पंजाब का नाम सुनते ही आँखों के सामने हरे-भरे खेत, धान और गेहूँ की बालियों से लहलहाते खेत, सोने की तरह खेत में चमकती फसलें और किसानो के चेहरे याद आने लगते है।
amritpal singh sandhu
हालांकि पंजाब का इतिहास उठाकर देखें तो इस राज्य की एक और तस्वीर भी सामने आती है। भारत के विभाजन से लेकर खालिस्तानी और अलगाववाद के आंदोलनों
में पंजाब की धरती आतंकवाद और अलगाववाद से भी रक्तरंजित रही है। वर्ष 1984 के अलगाववादी आंदोलनों के दौरान भिंडरावाले का उदय तथा ऑपरेशन ब्लू-स्टार की स्याह यादे
आज भी देशवासियों के रोंगटे खड़े कर देती है। हाल ही के दिनों में पंजाब में हुयी घटनाओ से फिर से देशवासियों के जेहन में पंजाब के आतंक, हिंसा और अंधकार युग की यादें ताजा कर दी है।
पंजाब में मची उथल-पुथल के बीच के बीच अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh Sandhu) प्रमुख किरदार के रूप में सामने आ रहा है।
इस माह के चौथे सप्ताह में पंजाब के अमृतसर राज्य के अजनाला पुलिस स्टेशन सिंह ने वरिंदर सिंह नाम के व्यक्ति ने अमृतपाल सिंह और उसके साथियों पर अपरहण करने,
मारपीट और लूट का आरोप लगाया जिस पर पुलिस ने अमृतपाल सिंह के साथी लवप्रीत तूफ़ान को गिरफ्तार कर लिया। लवप्रीत की गिरफ्तारी के बाद अमृतपाल सिंह
ने पंजाब पुलिस को जल्द से जल्द लवप्रीत को छोड़ने का अल्टीमेटम दिया पर पंजाब पुलिस द्वारा लवप्रीत को रिहा नहीं किया गया।
अमृतपाल सिंह जिसका पूरा नाम अमृतपाल सिंह संधू (amritpal singh sandhu) है एक कट्टर खालिस्तानी समर्थक है जो की पंजाब में ‘वारिस पंजाब दे’ (‘Waris Punjab De’) संगठन का मुखिया है
मात्र 19 वर्ष की उम्र में ही इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने अमृतपाल सिंह ने दुबई का रुख किया और ट्रांसपोर्ट बिजनेस में अपना हाथ आजमाया।