औरंगजेब जीवन परिचय इतिहास | Aurangzeb History Jeevan Parichay in hindi

हमारे देश में मुग़ल शासको ने लम्बे समय तक शासन किया है ऐसे में देश के इतिहास में मुगलों का जिक्र आना स्वाभाविक है। भारत में मुग़ल शासकों की बात की जाए तो मुख्यत अकबर और औरंगजेब का नाम ही सामने आता है। अकबर जहाँ अपनी उदारता एवं सहिष्णुता के लिए प्रसिद्ध रहे है वही औरंगजेब को कट्टर एवं धार्मिक उन्माद से प्रेरित शासक के रूप में जाना जाता है। अपनी नीतियों एवं अंतर्विरोधी जीवन के बावजूद औरंगजेब को मुग़ल साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली शासको में शुमार किया जाता है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको औरंगजेब जीवन परिचय इतिहास (Aurangzeb History Jeevan Parichay in hindi) सम्बंधित जानकारी प्रदान करने वाले है।

इस आर्टिकल के माध्यम से आप औरंगजेब के जीवन के सभी पहलुओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने के अतिरिक्त औरंगजेब की नीतियों एवं समाज पर इसके प्रभाव के बारे में भी परिचित हो सकेंगे।

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औरंगजेब जीवन परिचय इतिहास |
Aurangzeb History Jeevan Parichay in hindi

औरंगजेब का प्रारंभिक जीवन

औरंगजेब मुग़ल साम्राज्य के महानतम शासकों में से एक थे। औरंगजेब का जन्म 3 नवम्बर 1618 को गुजरात राज्य के दाहोद में हुआ था। मुग़ल सम्राट शाहजहाँ के पुत्र के रूप ये मुमताजमहल की छठी संतान थे। औरंगजेब के जन्म के समय मुग़ल गद्दी पर मुग़ल बादशाह जहाँगीर विराजमान थे। 1626 में गुजरात के सूबेदार शाहजहाँ द्वारा अपने पिता के विरुद्ध विद्रोह करने पर जहाँगीर द्वारा शाहजहाँ एवं उनके परिवार को बंदी बना लिया गया जिसमे औरंगजेब भी शामिल थे। 1628 में शाहजहाँ ने मुग़ल साम्राज्य की गद्दी संभाली जिसके पश्चात औरंगजेब अपने परिवार के साथ वापस रहने लगे। यहाँ पर औरंगजेब ने अरबी, तुर्की एवं फ़ारसी भाषा का औपचारिक अध्ययन किया। साथ ही इस्लामिक साहित्य पढ़ने के अतिरिक्त उन्होंने हिंदी भाषा का ज्ञान भी प्राप्त किया।

औरंगजेब के मध्यकालीन वर्ष

मुग़ल साम्राज्य के नियमो के अनुसार मुग़ल राजकुमारों को शासन के विभिन सूबों का सूबेदार नियुक्त किया जाता था। इसी परंपरा के तहत शाहजहाँ द्वारा अपने पुत्र औरंगजेब को वर्ष 1634 में दक्कन का गवर्नर नियुक्त कर दिया गया। अपने गवर्नर बनने के तीसरे ही वर्ष औरंगजेब द्वारा रबिया दुर्रानी के साथ विवाह किया गया।

औरंगजेब की बहन वर्ष 1644 में आग लगने के कारण हुयी दुर्घटना में जलकर मारी गयीं थी। इसके पश्चात भी औरंगजेब तीन हफ्तों के समय के पश्चात दिल्ली दरबार पहुँचे। औरंगजेब की इस हरकत से बादशाह शाहजहाँ अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने औरंगजेब से सभी जिम्मेदारियों को वापस लेते हुए उन्हें सूबेदार के पास से भी हटा दिया। साथ ही दंडस्वरूप बादशाह ने औरंगजेब के दरबार आने पर पाबंदी लगाते हुए औरंगजेब पर विविध प्रतिबन्ध भी लगा दिए। वर्ष 1945 में शाहजहाँ ने औरंगजेब को पुनः बहाल करते हुए उन्हें गुजरात राज्य का सूबेदार बनाया। गुजरात का सूबेदार रहते हुए औरंगजेब ने बेहतर प्रशासनिक कुशलता का परिचय दिया जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अफगानिस्तान, सिंध एवं मुल्तान का सूबा सौंपा गया। वर्ष 1952 में औरंगजेब को पुनः दक्कन क्षेत्र के प्रशासन की जिम्मेदारी प्रदान की गयी।

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औरंगजेब का सत्ता पर आगमन

मुग़ल साम्राज्य में उत्तराधिकारी के लिए कोई भी निर्धारित नियम ना होने के कारण सदैव से गद्दी के लिए जंग छिड़ी रहती थी। शाहजहाँ इस बात से वाकिफ थे की उनकी मृत्यु के पश्चात दिल्ली की गद्दी के लिए भीषण संग्राम होगा यही कारण रहा की अपने जीवनकाल के दौरान ही उन्होंने दारा शिकोह को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था।

हालांकि बचपन से ही औरंगजेब अपने सबसे बड़े भाई दारा शिकोह की बिलकुल भी पसंद नहीं करते थे जिसका कारण दोनों का विपरीत स्वभाव था। औरंगजेब धार्मिक धर्मांध एवं कट्टर प्रकृति के व्यक्ति थे जबकि दारा शिकोह आध्यात्मिक सूफी प्रकृति के। यही कारण रहा की दोनों भाइयों में सदैव से दुश्मनी बनी रही।

1657 में बादशाह शाहजहाँ के बीमार होने पर गद्दी को लेकर चारों भाइयों औरंगजेब, शाहशुजा, दारा शिकोह और मुराद में जंग छिड़ गयी। इसमें सर्वप्रथम युद्ध बनारस में शाहशुजा एवं सुलेमान शिकोह के मध्य, द्वितीय युद्ध धरमट में वर्ष 1658 में लड़ा गया।

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वर्ष 1658 में सामूगढ़ के युद्ध में औरंगजेब ने दारा शिकोह को परास्त किया और वर्ष 1659 में दिल्ली की गद्दी पर बैठ गये। राजा बनते ही औरंगजेब ने सर्वप्रथम अपने पिता शाहजहाँ को आगरा के किले में कैद करवा दिया और इसके पश्चात अपने भाई दारा शिकोह को देशद्रोह के आरोप में सूली पर चढ़ा दिया। इसके अतिरिक्त उत्तराधिकार युद्ध में औरंगजेब ने अपना साथ देने वाले अपने भाई मुराद को भी विष देकर मरवा दिया। इस प्रकार के कृत्यों के कारण ही औरंगजेब को मुग़ल साम्राज्य के सबसे क्रूरतम एवं बर्बर शासक के रूप में याद किया जाता है।

औरंगजेब का शासनकाल एवं नीतियाँ

छल, धोखे और षड्यंत्र के बल पर खड़ा किया गया औरंगजेब का साम्राज्य की नींव ही कच्ची बुनियाद पर टिकी हुयी थी यही कारण था है औरंगजेब के शासनकाल में भी उनकी धर्मान्धता एवं धार्मिक कट्टरता का प्रभाव देखने को मिलता है। औरंगजेब के द्वारा सर्वप्रथम हिन्दुओं पर लगने वाले जजिया कर को शुरू किया गया।

इसके पश्चात विभिन त्यौहारों एवं आयोजनों पर पाबन्दी, संगीत एवं कला पर प्रतिबन्ध लगाकर राज्य को कुरान एवं शरिया के अनुसार संचालित करना औरंगजेब के शासनकाल का हिस्सा रहा। इसके अतिरिक्त विभिन हिन्दू मंदिरो को ढहाना एवं अनेक प्रजा विरोधी कार्यो के कारण औरंगजेब को इतिहास के सबसे क्रूरतम एवं कट्टर राजा के रूप में पहचान मिली।

aurangjeb

इसके अतिरिक्त औरंगजेब ने सिखों के नवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर को भी अपनी नीतियों का अनुसरण ना करने के कारण 1675 में उनका शीश कटवा दिया गया था। अपने पूरे जीवनकाल में औरंगजेब मराठा छत्रप, महाराज छत्रपति शिवाजी से जूझते रहे। अपनी जीवनकाल के दौरान औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी को हराने का पूर्ण प्रयत्न किया परन्तु असफल रहे। इसके अतिरिक्त औरंगजेब की नीतियों के कारण विभिन हिन्दू राजा भी नाराज थे जो की अंतत विद्रोह का कारण बना।

औरंगजेब की मृत्यु

जीवन भर युद्धों से घिरे रहने वाले औरंगजेब की मृत्यु 3 मार्च 1707 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में हुयी। अपने जीवन के अंतिम वर्ष उन्होंने दक्षिण भारत में ही गुजारे थे। अपने जीवन में विभिन संघर्षो में उलझा रहने के कारण एवं अपनी नीतियों के कारण औरंगजेब मुग़ल साम्राज्य के अंतिम शक्तिशाली शासक के रूप में जाने जाते है। उनकी मृत्यु पर औरंगाबाद में ही उनकी कब्र का निर्माण किया गया था।

औरंगजेब जीवन परिचय इतिहास सम्बंधित प्रश्न-उत्तर (FAQ)

औरंगजेब का जन्म कब हुआ ?

औरंगजेब का जन्म 3 नवम्बर 1618 को गुजरात राज्य के दाहोद में हुआ था।

औरंगजेब के पिता का क्या नाम था ?

औरंगजेब के पिता का नाम बादशाह शाहजहाँ एवं माता का नाम मुमताजमहल था।

दिल्ली की गद्दी को प्राप्त करने के लिए औरंगजेब द्वारा किसके साथ युद्ध लड़ा गया ?

दिल्ली की गद्दी को पाने के लिए औरंगजेब एवं दारा शिकोह के मध्य सामूगढ़ का युद्ध हुआ था जिसमे विजय प्राप्त करने के पश्चात औरंगजेब द्वारा दिल्ली की गद्दी पर कब्जा किया गया।

औरंगजेब को मुग़ल साम्राज्य का सबसे बर्बर एवं क्रूरतम शासक क्यों माना जाता है ?

औरंगजेब द्वारा गद्दी प्राप्त करने के लिए अपने भाइयों की हत्या करने एवं अपने पिता को कैद करने, अपनी धर्मान्धता एवं कट्टर सोच एवं अन्य समुदायों के प्रति नफरत को भावना के चलते मुग़ल साम्राज्य का सबसे बर्बर एवं क्रूरतम शासक माना जाता है।

औरंगजेब की मृत्यु कब हुयी ?

औरंगजेब की मृत्यु 3 मार्च 1707 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में हुयी।

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