी (Custom Duty) जिसे की सीमा शुल्क कहा जाता है एक प्रकार का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार शुल्क है जो की किसी देश द्वारा उस देश में आयात एवं निर्यात की जाने वाली वस्तुओ पर लगाया जाता है। सरल शब्दो में कहा जाए तो किसी देश द्वारा उसकी बॉर्डर यानी की सीमा के अंदर आने वाले सामान एवं सीमा से बाहर जाने वाले सामान पर लगाए जाने वाले शुल्क को ही सीमा शुल्क (Custom Duty) कहा जाता है।
वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में विभिन देशों द्वारा दूसरे देश से सामान मँगाया जाता है या दूसरे देश को अपने देश में निर्मित सामान बेचा जाता है ऐसे में देशों के द्वारा सीमा पर लगने वाले टैक्स को ही सीमा शुल्क के नाम से जाना जाता है। सीमा शुल्क देश के जल, स्थल एवं वायु मार्ग से आने वाले उत्पादों पर लगाया जाता है।
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समझें क्या है सीमा-शुल्क ?
वर्तमान में विभिन्न देश एक दूसरे से साथ व्यापार करते है जिसे की अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहा जाता है। ऐसे में एक देश से दूसरे देश में सामान को भेजा जाता है या दूसरे देश से सामान को मंगाया जाता है। जब की कोई सामान किसी देश की सीमा से बाहर भेजा जाता है या विदेश से कोई सामान किसी देश की सीमा के अंदर आता है तो सम्बंधित देश की सीमा पर उस देश की सरकार द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स को सीमा-शुल्क कहा जाता है।
इसे आप इस उदाहरण से भी समझ सकते है। मान लीजिये भारत की किसी कंपनी को जर्मनी की किसी कंपनी से कोई मशीन आयात करनी है। ऐसे में जब वह मशीन भारत की सीमा में प्रवेश करती है तो भारत सरकार द्वारा उस मशीन के आयात पर लगने वाले टैक्स को कस्टम ड्यूटी या सीमा शुल्क के नाम से जाना जाता है। चूँकि दुनिया में अधिकतर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समुद्र के मार्ग से होता है ऐसे में बंदरगाहों पर सीमा शुल्क वसूला जाता है। हालाँकि हवाई मार्ग एवं स्थल मार्ग से आने वाले सामान पर भी सीमा शुल्क वसूला जाता है।
कस्टम ड्यूटी क्या होती है आवश्यक
कस्टम ड्यूटी (Custom Duty) यानी की सीमा शुल्क किसी भी देश के राजस्व का प्रमुख साधन होता है। वर्तमान में दुनिया के सभी देश प्रतिदिन भारी मात्रा में दूसरे देशों से सामान का आयात एवं निर्यात करते है ऐसे में प्रतिदिन अरबों रुपए का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार होता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से देश के राजस्व को करोड़ो रुपए प्राप्त होते है ऐसे में राजस्व की दृष्टि सीमा शुल्क का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके अतिरिक्त निम्न कारणों से भी सीमा शुल्क महत्वपूर्ण है :-
- देश की सीमा में आयात-निर्यात होने वाली वस्तुओं की आवाजाही सम्बंधित आँकड़ो हेतु
- देश में प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी को रोकने के लिए
- घरेलू उद्योगों को अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए
- देश में वस्तुओं की बेहतर विनियमन एवं प्रबंध के लिए
कस्टम ड्यूटी के प्रकार
देश की सीमा के अंदर आने एवं सीमा से बाहर जाने वाले सभी सामानों पर देश की सरकार द्वारा सीमा शुल्क वसूला जाता है जिसे की कस्टम ड्यूटी भी कहा जाता है। हालाँकि विभिन वस्तुओं एवं उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी अलग-अलग प्रकार की होती है जो की सम्बंधित वस्तु, इसके प्रकार, वस्तु के भार, वस्तु के निर्माण में उपयोग की गए कच्चे माल एवं इसके आगमन एवं गंत्वय स्थल पर निर्भर करता है। यहाँ आपको विभिन प्रकार की कस्टम ड्यूटी के बारे में सभी जानकारी प्रदान की गयी है :-
बेसिक कस्टम ड्यूटी (Basic Customs Duty)
बेसिक कस्टम ड्यूटी कस्टम ड्यूटी का सबसे सामान्य प्रकार है जहाँ वस्तुओं के आयात एवं निर्यात पर एक स्पेसिफिक दर से कस्टम ड्यूटी तय की जाती है। हालांकि यह ड्यूटी अलग-अलग वस्तुओ के लिए अलग-अलग दर से निर्धारित की जाती है जो की विभिन कारकों पर निर्भर करती है। वर्तमान में बेसिक कस्टम ड्यूटी को Customs Tariff Act, 1975 के अनुसार निर्धारित किया जा रहा है।
काउंटरवेलिंग ड्यूटी (Countervailing Duty CVD)
काउंटरवेलिंग ड्यूटी को भारत सरकार द्वारा उन सामान एवं उत्पादों पर लगाया जाता है जिन पर सामान निर्माण करने वाले सम्बंधित देश की सरकार द्वारा अनुदान प्रदान किया गया है। यह मूल्य आमतौर पर उस देश द्वारा सम्बंधित वस्तु पर दिए अनुदान के बराबर होता है। इसका प्रयोग सम्बंधित उत्पाद के मूल्य को भारत के अन्य उत्पादों के मूल्य के समान रखने हेतु किया जाता है।
इसको इस प्रकार से भी समझ सकते है। अमेरिका की सरकार अपने यहाँ के कृषकों को भारी मात्रा में अनुदान देती है जिससे की वहाँ के कृषको को खेती करने में सुविधा मिलती है। ऐसे में माना अमेरिका के कृषक भारत में गेहूँ बेचना चाहते है तो सब्सिडी के कारण वे अपने गेहूँ अत्यधिक कम रेट पर बेच सकते है जिससे की भारत के किसानों को नुकसान होने की संभावना होती है। ऐसे में सरकार काउंटरवेलिंग ड्यूटी के माध्यम से अमेरिकी सरकार द्वारा दिए अनुदान के बराबर टैक्स इम्पोस (Impose) करती है जिससे सभी को बराबर अधिकार मिले।
अतिरिक्त Custom Duty या स्पेशल काउंटरवेलिंग ड्यूटी (Additional Customs Duty or special Countervailing Duty)
अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी या स्पेशल काउंटरवेलिंग ड्यूटी देश के उत्पादों को विदेशी उत्पादों की बराबरी अधिकार के लिए इम्पोस की जाती है। यदि कोई कंपनी भारत में उसी तरह का सामान बेचना चाहती है जो की देश में भी निर्मित किया जा रहा है तो ऐसे स्थिति में सभी को बराबरी का अधिकार देने के लिए अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी लागू की जाती है। विदेशों में सरकार द्वारा अपने उत्पादकों को विभिन प्रकार के अनुदान प्रदान किए जाते है ऐसे में अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी या स्पेशल काउंटरवेलिंग ड्यूटी के माध्यम से देश के उत्पादों को भी बराबरी का अधिकार प्रदान किया जाता है।
प्रोटेक्टिव ड्यूटी (Protective Duty)
भारत सरकार द्वारा देश के घरेलू उद्योग एवं हितधारकों की रक्षा के लिए आयात किए जा रहे सामान पर प्रोटेक्टिव ड्यूटी इम्पोस (Impose) की जाती है। यह मुख्यत देश के घरेलू उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए किया जाता है। इस निम्न प्रकार से समझें – माना न्यूजीलैंड भारत में दूध एवं डेरी प्रोडक्ट से बने उत्पादों का निर्यात करना चाहता है। न्यूजीलैंड में डेरी उत्पाद सस्ता एवं अधिक मात्रा में होने के कारण वे भारत में दूध एवं डेरी प्रोडक्ट को बहुत ही कम दामों पर बेच सकते है। ऐसे में भारत के दुग्ध उत्पादकों की आजीविका पर संकट आ सकता है। इसी कारण से देश के दुग्ध उत्पादकों के हितो को ध्यान में रखते हुए सरकार प्रोटेक्टिव ड्यूटी लागू करती है जिससे की देश के घरेलू उत्पादकों के हित सुरक्षित किए जा सके।
एंटी डंपिंग ड्यूटी (Anti Dumping Duty)
एंटी डंपिंग ड्यूटी मुख्यत उस स्थिति में लागू की जाती है जब देश के घरेलू मार्केट में विदेशी सामान की भरमार से घरेलू उत्पादकों के अस्तित्व पर संकट हो। डंपिंग का अर्थ है की भारी मात्रा में किसी देश के घरेलू मार्केट में अपने सामान डंप (Dump) करना अर्थात अत्यधिक मात्रा में सामान पहुँचा देना जिससे की उस देश की घरेलू मार्केट धराशायी हो जाए। घरेलू मार्केट से डंप होने से बचाने के लिए ही सरकार द्वारा एंटी डंपिंग ड्यूटी लागू की जाती है जिससे देश में अत्यधिक मात्रा में आ रहे विदेशी सामान पर प्रतिबन्ध लगाये जा सके। चीन में उत्पादित विभिन सामान अत्यधिक सस्ते होते है जिससे की चीन द्वारा समय-समय पर विभिन देशों में अपने सामान की डंपिंग की जाती रहती है। ऐसे में भारत सरकार द्वारा समय-समय पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लागू की जाती है।
सेफ़गार्ड ड्यूटी (Safeguard Duty)
सेफ़गार्ड ड्यूटी मुख्यत उस स्थिति में लगायी जाती है जब देश के उत्पादों को विदेश में अधिक मुनाफा होने के कारण अत्यधिक निर्यात किया होने लगता है एवं इससे घरेलू बाज़ार को संकट का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सरकार द्वारा देश के हित में सेफ़गार्ड ड्यूटी इम्पोस की जाती है।
एजुकेशन सेस (Education Cess)
देश में शिक्षा को बढ़ावा देने एवं इंफ्रास्टक्टर को विकसित करने के लिए सरकार द्वारा एजुकेशन सेस अनिवार्य रूप से लिया जाता है जो की सामान की कुल कीमत के दो फीसदी तक होता है।
नेशनल कैलेमिटी कंटिंजेंट ड्यूटी (National Calamity Contingent Duty)
नेशनल कैलेमिटी कंटिंजेंट ड्यूटी उन उत्पादों के आयात पर लागू की जाती है जो की स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक होते है जैसे पान-मसाला, तम्बाकू, सिगरेट एवं अन्य उत्पाद। यह 15 फीसदी से 45 फीसदी तक होता है।
Custom Duty कौन लेता है ?
कस्टम ड्यूटी को वसूल करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होता है। केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त सीमा शुल्क अधिकारी द्वारा उत्पाद के विभिन मानकों को ध्यान में रखकर सीमा शुल्क का निर्धारण किया जाता है एवं इस शुल्क को भी सीमा शुल्क अधिकारी द्वारा वसूल किया जाता है। सीमा शुल्क जल, स्थल एवं वायु मार्ग से देश की सीमा में आने वाले सभी उत्पादों पर लगाया जाता है जिसका निर्धारण सरकार करती है।
सीमा शुल्क का निर्धारण
सीमा शुल्क का निर्धारण विभिन कारकों को ध्यान में रखकर किया जाता है। इसके लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित भारतीय कस्टम एक्ट, 1962 के आधार पर विभिन वस्तुओ के लिए सीमा शुल्क निर्धारित किया जाता है। किसी वस्तु पर लगने वाला सीमा शुल्क उस वस्तु, वस्तु को बनाने में उपयोग किए गए कच्चे मॉल, उत्पाद के मूल देश एवं गंतव्य देश, देश के बाजार में लागू टैक्स एवं सरकार की विभिन नीतियों के द्वारा निर्धारित की जाती है। इस प्रकार से अलग-अलग वस्तुओं के लिए अलग-अलग सीमा शुल्क निर्धारित किया जाता है।
कस्टम ड्यूटी क्या होती है से सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
कस्टम ड्यूटी क्या होती है?
कस्टम ड्यूटी (Custom Duty) किसी देश द्वारा देश के आयात एवं निर्यात पर लगाया जाने वाला टैक्स है जिसे की केंद्र सरकार वसूल करती है। इसे सीमा शुल्क भी कहा जाता है।
कस्टम ड्यूटी क्यों आवश्यक है ?
कस्टम ड्यूटी सरकार के राजस्व का प्रमुख स्रोत है। साथ ही देश में प्रतिबंधित वस्तुओं के आगमन पर रोक लगाने एवं देश के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की आवाजाही के आँकड़ो को जानने के लिए भी सीमा शुल्क आवश्यक है।
कस्टम ड्यूटी (Custom Duty) के प्रकार की जानकारी प्रदान करें ?
Types of Customs Duty के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल पढ़े। यहाँ आपको इस सम्बन्ध में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की गयी है।
कस्टम ड्यूटी किस अधिनियम के तहत वसूल की जाती है ?
भारतीय कस्टम एक्ट, 1962 के आधार पर कस्टम ड्यूटी को वसूल किया जाता है।
Custom Duty को किसके द्वारा वसूल किया जाता है ?
Custom Duty को केंद्र सरकार के द्वारा वसूल किया जाता है।
सीमा शुल्क का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है ?
सीमा शुल्क का निर्धारण विभिन कारकों के आधार पर किया जाता है। विस्तृत जानकारी के लिए आप ऊपर दिया गया आर्टिकल चेक कर सकते है।