चुनाव आचार संहिता क्या है, क्यों और कैसे लागू की जाती है | What is Model Code of Conduct in Hindi

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में होने वाले चुनाव दुनिया के सर्वाधिक वृहद् प्रकृति के चुनाव होते है। चुनावो के दौरान निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव सम्पन कराने के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा विभिन दिशा-निर्देश एवं नियम लागू किए जाते है। चुनावो के दौरान सभी राजनीतिक दलों, उम्मीदवारो एवं मतदाताओं को इन नियमो का पालन करना पड़ता है जिससे की चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी एवं निष्पक्ष तरीके से सम्पन कराया जा सके। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको चुनावो के दौरान लागू किये जाने वाले चुनाव आचार संहिता के नियमों से सम्बंधित विस्तृत जानकारी प्रदान करने वाले है।

आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताने वाले है की चुनाव आचार संहिता क्या है, यह क्यों और कैसे लागू की जाती है (What is Model Code of Conduct in Hindi). चुनाव आचार संहिता के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने के अतिरिक्त इस आर्टिकल के माध्यम से आपको भारत के चुनाव आचार संहिता के मुख्य प्रावधानों के विषय में भी जानकारी दी जाएगी।

Model Code of Conduct in Hindi
Model Code of Conduct in Hindi

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चुनाव आचार संहिता क्या है ?

जिस प्रकार से किसी भी कार्य को कुशलतापूर्वक सम्पन करने के लिए नियम एवं कानूनों का निर्माण किया जाता है उसी प्रकार से हमारे देश में भी चुनावों को सम्पन करने के निर्वाचन आयोग द्वारा कुछ नियम निर्धारित किए गए है जिन्हे चुनाव आचार संहिता कहा जाता है। सरल शब्दो में कहा जाए तो चुनाव आचार संहिता भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किया गया दिशा-निर्देशों एवं नियमो का विस्तृत समूह है जिन्हे की चुनावो के दौरान सभी राजनीतिक दलों, उम्मीदवारो मतदाताओं, अधिकारियों एवं नागरिको को पालन करना पड़ता है। चुनाव आचार संहिता के माध्यम से चुनावो के दौरान सभी नियम एवं प्रोटोकॉल निर्धारित रहते है ऐसे में देश में होने वाले विभिन चुनावो को पारदर्शी एवं निष्पक्ष तरीके से सम्पन कराया जाता है।

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चुनाव आचार संहिता का निर्धारण सभी राजनीतिक दलों एवं अन्य हितधारकों के मध्य आपसी समझौते के आधार पर किया गया है ऐसे में यह कोई क़ानूनी नियम नहीं है। वास्तव में यह ना तो क़ानूनी अधिनियम है एवं ना ही संवैधानिक परन्तु फिर भी चुनावो के दौरान कुशलतापूर्वक चुनाव सम्पन करवाने के लिए चुनाव आचार संहिता की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।

चुनाव आचार संहिता, आवश्यकता एवं इतिहास

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है। यहाँ समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए “एक व्यक्ति एक मत” का अधिकार दिया गया है। देश के लोकतंत्र को मजबूत बनाने एवं समाज के सभी वर्गों को समुचित प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए यह आवश्यक है की देश में होने वाले सभी चुनावों के लिए कुछ नीति-निर्देश तय किए जाएँ ताकि सभी नागरिकों को लोकतंत्र में भागीदारी करने के समान अवसर मिले। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए देश में चुनाव आचार संहिता के विचार ने जन्म लिया एवं अंतत इसकी परिणिति चुनाव आचार संहिता (Model Code of Conduct) के रूप में की गयी।

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भारत में चुनाव आचार संहिता को सर्वप्रथम वर्ष 1960 में केरल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावो में लागू किया गया। देश में व्यापक रूप से इन नियमों का प्रयोग वर्ष 1962 से शुरू किया गया जब विभिन राजनैतिक दलों एवं अन्य हितधारकों के मध्य विस्तृत चर्चा के पश्चात इसे विभिन राज्यों के विधानसभा चुनावों एवं लोकसभा चुनावों में लागू किया गया था। सत्ताधारी पार्टी को चुनावों में अनुचित लाभ रोकने के लिए वर्ष 1979 में संशोधित चुनाव आचार संहिता लागू की गयी एवं वर्ष 2013 में चुनावी घोषणापत्र के सम्बन्ध में दिशा-निर्देशों के माध्यम से इस संहिता को और भी मजबूती प्रदान की गयी है।

आदर्श आचार संहिता के प्रमुख प्रावधान

आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत भारतीय निर्वाचन आयोग के द्वारा विस्तृत नियम एवं दिशा-निर्देश जारी किए गए है जिन्हे वर्तमान में सभी लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों एवं अन्य निकाय चुनावों में लागू किया जाता है। सभी राजनीतिक दलों, उम्मीदवारो एवं सम्बंधित अधिकारियों एवं नागरिको को इन नियमो के माध्यम से निर्देशित किया गया है जिससे की चुनावी प्रक्रिया को सम्पन करवाया जाता है। आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत निर्धारित विभिन नियम एवं निर्देशों को मुख्यत 8 भागों में बाँटा गया है जिनका विवरण इस प्रकार से है :-

सामान्य आचरण (General Conduct)

  • सामान्य आचरण (General Conduct)- आदर्श आचार संहिता में शामिल सामान्य आचरण के तहत ऐसे नीति एवं नियमो को समाहित किया गया है जिसके अंतर्गत राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारो को सामान्य आचरण सम्बंधित नियमों का पालन करना पड़ता है। सामान्य आचरण के तहत निम्न महत्वपूर्ण बिंदु शामिल किए गए है।
    • किसी भी राजनैतिक दल या उम्मीदवार को धर्म, जाति, भाषा एवं लिंग के आधार विभिन समुदायों के मध्य नफरत एवं घृणा फैलाकर वोट माँगने पर प्रतिबन्ध है।
    • राजनैतिक दल या उम्मीदवारों को अपनी विरोधी पार्टी या उम्मीदवार के खिलाफ निजी जीवन पर किसी भी प्रकार की आलोचना करने से प्रतिबन्ध किया गया है। हालांकि विरोधी के नीतियों एवं कार्यक्रमों की आलोचना की जा सकती है।
    • धर्म के आधार पर कोई भी पार्टी या उम्मीदवार वोट की अपील नहीं कर सकता है। साथ ही धार्मिक स्थल जैसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरजाघर एवं अन्य धार्मिक स्थानों के माध्यम से चुनावी प्रचार प्रतिबंधित है।
    • मतदाताओं को शांतिपूर्वक जीने का अधिकार है। इसमें रैली, प्रचार एवं अन्य माध्यमों से नागरिको को होने वाली परेशानी के सम्बंधित में दिशा-निर्देश दिए गए है।
    • राजनैतिक दल या उम्मीदवार को वोट प्राप्त करने हेतु किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों पर प्रतिबन्ध लगाया गया है। इसमें रिश्वत देकर वोट खरीदना, वोटर्स को धमकाना एवं इसी प्रकार की अन्य भ्रष्ट गतिविधियों पर प्रतिबन्ध लगाया गया है।
    • राजनैतिक दल या उम्मीदवारो के समर्थको को दूसरे राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारो की मीटिंग, पार्टी कार्यक्रमों, रैली एवं जुलूस में किसी भी प्रकार का अवरोध या व्यवधान पैदा करने पर प्रतिबन्ध लगाया गया है।
    • किसी भी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसकी निजी सम्पति पर चुनावी प्रचार से सम्बंधित सामग्री जैसे पोस्टर, पेंटिंग, झंडे एवं अन्य चुनावी सामग्री का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।

बैठकें (Meetings)-

  • बैठकें(Meetings)- आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत चुनावी बैठकों के लिए राजनैतिक दलों एवं उम्मीदवारों एवं सम्बंधित हितधारकों हेतु निम्न नियम निर्धारित किए गया है :-
    • किसी भी प्रकार की चुनावी बैठक से पूर्व कानून व्यवस्था हेतु पुलिस की अनुमति प्राप्त करना
    • प्रतिबंधित क्षेत्र या स्थान पर चुनावी मीटिंग हेतु अनुमति प्राप्त करना
    • पूर्व निर्धारित अनुमति के आधार पर लाउडस्पीकर का प्रयोग
    • मीटिंग में व्यवधान डाले जाने पर पुलिस सहायता प्राप्त करना

जुलूस (Procession)

  • जुलूस(Procession)- चुनावो के दौरान जुलूस निकालने के सम्बन्ध में आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत सभी राजनैतिक दलों एवं उम्मीदवारों एवं सम्बंधित हितधारकों को निम्न नियमों का पालन करना आवश्यक होगा :-
    • जुलूस को निर्धारित मार्ग पर संचालित करना
    • जुलूस निकालने के लिए पुलिस एवं सम्बंधित विभाग से पूर्व अनुमति प्राप्त करना
    • मार्ग में ट्रैफिक बाधित होने से रोकने हेतु आवश्यक व्यवस्था
    • पुलिस अधिकारियों के सहयोग से जुलूस निकालने के लिए निर्धारित नियमो का पालन करना
    • यदि सम्बंधित मार्ग से 2 राजनैतिक दलों के उम्मीदवारो का जुलूस निकल रहा है तो इस सम्बन्ध में व्यवस्था बनाना
    • जुलूस के दौरान विरोधी दल एवं उम्मीदवार के पुतला-दहन करने पर रोक

मतदान दिवस (Polling Day)

  • मतदान दिवस(Polling Day)– मतदान दिवस के दिन सभी राजनैतिक दलों एवं उम्मीदवारो को निम्न नियमों का पालन करना आवश्यक है :-
    • मतदान अधिकारियों एवं पोलिंग बूथ अधिकारियों के साथ सहयोग
    • पार्टी के कार्यकर्ताओ को सादे कागज़ पर पहचान प्रदान करना जिसमे किसी भी प्रकार से पार्टी का नाम, चुनाव चिन्ह एवं अन्य सम्बंधित सामग्री प्रदर्शित ना हो
    • मतदाताओं को शराब एवं मादक पदार्थों के वितरण पर प्रतिबन्ध है
    • उम्मीदवार के कैंप द्वारा किसी भी प्रकार की चुनावी सामग्री के प्रदर्शन पर रोक
    • चुनाव के कुशल सञ्चालन के लिए सभी निर्धारित नियमों का पालन करना

मतदान केंद्र (Polling Booth)

  • मतदान केंद्र (Polling Booth)- वोटर्स के अतिरिक्त किसी भी अन्य व्यक्ति को भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा जारी वैध प्रमाणपत्र के बिना मतदान केंद्र में प्रवेश करने के अनुमति नहीं होगी।

निरीक्षक (Observers)

  • निरीक्षक (Observers)– चुनाव प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर उम्मीदवार एवं पार्टी के सम्बंधित कार्यकर्ताओं के द्वारा निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त अधिकारी के माध्यम से मामला संज्ञान में लाया जा सकता है।

सत्ताधारी पार्टी (Party in Power)

  • सत्ताधारी पार्टी (Party in Power)– देश में सत्ताधारी दलों के द्वारा सरकारी मशीनरी का उपयोग अपने चुनावी फायदे के लिए करने की प्रबल आशंका रहती है यही कारण है की चुनाव आयोग द्वारा सत्ताधारी पार्टी को सरकारी मशीनरी के माध्यम से अनुचित लाभ प्राप्त करने से रोकने के लिए निम्न प्रतिबन्ध लागू किए गए है :-
    • सत्ताधारी पार्टी द्वारा चुनावो हेतु सरकारी मशीनरी का उपयोग
    • सार्वजनिक कर के माध्यम से चुनावी प्रचार हेतु विज्ञापन प्रदर्शित करना
    • सरकारी सम्पति जैसे सरकारी वाहनों, एयर-क्राफ्ट, सरकारी अधिकारियों एवं अन्य सम्पति का उपयोग
    • सार्वजनिक सम्पति जैसे आवास, मैदान, रेस्ट-हाउस एवं अन्य प्रकार की सम्पति पर एकाधिकार करके उपयोग करना

चुनाव घोषणा पत्र (Election Manifestos)

  • चुनाव घोषणा पत्र (Election Manifestos)- वर्ष 2013 में सुप्रीम-कोर्ट की रूलिंग के माध्यम से चुनाव घोषणा पत्र के सम्बंधित दिशा-निर्देशों को आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत शामिल किया गया है। इसके तहत किसी भी पार्टी को अपने चुनावी घोषणा पत्रों में इस प्रकार के वायदे एवं घोषणाएँ करने के अधिकार नहीं है जिससे मतदाताओं के प्रभावित होने की आशंका हो। सभी पार्टियों के चुनावी घोषणा पत्र को आदर्श आचार संहिता के दिशा-निर्देशो के अनुरूप होना आवश्यक है।

इस प्रकार से आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत निम्न बिन्दुओ के माध्यम से भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा देश में पारदर्शी एवं निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया को सम्पन किया जाता है।

चुनाव आचार संहिता, क्या है क़ानूनी आधार

भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा लागू की जाने वाली चुनाव आचार संहिता के माध्यम से देश में लोकसभा, राज्यों के विधानसभा एवं अन्य चुनाव सम्पन करवाये जाते है। आपको बता दे की चुनाव आचार संहिता का भारत के संविधान में उल्लेख नहीं किया गया है ऐसे में यह ना तो संवैधानिक अधिनियम है और ना ही सांविधिक। इस संहिता को विभिन राजनैतिक दलों के मध्य आपसी विचार-विमर्श एवं समझौते के आधार पर लागू किया गया है। देश में निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनावों हेतु भारतीय संविधान द्वारा अनुच्छेद 324 के अंतर्गत भारतीय निर्वाचन आयोग को विविध प्रकार की शक्तियाँ प्रदान की गयी है जिससे की निर्वाचन आयोग को चुनाव के निर्देशन, अधीक्षण एवं नियंत्रण का पूर्ण अधिकार है। इसके अतिरिक्त चुनाव आचार संहिता को निम्न अधिनियमों के माध्यम से भी शक्ति प्रदान की गयी है:-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद-324 के अंतर्गत
  • भारतीय जनप्रतिनिधि अधिनियम -1951
  • भारतीय दंड संहिता 1860
  • दंड प्रक्रिया संहिता 1973

इसके अतिरिक्त भी निर्वाचन आयोग द्वारा संशोधनों एवं उच्चतम न्यायालय के द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्देशों के माध्यम से चुनाव आचार संहिता में विभिन संशोधन के माध्यम से इस प्रक्रिया को और भी मजबूत बनाया गया है।

कब लागू होती है चुनाव आचार संहिता

चुनावो के कुशलतापूर्वक संचालन के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा चुनावो से पूर्व चुनाव आचार संहिता लागू की जाती है। जिस दिन चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनावो या सम्बंधित राज्य के राज्यसभा चुनावों की घोषणा की जाती है चुनाव आचार संहिता उसी दिन से तत्काल प्रभाव से लागू हो जाती है। सामान्यत यह अवधि 45 दिन या 2 माह के मध्य होती है। चुनाव आचार संहिता चुनावी प्रक्रिया के पूर्ण होने तक जारी रहती है।

चुनावी क्षेत्र में आयोग द्वारा मतदान दिवस के 48 घंटे पूर्व यानी की 2 दिन पहले से शराब की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगाया जाता है जिससे की राजनैतिक दल एवं उम्मीदवार मतों हेतु शराब का अवैध वितरण ना कर सकें। साथ ही 48 घंटे पूर्व चुनाव प्रचार सम्बंधित गतिविधियों पर भी रोक लगा दी जाती है।

चुनाव आचार संहिता उल्लंघन पर प्रावधान

भारतीय निर्वाचन आयोग को चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन पर विविध प्रकार की शक्तियाँ प्रदान की गयी है। यदि कोई उम्मीदवार निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित चुनाव आचार संहिता का पालन नहीं करता तो निर्वाचन आयोग द्वारा सम्बंधित राजनैतिक दल एवं उम्मीदवार को दंड दिया जा सकता है। यदि उम्मीदवार द्वारा किसी भी प्रकार के भड़काऊ या सांप्रदायिक भाषण दिया जाता है तो इस स्थिति में चुनाव आयोग द्वारा सम्बंधित उम्मीदवार को निर्धारित समय के लिए चुनावी रैलियों से प्रतिबंधित किया जाता है। इसके अतिरिक्त जाली प्रमाणपत्र एवं एफिडेविट लगाने पर उम्मीदवार के नामांकन को रद्द करना एवं जुर्माने सहित कैंडिडेट को जेल भेजने की शक्ति भी निर्वाचन आयोग को प्रदान की गयी है। चुनाव आचार संहिता के दौरान सरकारी मशीनरी पर निर्वाचन आयोग का पूर्ण नियंत्रण रहता है।

इस प्रकार से इस आर्टिकल के माध्यम से आपको भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा जारी चुनाव आचार संहिता के सभी प्रमुख प्रावधान एवं प्रमुख बिन्दुओ की जानकारी प्रदान की गयी है। देश के लोकतंत्र को निर्बाध रुप से संचालित करने हेतु देश में पारदर्शी एवं निष्पक्ष चुनावो के लिए चुनाव आचार संहिता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

चुनाव आचार संहिता सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

चुनाव आचार संहिता क्या है ?

चुनाव आचार संहिता भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए गए नीति एवं नियमो का समूह है जिसे की चुनावो के दौरान सभी राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों, चुनावी अधिकारियों एवं नागरिको के द्वारा पालन करना आवश्यक है।

चुनाव आचार संहिता क्यों आवश्यक है ?

देश में होने वाली चुनावी प्रक्रियाओं को कुशलतापूर्वक सम्पन करने एवं सभी नागरिको को लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में भागीदार बनाने के लिए चुनाव आचार संहिता आवश्यक है। चुनाव आचार संहिता के द्वारा सभी दलों एवं उम्मीदवारो को समान नियमो का पालन करना पड़ता है ऐसे में चुनावों को पारदर्शी तरीके से सम्पन करवाया जाता है।

चुनाव आचार संहिता किसके द्वारा लागू की जाती है ?

चुनाव आचार संहिता को भारतीय निर्वाचन आयोग के द्वारा लागू किया जाता है।

चुनाव आचार संहिता के मुख्य प्रावधान क्या है ?

ऊपर दिए गए आर्टिकल के माध्यम से आपको चुनाव आचार संहिता के मुख्य प्रावधानों सम्बंधित जानकारी प्रदान की गयी है। इस आर्टिकल के माध्यम से आप चुनाव आचार संहिता के सभी प्रमुख प्रावधानों की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

भारत में सर्वप्रथम चुनाव आचार संहिता का प्रयोग कहाँ किया गया ?

भारत में सर्वप्रथम चुनाव आचार संहिता का प्रयोग केरल राज्य में किया गया। केरल में वर्ष 1960 में होने वाले विधानसभा चुनावो में प्रथम बार चुनाव आचार संहिता का सफल प्रयोग किया गया था।

क्या चुनाव आचार संहिता संवैधानिक अधिनियम है ?

नहीं। चुनाव आचार संहिता ना तो संवैधानिक अधिनियम है एवं ना ही सांविधिक अधिनियम। चुनाव आचार संहिता को विभिन दलों के द्वारा विचार-विमर्श एवं आपसी समझौते के आधार पर लागू किया गया है यही कारण है की इसे प्रायः नैतिक आचार संहिता (Moral code of conduct) भी कहा जाता है।

चुनाव आयोग को किस अनुच्छेद के तहत चुनावी अधीक्षण की शक्ति प्रदान की गयी है ?

भारतीय संविधान द्वारा अनुच्छेद 324 के अंतर्गत भारतीय निर्वाचन आयोग को विविध प्रकार की शक्तियाँ प्रदान की गयी है जिससे की निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव के निर्देशन, अधीक्षण एवं नियंत्रण का अधिकार प्रदान किया गया है।

क्या चुनाव आयोग चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन पर किसी प्रकार की वैधानिक कार्यवाही कर सकता है ?

हाँ। चुनाव आयोग चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन पर चुनाव आयोग द्वारा कैंडिडेट पर सीमित अवधि तक प्रतिबन्ध एवं जुर्माने सहित जेल भेजने तक का प्रावधान किया गया है।

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