विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2021 में जारी आँकड़ो के अनुसार पूरे विश्व में 38.4 मिलियन यानी की लगभग 4 करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त है।

एचाईवी-एड्स दुनिया की सबसे घातक बीमारियों में से एक है जो की मनुष्य की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को समाप्त कर देती है एवं मनुष्य में विभिन बीमारियों को जन्म देती है।

समाज में एचाईवी-एड्स के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एवं इस बीमारी के शिकार व्यक्तियों को समाज में उचित एवं सम्मानपूर्ण अधिकार दिलाने के लिए प्रतिवर्ष

1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के मौके पर लोगो को एचाईवी-एड्स के बारे में जागरूक करने के लिए विभिन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है

जिसके माध्यम से लोगो को एचाईवी-एड्स के लक्षण, इससे बचाव एवं एचाईवी संक्रमित भ्रांतियों को दूर करने के साथ ही इसके शिकार व्यक्तियों को समाज में उचित सम्मान हेतु प्रोत्साहित किया जाता है।

समाज में प्रायः एचाईवी-एड्स से संक्रमित व्यक्तियों को सम्मान की नजरों से नहीं देखा जाता एवं कई बार तो समाज में इनका बहिष्कार भी किया जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एचाईवी-एड्स के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए वर्ष 1988 से प्रतिवर्ष विश्व एड्स दिवस मनाने की घोषणा की गयी थी।

प्रतिवर्ष सम्पूर्ण विश्व द्वारा 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। एचाईवी-एड्स के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए इस दिन सभी देशों में विभिन कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।