भारतीय संविधान में केंद्र एवं राज्य सरकार के अधिकारों एवं शक्तियों के विभाजन के लिए संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची का विधान किया गया है। देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाये रखने तथा शासन एवं प्रशासन को सुचारु रूप से चलाने के लिए केंद्र एवं राज्यों के मध्य शक्तियों का विभाजन किया गया है।
लोकतान्त्रिक व्यवस्था में शक्तियों के विभाजन को लोकतंत्र का प्रमुख स्तम्भ माना गया है ऐसे में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची का भारतीय राजव्यवस्था में प्रमुख स्थान है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको भारतीय राजव्यवस्था के इसी महत्वपूर्ण विषय के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले है।
आज के आर्टिकल के माध्यम से हम आपको (Schedules Of The Indian Constitution In Hindi) सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान करने वाले है।प्रतियोगी परीक्षाओ की दृष्टि से भी यह टॉपिक अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची क्या है?
भारतीय संविधान में भारतीय लोकतंत्र को संघीय लोकतंत्र माना गया है। संघीय लोकतंत्र का प्रमुख गुण केंद्र एवं राज्यों के मध्य शक्तियों का स्पष्ट बंटवारा होता है। विभिन मुद्दों पर केंद्र एवं राज्यों के मध्य विवाद से बचने के लिए संविधान द्वारा केंद्र एवं राज्यों के मध्य अधिकार एवं शक्तियों का विभाजन किया गया है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए संविधान में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची का प्रावधान किया गया है। इसका अर्थ है की संविधान द्वारा केंद्र एवं राज्यों के मध्य अधिकार क्षेत्र निर्धारित किए गए है जिससे कोई भी एक दूसरे के अधिकार क्षेत्र पर अतिक्रमण ना कर सके।
भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची (Seventh Schedule) में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची का प्रावधान किया गया है। संविधान द्वारा इस विषय को ऑस्ट्रेलिया के संविधान से ग्रहण किया गया है। इनसे केंद्र एवं राज्य के अधिकार क्षेत्र निर्धारित होते है एवं विवाद की सम्भावना नहीं रहती।
संघ-सूची (Union List)
भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची (Seventh Schedule) में संघ सूची (Union List) के अंतर्गत राष्ट्रीय महत्व के विषयो को शामिल किया गया है। संघ सूची (Union List) के विषयो पर विधि या कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार को दिया गया है। इसका अर्थ है की इन सूची के विषयो पर सिर्फ भारत की संसद ही कानून बना सकती है। संघ सूची (Union List) में शामिल किए गए प्रमुख विषय निम्न है :-
विदेशी मामले | बैंकिंग | रेलवे | डाकघर |
रक्षा | संचार | जनगणना | बचत बैंक |
वर्तमान में संघ-सूची (Union List) में 100 विषय है।
राज्य-सूची (State List)
राज्य-सूची (State List) के अंतर्गत उन विषयो को शामिल किया जाता है जिन पर विधि या कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकारों को होता है। इसका अर्थ है की राज्य-सूची (State List) में शामिल विषयो पर राज्यों द्वारा कानून का निर्माण किया जाता है। प्रायः इस सूची में ऐसे विषय शामिल होते है जो राज्य के महत्व से सम्बंधित होते है। राज्य-सूची (State List) में शामिल प्रमुख विषय निम्न है :-
लोक व्यवस्था, लोक स्वास्थ्य | कृषि | प्रति व्यक्ति कर | पुलिस |
पंचायती राज | भूमि सुधार | गैस एवं ईंधन | कारागार |
वर्तमान में राज्य-सूची (State List) में 61 विषय है।
समवर्ती-सूची (Concurrent List)
समवर्ती-सूची (Concurrent List) के अंतर्गत उन विषयो को शामिल किया गया है जिन पर केंद्र एवं राज्य सरकारों को कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है। इसका अर्थ है की समवर्ती-सूची (Concurrent List) के विषयो पर केंद्र एवं राज्य सरकारे दोनों ही कानून बना सकते है। हालांकि यह याद रखना आवश्यक है की यदि इस विषय पर राज्य एवं केंद्र दोनों के द्वारा ही कानून बनाया जाता है तो “केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून ही मान्य” होता है। समवर्ती-सूची में शामिल प्रमुख विषय निम्न है :-
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शिक्षा | वन एवं विद्युत | दण्ड प्रक्रिया |
विवाह, विवाह-विच्छेद | जनसंख्या नियंत्रण व परिवार नियोजन | सामाजिक नियोजन |
वर्तमान में समवर्ती-सूची (Concurrent List) में 52 विषय है।
राज्य सूची से केंद्र सूची में शामिल विषय
भारतीय संसद द्वारा समय-समय पर राष्ट्रीय हितों के मद्देनजर राज्य-सूची के विषयो को केंद्र की सूची में शामिल किया जाता रहा है। वर्ष 1976 में 42वें संविधान संशोधन द्वारा निम्न 5 विषयो को राज्य सूची से केंद्र सूची में शामिल किया गया है :-
- शिक्षा (Education)
- वन (Forests)
- वन्य जीव एवं पक्षियों की सुरक्षा (Protection of Wild Animals and Birds)
- माप-तौल प्रणाली (Weights & Measures)
- न्यायिक प्रशासन (Administration of Justice)
अपशिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास
भारतीय संविधान के द्वारा केंद्र एवं राज्यों के मध्य शक्ति विभाजन के लिए संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची का प्रावधान किया गया है। हालांकि इन सूचियों के अतिरिक्त भी कुछ ऐसे विषय है जो की इन सूचियों में उल्लिखित नहीं है। ऐसे में ऐसे विषयो को अपशिष्ट विषय कहा जाता है। यह जानना आवश्यक है की अपशिष्ट विषयो पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार को दिया गया है। इसका अर्थ यह है की जो विषय संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में उल्लिखित नहीं है ऐसे विषयो पर केंद्र द्वारा विधि निर्माण किया जायेगा।
इस प्रकार से यहाँ आपको (Schedules Of The Indian Constitution In Hindi) सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गयी है।
Schedules Of The Indian Constitution सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची क्या है ?
इन सूचियों के माध्यम से संविधान द्वारा केंद्र एवं राज्यों के मध्य अधिकार एवं शक्तियों का विभाजन किया गया है।
संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची का वर्णन संविधान की किस सूची में किया गया है ?
इनका वर्णन संविधान की सातवीं अनुसूची (Seventh Schedule) में किया गया है।
संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची का प्रावधान किस देश से ग्रहण किया गया है ?
इन सभी सूचियों का प्रावधान ऑस्ट्रेलिया के संविधान से ग्रहण किया गया है।
संघ-सूची (Union List) में शामिल प्रमुख विषय कौन-कौन से है ?
संघ-सूची (Union List) में शामिल प्रमुख विषय निम्न है :- रक्षा, विदेशी मामले, डाक-संचार, बैंकिंग, बीमा, रेलवे, जनगणना, शेयर-बाजार एवं अन्य। इस सूची में 100 विषय शामिल किए गए है।
समवर्ती-सूची (Concurrent List) में शामिल विषयो पर कानून बनाने का अधिकार किसे है ?
समवर्ती-सूची (Concurrent List) में शामिल विषयो पर केंद्र एवं राज्यों दोनों को कानून बनाने का अधिकार दिया गया है। हालांकि केंद्र एवं राज्य दोनों के कानून बनाने पर केंद्र का कानून ही मान्य होता है।
संविधान में अपशिष्ट शक्तियाँ किसे दी गयी है ?
संविधान में अपशिष्ट शक्तियाँ केंद्र को प्रदान की गयी है जिस पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार को है।