प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से भूकंप को सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदा माना जाता है। भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसका अनुमान लगाना संभव नहीं होता ऐसे में यह भयानक तबाही एवं विनाश का कारण बनती है। भूकंप की दृष्टि से सिस्मिक जोन (Seismic Zone) महत्वपूर्ण शब्दावली है जो की इस आपदा के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको इस सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले है। इस आर्टिकल के माध्यम से आपको सिस्मिक जोन (Seismic Zone) क्या है ? एवं भारत में कितने सिस्मिक जोन हैं? (how many seismic zones in india) सम्बंधित सभी तथ्यों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की जाएगी। भूगोल विषय एवं भूकंप के अध्ययन से Seismic Zone महत्वपूर्ण शब्दावली है ऐसे में यह लेख छात्रों के लिए भी समान रूप से उपयोगी रहने वाला है।
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सिस्मिक जोन (Seismic Zone) क्या होता है ?
सिस्मिक जोन (Seismic Zone) जिसे की “भूकम्पीय क्षेत्र” भी कहा जाता है का तात्पर्य उस क्षेत्र से है जो की किसी क्षेत्र विशेष में भूकंप आने की तीव्रता को प्रदर्शित करता है। भूकम्पीय क्षेत्र (Seismic Zone) के आधार पर ही किसी क्षेत्र में भूकंप आने के खतरे को व्यक्त किया जाता है। सिस्मिक जोन के अंतर्गत पूरे देश को विभिन भूकम्पीय क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है जहाँ भूकंप आने के खतरे को देखते हुए विभिन क्षेत्रों को अलग-अलग जोन में शामिल किया जाता है।
इसे आप निम्न प्रकार से भी समझ सकते है :- किसी भी क्षेत्र में भूकंप आने का खतरा कितना है इस मानक के आधार पर देश के विभिन भागो को भूकम्पीय क्षेत्र (Seismic Zone) में विभाजित किया गया है। जिस भी क्षेत्र में भूकंप आने का खतरा सर्वाधिक रहता है उसे सबसे खतरनाक जोन में रखा जाता है इसके पश्चात इससे कम खतरे वाले क्षेत्र एवं इसी प्रकार से आगे के क्षेत्रों को निर्धारित किया जाता है। इस प्रकार भूकंप आने की तीव्रता एवं खतरे को देखते हुए विभिन भूकम्पीय क्षेत्रों को निर्धारित किया जाता है। जैसे ज़ोन-5 में सर्वाधिक भूकंप आने का खतरा रहता है। जोन-4 में जोन-5 से कम परन्तु जोन-3 से अधिक, जोन-3 में जोन-4 से कम परन्तु जोन-2 से अधिक एवं जोन-2 से जोन-3 से कम भूकंप आने का खतरा रहता है।
भारत को कितने सिस्मिक जोन में बाँटा गया है ?
भारत में भूकंप के खतरे को देखते हुए भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards (BIS) द्वारा देश को कुल-4 सिस्मिक जोन (Seismic Zone) में विभाजित किया गया है। देश के विभिन भागो में भूकंप की तीव्रता एवं सम्भावना को देखते हुए इन सिस्मिक क्षेत्रों का निर्धारण किया जाता है। यहाँ आपको भारत से सभी सिस्मिक जोन की जानकारी प्रदान की गयी है :-
- ज़ोन-V (Zone-V)- सर्वाधिक भूकंप प्रभावित क्षेत्र
- ज़ोन-IV (Zone-IV)- गंभीर भूकंप तीव्रता क्षेत्र
- ज़ोन-III (Zone-III)- मध्यम भूकंप तीव्रता क्षेत्र
- ज़ोन-II (Zone-II)- न्यूनतम भूकंप प्रभावित क्षेत्र
भारत के सभी भूकम्पीय क्षेत्र (Seismic Zone)
भूकम्पीय क्षेत्र के आधार पर ही किसी क्षेत्र में भूकंप आने की सम्भावना को ज्ञात किया जाता है। कोई क्षेत्र किस भूकम्पीय जोन में शामिल है इसके आधार पर ही निर्धारित किया जाता है की किस क्षेत्र में भूकंप आने की सम्भावना सर्वाधिक है एवं किस क्षेत्र में सबसे कम। भारत में जोन-5 सर्वाधिक भूकंप प्रभावित क्षेत्र है जहाँ भूकंप आने का खतरा सर्वाधिक रहता है। यहाँ आपको भारत के सभी सिस्मिक -जोन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी है :-
ज़ोन-V (Zone-V)
भूकंप आने की दृष्टि से ज़ोन-V (Zone-V) को सर्वाधिक संवेदनशील एवं खतरनाक माना जाता है। भारत में सर्वाधिक भूकंप आने का खतरा ज़ोन-V (Zone-V) में शामिल क्षेत्रों पर ही सर्वाधिक होता है साथ ही यहाँ आने वाले भूकंप तीव्रता एवं बारम्बारता की दृष्टि से भी अत्यंत विनाशकारी होते है। ज़ोन-V (Zone-V) के अंतर्गत हिमालयी राज्यों एवं पूर्वोत्तर भागो को प्रमुखता से शामिल किया गया है :-
ज़ोन-V (Zone-V) में शामिल क्षेत्र:- जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, उत्तराखंड, सम्पूर्ण पूर्वोत्तर भारत, गुजरात के कच्छ का कुछ भाग, बिहार का उत्तरी-भाग तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
ज़ोन-IV (Zone-IV)
भूकंप की दृष्टि से ज़ोन-IV (Zone-IV) को भी गंभीर भूकंप तीव्रता वाले क्षेत्र में रखा गया है। ज़ोन-IV (Zone-IV) भी भूकंप की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील भूकम्पीय क्षेत्र में शामिल है जहाँ भूकंप का खतरा बारम्बार बना रहता है।
ज़ोन-IV (Zone-IV) में शामिल क्षेत्र– हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख प्रदेश के शेष भाग, पश्चिम बंगाल एवं बिहार (उत्तरी भाग), केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली, उत्तर प्रदेश, सिक्किम, राजस्थान एवं गुजरात के कुछ हिस्से तथा महाराष्ट्र के पश्चिमी भाग में स्थित छोटे हिस्से
ज़ोन-III (Zone-III)
भूकंप की दृष्टि से ज़ोन-III (Zone-III) को मध्यम भूकंप जोखिम की श्रेणी में रखा गया है। इस क्षेत्र में भूकंप आने की तीव्रता एवं बारम्बारता ज़ोन-V (Zone-V) एवं ज़ोन-IV (Zone-IV) से कम होती है।
ज़ोन-III (Zone-III) में शामिल क्षेत्र- केरल, आंध्र प्रदेश, गोवा, तमिलनाडु, लक्षद्वीप द्वीप समूह, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं गुजरात के शेष भाग, झारखंड के कुछ भाग, पंजाब राज्य का कुछ भाग, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार एवं महाराष्ट्र
ज़ोन-II (Zone-II)
भूकंप की दृष्टि से ज़ोन-II (Zone-II) सबसे न्यून जोखिम क्षेत्र है। इसका अर्थ है की देश में ज़ोन-II (Zone-II) में शामिल क्षेत्रों में भूकंप आने की सम्भावना सबसे कम होती है। यहाँ आने वाले भूकंप भी प्रायः कम तीव्रता एवं न्यूनतम जोखिम वाले होते है।
ज़ोन-II (Zone-II) में शामिल राज्य- भारत में ज़ोन-V (Zone-V), ज़ोन-IV (Zone-IV) एवं ज़ोन-III (Zone-III) में सम्मिलित ना किए गए क्षेत्रों को ज़ोन-II (Zone-II) में शामिल किया गया है। यह क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से सर्वाधिक सुरक्षित क्षेत्र होता है।
इस प्रकार यहाँ दिए गए आर्टिकल के माध्यम से आपको सिस्मिक जोन (Seismic Zone) सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गयी है।
सिस्मिक जोन (Seismic Zone) सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
सिस्मिक जोन (Seismic Zone) किसी भी क्षेत्र में भूकंप आने की तीव्रता एवं बारम्बारता को प्रदर्शित करने का पैमाना होता है।सिस्मिक जोन के आधार पर ही किसी क्षेत्र में भूकंप के खतरे का अनुमान लगाया जाता है।
भारत को कुल 4- सिस्मिक जोन में बांटा गया है जो निम्न प्रकार से है :-
ज़ोन-V (Zone-V)- सर्वाधिक भूकंप प्रभावित क्षेत्र
ज़ोन-IV (Zone-IV)- गंभीर भूकंप तीव्रता क्षेत्र
ज़ोन-III (Zone-III)- मध्यम भूकंप तीव्रता क्षेत्र
ज़ोन-II (Zone-II)- न्यूनतम भूकंप प्रभावित क्षेत्र
भूकंप की दृष्टि से सर्वाधिक संवेदनशील ज़ोन-V (Zone-V) को माना जाता है। यहाँ प्रायः सर्वाधिक तीव्रता वाले एवं विनाशकारी भूकंप आते है।
भूकंप की दृष्टि से न्यूनतम खतरे वाला क्षेत्र सिस्मिक जोन ज़ोन-II (Zone-II) है।
राजधानी दिल्ली को सिस्मिक जोन, ज़ोन-IV (Zone-IV) में शामिल किया गया है जो भूकंप की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है।