माता वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास | Vaishno Devi Temple History In Hindi

भारतवर्ष प्राचीन काल से ही धर्म एवं अध्यात्म का केंद्रबिंदु रहा है। प्राचीन समय से ही देश में मातृशक्ति की पूजा देवी के रूप में की जाती रही है। भारत के विभिन भागो में देवी शक्ति से जुड़े हजारों मंदिर मौजूद है जहाँ प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु माँ आदिशक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करने जाते है। हिमालय की खूबसूरत बर्फीली चोटियों के मध्य स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर को भी देवी शक्ति के प्राचीन मंदिरों में शुमार किया जाता है। प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु ” जय माता दी” और “चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है” के नारे लगाते हुए हुए हिमालय की दुर्गम चढ़ाइयों को पार करते हुए माता वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन को जाते है। जम्मू-कश्मीर राज्य के कटरा में स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर (SRI MATA VAISHNO DEVI SHRINE) भारतवर्ष के प्राचीन मंदिरो में सबसे प्रमुख देवी शक्ति स्थल के रूप में पूजित है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको माता वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास (Vaishno Devi Temple History In Hindi) सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले है। साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आपको माता वैष्णो देवी मंदिर से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओ से भी अवगत कराया जायेगा।

माता वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास
वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास

Article Contents

माता वैष्णो देवी मंदिर

हिमालय में स्थित जम्मू कश्मीर राज्य के कटरा में स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर धाम 5,200 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित देवी शक्ति मंदिर है जो भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में शुमार है। माता वैष्णो देवी मंदिर धाम में देवी शक्ति की पूजा त्रि- महाशक्तियों के रूप में की जाती है। कहा जाता है की कोई भी भक्त तभी माता वैष्णो देवी के दर्शन करने में सक्षम होता है जब माँ वैष्णों स्वयं भक्त को बुलाये। माता वैष्णों देवी यात्रा के दौरान भक्तो द्वारा “चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है” के नारे लगाते हुए 14 किलोमीटर की खड़ी दुर्गम चढ़ाई को साहसपूर्वक पार किया जाता है। वैष्णो देवी मंदिर की स्थापना के बारे में विभिन कथाएँ प्रचलित है। ऋग्वेद से लेकर महाभारत काल एवं त्रेता युग में भी माता वैष्णों की महिमा का वर्णन किया गया है। भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही श्रद्धालुओं के द्वारा माता वैष्णो देवी तीर्थयात्रा को उत्साहपूर्वक पूर्ण किया जाता रहा है।

माता वैष्णो देवी गुफा मंदिर इतिहास 

जम्मू के कटरा में स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर को भारत के सबसे प्राचीन सिद्धपीठों में से एक माना जाता है। हिमालय की खूबसूरत वादियों में स्थित वैष्णो मंदिर को भूगर्भ वैज्ञानिको के द्वारा भी प्राचीन काल से विराजमान होने के प्रमाण प्राप्त हुए है। कहा जाता है की त्रेता युग में मानव जाति के कल्याण के लिए त्रिशक्ति माँ पार्वती, माँ लक्ष्मी एवं माँ सरस्वती ने एक सुन्दर राजकुमारी के रूप में मानव रूप में अवतार लिया था। माता वैष्णों द्वारा जम्मू में स्थित त्रिकूट पर्वत पर तपस्या की गयी एवं कालांतर में उनका शरीर तीन दिव्य ज्योतियों – महापार्वती, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती के रूप में यहाँ सूक्ष्म रूप में विलीन हो गया था। वर्तमान में भी भक्तो के द्वारा महात्रिशक्ति का पूजन शाश्वत रूप से विद्यमान पिण्डियों के रूप में किया जाता है।

माता वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास

माता वैष्णो देवी मंदिर की स्थापना के इतिहास से जुड़ी सबसे प्रचलित कथा भक्त श्रीधर की है। कहा जाता है की माता वैष्णो देवी मंदिर का निर्माण 700 वर्ष पूर्व माता वैष्णो के अनन्य भक्त श्रीधर के द्वारा पूर्ण किया गया था। प्राचीन कथाओं के अनुसार कटरा के हंसली गाँव में रहने वाले भक्त श्रीधर एवं उनकी पत्नी, माता वैष्णवी के अनन्य भक्त थे। एक बार श्रीधर के स्वप्न में दिव्य शक्ति का आह्वान हुआ एवं उसने भक्त श्रीधर को भंडारा कराने का आदेश दिया। श्रीधर की आर्थिक स्थित अच्छी नहीं थी ऐसे में भंडारा कराने के लिए लिए उनके घर में पर्याप्त खाद्य सामग्री नहीं थी। हालांकि दिव्य आदेश के अनुसार श्रीधर ने सभी गाँववालो को भंडारे हेतु आमंत्रित कर दिया। भंडारे के एक दिन पूर्व रात्रि के समय भक्त श्रीधर इस चिंता में डूबे हुए थे की आखिर वे मेहमानों के लिए भोजन की व्यवस्था कैसे करेंगे। हालांकि इस विकट स्थिति में उन्हें माता वैष्णवी से पूर्ण आस थी की वें इस संकट की घड़ी में अपने भक्त की सहायता अवश्य करेंगी।

maa vaishno devi

अगले दिन जब लोग भंडारे का प्रसाद ग्रहण करने श्रीधर के घर पर पहुँचे तो वहां भक्त श्रीधर माता की पूजा में विलीन थे। कहा जाता है की तभी श्रीधर की कुटिया से माता वैष्णवी एक छोटी कन्या के रूप में पधारी एवं लोगो को भंडारा वितरण करने लगी। वहां मौजूद सभी लोगो के लिए भंडारा पर्याप्त था परन्तु मेहमानो के साथ मौजूद भैरवनाथ ने भक्त श्रीधर से माँस परोसने की माँग की। माता वैष्णों द्वारा भक्त श्रीधर को ऐसा करने से मना किया गया। वहाँ मौजूद दिव्य कन्या को देखकर भैरवनाथ ने उसे पकड़ने को कोशिश की परन्तु माँ वैष्णों वहाँ से त्रिकूट पर्वत की ओर चली गयीं। भैरवनाथ भी माँ वैष्णों का पीछा करते हुए त्रिकूट पर्वत पहुँच गया। कहा जाता है की इस दिव्य गुफा के द्वार पर भैरवनाथ एवं हनुमान जी का भयानक युद्ध हुआ। 9 माह की तपस्या के पश्चात माता वैष्णों ने काली का रूप धारण करके भैरवनाथ का सर धड़ से अलग कर दिया।

इस घटना के पश्चात भक्त श्रीधर अपने परिवार के साथ दिव्य गुफा में पहुँच गए एवं माता के दर्शन किए। माता वैष्णो द्वारा श्रीधर को आशीर्वाद दिया गया एवं वैष्णों देवी की गुफा के बारे में जानकारी दी गयी। भक्त श्रीधर द्वारा गुफा की खोज के पश्चात यह स्थल वैष्णों तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध हो गया एवं हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ बन गया। इस घटना के पश्चात इस पवित्र स्थल को माँ शक्ति के प्रमुख तीर्थ के रूप में मान्यता प्राप्त हुयी एवं श्रद्धालु प्रतिवर्ष इस पवित्र स्थल की यात्रा करने लगे।

महाभारत काल से जुड़ी है वैष्णों माता की कथा

वैष्णों माता की कथा का वर्णन महाभारत के सन्दर्भ में भी मिलता है। कहा जाता है की महाभारत के युद्ध से पूर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए शक्ति का आह्वान करने का निर्देश दिया गया था। भगवान श्रीकृष्ण के आदेशानुसार अर्जुन द्वारा शक्ति की पूजा के गयी एवं माँ शक्ति से युद्ध में विजय के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया गया था। अर्जुन की भक्ति से प्रभावित होकर माता शक्ति द्वारा अर्जुन को रणभूमि में विजय का आशीर्वाद दिया गया था परिणामस्वरूप महाभारत युद्ध में पांडवों की विजय हुयी। महाभारत विजय के पश्चात पांडवो के द्वारा माता वैष्णों के दर्शन किया गया था।

ऋग्वेद में भी है माँ वैष्णों का उल्लेख

माँ वैष्णों के पवित्र धाम त्रिकूट पर्वत का उल्लेख भारत के प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में भी किया गया है। ऋग्वेद ग्रंथ में त्रिकूट पर्वत का जिक्र किया गया है जो की वर्तमान में माता वैष्णों देवी का निवास स्थान है। सिख धर्म के 10वें गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह द्वारा भी अपने जीवनकाल में माता वैष्णों देवी के धाम के दर्शन किए गए थे। अन्य प्राचीन पौराणिक ग्रंथो में भी माता वैष्णों देवी के पवित्र धाम का वर्णन किया गया है।

वैष्णो देवी मंदिर से जुड़े महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल

वैष्णो देवी मंदिर से जुड़े सभी महत्वपूर्ण तीर्थ इस प्रकार से है :-

  • मुख्य मंदिर- कटरा में स्थित त्रिकूट पहाड़ियों की गुफा में माता वैष्णो का मुख्य मंदिर स्थित है। त्रेता युग में माता शक्ति तीन रूपों महापार्वती, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती में विलीन हो गयी थी जिसके पश्चात इस स्थल पर त्रिशक्तियों का निवास माना जाता है। वर्तमान में माता वैष्णों देवी यहाँ तीन पिण्डियों के रूप में विराजमान है। इन पिण्डियों में माता काली की पिंडी दाएँ, माता लक्ष्मी की मध्य में एवं माता सरस्वती की बाएँ ओर विराजमान है। त्रिशक्ति के रूप में विराजमान इन पिण्डियों को ही सम्मिलित रूप से माता वैष्णों देवी का रूप माना जाता है।
  • अर्धक्वांरी- अर्धक्वांरी माता वैष्णों देवी यात्रा का प्रमुख पड़ाव है एवं इस यात्रा में एक विश्राम स्थल की भाँति कार्य करता है। प्राचीन कथाओ के अनुसार जब माता वैष्णों देवी ने भैरवनाथ का वध किया था तो भैरवनाथ का सिर इस स्थल से दूर उड़ गया परन्तु धड़ का भाग यहीं रह गया था। गर्भ जैसी आकृति होने के कारण इस स्थल को गर्भाजून के रूप में भी जाना जाता है। अर्धक्वांरी में माता वैष्णो के चरण पादुका मौजूद होने के कारण यह स्थल श्रद्धालुओं के मध्य प्रसिद्ध है। अर्धक्वांरी से निकट ही बान गंगा नदी भी बहती है जिसके बारे में कहा जाता है की इस नदी की उत्पति माता द्वारा बाण मारने से हुयी जिससे यह नदी बान गंगा के नाम से प्रसिद्ध हुयी।
  • भैरों मंदिर– भैरों मंदिर माँ वैष्णों की यात्रा का प्रमुख तीर्थ है। वैष्णों तीर्थ के समीप स्थित भैरवनाथ मंदिर, नाथ सम्प्रदाय के प्रमुख संत भैरवनाथ को समर्पित है। प्राचीन कथाओं के अनुसार जब माता वैष्णों के द्वारा भैरवनाथ का वध किया गया तो भैरवनाथ को अपनी गलती का अहसास हुआ एवं भैरवनाथ ने माता वैष्णों से क्षमा-याचना की। माता द्वारा भैरवनाथ को क्षमा किया गया तथा आशीर्वाद दिया गया की वैष्णों देवी यात्रा भैरवनाथ मंदिर के दर्शन के पश्चात ही पूर्ण होगी। माता वैष्णों देवी की यात्रा को भैरवनाथ के मंदिर के दर्शन के बिना अधूरा माना जाता है यही कारण है की भक्त इस यात्रा के दौरान भैरों मंदिर के दर्शन के लिए अवश्य जाते है।

वैष्णो देवी मंदिर की यात्रा

जम्मू के कटरा में स्थित माता वैष्णों देवी के दर्शन के लिए प्रतिवर्ष लाखों यात्री आते है। माता का बुलावा प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं को इस पवित्र स्थल की यात्रा करने हेतु आकर्षित करता है। वैष्णो देवी मंदिर भारत के जम्मू कश्मीर राज्य के जम्मू संभाग में स्थित है। यह धाम कटरा में त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित है। वैष्णो देवी यात्रा (vaishno devi yatra) का संचालन माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा किया जाता है जिसका गठन वर्ष 1986 में किया गया था। वैष्णो देवी मंदिर की यात्रा का सबसे बेहतर समय वसंत और शरद ऋतु में माना जाता है जब यहाँ सुहावना मौसम होता है एवं बर्फ से ढकी बर्फीली चोटियाँ दिखाई देती है। नवरात्रि के समय वैष्णों देवी मंदिर में विभिन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है ऐसे में आप इस समय भी यहाँ जाने का प्लान कर सकते है।

वैष्णों देवी मंदिर जाने के लिए बस, ट्रैन एवं रेल सेवा उपलब्ध है। हालांकि यह याद रखना आवश्यक है भक्तों को वैष्णों देवी मंदिर पहुंचने के लिए 14 किलोमीटर ट्रेक को पैदल पार करना आवश्यक होता है। यहाँ का नजदीकी रेल स्टेशन तवी रेल स्टेशन एवं नजदीकी हवाई अड्डा जम्मू हवाई अड्डा है। इसके पश्चात आपको यहाँ पहुंचने के लिए वाहन के माध्यम से दूरी तय करनी होगी। यात्री इस यात्रा के लिए अपनी सुविधा के अनुसार समय का चुनाव कर सकते है। कहा जाता है की जो भी भक्त सच्चे मन से माता वैष्णों के द्वार पर जाता है उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है।

माता वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

माता वैष्णो देवी का मंदिर कहाँ स्थित है ?

माता वैष्णो देवी का मंदिर जम्मू में स्थित कटरा संभाग में त्रिकूट पर्वत पर स्थित है।

वैष्णो देवी मंदिर किस देवी को समर्पित है ?

वैष्णो देवी मंदिर त्रि-महाशक्ति को समर्पित किया गया है। यहाँ महापार्वती, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती पिण्डियों के रूप में विराजमान मानी जाती है। वर्तमान में भी वैष्णो धाम में पिण्डियों के रूप में माँ वैष्णों का पूजन किया जाता है।

माता वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास सम्बंधित जानकारी प्रदान करें ?

माता वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास सम्बंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल पढ़े। यहाँ आपको Vaishno Devi Temple History In Hindi सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गयी है।

माता वैष्णो देवी के मंदिर को किसके द्वारा स्थापित किया गया था ?

माता वैष्णो देवी के मंदिर को माँ वैष्णवी के अनन्य भक्त श्रीधर के द्वारा 700 वर्ष पूर्व स्थापित किया गया था।

वैष्णो देवी मंदिर की यात्रा सम्बंधित जानकारी प्रदान करें ?

वैष्णो देवी यात्रा (vaishno devi yatra) सम्बंधित जानकारी के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल पढ़े। यहाँ आपको वैष्णो देवी मंदिर की यात्रा सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गयी है।

वैष्णो देवी मंदिर की यात्रा का संचालन किसके द्वारा किया जाता है ?

वैष्णो देवी मंदिर की यात्रा का संचालन माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड, कटरा द्वारा किया जाता है।

Leave a Comment

Join Telegram