देश के स्वतंत्रता संग्राम में नागरिकों को एकीकृत करने एवं स्वतंत्रता संग्राम की अलख को जगाने का श्रेय भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को दिया जाता है।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशनों का आजादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वर्ष 1885 में कांग्रेस पार्टी की स्थापना की गयी थी। कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश शासन के प्रशासनिक अधिकारी ए. ओ. हयूम  के द्वारा 28 दिसंबर 1885 को मुंबई में की गयी

कांग्रेस पार्टी का प्रथम अधिवेशन भी मुंबई में ही आयोजित किया गया था जिसमे कुल 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। प्रारम्भ में कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश सरकार के अप्रत्यक्ष सहयोगी के रूप में की गयी थी

महात्मा गाँधी के आगमन के पश्चात कांग्रेस की कमान नरम-दल के नेताओ के हाथ में आ गयी एवं कांग्रेस द्वारा असहयोग आंदोलन, सविनय-अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च एवं भारत छोड़ो आंदोलन

जैसे महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया गया। स्वतंत्रता आंदोलनों के दौरान कांग्रेस द्वारा देश के विभिन भागो में अधिवेशन (Sessions) आयोजित किया जाता था

कांग्रेस की स्थापना का श्रेय ब्रिटिश शासन के अधिकारी एलन ऑक्टेवियन ह्यूम (Allan Octavian Hume) को जाता है जिन्होंने 28 दिसंबर 1885 को मुंबई में कांग्रेस पार्टी की नींव रखी थी।

कांग्रेस की स्थापना का श्रेय ब्रिटिश शासन के अधिकारी एलन ऑक्टेवियन ह्यूम (Allan Octavian Hume) को जाता है जिन्होंने 28 दिसंबर 1885 को मुंबई में कांग्रेस पार्टी की नींव रखी थी।

कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन मुंबई में हुआ था जिसमे कुल 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता व्योमेश चंद्र बनर्जी द्वारा की गयी थी।

 मद्रास में वर्ष 1887 में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता बदरुद्दीन तैयबजी द्वारा की गयी थी। ये कांग्रेस पार्टी के प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष भी थे।