संविधान द्वारा देश के नागरिको के मौलिक अधिकारों की रक्षा को सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक अधिकरणों को याचिका/रिट (Writ/ petition) जारी करने की शक्ति प्रदान की गयी है।

नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए संविधान द्वारा देश के सर्वोच्च न्यायालय एवं राज्यों के उच्च-न्यायालयों को याचिका / रिट की शक्ति प्रदान की गयी है।

या किसी भी व्यक्ति, संस्था या अन्य, द्वारा नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन होने पर न्यायिक प्राधिकरणों द्वारा याचिका जारी की जाती है।

याचिका / रिट न्यायायिक प्राधिकरणों (सर्वोच्च न्यायालय एवं राज्यों के उच्च-न्यायालयों) के द्वारा जारी लेख, निर्देश तथा आदेश होते है जिनके माध्यम से नागरिको के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित किया जाता है।

भारतीय संविधान द्वारा संवैधानिक उपचारो का अधिकार के तहत सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 32 एवं उच्चतम न्यायालयों को अनुच्छेद 226 के तहत याचिका / रिट जारी करने की शक्ति प्रदान की गयी है।

भारतीय संविधान द्वारा देश के न्यायायिक प्राधिकरणों- उच्चतम न्यायालय एवं सभी राज्यों के उच्च-न्यायालयों को याचिका/रिट (Writ/ petition) की शक्ति प्रदान की गयी है।

संविधान में 5 प्रकार की रिट का वर्णन किया गया है जो निम्नवत है :- – बन्दी प्रत्यक्षीकरण  – परमादेश   – उत्प्रेषण  – निषेधाज्ञा  – अधिकार पृच्छा