भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है। पूरे विश्व में भारत की पहचान सुनहरी परम्पराओ वाले राष्ट्र के रूप में की जाती है। किसी भी देश का राष्ट्रीय चिन्ह उसकी परम्परा, संस्कृति और स्वतंन्त्रता का प्रतीक होता है। हमारे भारत का भी एक राष्ट्रीय चिन्ह है अशोक स्तम्भ। इसको शासन, संस्कृति और शान्ति का प्रतीक माना गया था और इसलिए ही संवैधानिक रूप से 26 जनवरी 1950 में भारत सरकार द्वारा अशोक स्तम्भ को राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में अपनाया गया है। यह संवैधानिक पद और संविधान की शक्ति को दर्शाता है। इसको धर्म चक्र (कानून का पहिया) भी कहा जाता है। आज इस लेख में हम आपको बतायेगे अशोक स्तंभ का इतिहास, महत्व | Facts & Controversy, Ashok Stambh history in hindi और साथ ही जानेगे अशोक स्तम्भ से जुडी महत्वपूर्ण बाते। तो चलिए जानते है अशोक स्तंभ का इतिहास
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अशोक स्तंभ का इतिहास Ashok Stambh history in hindi
अशोक स्तंभ का इतिहास :- अशोक स्तम्भ का इतिहास 273 ईसा पूर्व से शुरू होता है जब भारत में मौर्य वंश के तीसरे शासक सम्राट अशोक का शासनकाल था। सम्राट अशोक एक क्रूर प्रकृति के शासक थे लेकिन कलिंग युद्ध में हुए नरसंहार को देखकर अशोक का मन द्रवित हो गया और वे हिंसा का त्याग कर अहिंसा और शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए बौद्ध धर्म की शरण ने चले गए। जिसके बाद वे बौद्ध धर्म के बताये गए रास्ते पर चलने लगे और बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार करने लगे सम्राट अशोक चाहते थे कि बौद्ध धर्म का विस्तार हो, जिसके लिए उन्होंने लगभग 84000 स्तूपों का निर्माण करवाय था।
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बौद्ध धर्मं का प्रचार करने के लिए सम्राट अशोक ने चारो दिशा में गर्जना करते हुए शेरो की आकृति वाले स्तम्भ का निर्माण भी करवाया था। प्रचार के रूप में शेरो की आकृति वाला स्तम्भ बनवाने के पीछे माना जाता है कि भगवान बौद्ध का सिंह पर्याय है। शाशक्य सिंह, नरसिंह जैसे नाम भी भगवान् बौद्ध ने 100 नामो में सम्मिलित है। भगवान बुद्ध के द्वारा दिए गए सारनाथ में उपदेश को सिंह भी कहते है। इन्ही सब कारणवश बौद्ध धर्म के प्रचार के रूप में शेरो की आकृति को महत्त्व दिया गया।
सारनाथ अशोक स्तम्भ
अशोक के द्वारा निर्मित स्तम्भों में सबसे पुराना और प्रसिद्ध स्तम्भ है सारनाथ का अशोक स्तम्भ। सारनाथ में ही भगवान बुद्ध ने अपने पहले धर्मोपदेश दिए थे और चार महान सत्य साझा किये थे। अशोक स्तम्भ बलुआ पत्थर से निर्मित है जिसकी ऊंचाई 45 फ़ीट है। इसके निचले भाग को छोड़कर ये गोलाकृति में है और निचे से ऊपर की ओर जाते हुए इसकी परिधि छोटी होती जाती है। इस में चार शेर है और चारो शेरो के मुँह अलग अलग दिशाओ में है इनकी पीठ आपस में जुडी हुई है।
यदि आपने कभी ध्यान दिया हो तो अशोक स्तम्भ में नीचे एक बैल और एक घोडा भी दिखाई देता है, इन दोनों आकृत्तियो के बीच अशोक चक्र है जिसमे 24 तिल्लिया है और जिसको हमारे राष्ट्रीय ध्वज में भी शामिल किया गया है। अशोक स्तम्भ की गोलाकृति होने की वजह से केवल चारो दिशाओ में खड़े होकर देखने से 3 ही शेर दिखाई देते है लेकिन अशोक स्तम्भ में 4 शेरो की आकृति है। स्तम्भ के नीचे सत्यमेव जयते भी लिखा है जिसका अर्थ होता है सत्य की हमेशा विजय होती है। भारत में सारनाथ के अलावा प्रयागराज, वैशाली, साँची, में भी अशोक स्तम्भ है जिनका अपना अपना महत्व है।
अशोक स्तम्भ का महत्त्व
अशोक स्तम्भ भारत का राष्ट्रीय चिन्ह है इसलिए इसको लेकर कुछ नियम भी है। राष्ट्रीय चिन्ह होने की वजह से इसकी संवैधानिक गरिमा है जिसको किसी भी प्रकार की ठेस नहीं पहुंचाई जा सकती। इस चिन्ह का इस्तेमाल केवल संवैधानिक पद पर बैठे लोग ही कर सकते है जैसे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राजयपाल, ग्रहमंत्री, न्यायाधीश, एवं अन्य सरकारी संस्थाओ में उच्च अधिकारी। रिटायर होने के बाद कोई भी सरकारी अधिकारी बिना किसी इजाजत के इस चिन्ह का इस्तेमाल नहीं कर सकता।
देश में बढ़ते हुए राष्ट्रीय चिन्ह के दुरूपयोग को रोकने के लिए एक कानूनी नियम बनाया गया जिसका नाम है भारतीय राष्ट्रीय चिन्ह (दुरूपयोग की रोकथाम) एक्ट 2005 जिसको 2007 में संसोधित किया गया था। इस नियम के तहत यदि कोई भी आम आदमी या कोई रिटायर व्यक्ति बिना अनुमति के इस चिन्ह का इस्तेमाल करता है तो उसको 2 वर्ष की सजा और 5000 तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।
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अशोक स्तंभ से सम्बंधित Facts
- भारत का राष्ट्रीय चिन्ह सारनाथ के अशोक स्तम्भ से लिया गया है।
- हमारे तिरंगे के बीच में जो चक्र है वो भी अशोक स्तम्भ से लिया गया है।
- भारत में अशोक स्तम्भ का निर्माण मौर्यवंश के तीसरे शासक सम्राट अशोक ने करवाया था।
- इस स्तम्भ में चार शेर बनवाये गए है जिसके कारण इसको चतुर्मुख भी कहा जाता है।
- स्तम्भ के निचले हिस्से में घोड़े और सांड की आकृति भी अंकित है।
- भारत के प्रमुख संवैधानिक कागजो पर अशोक स्तम्भ का छापा होता है।
- यदि कोई गैर संवैधानिक रूप से अशोक स्तम्भ का इस्तेमाल करता है तो उसको 2 वर्ष की सजा और 5000 तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।
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अशोक स्तम्भ Controversy
भारत में नया संसद भवन का निर्माण हो रहा है जिसकी छत पर अशोक स्तम्भ का भी निर्माण होने जा रहा है जिसकी घोषणा प्रधानमंती ने 11 जुलाई 2022 को की थी, यह 6.5 मीटर ऊँचा और 9500 किलोग्राम भारी है। प्रधान मंत्री नरेंद मोदी द्वारा सांसद भवन की छत पर अशोक स्तम्भ के निर्माण की घोषणा के बाद विपक्ष नेताओ द्वारा विवाद किये जा रहे है।
- असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट के माध्यम से कहा कि लोकसभा का प्रतिनिधित्व करने की जिम्मेदारी अध्यक्ष की होती है तो मोदी जी को सांसद भाव के ऊपर अशोक स्तम्भ का अनावरण नहीं करना चाहिए
- कांग्रेस पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा है कि मोदी जी ने जिस तरह अशोक स्तम्भ का नवारण किया है वो हमारे राष्ट्रीय चिन्ह के खिलाफ है।
- संसद भवन के ऊपर बने अशोक स्तम्भ में शेर दहाड़ते हुए प्रतीत हो रहे है जिसके कारण इसकी आलोचना की जा रही है
अशोक द्वारा बनवाये गए अन्य स्तम्भ
सारनाथ के अशोक स्तम्भ के अलावा ोांय भी अशोक स्तम्भ है जिनका विवरण निम्न है :-
प्रयागराज स्तम्भ
यह स्तम्भ प्रयागराज (इलाहबाद) के किले के बहार स्थित है। इस किले का निर्माण अख़बार ने करवाया था, और इस किले में स्थित स्तम्भ का निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था। इस स्तम्भ को कभी भीम का गदा कहा जाता था इस स्तम्भ के बाहरी हिस्से पर अशोक के लेख लिखे है। 1605 ईस्वी में जहाँगीर के तख़्त पर बैठने की कहानी भी इसपर अंकित है। 1800 ईस्वी में इस स्तम्भ को गिरा दिया गया था जिसके बाद 1883 में इस स्तम्भ को अंग्रेजो द्वारा पुनः खड़ा किया गया था।
वैशाली स्तम्भ
यह स्तम्भ बिहार राज्य के वैशाली में स्थित है। भगवान बौद्ध ने अपने अंतिम उपदेश वैशाली में दिए थे इसलिए एक स्तम्भ सम्राट अशोक ने यह भी बनवाया था वैशाली स्तम्भ अन्य अशोक स्तम्भों से अलग है इसके ऊपर एक त्रुटिपूर्ण तरिके से एक शेर की आकृति बनी है। इस शेर का मुँह उत्तर दिशा में है माना जाता है कि यह भगवान बौद्ध की अंतिम उपदेश की दिशा में बनाया गया था। स्तम्भ के बराबर में एक स्तूप और एक तालाब है। तालाब को रामकुंड के नाम से जाना जाता है और ये तालाब बौद्ध धर्म में पवित्र स्थान माना जाता है।
साँची स्तम्भ
यह स्तम्भ मध्यप्रदेश राज्य के साँची में स्थित है। इसकी तीसरी शताब्दी में बनवाया गए था इसकी संरचना ग्रीको बौद्ध शैली से प्रभावित है। इतना पुराना होने के बाद भी ये नवनिर्मित दिखाई देता है। इसको मध्यप्रदेश के सबसे अच्छे विरासत स्थलो में गिना जाता है। यह स्तम्भ सारनाथ के स्तम्भ से भी मिलता-जुलता है। इस स्तम्भ के शीर्ष पर चार शेर बैठे है।
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अशोक स्तम्भ से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
भारत का राष्ट्रीय चिन्ह सारनाथ का अशोक स्तम्भ है।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज में जो चक्र है वो सारनाथ में स्थित अशोक स्तम्भ से लिया गया है।
अशोक स्तम्भ में 4 शेर है और चारो शेरो के मुँह अलग अलग दिशाओ में है।
सारनाथ अशोक स्तम्भ का निर्माण मौर्यवंश के तीसरे शासक सम्राट अशोक ने करवाया था।
अशोक स्तम्भ के चिन्ह का दुरूपयोग करने पर 2 वर्ष की जेल और 5000 रूपए का जुर्माना भरने की सजा है।