साइटिका के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार | Home Remedies for Sciatica

साइटिका हिप्स से जुडी हुई नस होती है, साइटिका तंत्रिका रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर नितम्बों से होकर दोनों पैरों में शाखा जैसे जाती है। ये हमारे शरीर के सबसे जरूरी और लम्बी तंत्रिकाओं में से ही एक है। साइटिका का प्रभाव पैरों को कंट्रोल करने की क्षमता पर पड़ता है। कभी कभी कमर से नीचे के भाग में अचानक ही बहुत तेज दर्द शुरू हो जाता है। जैसे पैरों में, हिप्स, पीठ का सुन्न हो जाना। कटिस्नायुशूल का दर्द इसमें कोई चोट लगने या फिर इससे जुड़े किसी अंग में चोट लगने का आसार/लक्षण होता है। इसका दर्द कुछ समय के लिए होता है। लेकिन दर्द बहुत अधिक होता है। यहाँ आपको साइटिका के लक्षण इसके घरेलू उपचार और इसके होने के कारण बताएँगे।

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साइटिका के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार | Home Remedies for Sciatica
साइटिका के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार | Home Remedies for Sciatica

Symptoms Of Sciatica साइटिका के लक्षण

साइटिका का दर्द और दर्दों से ठीक अलग प्रकार का है। यदि आपको अक्सर पीठ कमर से नीचे के भाग में और पैरों में खिचांव दर्द या ये अंग सुन्न हो जाते हैं। तो ये साइटिका हो सकती है। साइटिका हमारी तंत्रिका तंत्र पर लगी चोट आदि के कारण से होता है। साइटिका के कुछ बाकि लक्षण ये सब हो सकते हैं।

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  • पैरों और कमर में कमजोरी लगना या अचानक से पैरों का सुन्न पड़ जाना। ये सब अक्सर साइटिका तंत्रिका मार्ग में होती है। यदि ये कभी ज्यादा हो जाता है तो इसमें आपको पैरों का होना भी महसूस नहीं होता, और न ही पैर आप हिला पाएंगे।
  • कभी कभी बेहद दर्द होना और आप इसमें जैसे ही थोड़ा भी हिलते डुलते हैं, तो दर्द और ज्यादा बढ़ जाना।
  • आप अपने नित्यकर्मों पर नियंत्रण न होना महसूस करेंगे। इसमें आपको अपनी आंत या मूत्राशय पर नुकसान और कंट्रोल करने ओर असमर्थता महसूस होगी। ये कौडा इक्किना सिंड्रोम ऐसी स्थिति है जब कौडा इक्किना के नाम से जनि जाने वाली रीढ़ की हड्डी के नीचे की नसों के गठरी क्षतिग्रस्त हो जाये।
  • नितम्बों में अचानक से दर्द होना।
  • उठने बैठने में पैरों में दर्द और जलन-चुभन महसूस होना।
  • पैरों के पिछले भाग में एक ओर दर्द होना।

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साइटिका के कारण | causes of sciatica

साइटिका अक्सर रीढ़ की हड्डी से संबंधित कई वजहों से होता है। ये हमारी पीठ और पैरों की नसों को नुकसान पहुँचाता है। साइटिका किसी चोट की वजह से भी हो सकती है। जैसे कभी गिरने की वजह से या फिर रीढ़ या साइटिक तंत्रिका में कैंसर की वजह से हो सकता है

  • निचली रीढ़ की हड्डियों का अव्यवस्थित होना – इसको स्लिप डिस्क भी कहा जाता है। जिसमे हमारी रीढ़ की हड्डी कार्टिलेज उपास्थि/ नरम हड्डी से अलग हो जाती है। कार्टिलेज हड्डियों के जोड़ों में एक लचीला गाढ़ा पदार्थ होता है। जिससे की जोड़ों को घूमने में लचीलापन महसूस हो सके। कार्टिलेज की ऊपरी परत हट जाती है। तो जोड़ों के अंदर के पदार्थ साइटिका को संकुचित कर देते हैं।
  • स्पाइन स्टेनोसिस– इसमें हमारी रीढ़ की हड्डी के निचली ट्यूब सिकुड़ने लगती है। ये संकुचन हमारी रीढ़ की हड्डी और साइटिका नर्व पर जोर डालता हैं।
  • स्पॉन्डिलोलिसथेसिस- अपक्षयी डिस्क विकार से जुडी परिस्थिती में से ये एक है। जब रीढ़ की हड्डी या कशेरुक बढ़ने लगता है। तो हमारी रीढ़ ककी हड्डी साइटिका नस को प्रभावित करने लगती है।
  • पिरिफोर्मिस तंत्रिका – यह एक न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर है। इसमें शरीर में काम करने वाली मांस पेशियों को प्रभावित करते हैं। ये तंत्रिका अचानक ही सिकुड़ जाती हैं। इसमें रीढ़ से नीचे की मांसपेशी में सूजन या ऐंठन होने के कारण साइटिका पर दबाव पड़ता है। ज्यादा समय तक बैठे रहने से या कभी किसी एक्सीडेंट के कारण भी पिरिफोर्मिस तंत्रिका पर प्रभाव पड़ता है।

इस लेख को पढ़कर आप साइटिका के दर्द से राहत पा सकते हैं।

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Home Remedies for Sciatica FAQ’s

साइटिका की बीमारी कैसे शुरू होती है ?

साइटिका की बीमारी तब शुरू होती है जब हमारे शरीर की तंत्रिकाओं में सूजन आ जाता है और साथ ही रीढ़ की हड्डी भी अपनी जगह से खिसकने लगती है। शरीर में जोड़ वाली जगह पर हड्डी खिसकने लगती है जिससे असहनीय दर्द होता है।

साइटिका होने पर क्या परहेज करना चाहिए ?

अगर आपको साइटिका की शिकायत है तो आपको ऊँची एड़ियों के जूते चप्पलों को पहनने में परहेज करना चाहिए, खाने में आते व शर्करा से बने उत्पादों का देवन से बचें और ऐसे कार्य न करें जो अधिक झुकने वाले हों।

साइटिका के लक्षण क्या होते हैं ?

साइटिका के लक्षण निम्न हैं:- पैरों और कमर में कमजोरी लगना, उठने बैठने में पैरों में दर्द होना, नितम्बों में अचानक से दर्द होना, अचानक से पैरों का सुन्न पड़ जाना आदि।

साइटिका को हमेशा के लिए ठीक कैसे किया जा सकता है ?

अगर आपको साइटिका है तो इसे ठीक करने के लिए आपको एक बेहतर जीवनशैली अपनानी पड़ेगी जिसमें आपको कुछ परहेज करने की ज़रूरत है जैसे:- धूम्रपान न करें, अपने वजन को नियंत्रित रखें, भोजन में संतुलित आहार लें आदि।

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