ब्राह्मण पिता और राक्षसी माता की संतान थे रावण रावण के पिता कुल से ब्राह्मण और माता कुल राक्षसी थी। वाल्मीकि रामायण अनुसार रावण पुलस्त्य मुनि के पोते और विश्वश्रवा के पुत्र थे।

रावण देवों के देव महादेव का परम भक्त था। अमरत्व हासिल करने के लिए रावण ने भगवान ब्रह्मा की घोर तपस्या की। परंतु ब्रह्मा जी ने रावण को अमरत्व के वरदान को अस्वीकारते हुए उसके प्राण नाभि में स्थित कर दिए

ब्राह्मण पिता से मिले संस्कारों की वजह से रावण अत्यंत विद्वान था। इसी कारण उसने कई ग्रंथों की रचना की। इनमें शिव तांडव स्तोत्र, अरुण संहिता, रावण संहिता, कुमार तंत्र, नाड़ी परीक्षा प्रमुख हैं।

एक बार रावण ने कैलाश पर्वत ही उठा लिया था। वह जब पूरे पर्वत को ही लंका ले जाने लगा, तो भगवान शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबा दिया।

तो कैलाश पर्वत फिर वहां स्थापित हो गया। इस घटना में रावण का हाथ पर्वत नीचे दब गया। ऐसे में रावण ने भगवान शिव से क्षमा मांगते हुए स्तुति की। यह शिव क्षमा स्तति ही शिव तांडव स्तोत्र कहलाया।

मौजूदा समय में की बात करें तो रावण का राज इंडोनेशिया, मलेशिया, बर्मा, दक्षिण भारत के कुछ राज्यों तक था।

मौजूदा समय में की बात करें तो रावण का राज इंडोनेशिया, मलेशिया, बर्मा, दक्षिण भारत के कुछ राज्यों तक था।

ब्राह्मण पिता, राक्षसी माता के पुत्र, परम शिव भक्त, वेदों के ज्ञाता, कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति, वास्तुकला विशेषज्ञ, तंत्र मंत्र, सम्मोहन में दशानन को विशेष महारत थी।