इस्कोन का fullform है International Society for Krishna Consciousness जो एक धार्मिक संगठन है जिसकी स्थापना ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद के द्वारा 1966 में न्यूयॉर्क शहर में हुआ था।
अगर ISKCON की बिचारधरा, मूल्य और मान्यताएं की बात करें तो ये सब हमारी हिंदू शास्त्रों भगवद-गीता, भगवत पुराण और श्रीमद्भागवतम पर आधारित हैं। जैसे की हमारे शास्त्रों में लिखा है
की सभी जीवित प्राणियों का ये लक्ष्य होना चहिये के वे भगवान का नाम ले और उनके लिए अपना प्रेम जगाये। बस उसी तरह ISKCON हम को यही सिखाता है
इस्कॉन भक्त गौड़ीय संप्रदाय से होते हैं जो गौड़ीय वैष्णववाद अनुशासन का पालन करते हैं। जिसका अर्थ है भगवान बिष्णु की पूजा। गौड़ीय वैष्णववाद पश्चिम बंगाल के गौड़ा क्षेत्र में उत्पन्न हुई थी।
कीर्तन ISKON भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कीर्तन में हरे कृष्ण मंत्र का उच्चारण या जप किया जाता है जिसमे सामूहिक हरे कृष्ण मंत्र का गायन किया जाता है।
जप या गायन के माध्यम से श्री कृष्णा के प्रति उनका भक्ति व्यक्त किया जाता है। मृदंग, हाथ की झांझ और हारमोनियम जैसे वाद्ययंत्रों के साथ इस मंत्र का गायन करने के लिए भक्त सार्वजनिक रूप से इकठा होते हैं।
जप और एक धार्मिक अभ्यास है जिसमे भक्त गण हरे कृष्णा मंत्र की जप करते हैं। जप के दौरान एक माला का इस्तेमाल किया जाता है जिसको हाथों से पकड़के बार बार प्रभु श्री कृष्णा का नाम लिया जाता है।
ISKCON भक्तों के द्वारा निभाई जानेवाली अगला बिधि जिसे आरती या पूजा कहते हैं। आरती के दौरान भक्त गण कृष्ण की मूर्ति या छबि को हिन्दू रीती रिवाज में पूजते हैं।
यानि पानी, अगरवती , दिया, फूल अर्पित करने के साथ कृष्ण भजन गाते हैं।कृष्णा भक्त आरती एक साथ मिलके मंदिर या अपनी घर पर करते हैं।