आदि कैलाश यात्रा की जानकारी:- भगवान शिव के भक्तो के लिए कैलाश मानसरोवर की यात्रा करना मोक्ष प्राप्त करने के समान माना जाता है। भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर की यात्रा करते है। वर्तमान में कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए सभी भारतीय नागरिको को वीजा लेना आवश्यक होता है हालांकि अगर आप भारत की सीमा में ही कैलाश मानसरोवर के दर्शन करना चाहते है तो आदि कैलाश यात्रा आपके लिए सबसे बेहतर विकल्प है। भगवान शिव के पाँच कैलाश में शुमार आदि कैलाश भारत के उत्तर में स्थित उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है जिसे भी प्राचीन भारतीय वैदिक-पुराणों में कैलाश मानसरोवर के समान पुण्यदायक बताया गया है। भगवान भोलेनाथ के सबसे प्राचीन निवास स्थल के रूप में प्रचलित आदि कैलाश को कैलाश-मानसरोवर की प्रतिकृति माना जाता है जिसके दर्शन मात्र से ही भक्तों को कैलाश-मानसरोवर का पुण्य लाभ प्राप्त होता है।
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आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको आदि कैलाश यात्रा की जानकारी (Complete information about Adi Kailash in Hindi) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले है। इस आर्टिकल के माध्यम से आप आदि कैलाश यात्रा से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
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आदि कैलाश यात्रा (Adi Kailash Yatra)
देवभूमि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित आदि कैलाश को प्राचीन वेद-पुराणों में भगवान शिव के सबसे प्राचीन निवास स्थल के रूप में वर्णित किया गया है। इसके धार्मिक एवं पौराणिक महत्व के कारण इसे आदि कैलाश के रूप में जाना जाता है। आदि कैलाश की यात्रा को कैलाश मानसरोवर के तुल्य माना जाता है यही कारण है की आदि कैलाश को प्रायः “छोटा कैलाश” की संज्ञा भी दी जाती है। भगवान भोलेनाथ के पंच कैलाश में शामिल आदि कैलाश प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों एवं तपस्वियों की आध्यात्मिक स्थली रही है। हिन्दू धर्म के अनुयायियों के मध्य भी यह स्थल प्राचीन काल से ही अध्यात्म का केंद्र रहा है यही कारण है की श्रद्धालु प्राचीन समय से ही आदि कैलाश यात्रा पर आते रहे है।
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उत्तराखंड में स्थित पिथौरागढ़ जिले में भारत-तिब्बत बॉर्डर पर हिमालयी वादियों के मध्य में स्थित आदि कैलाश समुद्रतल से 5,945 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। आदि कैलाश यात्रा के मार्ग में आपको बर्फ से ढके हुए पहाड़, आकाश को चूमते हुए शिखरों, आध्यात्मिकता से भरपूर नारायण आश्रम, कल-कल बहती हुयी काली गँगा, दैवीय शाँति एवं खूबसूरत नजारो से भरपूर प्रकृति के दर्शन होते है। आदि कैलाश यात्रा का मुख्य आकर्षण यहाँ स्थित ओम की आकृति वाले ॐ पर्वत (ओम पर्वत) का दर्शन है जहाँ आपको हिमालय पर्वत पर पवित्र ओम की आकृति के स्पष्ट दर्शन होते है।
आदि कैलाश का महत्व (Significance of Adi Kailash)
हिन्दू धर्म में प्राचीन काल से ही आदि कैलाश का अत्यधिक धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व रहा है। आदि कैलाश को भगवान शिव के सबसे प्राचीन निवास स्थल के रूप में माना जाता है जो की भोलेनाथ का प्रिय स्थल है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान शिव माता पार्वती से विवाह करने के लिए जा रहे थे तो उन्होंने इस स्थान पर पड़ाव डाला था जिसके कारण यह स्थल अत्यंत पवित्र है। आदि कैलाश के बारे में मान्यता है की यह स्थल भगवान शिव के परिवार का निवास स्थान है जहाँ भगवान शिव माता पार्वती, भगवान गणेश एवं भगवान कार्तिकेय के साथ निवास करते है। हिमालय की स्वर्णिम चोटियों में स्थित यह स्थान प्राकृतिक सुषमा से भरपूर है जिसने इसे भगवान भोलेनाथ का प्रिय स्थल बनाया है।
आदि कैलाश का मुख्य तीर्थ, ओम पर्वत (Om Parvat)
आदि कैलाश यात्रा आध्यात्मिक एवं रोमाँच से भरी तीर्थ यात्रा है जिसका मुख्य आकर्षण आदि कैलाश यात्रा के मार्ग में स्थित ॐ आकृति का ओम पर्वत है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस विश्व में ऐसे 8 पर्वत है जहाँ ॐ की आकृति अंकित है जिनमे में आदि कैलाश यात्रा में स्थित ओम पर्वत ही अब तक खोजा गया एकमात्र तीर्थ है।
यहाँ स्थित पर्वत की आकृति पवित्र ॐ की भाँति है जो की बर्फ से ढके होने पर स्पष्ट दिखाई पड़ती है। ॐ आकृति के कारण ही इस पर्वत का नाम ओम पर्वत रखा गया है। ओम पर्वत आदि कैलाश यात्रा मार्ग में स्थित नवीढूंगा में स्थित है जहाँ पहुँचने के लिए यात्रियों को गुंजी से मार्ग तय करना पड़ता है। आदि कैलाश यात्रा में ओम पर्वत मुख्य तीर्थ है।
आदि कैलाश यात्रा के मुख्य आकर्षण (Highlights of Adi Kailash Yatra)
आदि कैलाश यात्रा आध्यात्मिक शाँति एवं अनुभव प्राप्त करने वाले इच्छुकों के लिए सम्पूर्ण यात्रा के रूप में मानी जाती है। आध्यात्मिक अनुभूत प्राप्त करने वाले इच्छुकों के अतिरिक्त प्रकृति प्रेमियों एवं साहसी लोगों के लिए भी यह यात्रा सभी अवसर उपलब्ध करवाती है। आदि कैलाश यात्रा के यात्रियों के लिए यह यात्रा वास्तव में सभी प्रकार के रोमाँच से भरे अनुभव उपलब्ध करवाती है जहाँ आप आध्यात्मिकता एवं प्रकृति के दर्शन के साथ विभिन साहसिक गतिविधियों को भी अंजाम दे सकते है। आदि कैलाश यात्रा मार्ग में आपको स्वर्णिम हिमालय, हरी-भरी वादियों, अद्धभुत प्राकृतिक सुषमा के दर्शन होते है।
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यहाँ का मुख्य आकर्षण यात्रा मार्ग में बना शिव-गौरी का मंदिर है जो की भगवान भोलेनाथ एवं माता पार्वती को समर्पित है। आदि कैलाश यात्रा मार्ग में आपको यात्रा मार्ग की तलहटी पर गौरी कुंड के दर्शन होते है। आदि कैलाश के पास ही माँ पार्वती को समर्पित “पार्वती सरोवर” भी स्थित है जिसे की मानसरोवर के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ “पार्वती सरोवर” में आदि कैलाश का स्वच्छ प्रतिबिंब देखा जा सकता है जो की इसे मानसरोवर के तुल्य बनाता है।
आदि कैलाश यात्रा के अन्य आकर्षणों में आकाश को स्पर्श करती अन्नापूर्णा चोटी भी प्रमुख आकर्षण है जहाँ आप हिमालय की भव्यता को नजदीक से महसूस कर सकते है। इसके अतिरिक्त आध्यात्मिक आस्था का केंद्र नारायण स्वामी आश्रम जिसे की वर्ष 1936 में नारायण स्वामी द्वारा बसाया गया था यहाँ भोलेनाथ के भक्तो के मध्य प्रमुख आकर्षण है। साथ ही ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए यहाँ कुटी गाँव भरपूर अवसर प्रदान करता है।
कैलाश मानसरोवर की प्रतिकृति (Kailash Mansarovar)
प्राचीन भारतीय ग्रंथो एवं पौराणिक कथाओं में आदि कैलाश को कैलाश मानसरोवर की प्रतिकृति के रूप में वर्णित किया गया है। धार्मिक मान्यताओं में इस स्थान की यात्रा का फल कैलाश मानसरोवर के तुल्य माना जाता है। आदि कैलाश या छोटा कैलाश भारत के उत्तरी भाग में स्थित उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है। समुद्रतल से 5,945 मीटर की ऊँचाई पर स्थित आदि कैलाश दारमा, व्यास एवं चौदास घाटियों के मध्य स्थित है जहाँ आपको साक्षात् भगवान भोलेनाथ की अनुभूति होती है। यह स्थान भारत-तिब्बत बॉर्डर में भारतीय सीमा के अंतर्गत आता है ऐसे में यहाँ जाने के लिए आपको ना तो किसी पासपोर्ट की आवश्यकता होती है एवं ना ही वीजा की।
आर्थिक दृष्टि से भी देखा जाए तो आदि कैलाश यात्रा काफी किफायती है एवं यहाँ जाने के लिए आपको अधिक कागजी झंझट करने की भी आवश्यकता नहीं है। पूर्ण रूप से भारतीय सीमा में पड़ने वाला यह पवित्र तीर्थ स्थल यात्रियों को कम व्यय में ही अधिक से अधिक सुविधा प्रदान करता है जहाँ आप अपनी आध्यात्मिक क्षुधा को शाँत कर सकते है।
आदि कैलाश यात्रा हेतु महत्वपूर्ण निर्देश (Important Instructions for Adi Kailash Yatra)
आदि कैलाश यात्रा से पूर्व आपको अपनी सभी प्रकार की तैयारियों को पूरा करना आवश्यक है तभी आप वास्तव में इस यात्रा का आनंद ले सकते है। आपको बात दे की भारतीय सीमा के अंतर्गत आने के कारण आपको यहाँ पहुँचने के लिए किसी भी प्रकार के पासपोर्ट एवं वीजा की आवश्यकता नहीं है। हालांकि आदि कैलाश यात्रा से पूर्व आपको इन महत्वपूर्ण निर्देशों का पालन करना आवश्यक है।
- आदि कैलाश यात्रा उत्तराखंड के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के सीमांत क्षेत्र धारचूला के महत्वपूर्ण पड़ाव से गुजरती है। इस यात्रा को करने के लिए आपको किसी भी प्रकार के वीजा एवं पासपोर्ट की आवश्यकता नहीं पड़ती परन्तु यह ध्यान रखना आवश्यक है की सीमांत क्षेत्र होने के कारण आपको आदि कैलाश यात्रा के लिए इनर लाइन परमिट (सुरक्षा एवं पर्यावरणीय दृष्टि से) लेना आवश्यक होता है। आप इस परमिट को सीमांत तहसील धारचूला के न्यायधीश के कार्यालय से प्राप्त कर सकते है। आप अपने पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड आदि के माध्यम से इस परमिट को प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही आदि कैलाश यात्रा के लिए आपको अपने सभी गंतव्य स्थलों की जानकारी को भी दर्ज करना आवश्यक होगा जिसके पश्चात आप सभी फॉर्मलिटीज पूरी करके आसानी से यात्रा परमिट प्राप्त कर सकेंगे।
- आदि कैलाश यात्रा उच्च-हिमालयी क्षेत्र में होती है जहाँ का तापमान अत्यंत कम होता है। साथ ही इस मार्ग में अत्यंत दुर्गम चढ़ाई भी पड़ती है। ऐसे में आप यह सुनिश्चित कर ले की आप शारीरिक एवं मानसिक रूप से इस यात्रा के लिए तैयार है। अधिक ऊँचाई पर कभी-कभी साँस फूलने एवं चढ़ाई के मार्ग पर भी यही समस्या दिखाई पड़ती है। ऐसे में आवश्यक है की आप अपने स्वास्थ्य परिक्षण की प्रक्रिया एवं अन्य चीजों को निश्चिंत करके ही इस यात्रा मार्ग पर आगे बढे।
- आदि कैलाश यात्रा उच्च-हिमालयी क्षेत्र में की जाने वाली धार्मिक यात्रा है जिसका अनुमानित पैदल मार्ग लगभग 105 किलोमीटर है एवं यह यात्रा लगभग 13 से 14 दिनों में पूर्ण की जाती है। यहाँ आप अपनी सुविधा के अनुसार विभिन टूर पैकेज ले सकते है जिसमे आपको औसत 20,000 रुपए से लेकर 40,000 रुपए तक का खर्चा आता है। हालांकि आदि कैलाश यात्रा का खर्चा आपके टूर पैकेज एवं शामिल की गयी सेवाओं पर निर्भर करता है एवं यह अलग-अलग पैकेज से लिए अलग-अलग होता है। वही आदि कैलाश यात्रा के समय की बात करें तो ग्रीष्मकाल में मई-जून में यहाँ का मौसम यात्रा के लिए अनुकूल होता है। शीतकाल में अक्टूबर-नवंबर में इस यात्रा के दौरान आप आसानी से बर्फ से ढके पहाड़ों का आनंद ले सकते है एवं विभिन रोमांचकारी गतिविधियों में भी शामिल हो सकते है।
आदि कैलाश यात्रा, ये है पूरा रूट (Adi Kailash yatra route)
आदि कैलाश यात्रा का शुभारंभ भी कैलाश मानसरोवर यात्रा की भांति राजधानी दिल्ली से होता है। दिल्ली में सभी औपचारिकताएँ पूरी करने के बाद आप आदि कैलाश यात्रा के लिए प्रस्थान कर सकते है। यहाँ आपको दिल्ली से आदि कैलाश तक की यात्रा (Adi Kailash and Om Parvat Yatra) एवं ट्रेकिंग रूट ऑफ आदि कैलाश (Tracking Route Of Adi Kailash) की विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गयी है :-
आदि कैलाश यात्रा के लिए यात्री या तो दिल्ली से काठगोदाम स्टेशन तक पहुँच सकते है जहाँ से अल्मोड़ा होते हुए पिथौरागढ़ के धारचूला पहुँचा जा सकता है या वे टनकपुर स्टेशन पर पहुंचकर टनकपुर पहुँच सकते है। टनकपुर से अगला पड़ाव धारचूला है जो आदि कैलाश यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव है। आदि कैलाश यात्रा का सम्पूर्ण रूट इस प्रकार से है –
“आदि कैलाश यात्रा रूट”
धारचूला>तवाघाट>पांगू>नारायण आश्रम>सिर्खा>गाला>बूंदी>गर्ब्यांग>गुंजी>कुटि>ज्योलिंकांग एवं आदि कैलाश
- आदि कैलाश यात्रा की शुरुआत- आदि कैलाश यात्रा की शुरुआत राजधानी दिल्ली से होती है। यहाँ से यात्री आदि कैलाश यात्रा की शुरुआत करते है। दिल्ली से यात्री ट्रेन द्वारा चंपावत जिले में स्थित टनकपुर स्टेशन पहुँचते है। काठगोदाम स्टेशन से अल्मोड़ा के रास्ते भी इस यात्रा को किया जा सकता है।
- धारचूला तक का सफर- यात्री अल्मोड़ा से या टनकपुर से धारचूला के लिए प्रस्थान करते है। इस सफर के दौरान पिथौरागढ़ में स्थित पाताल-भुवनेश्वर के दर्शन के पश्चात यात्री डीडीहाट में विश्राम करते है। इसके पश्चात कुमाऊं मंडल विकास निगम की बसों से धारचूला पहुँचा जा सकता है।
- धारचूला से तवाघाट- धारचूला पहुँचने के पश्चात यात्री तवाघाट के लिए निकलते है जो की 17 किमी की दूरी है। यहाँ आमतौर पर रात्रि विश्राम की सुविधा होती है।
- तवाघाट से पांगू- तवाघाट के पश्चात यात्रा का अगला पड़ाव पांगू है। धारचूला से 19 किमी दूर यह स्थल एक भोटिया गाँव है जहाँ यात्री नाईट स्टे करके उत्तराखंड की भोटिया जनजाति की संस्कृति के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है।
- पांगू से नारायण आश्रम – पांगू के पश्चात अगला महत्वपूर्ण पड़ाव नारायण आश्रम है जिसे की वर्ष 1936 में नारायण स्वामी द्वारा बनाया गया था। यहाँ आप आध्यात्मिक समय बिता सकते है।
- आदि कैलाश यात्रा में लखनपुर तक ही टैक्सी एवं छोटी कैब की सुविधा उपलब्ध है। इसके पश्चात यात्रियों को आगे का मार्ग पैदल ही तय करना पड़ता है।
- नारायण आश्रम के पश्चात यात्री इस यात्रा के अगले महत्वपूर्ण पड़ाव सिर्खा तक पहुँचते है जो की नारायण आश्रम से 11 किमी की दूरी पर है। इसके पश्चात अगला पड़ाव 14 किमी दूरी पर स्थित गाला है जिसके पश्चात यात्री बूंदी के लिए प्रस्थान करते है। इस यात्रा का अगला पड़ाव बूंदी के पश्चात 9 किमी की दूरी पर स्थित गर्ब्यांग एवं यहाँ से 10 किमी की दूरी पर स्थित गुंजी है। गुंजी के पश्चात यहाँ स्थित कुटि गाँव में विश्राम की सभी सुविधाएँ उपलब्ध है।
- कुटी के पश्चात इस यात्रा का अंतिम पड़ाव ज्योलिंकांग है जहाँ से आप आदि कैलाश के भव्य दर्शन कर सकते है ।
आदि कैलाश से 2 किमी की दूरी पर भव्य पार्वती सरोवर है जहाँ आदि कैलाश यात्रा में स्नान करना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। साथ ही आदि कैलाश के पाद पर स्थित गौरीकुंड में स्नान भी अत्यंत पवित्र माना जाता है। आदि कैलाश यात्रा से वापसी के समय इच्छुक यात्री नाभीढांग में ओम पर्वत की यात्रा के लिए निकल जाते है जो की यहाँ का सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ माना जाता है।
आदि कैलाश यात्रा में महत्वपूर्ण तथ्य
आदि कैलाश यात्रा को हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र यात्रा माना जाता है। मानसरोवर के तुल्य रखी जानी वाली आदि कैलाश यात्रा आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के साथ एडवेंचर की तलाश करने वाले लोगो के लिए भी समान रूप से उपयोगी है जहाँ आप पवित्र आदि कैलाश यात्रा के साथ-साथ ट्रैकिंग एवं एडवेंचर एक्टिविटीज का भी आनंद ले सकते है। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड का पिथौरागढ़ जिला प्राकृतिक एवं नैसर्गिक सौंदर्य का खजाना है जहाँ आप मिलम हिमनद एवं मुनस्यारी जैसे टूरिस्ट प्लेस को भी विजिट कर सकते है। उत्साह एवं रोमाँच से भरपूर आदि कैलाश यात्रा वास्तव में आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के लिए अतुलनीय अनुभव प्रदान करता है।
आदि कैलाश यात्रा की जानकारी से सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
आदि कैलाश उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है। यह भगवान शिव के पांच कैलाश में से एक माना गया है।
आदि कैलाश यात्रा को पौराणिक ग्रंथो में कैलाश मानसरोवर यात्रा के समान माना गया है। आदि कैलाश यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को कैलाश मानसरोवर यात्रा का पुण्य फल प्राप्त होता है। छोटा कैलाश के नाम से प्रसिद्ध आदि कैलाश को भगवान शिव का सबसे प्राचीन निवास स्थल माना जाता है।
आदि कैलाश को प्राचीन पुराणों में कैलाश मानसरोवर की प्रतिकृति माना गया है। आदि कैलाश यात्रा को कैलाश मानसरोवर यात्रा के समतुल्य माना जाता है एवं इसका फल भी कैलाश मानसरोवर के तुल्य माना गया है। साथ ही आदि कैलाश में स्थित पार्वती सरोवर को मानसरोवर भी कहा जाता है। आदि कैलाश की महता के कारण इसे छोटा कैलाश उपनाम से भी जाना जाता है।
आदि कैलाश यात्रा के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल पढ़े। यहाँ आपको आदि कैलाश यात्रा के सम्बन्ध में सभी जानकारी विस्तारपूर्वक दी गयी है।
आदि कैलाश यात्रा का मुख्य आकर्षण नवीढांग में स्थित ओम पर्वत है जहाँ पर ॐ आकृति की भांति बर्फ द्वारा निर्मित दिव्य ओम आकृति स्थित है।
आदि कैलाश यात्रा के मुख्य आकर्षण यहाँ की आध्यात्मिक अनुभूति एवं प्राकृतिक सौंदर्य है। साथ ही यात्रा के मार्ग में आपको विभिन प्रकार के अद्भुत तीर्थ एवं प्राकृतिक स्थल भी देखने को मिलते है जो की इस यात्रा को आध्यात्मिक यात्रा के साथ-साथ रोमांचक भी बनाते है।