“अभी भी जिसका खून ना खौला, वो खून नहीं पानी है जो देश के काम ना आए, वो बेकार जवानी है” महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद द्वारा भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कहे गए ये शब्द आज भी देश के करोड़ो

युवाओ को मातृभूमि की सेवा के लिए प्रेरित करते है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रमुख क्रांतिकारियों में शुमार चंद्रशेखर आजाद द्वारा मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन को समर्पित किया गया

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में क्रांति के प्रमुख नायकों का स्मरण करने पर स्वतः ही चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, राम-प्रसाद बिस्मिल एवं अन्य क्रांतिकारियों का चेहरा याद आता  है।

अपने जीवन की अल्पायु से ही मातृभूमि की सेवा में समर्पित चंद्रशेखर आजाद ने वयस्क होते से क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया था।

23 जुलाई, 1906 को मध्यप्रदेश के भाबरा गांव में सीताराम तिवारी एवं जागरणी देवी के घर महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का जन्म हुआ। इनके पिता अलीराजपुर रियासत में कार्यरत थे।

बचपन से ही भील बाहुल्य क्षेत्र में रहने के कारण चंद्रशेखर आजाद ने बचपन से ही भील जाति के बच्चो के संग तीर-कमान एवं निशानेबाजी का खूब अभ्यास किया एवं निशाना लगाने में निपुण हो गए।

अपने जीवनकाल में देश की आजादी के लिए प्रारंभ में चंद्रशेखर आजाद गाँधीजी के असहयोग आंदोलन एवं अहिंसात्मक आंदोलनों से जुड़े थे। अंग्रेजो द्वारा भारत के असहयोगी आंदोलनकारियों पर किए जा रहे

अत्याचारों एवं गाँधीजी के द्वारा चौरा-चोरी की घटना के पश्चात असहयोग आंदोलन वापस लेने पर उन्होंने क्रांतिकारी मार्ग पर चलने का निर्णय लिया।

इस दौरान वे भगत-सिंह, मन्‍मथनाथ गुप्‍त एवं प्रणवेश चटर्जी जैसे क्रांतिकारियों के संपर्क में आये एवं आजादी के आंदोलन को क्रांतिकारी तरीके से चलाने का संकल्प लिया।

भारत की आजादी के महान क्रांतिकारी नायक चंद्रशेखर आजाद 27 फरवरी 1931 के दिन अपने मित्रो से मिलने इलाहबाद के अल्‍फ्रेड पार्क में गए थे।