हमारे देश में लोगो की आस्था में भगवान शिव का विशेष महत्व है। देवो के देव महादेव के शिवालय देश में प्रत्येक स्थान पर मौजूद है। धार्मिक ग्रथों में भी भगवान शिव को देवों के देव की संज्ञा दी गयी है ऐसे में लोग इन शिवालयों के दर्शन करने के लिये दूर-दूर से आते है।
हमारे प्राचीन पुराणों में मान्यता है की भगवान शिव जिन-जिन स्थानो पर स्वयं प्रकट हुये थे वहीं आज देश के 12 प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग उपस्थित है। ऐसे में श्रद्धालुओं के हृदय में सदैव ही इन ज्योतिर्लिंगों के बारे में जानने की उत्सुकता रहती है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको भारत में 12 ज्योतिर्लिंग (12 Jyotirlingas in India) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले है।
इससे सभी श्रद्धालु भगवान शिव के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों की महिमा से परिचित होंगे साथ ही इन ज्योतिर्लिंगों की धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता से भी आप भली-भाँति अवगत हो सकेंगे।
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भारत में 12 ज्योतिर्लिंग (12 Jyotirlingas in India)
प्राचीन पुराणों में भगवान् शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का सम्पूर्ण विवरण है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 12 ज्योतिर्लिंगों को उन्ही स्थानो पर स्थापित किया गया है जहाँ भगवान् शिव ने स्वयं प्रकट होकर अपने भक्तो को दर्शन दिये है।
भगवान शिव के भक्तो के मध्य इन स्थानो का विशेष महत्व है ऐसे में सभी भक्त जीवन में एक बार सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने की इच्छा अवश्य रखते है। सभी 12 ज्योतिर्लिंग देश में विभिन दिशाओं में फैले है ऐसे में यह देश के धार्मिक एकता को भी प्रदर्शित करता है। चलिये जानते है सभी भारत में 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में
सोमनाथ (Somnath)
गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित सोमनाथ को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है। इस ज्योतिर्लिंग की महत्ता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है की हिन्दुओ के सबसे प्राचीन धार्मिक ग्रंथ ऋग्वेद में भी इसका वर्णन है।
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार सोम अर्थात चंद्र द्वारा दक्ष प्रजापति के श्राप से मुक्ति पाने के लिये इस स्थान पर भगवान शिव की आराधना की गयी थी। सोम को शाप से मुक्ति दिलाने के लिये भगवान शिव ने स्वयं इस स्थान पर प्रकट होकर चंद्र देव को दर्शन दिये थे जिसके बाद 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ अस्तित्व में आया था।
हर वर्ष हजारो श्रद्धालु इस ज्योतिर्लिंग को देखने के लिये दूर-दूर से आते है और अपनी आध्यात्मिक क्षुधा को शांत करते है।
मल्लिकार्जुन (Mallikarjun)
दक्षिण भारत में कृष्णा नदी के तट पर बसे मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को दक्षिण भारत का कैलाश भी कहा जाता है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्रप्रदेश राज्य के कृष्णा जिले में स्थित है जो की श्रीशैल नामक पर्वत पर स्थित है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर भगवान् शिव की आराधना करने से भक्तो को सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा छुटकारा मिल जाता है और वे जीवन-मरण के बंधन से मुक्त हो जाते है। भगवान शिव द्वारा अपने पुत्र कार्तिकेय को मनाने के लिये इस स्थान पर प्रकट होने के कारण इस स्थान का विशेष महत्व है।
महाकालेश्वर (Mahakaleshwar)
मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित महाकालेश्वर मंदिर का विवरण प्राचीन धार्मिक ग्रंथो में प्रमुखता से किया गया है। यह ज्योतिर्लिंग उज्जैन जिले में क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है।
जिसे की स्वयंभू अर्थ स्वयं प्रकट हुआ माना जाता है। महाभारत एवं कालिदास के मेघदूत में भी इस मंदिर की महिमा का वर्णन किया गया है। दक्षिणमुखी होने के कारण इस मंदिर के दर्शन मात्र से ही भक्तो को असीम पुण्य की प्राप्ति होती है।
ओंकारेश्वर मन्दिर (omkareshwar mandir)
मध्यभारत की पवित्रतम नदियों में से एक नर्मदा नदी के मध्य में बसा ओंकारेश्वर मन्दिर इस क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ तीर्थ माना जाता है। 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल ओंकारेश्वर मन्दिर मन्धाता द्वीप पर स्थित है जो की नर्मदा नदी द्वारा निर्मित ॐ आकार का द्वीप है।
राजा मन्धाता (जिनके नाम पर इस द्वीप का नाम भी पड़ा है) द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के पश्चात भगवान द्वारा अपने दर्शन देने के कारण ही यह ज्योतिर्लिंग अस्तित्व में आया है जहाँ 33 करोड़ देवी देवताओ का वास माना जाता है। कहा जाता है की पूरे देश के तीर्थो से जल लेकर इस ज्योतिर्लिंग पर अभिषेक करने के पश्चात ही अन्य तीर्थो का पुण्य फल प्राप्त हो पाता है।
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काशी विश्वनाथ मन्दिर (kashi-Vishwa nath mandir)
दुनिया के सबसे प्राचीन शहरो में शुमार वाराणसी में स्थिति काशी विश्वनाथ मन्दिर को भगवान शिव और पार्वती का आदिस्थल कहा जाता है। यह मंदिर हजारो वर्ष पुराना है और 12 ज्योतिर्लिंगों में अपना प्रमुख महत्व रखता है।
भगवान शिव द्वारा इस स्थान पर स्वयं को स्थापित किये जाने के कारण यह हिन्दुओ का प्रमुख तीर्थ स्थल है। गंगा स्नान और काशी विश्वनाथ के दर्शन से मोक्ष प्राप्ति का धार्मिक ग्रंथों में विशेष वर्णन है।
श्रीवैद्यनाथ (Sri-Baidyanath mandir)
झारखण्ड जिले में देओघर में स्थित श्रीवैद्यनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों से से एक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार असुर राजा रावण द्वारा भगवान शिव की आराधना करते हुये अपने 10 सिरों को बलिदान स्वरूप समर्पित किया गया था
जिसके बाद भगवान शिव द्वारा वैद्य के रूप में कार्य करते हुये रावण को वरदान देते हुये पुनः जीवित किया गया था। इसके कारण इस ज्योतिर्लिंग का नाम श्रीवैद्यनाथ रखा गया है।
त्र्यम्बकेश्वर मन्दिर (Trayamakeshwar mandir)
महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग गौतमी नदी के किनारे स्थित है। इस ज्योर्तिलिंग के पास ही त्र्यम्बक नामक स्थान से दक्षिण की गंगा कही जाने वाली गोदावरी का उद्गम स्थल भी है जो की ब्रह्मगिरि पर्वत से निकलती है। कहा जाता है की गौतम ऋषि द्वारा गौ-हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिये इस स्थल पर तप किया गया था।
जिसके पश्चात भगवान शिव द्वारा इस स्थान पर गौतम ऋषि को दर्शन दिये जाने के कारण त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग अस्तित्व में आया था। यहाँ भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा के दर्शन एक साथ किये जा सकते है।
भीमाशंकर मंदिर (Bhimasankar mandir)
महाराष्ट्र के पुणे में स्थित भीमाशंकर मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से प्रमुख स्थान रखता है। शिवलिंग का आकार मोटा होने के कारण इस ज्योर्तिलिंग को मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है।
भगवान शिव द्वारा भीम नाम असुर का वध करने के कारण इस ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है। ऊषाकाल के पश्चात भगवान के सभी ज्योर्तिलिंगो का नाम जपते हुये इस मंदिर की परिक्रमा करने से सात जन्मो के पाप से मुक्ति मिल जाती है।
रामेश्वरम तीर्थ (Rameshwaram tirth)
दक्षिण भारत में स्थित रामेश्वरम तीर्थ ना सिर्फ भारत के 4 प्रमुख धामों में से एक है अपितु यह देश के 12 ज्योतिर्लिंगों से भी प्रमुख स्थान रखता है। उत्तर-भारत में जो स्थान काशी विश्वनाथ का है वही दक्षिण भारत में रामेश्वरम तीर्थ का है।
शंख आकार के द्वीप पर स्थित रामेश्वरम तीर्थ हिन्द महासागर के तट पर स्थित है जो की रामायण में लंका चढ़ाई के समय वानर सेना द्वारा निर्मित राम सेतु के कारण प्रसिद्ध है।
केदारनाथ मन्दिर (Kedarnath Mandir)
हिमालय की गोद में बसा केदारनाथ मंदिर देश के चार धामों में शामिल है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार आदि-गुरु शंकराचार्य द्वारा किया गया था जो की हिमालय में स्थित एक मात्र ज्योतिर्लिंग है।
महाभारत में जब पांडव पितृ हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिये इस क्षेत्र में आये थे तब भगवान् शंकर द्वारा इस स्थान पर पांडवो को दर्शन दिया गया था। बद्रीनाथ की यात्रा करने वाले तीर्थयात्री इस स्थान का दर्शन अवश्य करते है। केदारनाथ की यात्रा के बिना बद्रीनाथ की यात्रा अधूरी मानी जाती है।
नागेश्वर मंदिर (Nageshwar mandir)
भगवान् कृष्ण की नगरी द्वारका में स्थित नागेश्वर मंदिर का महत्व रूद्रसंहिता में भी मिलता है। गुजरात के द्वारका में स्थित नागेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख तीर्थ है जिसे दारुकावने नागेशं की संज्ञा भी दी गयी है।
नागेश्वर का शाब्दिक अर्थ नागों का ईश्वर होता है जो की भगवान शिव के माहातम्य को दर्शाता है। श्रद्धापूर्वक इस ज्योर्तिलिंग की कथा सुनने से समस्त पापो से मुक्ति मिलती है और भक्तो को सभी तीर्थो का पुण्य मिलता है।
घृष्णेश्वर महादेव (Ghrishneshwar Jyotirlinga)
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित घृष्णेश्वर महादेव मंदिर भगवान् शिव के 12 प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से प्रमुख स्थान रखता है। पौराणिक कथाओ के अनुसार सुधर्मा नामक ब्राह्मण की पत्नी घुश्मा द्वारा अपने मृत बच्चे को जीवित करने के लिये भगवान शिव की आराधना करने के कारण इस स्थान पर भगवान् शिव ने अपने दर्शन दिये थे और घुश्मा के पुत्र को जीवित कर दिया था। इसी कारण प्रतिदिन यहाँ हजारो भक्त भगवान् शिव का दर्शन करने के तीर्थ पर आते है।
इस प्रकार से इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको देश में स्थित सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में जानकारी प्रदान की है। उम्मीद है की आपको हमारे द्वारा प्रदान की गयी जानकारी लाभप्रद लगी होगी। अगर आप सम्बंधित लेख से किसी भी प्रकार के सवाल पूछना चाहते है तो आप हमे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते है।
भारत में 12 ज्योतिर्लिंग सम्बंधित प्रश्नोत्तर (FAQ)
हमारे देश में कुल 12 ज्योर्तिलिंग है।
देश में स्थिति सभी 12 ज्योर्तिलिंगो का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इन सभी स्थानो पर भगवान शिव प्रकट हुये थे। ऐसे में इन तीर्थो का श्रद्धालुओं के मध्य विशेष स्थान है।
देश में स्थित ज्योतिर्लिंगो का विवरण इस प्रकार है :-श्री सोमनाथ, ॐकारेश्वर, श्रीमहाकाल अथवा ममलेश्वर, श्रीवैद्यनाथ, श्री रामेश्वर, श्रीकेदारनाथ, श्रीनागेश्वर, श्रीभीमशंकर, वाराणसी (काशी) विश्वनाथ, श्री त्र्यम्बकेश्वर, श्रीमल्लिकार्जुन और श्रीघृष्णेश्वर
देश के उत्तरी भाग में स्थित ज्योतिर्लिंग श्रीकेदारनाथ और सबसे दक्षिणी भाग में स्थित मंदिर श्रीरामेश्वरम है।