बंगाल के नवाबों का इतिहास (1713-1765) Bengal History in Hindi.

Bengal History :- भारतीय इतिहास में बंगाल प्रांत का सदैव से ही एक विशिष्ठ स्थान रहा है। पूर्व में भारतीय राजनीति का केंद्र रहा बंगाल स्वतंत्रता संग्राम से लेकर भारतीय पुनर्जागरण एवं इतिहास की विभिन परिवर्तनकारी घटनाओं से लेकर भारत के भिन्न-भिन्न सुधारवादी आंदोलनों का केंद्र रहा है। मध्यकाल में भारतीय राजनीति के पृष्ठ पर बंगाल पर मुगलों द्वारा नियुक्त सूबेदार एवं इसके विभिन नवाबों के द्वारा शासन किया गया। औपनिवेशिक काल में यह स्थान भारतीय राजनीति की विभिन राजनैतिक गतिविधियों का केंद्रबिंदु रहा है।

अपने इतिहास के दौरान बंगाल राज्य विभिन प्रकार के राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक बदलावों का साक्षी रहा है जिसमे यहाँ विभिन समय पर शासन करने वाले विभिन शासको का गहरा प्रभाव रहा है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बंगाल के नवाबों का इतिहास (1713-1765) Bengal history in Hindi) सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले है। साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से हम बंगाल के भारतीय इतिहास पर विशिष्ठ प्रभाव के बारे में भी अध्ययन करने वाले है।

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Bengal history in Hindi
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भारतीय इतिहास पर बंगाल के प्रभाव के बारे में समझने से पूर्व हमे बंगाल के इतिहास के बारे में जानना आवश्यक है। मध्यकाल में बंगाल मुग़ल साम्राज्य का अंग रहा है जिसका शासन मुगलों द्वारा नियुक्त सूबेदार द्वारा संचालित किया जाता था। समुद्री तट पर स्थित होने के कारण बंगाल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रमुख केंद्र रहा है यही कारण है की मुग़ल सूबों में बंगाल सर्वाधिक समृद्ध प्रांत होने के कारण सोने की चिड़िया कहलाता था। मुग़ल साम्राज्य के पतन के दौरान यहाँ विभिन नवाबों का शासन रहा है। इसके पश्चात यहाँ औपनिवेशिक काल में अंग्रेजों के द्वारा शासन स्थापित किया गया है। 18वीं सदी पर बंगाल की धरती पर लड़े गए दो प्रमुख युद्धों- प्लासी का युद्ध (Battle of Plassey) एवं बक्सर के युद्ध (Battle of Buxar) ने भारतीय इतिहास को सदैव के लिए बदल दिया। इतिहासकारों द्वारा प्लासी के युद्ध को भारतीय इतिहास का निर्णायक युद्ध माना जाता है जिसके पश्चात भारत में औपनिवेशिक शासन प्रारम्भ हुआ। साथ ही भारतीय के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में बंगाल का इतिहास (Bengal history in Hindi) का गहरा प्रभाव रहा है।

बंगाल के नवाबों का इतिहास (1713-1765)

मध्य भारत में बंगाल “मुग़ल सूबा” के रूप में विभिन सूबेदारों के द्वारा शासित किया जाता रहा था। औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात जब मुग़ल साम्राज्य कमजोर होने लगा तो विभिन प्रांतीय शासक भी अपनी स्वतंत्रता की घोषणा करने लगे। 1700 ईस्वी में मुर्शिद कुली खां (मोहम्मद हादीमिर्जा हादी) औरंगजेब द्वारा नियुक्त बंगाल का सूबेदार था जो की औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात वास्तविक शासक की भांति राज करने लगा। वर्ष 1713 से वर्ष 1765 के माध्यम बंगाल ने निम्न शासको ने राज किया :-

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क्र.सं.बंगाल नवाबशासन वर्ष
1.मुर्शीद कुली खाँ  1713-1727 ई.
2.शुजाउद्दीन1727-1739 ई.
3.सरफराज खाँ1739-1740 ई.
4.अलीवर्दी खाँ1740-1756 ई.
5.सिराजुद्दौला1756-1757 ई.
6.मीर जाफर1757-1760 ई.
7.मीरकासिम1760-1763 ई.
8.मीर जाफर1763-1765 ई.
9.निजाम-उद्दौला1765-1766 ई.
10.शैफ-उद्दौला1766-1770 ई.
11.मुबारक-उद्दौला1770-1775 ई.
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बंगाल के नवाबों सम्बंधित महत्वपूर्ण बिंदु

वर्ष 1713 में मुर्शीद कुली खाँ बंगाल का स्वतंत्र शासक बना। इसके पश्चात बंगाल पर विभिन नवाबो का शासन रहा। बंगाल के शासन में महत्वपूर्ण मोड़ वर्ष 1757 में आया जब अंग्रेजो के द्वारा बंगाल के नवाब सिराजुदौला को पराजित करके बंगाल पर अधिकार किया गया। इसके पश्चात बक्सर के युद्ध ने बंगाल के साथ-साथ भारतवर्ष पर भी अंग्रेजो की हुकूमत को पूर्ण रूप से स्थापित कर दिया। यहाँ आपको बंगाल के विभिन नवाबो के शासन एवं उनके शासनकाल से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में जानकारी प्रदान की गयी है :-

मुर्शिद कुली खां (1713-1727 ई.)

  • मुर्शिद कुली खां को औरंगजेब द्वारा वर्ष 1700 में बंगाल की दीवानी सौंपी गयी थी।
  • मुर्शिद कुली खां को मोहम्मद हादीमिर्जा हादी के नाम से भी जाना जाता था।
  • मुग़ल बादशाह फर्रुखसियर के शासन में मुर्शिद कुली खां द्वारा स्वतंत्र शासक के रूप में कार्य किया गया हालांकि वह नियमित रूप से मुगलों को राजस्व भेजता था।
  • वर्ष 1719 में मुर्शिद कुली खां को ओडिशा क्षेत्र के शासन का भार मिला था।
  • मुर्शिद कुली खां द्वारा राजधानी को ढाका से मुर्शिदाबाद स्थानांतरित किया गया।
  • इसके द्वारा कृषि बंदोबस्त के रूप में इजारेदारी प्रथा तथा कृषकों को खेती हेतु अग्रिम ऋण के रूप में तकावी ऋण देने की प्रथा शुरू की गयी।

शुजाउद्दीन (1727-1739 ई.) तथा सरफराज खाँ (1739-1740 ई.)

  • वर्ष 1727 से बंगाल पर मुर्शिद कुली खां के दामाद शुजाउद्दीन का शासन प्रारम्भ हुआ जो की 1739 तक कुल 12 वर्षों तक शासक रहा।
  • वर्ष 1739 में सरफराज खाँ को बंगाल का नवाब घोषित किया गया जिसके शासन मात्र एक वर्ष तक रहा।
  • शुजाउद्दीन एवं सरफराज खाँ के शासन के दौरान बंगाल में किसी प्रकार की विशेष आर्थिक समृद्धि नहीं हुयी।

अलीवर्दी खाँ (1740-1756 ई.)

  • अलीवर्दी खाँ बिहार का सर सूबेदार था जिसके द्वारा 1740 के गिरिया के युद्ध में बंगाल के तत्कालीन शासक सरफराज खाँ को मार गिराया गया एवं स्वयं को बंगाल का नवाब घोषित किया गया।
  • अलीवर्दी खाँ महत्वाकांक्षी शासक था। इसके द्वारा मुगलों को राजस्व देना बंद कर दिया गया। वास्तव में यह बंगाल का प्रथम स्वतंत्र शासक था।
  • इसके शासन के दौरान मराठाओं को चौथ नामक कर दिया जाता था।
  • अलीवर्दी खाँ के शासन के दौरान बंगाल भारत का सबसे समृद्ध राज्य था जिस कारण इसे भारत का स्वर्ग कहा जाने लगा।

सिराजुद्दौला (1756-1757 ई.)

  • अलीवर्दी खाँ की मृत्यु के पश्चात उसका दामाद सिराजुद्दौला बंगाल का शासक बना। यह वास्तव में बंगाल का सबसे योग्य शासक था जिसके पूरा नाम मिर्जा मुहम्मद सिराज-उद-दौला था।
  • सिराजुद्दौला द्वारा 4 जून 1756 को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद स्थित कासिम बाजार पर अधिपत्य किया गया।

20 जून 1756 ई (ब्लैक हॉल घटना)

  • बंगाल पर अधिकार के पश्चात सिराजुद्दौला द्वारा फोर्ट विलियम (अंग्रेजों की व्यापारिक कोठी) को अपने कब्जे में लिया गया।
  • 20 जून 1756 को सिराजुद्दौला द्वारा 146 अंग्रेजों अंग्रेजों को फोर्ट विलियम की कोठी में बंद किया गया जहाँ 18 फुट लम्बी कोठरी में दम घुटने से सुबह तक सिर्फ 23 अंग्रेज की जीवित बच सके। इतिहास में इस घटना को काल-कोठरी की घटना (ब्लैक हॉल घटना) के नाम से जाना जाता है।
  • इस घटना को जे.जेड.हालवेल द्वारा अपनी पुस्तक में वर्णित किया गया है हालांकि अधिकतर इतिहासकार इस घटना को जे.जेड.हालवेल द्वारा निर्मित षड्यंत्र मानते है एवं इसे झूठा करार देते है।

प्लासी का युद्ध (23 जून 1757)

  • बंगाल में मजबूत शासक सिराजुद्दौला के कारण अंग्रेजों को भारतीय व्यापार में अनुचित कार्यों को करने की छूट नहीं मिल पा रही थी। ऐसे में अंग्रेजो द्वारा कलकत्ता के व्यापारी अमीचन्द्र की मदद से दीवान दुर्लभ राय, सिराजुद्दौला के सेनापति मीर जफ़र एवं प्रभावशाली व्यापारी जगत सेठ को अपने षड्यंत्र का हिस्सा बनाया गया।
  • 23 जून 1757 (प्लासी का युद्ध)23 जून 1757 को बंगाल में प्लासी नामक स्थान पर अंग्रेजो एवं सिराजुद्दौला के मध्य प्लासी का युद्ध का युद्ध हुआ जिसमे अपने सेनापति मीर जाफ़र की गद्दारी के कारण सिराजुद्दौला को हार का सामना करना पड़ा। इस युद्ध में विजय के पश्चात अंग्रेजो द्वारा सिराजुद्दौला को मार दिया गया।
  • प्लासी का युद्ध भारतीय इतिहास में निर्णायक युद्ध माना जाता है क्यूंकि इसके पश्चात अंग्रेजों द्वारा भारत पर शासन की नींव डाली गयी।

मीर जाफर (1757-1760 ई.)

  • प्लासी के युद्ध में अंग्रेजो की सहायता हेतु पुरस्कार के रूप में वर्ष 1757 में मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया।
  • इस दौरान शासन की जिम्मेदारी मीर जाफर के हाथ में जबकि राजस्व, सैन्य शासन एवं राज्यनीति अंग्रेजो द्वारा तय की जाती थी।
  • मीर जाफर वास्तव में एक कठपुतली शासक था जिसके शासन काल में “बांटों और राज करो” की नीति अपने चरम पर थी।

मीरकासिम (1760-1763 ई.)

  • वर्ष 1760 में मीर जाफर को हटाकर इसके दामाद मीरकासिम को बंगाल का नवाब बनाया गया।
  • मीर जाफर अत्यंत महत्वाकांक्षी व्यक्ति था एवं अपने शासन में अंग्रेजो का दखल अधिक पसंद नहीं करता था।
  • मीर जाफर द्वारा राजधानी को मुर्शिदाबाद से मुंगेर स्थानांतरित किया गया था।

मीर जाफर (1763-1765 ई.) (दूसरी बार बंगाल का नवाब)

  • वर्ष 1763 में मीरकासिम को हटाकर मीर जाफर को दूसरी बार बंगाल का नवाब बनाया गया।
  • मीर जाफर को दुबारा नवाब बनाने का मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों द्वारा व्यापार करने में विशेष छूट प्राप्त करना था।
  • मीर कासिम द्वारा पुनः गद्दी पाने के लिए मुग़ल बादशाह एवं अवध के नवाब के मध्य संधि द्वारा पुनः सेना का गठन किया गया।

बक्सर का युद्ध (22 /23 अक्टूबर 1764)

  • अक्टूबर 1764 में मीर कासिम द्वारा अवध के नवाब शुज़ा उद दौला एवं मुग़ल बादशाह शाहआलम द्वितीय के साथ गठबंधन करके अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी गयी।
  • बक्सर का युद्ध 22 /23 अक्टूबर 1764 को अंग्रेजो एवं मीर कासिम, अवध के नवाब शुज़ा उद दौला एवं मुग़ल बादशाह शाहआलम द्वितीय की संयुक्त सेना के मध्य हुआ। इस युद्ध में अंग्रेज विजयी हुए।
  • इस युद्ध में अंग्रेजी सेना का नेतृत्व हेक्टर मुनरो कर रहा था जबकि विरोधी दल में मीर कासिम, शुज़ा उद दौला एवं शाहआलम द्वितीय की त्रयी सेना थी।
  • इस युद्ध के पश्चात अंग्रेजो ने भारत का शासन प्रत्यक्ष रूप से अपने हाथ में ले लिया एवं भारत में अंग्रेजों का वास्तविक शासन प्रारम्भ हो गया।

बंगाल पर शासन के पश्चात अंग्रेजों द्वारा भारत के अन्य भागों पर भी शासन प्रारम्भ किया गया। वास्तव में प्लासी युद्ध के पश्चात भारत में औपनिवेशिक शासन की नीव पड़ी थी जिसके पश्चात अंग्रेजों द्वारा 200 वर्षो तक भारत पर राज किया गया। देश के महापुरुषों एवं जनता के निरंतर संघर्ष के पश्चात 15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजो की गुलामी से मुक्त हुआ।

Bengal History से सम्बंधित प्रश्नोत्तर (FAQ)

बंगाल का प्रथम नवाब कौन था ?

बंगाल के प्रथम नवाब मुर्शिद कुली खां थे जिन्होंने वर्ष 1713-1727 ई. तक बंगाल पर शासन किया। इन्हे बंगाल का संस्थापक भी कहा जाता है।

बंगाल का सर्वाधिक शक्तिशाली नवाब कौन था ?

बंगाल का सर्वाधिक शक्तिशाली नवाब अलीवर्दी खाँ था जिसके कारण बंगाल भारत का सबसे समृद्धशाली राज्य बना था।

बंगाल के नवाबों का इतिहास सम्बंधित जानकारी प्रदान करें ?

बंगाल के नवाबों का इतिहास सम्बंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल पढ़े। इसकी सहायता से आप बंगाल के नवाबों का इतिहास सम्बंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते है।

प्लासी का युद्ध कब और किसके मध्य हुआ था ?

प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 को बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला एवं अंग्रेजों के मध्य हुआ था। इस युद्ध में अपने सेनापति मीर जाफर की धोखाधड़ी के कारण सिराजुद्दौला को हार का सामना करना पड़ा।

बक्सर का युद्ध कब और किसके मध्य हुआ था ?

बक्सर का युद्ध 22 /23 अक्टूबर 1764 को अंग्रेजो एवं मीर कासिम, अवध के नवाब शुज़ा उद दौला एवं मुग़ल बादशाह शाहआलम द्वितीय की संयुक्त सेना के मध्य हुआ। इस युद्ध में अंग्रेज विजयी हुए।

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