भारत के चार धामों में शुमार बद्रीनाथ धाम का केंद्र बिंदु एवं जगद्गुरू शंकराचार्य की तपस्थली होने के कारण जोशीमठ प्राचीन काल से ही हिन्दू श्रद्धालुओं के मध्य प्रसिद्ध रहा है।
बद्रीनाथ धाम का यह प्रमुख पड़ाव प्राचीन काल में ज्योर्तिमठ के नाम से जाना जाता था। इस स्थान पर हिन्दू धर्म के प्रमुख संत जगद्गुरू शंकराचार्य के द्वारा तप किया गया था
वर्तमान समय में भी यह स्थान देश की चारधाम यात्रा एवं उत्तराखंड में संचालित होने वाली छोटी चारधाम यात्रा में बद्रीनाथ धाम का प्रमुख पड़ाव है।
जोशीमठ उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में स्थित चमोली जिले का एक प्रमुख नगर है। समुद्र तल से 6150 फीट की ऊंचाई पर बसा जोशीमठ हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थस्थल बद्रीनाथ धाम (Badrinath) का मुख्य पड़ाव है।
वर्तमान में चार धाम यात्रा में बद्रीनाथ की यात्रा पर आने वाले सभी श्रद्धालु जोशीमठ में ही विश्राम करते है। प्राचीन काल से ही जोशीमठ हिन्दू श्रद्धालुओं के मध्य प्रमुख पड़ाव के रूप में प्रसिद्ध रहा है।
जोशीमठ का इतिहास अत्यंत प्राचीन माना जाता है। प्राचीन काल में जोशीमठ को योषि के नाम से जाना जाता रहा है जिसका वर्णन विभिन धार्मिक ग्रंथो में किया गया है।
विभिन पौराणिक ग्रंथो में इस स्थान को चार धाम के प्रमुख पड़ाव के रूप में वर्णित किया गया है जो की अपनी आध्यात्मिकता के लिए प्रसिद्ध रहा है।
मध्यकाल में गढ़वाल एवं कुमाऊँ के भूभागों पर शासन करने वाली प्रथम ऐतिहासिक राजनैतिक शक्ति कार्तिकेयपुर वंश के राजाओं ने जोशीमठ के कार्तिकेयपुर नामक स्थान को अपनी राजधानी बनाया था।
इसके पश्चात यह स्थान राजनैतिक केंद्र के रूप में स्थापित हो गया। कार्तिकेयपुर वंश के राजाओं के समय आदिगुरु शंकराचार्य का उत्तराखंड में आगमन हुआ जिन्होंने इस स्थान पर ज्योर्तिमठ की स्थापना की थी।
देश के चार धामों में उत्तर में बद्रीनाथ धाम का प्रमुख महत्व है। बद्रीनाथ धाम के मुख्य केंद्र बिंदु के रूप में स्थापित जोशीमठ को भगवान विष्णु के प्रिय तीर्थ के रूप में मान्यता प्राप्त है।
यहाँ जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारा नरसिंह मंदिर स्थापित किया गया है जो की श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है।