निर्धन एवं असहाय लोगों की सहायता करना सदैव से ही इस्लाम धर्म के प्रमुख मूल सिद्धांतो में शुमार है। इसके लिए पवित्र कुरान एवं अन्य इस्लामिक ग्रंथो में मुस्लिमों को अपनी सम्पति एवं आमदनी का एक निश्चित
हिस्सा धर्मार्थ कार्यों में दान देने का नियम बनाया गया है। ऐसे में जब कोई भी मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति को मानवता के कार्यों के लिए दान करता है तो इसके लिए सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड का गठन किया है।
वक्फ बोर्ड के बारे में जानने से पूर्व इसकी उत्पति के बारे में जानते है। वक्फ अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है अल्लाह के नाम पर धर्मार्थ कार्यों के लिए सुपुर्द की गयी सम्पति।
इस्लाम में सदैव से ही अपनी आमदनी एवं सम्पति का एक हिस्सा गरीब-निर्धन एवं मानवता के कार्यो के लिए अर्पित कर देने का प्रावधान रहा है जैसे जकात के रूप में।
इसी प्रकार से वक्फ के अंतर्गत कोई भी मुस्लिम व्यक्ति अपनी सम्पत्ति को धर्मार्थ कार्यों के लिए दान कर सकता है जिससे की उसकी सम्पति का मानवता के कार्यों के लिए उपयोग किया जा सके।
भारत में वक्फ बोर्ड की शुरुआत देश के विभाजन के पश्चात मानी जाती है जब देश से लाखों लोग पाकिस्तान जाकर बस गए। इस दौरान अधिकतर लोग अपनी अचल सम्पति को देश में ही छोड़कर गए जिसमे घर एवं जमीन प्रमुख थी।
सरकार द्वारा इस जमीन एवं सम्पति के नियमन हेतु ही वक्फ बोर्ड का गठन किया गया है। भारत में वक्फ बोर्ड का गठन वक़्फ़ एक्ट 1954 के तहत किया गया है
वक्फ करने के लिए सम्बंधित व्यक्ति का इस्लाम धर्म से सम्बंधित होना आवश्यक है। वक्फ इस्लाम धर्म द्वारा चलाया जाने वाला सेवार्थ कार्य है
सिर्फ वैधानिक रूप से परिपक्व व्यक्तियों को ही वक्फ के अंतर्गत दान करने की अनुमति प्रदान की गयी है ऐसे में वक्फ करने के लिए व्यक्ति का 18 वर्ष या इससे अधिक की आयु का होना आवश्यक है।