टी.बी के लक्षण और घरेलू उपचार : टी. बी, क्षय रोग या तपेदिक एक संक्रामक बीमारी है। इसका प्रभाव हमारे फेफड़ों पर होता है। जो कि धीरे-धीरे शरीर के और अंगो को भी प्रभावित करने लगता है। यह रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नमक संक्रामक से फैलती है। टीबी का प्रभाव लिवर, मस्तिष्क, किडनी, गले, गर्भाशय, और मुँह में भी टीबी का प्रभाव हो सकता है। टीबीग्रस्त वयस्कों की जगह पर जइब बच्चों को टीबी का रोग होता है, उनमें संक्रमण की संभावना कम होती है। टीबी का इलाज करने के लिए कई सारी दवाएँ बनाई गई हैं। टीबी का इलाज पूरे तरीके से आप घरेलू उपायों से नहीं कर सकते हैं। लेकिन इन कुछ उपायों से आप जल्द से ठीक हो सकते हो। ये घरेलू उपाय आपको इसके प्रभाव को कम करने में सहायत करते हैं। आज हम आपको टीबी के प्रभाव को कम करने वाले ऐसे ही कुछ घरेलू उपाय बताने जा रहे हैं।
टी.बी के लक्षण और घरेलू उपाय
टी.बी के लक्षण –
यहाँ भी देखें -->> क्विज खेलकर इनाम कमाएं
- बेचैनी होना, सुस्ती लगना, थक महसूस होना, सीने में दर्द होना, सोते वक़्त पसीना आना।
- हर समय बुखार की हरारत रहना।
- भूख नहीं लगना, वजन का अचानक से कम हो जाना।
- गर्दन की लसिका ग्रंथियों में सूजन होना, इनमे फोड़ा हो जाना।
- बार-बार खांसी आना खांसी में बलगम और खून आना। खांसी के साथ अचानक से खून आ जाना।
- कमर की हड्डियों पर सूजन आना घुटने में दर्द रहना, घुटनो को मोड़ने में परेशानी होना। ज्यादा तेज साँस लेने पर सीने में दर्द होना।
- महिलाओं का तापमान और गर्दन जकड़ना, बेहोशी और आँखों का ऊपर चढ़ जाना। मस्तिष्क तपेदिक का लक्षण होता है।
- टीबी में तेज बुखार होता है और खांसी आने पर छाती में दर्द होना।
- पेट की टीबी में दस्त, पेट फूलना, पेट दर्द आदि समस्यायें होती है।
टी.बी के घरेलू उपाय –
आँवला – टी बी के प्रभाव को कम करने के लिए आप रोज एक एक आँवले का सेवन कर सकते हैं। आँवले में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। जो की हमारी इम्युनिटी को बढ़ाता है। आंवले का रस हमारी सेहत के साथ ही हमारी त्वचा के लिए भी लाभदायक होता है। रोजाना आंवले के जूस को एक गिलास पानी में शहद मिलाकर पिने से टी.बी की बीमारी को दूर किया जा सकता है। साथ ही लहसुन के सेवन से टी.बी की बीमारी को कम किया जा सकता है। इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं जिस से शरीर को रोगों से लड़ने में मदद मिलती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता क्या है इम्युनिटी बढ़ाने के घरेलू उपाय
काली मिर्च – काली मिर्च हमारे फेफड़ों को साफ करती है और बलगम को कम करती है। टीबी से सीने में होने वाले दर्द को भी काली मिर्च कम करने में सहायक होती है। काली मिर्च के सेवन से हमारी खांसी और छींके भी कम होती हैं। साथ ही काली मिर्च की चाय सर्दी में पीने से बिमारियों से लड़ने में ताकत मिलती है। खांसी, सर दर्द और सर्दी में इस चाय का सेवन ज़रूर करें।
सर्वाइकल पेन का घरेलू इलाज – Survical Pain Ka Gharelu ilaaj
टीबी में दूध सहायक- दूध में कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। टीबी के रोग में रोगी की जल्द रिकवरी के लिए कैल्शियम आवश्यक होता है। ऐसे में जिनको टीबी रोग हो वे लोग दूध का सेवन कर सकते हैं। क्योंकि दूध टीबी और इसके लक्षणों को कम करने में सहायक होता है। किन्तु आप दूध का सेवन डॉक्टर के परामर्श पर ही करें। क्योंकि कुछ क्षय रोगियों को दूध और दूध से बानी चीज़ो को खाने के लिए मनाही की जाती है।
दमा (Asthma) के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार
ग्रीन टी क्षय रोग में सहायक – ग्रीन टी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो की हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने का काम करते हैं। ग्रीन टी बनाने के लिए आप कुछ हरी चाय की पत्तियों को पानी में उबाल कर पका सकते हैं और इसका सेवन दिन में 2-3 बार किया करें। क्योंकि ग्रीन-टी में पाए जाने वाले पॉलीफेनोल तत्व टी बी के बैक्टीरिया से लड़के इनको खत्म करने का काम करते हैं। इसलिए क्षय रोग में ग्रीन-टी काफी लाभकारी होती है।
बालों की देखभाल के घरेलू नुस्खे (Home Remedies For Hair Care)
लहसुन टीबी में मददगार – लहसुन वैसे तो हमको रोज ही खाना चाहिए लेकिन जिन व्यक्तियों को टीबी की समस्या होती है, उन व्यक्तियों को रोज लहसुन की एक कली कहानी चाहिए। क्योंकि लहसुन सल्फ्यूरिक एसिड से भरपूर होता है। सल्फ्यूरिक एसिड क्षय रोग के बैक्टीरिया को खत्म करने में सहायक होता है। और लहसुन हमारी इम्युनिटी बढ़ाने का भी अच्छा स्रोत होता है।
हाई बीपी के लिए 8 योगासन – High BP Ke Liye 8 Yoga Poses
अनानास – अनानास का रस बलगम के जमाव को कम करने में सहायक होता है और ये टीबी में बहुत प्रभावशाली होता है। इसके लिए आप रोज अनानास का जूस पी सकते हैं। यह एक औषधीय फल है, जो हमारे शरीर से कई रोगों को दूर भागता है। अनानास का सेवन करके रोगों के रोकथाम में मदद मिलती है।
शुगर में कौन से फल नहीं खाने चाहिए : Sugar Me Kon Se Fal Nahi Khane Chahiye
पुदीने का सेवन – पुदीना एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है। पुदीना क्षय रोग से प्रभावित उत्तकों को ठीक करने में सहायक होता है। आप पुदीने के रस में शहद और 2 चम्मच माल्ट के सिरके में गाजर का रस मिलाकर इसका तीन हिस्से में बराबर बाँट लें और इसको बराबर समयवंतराल में इसका सेवन करें।
Vitamins in Hindi: विटामिन के रासायनिक नाम:- प्रकार, स्त्रोत, कार्य, कमी से होने वाले रोग
टी.बी के लक्षण और घरेलू उपचार से सम्बंधित प्रश्न
टी.बी के रोग को पहचानने के ये हैं तरीके-
यदि खांसी तीन हफ्ते से अधिक होती है, शाम के दौरान बुखार बढ़ जाता है, भूख में कमी आना, खांसते समय बलगम के साथ खून आना, सीने में तेज़ी से दर्द होने, साँसों का फूलना आदि।
जी हाँ टी.बी का इलाज पूरी तरग से मुमकिन है। सरकार की तरफ से इसका इलाज फ्री में भी किया जाता है। इसका इलाज लम्बा चलता है जिसे ठीक होने में 1-2 साल का समय लग सकता है।
खून या बायोप्सी की मदद से टी.बी के बैक्टीरिया का पता चलता है। टी.बी (ट्यूबरक्लोसिस) के टेस्ट को मोंटेक्स टेस्ट के नाम से जाना जाता है।
टी.बी की बीमारी का संक्रमण एक से दूसरे में हवा के माध्यम से फैलता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के खांसी, छींकने से हवा में वाइरस फील जाते हैं जिस से दुसरे व्यक्ति को यह रोग हो सकता है।