संविधान के मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य क्या है, मौलिक अधिकार, fundametal rights

भारतीय संविधान 26 नवम्बर 1949 को लागू एवं 26 जनवरी 1950 से प्रभाव में आया था। एक लोकतान्त्रिक देश होने के नाते संविधान द्वारा नागरिको को मौलिक अधिकार प्रदान किये गए है। इन अधिकारों के माध्यम से नागरिको को मूलभूत हितो की रक्षा की जाती है। मूलभूत अधिकारों के साथ संविधान द्वारा नागरिको के लिए कुछ मूलभूत कर्त्तव्य भी निर्धारित किये गए है जिससे की नागरिको में देश के प्रति मूलभूत जिम्मेदारी भी भावना बनी रहे। हम सभी नागरिको को अपने मूलभूत अधिकारों के बारे में जागरूक होना आवश्यक है तभी एक लोकतान्त्रिक देश होने के नाते हम अपने अधिकारों का पूर्ण रूप से उपयोग कर सकते है साथ ही देश के प्रति अपने दायित्वों के बारे में भी हर नागरिक का जागरूक होना आवश्यक है। संविधान के मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य के बारे में आगे जाने।

संविधान के मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य
constitution of india fundamental rights and duties

आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपको संविधान के मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य क्या है (constitution of india fundamental rights and duties) सम्बंधित जानकारी प्रदान की गयी है जिससे की आप अपने कर्तव्यों के बारे में जान सके। साथ ही लेख के माध्यम से आपको मौलिक अधिकार, fundametal rights एवं मौलिक कर्त्तव्य सम्बंधित जानकारी भी प्रदान की गयी है।

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संविधान के मौलिक अधिकार

हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है। लोकतंत्र होने के नाते हमारे संविधान द्वारा देश के नागरिको की हितो हेतु कुछ मूलभूत अधिकार प्रदान किये गए है। देश के नागरिक होने के नाते हमे अपने मूलभूत अधिकारों के बारे में ज्ञान होना आवश्यक है तभी हम अपने अधिकारों का समुचित प्रयोग कर सकते है साथ ही शोषण के विरुद्ध भी अपनी रक्षा कर सकते है। हमारे संविधान द्वारा नागरिको को 6 प्रकार के मौलिक अधिकार (constitution of india fundamental rights in hindi) प्रदान किया गए है जो की देश के सभी नागरिको को जन्म के समय से ही प्राप्त होते है। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नागरिको के अधिकारों की रक्षा का प्रावधान भी किया गया है। संविधान द्वारा प्रदत 6 मूलभूत अधिकार इस प्रकार से है :-

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 समानता का अधिकार (Right to equality)

संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 तक समानता का अधिकार (Right to equality) का वर्णन किया गया है। संविधान द्वारा नागरिकों को प्राप्त मूलभूत अधिकार इस प्रकार है :-

  • अनुच्छेद-14 (विधि के समक्ष समता)- अनुच्छेद 14 के अनुसार देश के सभी नागरिको को विधि के समक्ष समानता का अधिकार दिया गया है इसका अर्थ है विधि या कानून के समक्ष सभी नागरिक समान है और सभी नागरिको को कानून का समान सरंक्षण दिया जायेगा।
  • अनुच्छेद-15 (भेदभाव पर रोक) – अनुच्छेद-15 के अनुसार धर्म, लिंग, जाति, वंश, मूल, जन्म स्थान के आधार पर राज्य (अर्थात सरकार) द्वारा नागरिको के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जायेगा।
  • अनुच्छेद-16 (सार्वजनिक नियोजन के विषय में अवसर की समानता)- अनुच्छेद-16 के अनुसार सरकार द्वारा लोक नियोजन (सरकारी सेवा) में सभी नागरिको को समान अधिकार किया जायेगा।
  • अनुच्छेद-17 (अस्पृश्यता का उन्मूलन)- अनुच्छेद-17 के अनुसार किसी भी प्रकार की अस्पृश्यता यानी छुआछूत को निषिद्ध किया गया है।
  • अनुच्छेद-18 (उपाधियों का उन्मूलन)- अनुच्छेद-18 के अनुसार विद्या और सेना के अतिरिक्त किसी भी प्रकार की उपाधि प्रदान नहीं की जाएगी साथ ही देश के नागरिक बिना राष्ट्रपति की अनुमति के विदेशी सरकारों या संस्थानों से किसी प्रकार की उपाधि धारण नहीं कर सकते है।

स्वतंत्रता का अधिकार (Right to freedom)

संविधान के अनुच्छेद 19 से लेकर अनुच्छेद 22 तक नागरिको को स्वतंत्रता का अधिकार का अधिकार प्रदान किया गया है जो निम्न प्रकार से है :-

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  • अनुच्छेद-19 (स्वतंत्रता के छह अधिकार) – अनुच्छेद-19 के अनुसार नागरिको को 6 प्रकार की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है जो निम्न प्रकार से है – बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक सम्मेलन में हिस्सा लेने की स्वतंत्रता, संगठन या संघ बनाने की स्वतंत्रता, देश में अबाध संचरण की स्वतंत्रता, देश में कही भी निवास का अधिकार, व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता  
  • अनुच्छेद-20 (प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता)- अनुच्छेद-20 के अनुसार किसी व्यक्ति को सिर्फ विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही उसकी प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता से वंचित किया जायेगा अन्यथा नहीं।
  • अनुच्छेद-21 (निरोध तथा एवं गिरफ्तारी से संरक्षण)- अनुच्छेद-21 के अनुसार नागरिको को गिरफ़्तारी एवं निरोध से संरक्षण प्रदान किया गया है।
  • अनुच्छेद-21अ (शिक्षा का अधिकार)- राज्य द्वारा 6 से 14 वर्ष के बच्चो को अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जाएगी।
  • अनुच्छेद-22 (कुछ दशाओं में गिरफ्तारी एवं निरोध से संरक्षण)- अनुच्छेद-22 के अनुसार नागरिको को गिरफ्तारी एवं निरोध से संरक्षण हेतु अधिकार प्रदान किया गए है जिसमे गिरफ्तारी का कारण बताना, वकील से सलाह लेने एवं 24 घंटे में मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत करने का अधिकार प्रदत है।

भारतीय संविधान का इतिहास

 शोषण के विरुद्ध अधिकार (right against exploitation)

संविधान के अनुच्छेद 23 एवं अनुच्छेद 24 में शोषण के विरुद्ध अधिकार प्रदान किये गए है जो निम्न प्रकार से है।

  • अनुच्छेद-23 (मानव के दुर्व्यापार, बलात श्रम का प्रतिषेध)- अनुच्छेद-23 के अनुसार किसी भी मनुष्य को क्रय-विक्रय अर्थात मानव तस्करी करना अपराध है साथ ही बलात श्रम एवं बेगारी तथा मानव की इच्छा के विरुद्ध उससे कार्य नहीं लिया जा सकता है।
  • अनुच्छेद-24 (कारखानों एवं जोखिम भरे कार्यो में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध)- कारखानों और जोखिम बारे कार्यो में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों का नियोजन गैरकानूनी है।
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Right to religious freedom)

देश के सभी नागरिको की धार्मिक स्वतंत्रता को ध्यान में रखते हुए संविधान द्वारा अनुच्छेद 25 से 28 तक निम्न स्वतंत्रतायें प्रदान की गयी है :-

  • अनुच्छेद-25 (अपने अंत: करण की एवं धर्म को अबोध रूप में मानने, प्रचार एवं आचरण की स्वतंत्रता)- अनुच्छेद-25 के अनुसार नागरिको को अपने अंतःकरण से किसी भी धर्म मानने प्रचार एवं आचरण की स्वतंत्रता प्रदान की गयी है।
  • अनुच्छेद-26 (धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता)- अनुच्छेद-26 के अनुसार नागरिक अपने धार्मिक कार्यो के प्रबंध हेतु स्वतंत्र है।
  • अनुच्छेद-27 (किसी धर्म विशेष की अभिवृद्धि हेतु करों के संदाय के बारे में स्वतंत्रता)- अनुच्छेद-27 के अनुसार राज्य कोई भी ऐसा कर नहीं लगा सकता जिसका उपयोग किसी विशेष धर्म के नागरिको हेतु किया जाए।
  • अनुच्छेद-28 (कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या उपासना हेतु उपस्थित होने सम्बंधित स्वतंत्रता)- राज्य द्वारा वित्तपोषित शिक्षण संस्थानों में किसी प्रकार की धार्मिक शिक्षा प्रदान नहीं की जाएगी एवं शिक्षण संस्थानों द्वारा छात्रों को धार्मिक अनुष्ठान में उपस्थित होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।
सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बंधित अधिकार (Cultural and education related rights) 

अल्पसंख्यक वर्ग के नागरिको हेतु संविधान द्वारा अनुच्छेद 29 एवं 30 द्वारा निम्न अधिकार प्रदत किये गए है :-

  • अनुच्छेद-29 (अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण)- अनुच्छेद-29 देश के अल्पसंख्यक वर्ग के नागरिको के हितो के लिए संरक्षण सम्बंधित अधिकार प्रदान करता है जिसमे अल्पसंख्यक वर्ग की लिपि, भाषा और संस्कृति संरक्षण सम्बंधित अधिकार प्रदत है।
  • अनुच्छेद-30 (अल्पसंख्यक वर्गों का शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने सम्बंधित अधिकार)- अनुच्छेद-30 अल्पसंख्यक वर्गों को शिक्षण संस्थानों की स्थापना एवं प्रशासन का अधिकार प्रदान करता है ।
संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to constitutional remedies)
  • अनुच्छेद-32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) – अनुच्छेद-32 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने संविधान की आत्मा कहा है। अनुच्छेद-32 के अनुसार मूल अधिकारों के हनन होने पर नागरिक न्यायालय की शरण ले सकते है।

नागरिको के मौलिक कर्त्तव्य

संविधान द्वारा नागरिको के मूलभूत अधिकारों के साथ-साथ मौलिक कर्त्तव्यो का निर्धारण भी किया गया है। हमारे मूलभूत कर्त्तव्य अनुच्छेद 51A में निर्धारित किया गए है जो की मूलभूत रूप से 11 है। मौलिक कर्त्तव्य निम्न प्रकार से है :-

  • संविधान को सर्वोच्च मनाकर उसका आदर एवं पालन करना एवं राष्ट्रगान एवं राष्ट्रध्वज का सम्मान करना
  • देश की स्वतंत्रता को प्रेरित करने वाले जीवनमूल्यों एवं आदर्शो को हृदय में संजोकर रखना एवं महापुरुषों के पथ का अनुगमन करना
  • देश की संप्रभुता, अखंडता और एकता बनाये रखना एवं देश की रक्षा करना
  • देश की रक्षा एवं आह्वान किये जाने पर देश की सेवा करना
  • देश के लोगो में भातृत्व, समरसता एवं बंधुत्व की भावना का विकास करना, स्त्री सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली कुप्रथाओ का त्याग
  • देश की संस्कृति, समृद्ध विरासत का संरक्षण एवं विकास करना
  • पर्यावरण की रक्षा करना एवं जीवो के प्रति दयाभाव रखना
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना, मानवतावादी नजरिया बनाना
  • सार्वजनिक सम्पति की सुरक्षा एवं हिंसा से दूरी बनाये रखना
  • व्यक्तिगत एवं सामूहिक रूप से उन्नति के पथ पर बढ़कर राष्ट्र निर्माण में योगदान
  • 6 से 14 वर्ष के आयु के बच्चो हेतु अनिवार्य शिक्षा

इस प्रकार से इस आर्टिकल के माध्यम से आपको संविधान के मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की गयी है।

संविधान के मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

भारत का संविधान कब लागू हुआ ?

भारतीय संविधान 26 नवम्बर 1949 को लागू एवं 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ था।

संविधान के द्वारा नागरिको को कितने मौलिक अधिकार प्रदान किये गए है ?

संविधान के द्वारा नागरिको को 6 मौलिक अधिकार प्रदान किये गए है जिनका वर्णन संविधान के अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35 तक है।

संविधान द्वारा प्रदत मौलिक अधिकार कौन-कौन से है ?

संविधान द्वारा प्रदत मौलिक अधिकार निम्न है :- समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बंधित अधिकार एवं संवैधानिक उपचारों का अधिकार

अनुच्छेद 19 में कौन-कौन सी स्वतंत्रताओ का वर्णन किया गया है ?

अनुच्छेद 19 में नागरिको को निम्न प्रकार की स्वतंत्रता प्रदान की गयी है:- वाणी एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण इकठा होने की स्वतंत्रता, संगठन बनाने की स्वतंत्रता, पूरे देश में संचरण की स्वतंत्रता, पूरे देश में कहीं भी बसने की स्वतंत्रता, कोई भी व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता

हमारे मौलिक कर्तव्य कितने है ?

हमारे मौलिक कर्त्तव्य 11 है जिन्हे संविधान के अनुच्छेद 51A में वर्णित किया गया है।

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