डिप्रेशन, एक ऐसा शब्द जिसे हम अपने प्रतिदिन के जीवन में उपयोग तो बहुत बार करते है परन्तु इस शब्द का अर्थ कितना गहरा है यह वह व्यक्ति ही समझ सकता है जो स्वयं डिप्रेशन की स्थिति से गुजर रहा हो।
वर्तमान की भागदौड़ भरी जीवनशैली में विभिन प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक समस्याएँ हमे चारों ओर से घेरी रहती है। आमतौर पर हम अपनी शारीरिक समस्याओ पर तो तत्काल ध्यान देते है
डिप्रेशन (Depression), जिसे की हिंदी में “अवसाद” भी कहा जाता है एक मानसिक डिसऑर्डर है। डिप्रेशन (Depression) व्यक्ति को शारीरिक एवं मानसिक रूप से प्रभावित करता है
जिससे की व्यक्ति की सोचने, समझने एवं कार्य करने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। यह समस्या व्यक्ति को भावनात्मक रूप से अत्यंत प्रभावित करती है
जिसके कारण व्यक्ति अपने प्रतिदिन के कार्यो को करने में भी असमर्थ हो जाता है एवं विभिन प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक समस्याओ से घिरने लगता है।
सरल शब्दो में कहा जाए तो डिप्रेशन (Depression) एक ऐसी मानसिक अवस्था है जिसमे व्यक्ति लगातार दुःख एवं उदासी से घिरा रहता है एवं अपने सामान्य कार्यो को करने में भी असमर्थ होता है।
डिप्रेशन के परिक्षण के लिए मरीज में डिप्रेशन के कम से कम 5 लक्षणों का 2 हफ्तों से अधिक समय तक विद्यमान होना आवश्यक होता है। डिप्रेशन की पहचान के लिए डॉक्टर द्वारा विभिन प्रकार के परिक्षण किए जाते है
जिनमे आमतौर पर रोगी के मानसिक स्वास्थ्य की जाँच की जाती है। रोगी के विभिन लक्षणों, रोगी के व्यवहार, भावनात्मक स्थिति, जीवनशैली, रोगी के इतिहास एवं अन्य कारकों के आधार पर
डॉक्टर डिप्रेशन की पुष्टि की करते हैं। विभिन प्रश्नावलियों के माध्यम से भी रोगी में डिप्रेशन की पुष्टि की जाती है। रक्त परीक्षण रोगी के शरीर में हार्मोन असंतुलन की पहचान करने के लिए उपयोगी होता है
आमतौर पर ऊपर बताये गए लक्षणों में से कोई भी 5 लक्षण यदि 2 सप्ताह से अधिक समय तक विद्यमान रहें तो इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर को विजिट करना चाहिए।