वैश्विक स्तर पर सभी नागरिको को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष विश्व मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।

प्रतिवर्ष विश्व मानवाधिकार दिवस के माध्यम से दुनिया के सभी नागरिकों के मानवाधिकारों से सम्बंधित सन्देश को सम्पूर्ण दुनिया में प्रसारित किया जाता है।

प्रत्येक मनुष्य जब इस धरती पर जन्म लेता है तो उसे कुछ प्रकृति प्रदत मानव अधिकार मिलते है। स्वतंत्रता, समानता एवं गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार प्रकृति प्रदत मानवीय अधिकारों में शामिल है।

साथ ही सभी देशों द्वारा भी अपने नागरिको को सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक अधिकार प्रदान किए जाते है जिससे की सभी नागरिकों को गरिमापूर्ण एवं समानता का जीवन जीने का अधिकार मिले।

सरल शब्दो में कहा जाए तो किसी भी मनुष्य को गरिमापूर्ण जीवन जीने हेतु प्रकृति द्वारा प्रदत नैसर्गिक एवं राष्ट्र द्वारा प्रदत अधिकारों को ही मानवाधिकार कहा जाता है।

मानवीय इतिहास को उठाकर देखने पर हमे ज्ञात होता है सम्पूर्ण मानवीय इतिहास में विभिन शक्तिशाली एवं प्रभुत्वशाली वर्गों द्वारा मानवाधिकारों का जमकर उल्लंघन किया गया है।

राजतन्त्र से लेकर सामंती व्यवस्था एवं तानाशाहों से लेकर प्रभुत्वशाली शासकों द्वारा इतिहास में मानवाधिकारों के उल्लंघन के उदाहरण भरे पड़े है।

वर्तमान समय में राजतंत्र, नाजीवाद, फासीवाद, जातिवाद एवं औपनिवेशिक शक्तियों के द्वारा मानवाधिकारों को ताक पर रखकर अनेक बार मानवीय गरिमा को कुचला गया है।

दुनिया के सभी मनुष्यो के समान अधिकारों को स्वीकृत करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को विश्व मानवाधिकार दिवस जाता है।